करनन के एक करीबी बताते हैं कि न्यायपालिका में दलितों के खिलाफ भेदभाव बहुत गहरे पैठा है और हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश इसके खिलाफ आवाज़ उठाते रहेंगे.
नयी दिल्लीः कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सी एस करनन कथित तौर पर ‘न्यायिक प्रक्रिया की अवमानना’ के लिए जेल जाने के बावजूद झुके नहीं है और वह ‘न्यायालय में जातिगत भेदभाव’ के खिलाफ लड़ते रहेंगे, ऐसा एक करीबी सूत्र ने बताया है.
यह सहयोगी कोलकाता की प्रेसिडेंसी जेल से करनन के निकलने के घंटों बाद बात कर रहे थे. करनन सुप्रीम कोर्ट की दी गयी छह महीने की सज़ा भुगत रहे थे.
दिप्रिंट से बात करते हुए, अपना नाम न छापने की शर्त पर, सहयोगी ने बताया, ‘न्यायपालिका में बहुत अधिक जातिगत भेदभाव है. जब उन्होंने (करनन ने) खुलकर यह बात बोल दी, तो इसे मुद्दा बना दिया गया.’
सहयोगी ने यह भी कहा कि करनन जेल में खुश थे और उन्होंने अपना समय उत्पादक तरीके से बिताया, छह महीने एक लंबा अरसा हैं, लेकिन जेल को लेकर वह कटु नहीं हैं. करनन के बारे में यह भी पता चला कि वह सह-कैदियों को कानूनी सलाह भी देते थे.
करनन की गिरफ्तारी और सजा का कारण
पिछले साल, करनन ने कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को चिट्ठी लिखकर कई कार्यरत औऱ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. यह चिट्ठी उन्होंने प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को भेजा था.
2011 में भी उन्होंने अनुसूचित जाति आयोग को पत्र लिखकर मद्रास हाईकोर्ट के दूसरे न्यायाधीशों पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था, जहां वह तब न्यायाधीश थे.
जब वह मद्रास हाईकोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर काम कर रहे थे, सुप्रीम कोर्ट ने करनन के कथित दुर्व्यवहार को स्वतः संज्ञान में लिया था. उनको आखिरकार कोलकाता उच्च न्यायालय में भेजा गया.
इसी वर्ष मई में, सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच ने करनन को गिरफ्तार करने का हुक्म दिया,जब वह कोलकाता हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे. करनन ने शुरुआत में गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की, लेकिन अवकाश के कुछ दिनों बाद पश्चिम बंगाल पुलिस की गिरफ्त में आ गए.
वैधानिक गलियारों में कई ने कोर्ट के इस मामले पर कार्रवाई की आलोचना की. वर्तमान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी कोर्ट से अनुरोध किया कि वह ‘करनन को इज्जत से अवकाश ग्रहण करने दे.’ वेणुगोपाल ने इस मामले में हस्तक्षेप किया था. हालांकि, तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने करनन का उदाहरण बनाने की दरख्वास्त की थी.
भविष्य में क्या है
करनन के परिवार के एक सदस्य, नाम न छापने की शर्त पर, दिप्रिंट को बताया कि पूर्व न्यायाधीश अब चेन्नै चले जाएंगे. पारिवारिक सदस्य ने कहा, ‘उनको चेन्नै लौटने के लिए खुद को मानसिक तौर पर तैयार करना होगा. वह सप्ताहांत तक कोलकाता में रहेंगे औऱ अपनी पेंशन वगैरह का काम करेंगे.’
इस बीच, ‘नेशनल लॉयर्स कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल ट्रांसपैरेंसी एंड रिफॉर्म’ (न्यायिक सुधार व पारदर्शिता के लिए वकीलों का राष्ट्रीय कैंपेन) के अध्यक्ष अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा ने कहा कि उनका संगठन कन्नन का उनके कैंपेन में सहयोग करेगा.
नेदुम्परा ने कहा, ‘इस बार हम उनको मसले पर केंद्रित रहने और गैर-जरूरी विवादों में न उलझने में सहयोग करेंगे. वह तो न्यायिक सुधार के लिए लड़ रहे हैं.’