चीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन संबंधी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है. यह ऐसी विकट समस्या है जिससे निपटने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का झोंगनानहाई मुख्यालय पार्टी काडरों को टेक्नोलॉजी प्रशिक्षण दे रहा है या फिर ‘टेक्नोक्रेट्स’ को आगे बढ़ा रहा है.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग को टेक्नॉलजी केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा के विचार को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे नौकरशाहों की आवश्यकता है, जो उनकी घरेलू और विदेश नीति की चुनौतियों का हल तलाश सकें.
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक विश्लेषण के अनुसार, 20वीं पार्टी कांग्रेस में अब 40 प्रतिशत ‘टेक्नोक्रेट’ हैं, जो सीसीपी की केंद्रीय समिति में बतौर पूर्ण सदस्य 81 सीटों पर काबिज हैं. 20वीं पार्टी कांग्रेस में चुने गए 24 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में कम से कम छह नए सदस्यों के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में औपचारिक प्रशिक्षण और अनुभव है. उनमें चार ने चीन से बाहर पढ़ाई की है.
टेक्नोक्रेट के मायने क्या हैं, इस बारे में चीनी विद्वानों के बीच कुछ बहस भी जारी है. चेंग ली ने 2001 में अपने क्लासिक चाइनिज लीडर्स: द न्यू जेनेरेशन में लिखा है, ‘चीन के टेक्नीकल एलिट तबका सत्ता में दो वजहों से पहुंचता है. उसमें आंशिक योगदान उसकी प्रतिष्ठा का होता है और आंशिक योगदान उसके गैर-तकनीकी राजनैतिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि का होता है. असल में तकनीकी शिक्षा, पेशेवर कामकाज, नेतृत्व की हैसियत जैसे तीन मूल वजहों से सही-गलत के निर्णयों में नहीं उलझता और लिहाजा, भावनाओं में कम बहता है.’
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‘टेक्नोक्रेट्स’ के हित
शी ने जिन टेक्नोक्रेट्स को आगे बढ़ाया, उनमें कुछ विषयों के विशेषज्ञों का खास ख्याल रखा गया है. उसमें एयरोस्पेस टेक्नॉलजी, सेमीकंडक्टर, पर्यावरण विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी प्रमुख हैं.
पार्टी की शिनजियांग इकाई के वर्तमान प्रमुख मा जिंगरुई पोलित ब्यूरो में पदोन्नत होने से पहले चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य कमांडर थे. वे ग्वांगडोंग प्रांत के गवर्नर के पद पर रहे हैं. झेजियांग प्रांत के पार्टी सचिव युआन जियाजुन को भी पोलित ब्यूरो में पदोन्नत किया गया है, और वे भी चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े थे.
चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े मा और युआन को ‘एयरोस्पेस गुट’ का सदस्य भी कहा जाता है. तथाकथित ‘एयरोस्पेस गुट’ या ‘कॉसमॉस क्लब’ की ऊपरी हलकों में पहुंच को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक विश्लेषण के अनुसार, 20वीं केंद्रीय समिति में लगभग 20 सीटों पर एयरोस्पेस टेक्नॉलजी वाले काबिज हैं.
औद्योगिक भौतिकी और परमाणु सुरक्षा में सिंघुआ विश्वविद्यालय के स्नातक ली गंगजी को नए पोलित ब्यूरो में शामिल किया गया है. वे पर्यावरण विज्ञान विभाग में भी रह चुके हैं. ली ने चीन लौटने से पहले 1991 और 1993 के बीच फ्रांस में भी थोड़ी पढ़ाई की है. फुजियान के पूर्व पार्टी सचिव और अब बीजिंग के पार्टी सचिव यिन ली पब्लिक हेल्थ में प्रशिक्षित हैं और उनकी पढ़ाई पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका में हुई है.
उत्थान-पतन का इतिहास
तकनीकी प्रशिक्षण वाले पार्टी काडरों और राजनीतिक सिद्धांत के हिमायतियों के बीच टकराव का इतिहास पूर्व चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन के दौर से है. जियांग 1997 में महासचिव थे, तब इंजीनियरिंग समेत टेक्नॉलजी ट्रेनिंग वाले मंत्रियों की संख्या 70 प्रतिशत तक थी. यह फिनॉमेना ’90 के दशक के उत्तरार्ध में चीनी राजनीति के विभिन्न पदाधिकारियों में दिखाई दे रही थी, जब अधिकांश सदस्यों के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी की डिग्री थी.
लेकिन 2007 में हू जिंताओ के तहत, सीसीपी की केंद्रीय समिति के बतौर पूर्ण सदस्य टेक्नोक्रेट्स की संख्या गिरकर 31.3 प्रतिशत हो गई और 19वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान शी जिनपिंग के तहत यह अनुपात 17.6 प्रतिशत तक गिर गया.
अलबत्ता इस कमतर संख्या का नतीजा अब स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा देने के बीजिंग के सरोकार में झलकता है. यानी कहानी अधिक जटिल है.
टेक्नोक्रेट्स की 1997 के बाद से वापसी दरअसल बीजिंग और वाशिंगटन के बीच अगली पीढ़ी की टेक्नॉलजी के लिए एक दशक लंबी प्रतिस्पर्धा का प्रतीक है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और सेमीकंडक्टर शामिल हैं. इन पर पिछले दो वर्षों में जोर तेजी से बढ़ा है.
अगस्त में चिप्स ऐंड साइंस एक्ट और अक्टूबर में सेमीकंडक्टर निर्यात पर बंदिशों से पता चलता है कि वाशिंगटन चीन की दुखती रग पर हमला करने को तैयार है. इन दो कदमों से पता चलता है कि अमेरिका सेमीकंडक्टर के मामले में बीजिंग के खिलाफ अपनी बढ़त बनाए रख सकता है, और चीन के अनुचित तरीकों से सेमीकंडक्टर से संबंधित बौद्धिक संपदा हासिल करने के प्रयासों को नाकाम कर सकता है.
मानो ये कदम नाकाफी हों, इसलिए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि वाशिंगटन को फाउंडेशनल टेक्नोलॉजीज़ के मामले में प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बनाए रखने की जरूरत है. अमेरिका की 2022 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति कहती है, ‘हमारी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने वाली फाउंडेशनल टेक्नोलॉजीज़ के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है. साझा हितों पर वैश्विक सहयोग लडख़ड़ा गया है, भले ही उस सहयोग की आवश्यकता अस्तित्व रक्षा से जुड़ी हो. ये परिवर्तन हर वर्ष तेज हो रहे हैं और इसलिए निष्क्रियता का जोखिम भी बढ़ रहा है.’
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शी टेक्नोक्रेट्स को बढ़ावा देने में सहज क्यों हैं
टेक्नोक्रेट्स को बढ़ावा देने की दूसरी वजह गुटीय राजनीति हो सकती है. ट्विटर पोस्ट में चीनी राजनीति के अंदरूनी जानकार निर्वासित चीनी बिजनेस टाइकून डेसमंड शम ने लिखा, ‘वे राजनीतिक गुटों से कम ताल्लुक रखते हैं क्योंकि वे साइलो में काम करते हैं. वे कम भ्रष्ट हैं क्योंकि वे ज्यादा शिक्षित हैं. इसलिए, इन दो क्षेत्रों के अधिकारी सबसे पहले सामने आए क्योंकि शी उन्हें बाहर करना चाहते थे. शी जिन्हें शामिल करना चाहते थे, उस वजह से उन्हें शुरुआत में जगह नहीं मिली.’
शम इस तथ्य की ओर इशारा कर रहे थे कि तकनीकी क्षेत्र के काडरों की मानसिकता साइलो में काम करने की होती है और इसलिए उनमें उस तरह राजनीतिक पूंजी जुटानेे की क्षमता नहीं हो सकती है जिस तरह शी जिनपिंग ने सत्ता में आने के लिए जुटाई है.
अन्य विशेषज्ञों की राय भी शम से मिलती-जुलती है कि आखिर क्यों शी टेक्नोक्रेट्स को बढ़ावा देने में सहज महसूस करते हैं.
हांगकांग-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के एक शोधकर्ता वू जुनफेई ने कहा, ‘आम तौर पर, वे अन्य धाराओं के काडरों की तुलना में अधिक व्यावहारिक होते हैं. यह चुस्त-दुरुस्त टीम होगी जो टेक्नॉलजी को समझती है और अपने दिमाग में लक्ष्य को रखती है.’
ऐसा लगता है कि शी का फोकस उन लोगों को बढ़ावा देने पर है, जिन्होंने सैन्य और वैज्ञानिक परियोजनाओं में नतीजे दिखाए हैं. सिचुआन प्रांत के गवर्नर हुआंग कियांग उनमें से एक हैं. उन्होंने चेंगदू जे-20 स्टील्थ फाइटर की डिजाइन में योगदान दिया है. लेकिन यह नहीं माना जा सकता कि शी अपने राजनीतिक हितों से ऊपर योग्यता को कम तरजीह दे रहे हैं.
टेक्नोक्रेटिक काडरों को आगे बढ़ाने से उनके दो उद्देश्य पूरे होते हैं. एक, इन हुनरमंदों को बढ़ावा देने से यह तय होता है कि चीन फाउंडेशनल टेक्नॉलजी में अमेरिका से मुकाबला करने को तैयार है. दूसरे, टेक्नोक्रेट्स की नई पीढ़ी के पास शी की सत्ता को जल्द ही चुनौती देने का राजनीतिक गुर पा जाने की संभावना नहीं है.
शी की सफलता ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए अपने वैचारिक ज़ार वॉन्ग हुनिंग के समर्थन से राजनीतिक सिद्धांत पर अमल में है. लेकिन राजनीतिक सिद्धांत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने का मकसद घरेलू आर्थिक विकास को गति देना है, जिससे अंतत: शासन की स्थिरता तय होती है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि वाले पोलित ब्यूरो के नए सदस्य 2027 में अगली पोलित ब्यूरो स्थायी समिति में जा सकते हैं. इन नए काडरों में उस प्रकार की राजनीतिक तेजी नहीं होगी जो शी के हाल के प्रतिद्वंद्वियों, ली केकियांग और हू चुनहुआ ने दिखाई है.
शी अपने स्वदेशी वैज्ञानिक इनोवेशन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए पदोन्नत टेक्नोक्रेट की ओर देख रहे हैं और यह आश्वस्त कर रहे हैं कि वे अगली पार्टी कांग्रेस में उन्हें चुनौती न दें.
[लेखक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) से चीन केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं]
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(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः हरिमोहन मिश्रा)
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