यूट्यूब पर बच्चों के लिए उपलब्ध सामग्री अब सुर्खियों में आ रही है. भूल जाइये ‘आर्किटेक्चरल डाइजेस्ट’ के चैनल पर किसी सेलेब्रिटी के घर की लागत को गौर से देखना, गेमिंग वीडियो पर जुनूनी रूप से नजरे टिकाएं रखना या फिर अपने पसंदीदा यूट्यूबर को उम्मीद से कमतर पास्ता बनाते देखना. यूट्यूब पर कुछ नया राज कर रहा है, और इसके विषय बच्चों से जुड़े हैं. इसके दस सबसे ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो की सूची में में शीर्ष पांच बच्चों के लिए हैं. चूचू टीवी का ‘फोनिक्स सांग विथ टू वर्ड्स’ को तो हैरतअंगेज रूप से 5 बिलियन बार देखा गया है.
हालांकि, चूचू टीवी इस रुझान का केवल एक उदाहरण मात्र है. यूट्यूब पर बच्चों से जुडी विषय वस्तु अगली ‘बड़ी चीज़’ बन गई है. अमेरिका में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला चैनल ‘कोकोमेलन‘ है, जिसके द्वारा पेश की गई सामग्री दुनिया भर के बच्चों की पसंदीदा हैं. अर्जेंटीना के ‘एल रेइनो इन्फेंटिल’ ने अब तक 100 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है. चूचू टीवी 81 मिलियन डॉलर की कमाई के साथ तीसरे स्थान पर है.
चूचू टीवी 60.2 मिलियन (6.02करोड़) सब्सक्राइबर्स के साथ एक शैक्षिक चैनल है, जो इसे भारत में 8वां और दुनिया में 22वां सबसे अधिक सब्सक्राइबर वाला चैनल बनाता है. चेन्नई में स्थित यह चैनल मूल रूप से इसके संस्थापक विनोथ चंदर की बेटी पर आधारित ‘चूचू’ नामक पात्र द्वारा प्रस्तुत ‘क्लासिक नर्सरी राइम’ और बच्चों के गीतों को नया रूप देता है. कंपनी के क्रिएटिव हेड (रचनात्मक मामलों के प्रमुख) बी.एम. कृष्णन ने कहा कि अंग्रेजी नर्सरी राइम्स में समझ में आने लायक अर्थ की कमी थी और बाद में उन्होंने इस अंतराल को भरने का फैसला किया.
सीधे किसी पिक्सर फिल्म से लिए गए दिखने वाले एनीमेशन के साथ व्याख्यात्मक ग्राफिक्स, जो बच्चों को सब्जियों और जोशीली धुनों – जिन पर बच्चे नाच सकते हैं – से प्यार करना सिखाते हैं, को देखने के बाद यह समझ में आता है कि क्यों छोटे- छोटे बच्चे और उनके हारे-थके माता-पिता शिक्षा और मनोरंजन दोनों के लिए चूचू टीवी पर आते हैं. यह बच्चों को आकृतियों, रंगों, संख्याओं और ध्वनियों से परिचित कराता है, जो मूल रूप से किसी प्ले स्कूल की भूमिका निभाने जैसा है.
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एक अस्थायी अभिभावक के रूप में आया यूट्यूब
वे दिन गए जब बच्चों को सोते समय कहानियां सुनानी पड़ती थी और उनके माता-पिता अस्थायी रूप से नकलची कलाकार बन कर बड़े कुत्तों या बिस्तर के नीचे छिपे राक्षसों की नकल उतारा करते थे.
अब हमारे पास ऐसे बच्चों की एक पीढ़ी है जो अभी तक पढ़ या लिख तो नहीं सकते हैं, लेकिन आईपैड पर कुशलतापूर्वक स्वाइप करते हुए एक के बाद एक वीडियो जरूर देख सकते हैं. जिस सहजता और चिरपरिचत ढंग से ये बच्चे अब तकनीक को अपना रहे हैं, वह कुछ पीढ़ियों पहले तक अनसुना सा था.
फिर भी इंटरनेट एक भंवरजाल की तरह है. अभिभावकों को अपने बच्चे के इंटरनेट के उपयोग पर सावधानीपूर्वक निगरानी करनी होगी – एक गलत स्वाइप और उनके बच्चे दर्दनाक विषय वस्तु के संपर्क में आ सकते हैं.
वे इस बात की भी सीमा निर्धारित करते हैं कि उनका बच्चा प्रति दिन कितना समय स्क्रीन के साथ बिता सकता है. इंटरनेट की दुनिया कोई यूटोपिया (आदर्शलोक) नहीं है; घात लगाकर बैठे दरिंदों के प्रति असुरक्षा एक निरंतर खतरा है. और अधिक-से-अधिक संख्या में अभिभावक इस बात से सहमत भी हैं.
इस तरह के ऑनलाइन व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए, इनकी विषय वस्तु को विनियमित करने की आवश्यकता होती है. अभिवावकों को यूट्यूब किड्स की दुनिया की तरफ आकर्षित करना होता है.
यूनाइटेड स्टेट्स के ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ द्वारा डिजिटल युग में अभिभावकों के व्यवहार और अनुभवों पर किए गए एक अध्ययन से भी यही निष्कर्ष निकलता है. इसमें शामिल अधिकांश लोगों ने कहा कि बच्चों का पालन-पोषण 20 साल पहले की तुलना में कठिन हो गया है.
रिपोर्ट कहती है, ‘इनमें से कई प्रतिक्रियाएं प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग और उन तेजी से हो रहें बदलावों का उल्लेख करती हैं जिनके साथ तालमेल बिठाने में अभिभावकों को मुश्किल हो सकती हैं.
वे इस बात का भी जिक्र करते हैं कि कैसे ये प्रौद्योगिकियां बच्चों के व्यवहार और अनुभवों को बदल सकती हैं.’ एक अभिभावक ने शिकायत की, ‘प्रौद्योगिकी ने बच्चों को त्वरित संतुष्टि और धैर्य न रखना ही सिखाया है.’
यहीं पर चूचू टीवी ने अपना हस्तक्षेप किया है. शिक्षा और मनोरंजन का मिश्रण अभिभावकों को आकर्षित कर रहा है – यूट्यूब की सामग्री अब कहानियों की किताब बन गई है, यहां वर्णाक्षर (एबीसी) सीखे जाते हैं, ध्वनियां और रंग समझे जाते हैं, और एक स्पष्ट थीम है जो पूरे वीडियो में चलती रहती है. ‘बाहर खेलने जाने’ पर बने एक गाने के बाद ‘मम्मी की मदद’ करने का एक और गीत आता है.
चूचू टीवी के पक्ष में जिस एक और चीज ने काम किया है, वह है इसकी व्यापक विषय वस्तु जो केवल भारतीय दर्शकों की जरूरतों को ही पूरा नहीं करती है. इसमें 12 चैनलों का नेटवर्क शामिल है, जिसमें अंग्रेजी से लेकर तमिल और फ्रेंच तक की भाषाएं हैं. वीडियो में दिखाए गए एनिमेटेड बच्चों में भी विविधता है.
तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि देश भर के अभिभावक अब राहत की सांस लेते हैं और चूचू टीवी द्वारा अस्थायी रूप से उनके हिस्से का काम किये जाने के कारण उन्हें अपने लिए अति आवश्यक आराम करने का समय मिल जाता है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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