जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएस सलाठिया, जो आसिफा बलात्कार,हत्या के मामले की कश्मीर बंद के पीछे सीबीआई द्वारा जांच की मांग कर रहे हैं, एक पुराने कांग्रेसी हैं।
नई दिल्लीः कठुआ में एक आठ वर्षीय बच्ची के साथ क्रूरता से किए गए बलात्कार के बाद हत्या ने जम्मू और कश्मीर में हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़काने का काम ही नहीं किया है, बल्कि इस राज्य में विपक्षी कांग्रेस के न्रेत्तव में हुई गलतेया भी इसके परिणाम में उजागर हुई है।
हिंदू एकता मंच नामक एक अज्ञात समूह द्वारा आरोपियों के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों के कारण आसिफा के लिए न्याय की मांग में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन कमजोर पड़ गए हैं, जिसके कारण अब इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की जा रही है।
आलोचकों का कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस एक तरह की बात नहीं करती है, पर इसके राज्य के नेताओं की भूमिका को कुछ प्रमाण की आवश्यकता है: विपक्ष के अग्रणी अगुआकारों में से एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं जम्मू बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, बीएस सलाठिया सीबीआई जांच के पक्ष मेंहैं। सलाठिया ने बुधवार को जम्मू बंद का नेतृत्व किया।
जहां राज्य के कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने आधिकारिक तौर पर प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ कठुआ के वकीलों की आलोचना की, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने में बाधा डाली तो जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं ने दिप्रिन्ट को बताया कि जब तक वे खुद इस ‘संघर्ष’ का समर्थन नहीं करते, तब तक भाजपा के लिए रास्ता आसन है।
सलाठिया, कांग्रेस के दिग्गज नेता और विपक्ष के राज्यसभा नेता गुलाम नबी आजाद के अत्यंत करीबी हैं, जो कि जम्मू क्षेत्र में डोडा जिले के निवासी हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में उधमपुर-डोडा विधानसभा क्षेत्र में, सलाठिया, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के साथ आजाद के मुख्य चुनाव एजेंट थे। आजाद, भाजपा के जितेंद्र सिंह से 60,000 वोटों के अंतर से हार गए थे जो कि अब प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य के मंत्री हैं।
कांग्रेस के एक गुमनाम वरिष्ठ नेता ने कहा, “सलाठिया आजाद साहब के करीबी हैं। इसमें कोई रहस्य नहीं है। लेकिन, अब वह जम्मू बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रुप में कार्य कर रहे हैं, जो कि हमेशा जम्मू क्षेत्र के अधिकारों के लिए संघर्ष में सबसे आगे रहे हैं।“
कांग्रेस के वही गुमनाम वरिष्ठ नेता ने इस तथ्य की ओर भी इशारा किया कि 2008 में होने वाले अमरनाथ यात्रा के मुद्दे पर भी सलाठिया सबसे आगे रहे थे। इसके बाद वह बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बने।