अक्टूबर चीन के लिए एक महत्वपूर्ण महीना है. 1949 में, मार्क्सवाद के जरिए साम्राज्यवाद और पश्चिम के पूंजीवादी बाजार मॉडल को चुनौती देने के लिए, साम्यवादी राज्य की नींव रखी गई थी. हालांकि, पिछले 74 वर्षों में, चीन पूंजीवाद का एक चमकदार, आधिपत्यवादी साम्राज्यवादी उदाहरण बनकर उभरा है – हालांकि चीनी खासियतों के साथ, मूलरूप से मार्क्सवादी सिद्धांतों को उल्टा कर दिया है.
इस महीने में तीन महत्वपूर्ण इवेंट होंगे, जो पूरी संभावना है कि चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था की भविष्य की आर्थिक दिशा तय करेंगी. सबसे पहले, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में एक और ताज़ा संघर्ष के बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों देशों के बीच “असीमित साझेदारी” के लिए अपने “प्रिय मित्र” शी जिनपिंग से मिलने के लिए अभी चीन में हैं. दूसरी बात, चीन शी के सिग्नेचर प्रोजेक्ट, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के 10 साल पूरे होने का ‘जश्न मनाने’ के लिए एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जिसे उसके भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक संबंधों में गेम चेंजर के रूप में बताया जा रहा है. तीसरा और अधिक महत्वपूर्ण पहलू चीनी अर्थव्यवस्था की तीसरी तिमाही के संतोषजनक न होने के बाद चौथी तिमाही (Q4) की शुरुआत है.
बीआरआई का उत्थान और पतन
चीनी अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया से जोड़ने वाले नए व्यापार मार्गों को विकसित करने की शी की महत्वाकांक्षी योजना के हिस्से तौर पर 2013 में BRI अनावरण किया गया था. इस मार्ग में दक्षिण पूर्व एशिया में उभरती अर्थव्यवस्थाएं और पश्चिम, विशेष रूप से यूरोप में विकसित अर्थव्यवस्थाएं समेत कुल 150 देश और संस्थान शामिल होंगे. हकीकत में, बीआरआई महज़ एक आर्थिक परियोजना से कहीं अधिक थी. यह अन्य विकासशील देशों के साथ अपनी पहुंच बढ़ाने, एक सरल प्राकृतिक संसाधन मॉपिंग मॉडल के जरिए तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने और एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरने की चीन की विशाल रणनीतिक योजना थी, जो अमेरिका को उसकी नंबर एक की स्थिति से उखाड़ फेंकने की थी. चीन इन उद्देश्यों को कितना हासिल कर पाया है, इसका आकलन अभी बाकी है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक आसान रास्ता नहीं है, जैसा कि बीजिंग ने 10 साल पहले सोचा होगा.
2013 में शी की स्थिति काफी अलग थी. वह चीन के राष्ट्रपति, कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष थे- एक थ्री-इन-वन नेता, जिसका कद माओ से एक पायदान ऊपर माना जाता था. बीजिंग का उदय और बढ़ता प्रभाव शहर में चर्चा का विषय बन गया और रणनीतिक विशेषज्ञों की बढ़ती संख्या ने इसके विकास पथ का सकारात्मक रूप से मूल्यांकन करना शुरू कर दिया. लेकिन जैसे-जैसे परियोजनाएं और संबंधित ऋण, आर्थिक सहायता पैकेज और बुनियादी ढांचा योजनाएं सामने आने लगीं, छोटी और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को चीन से ऋण लेने का बोझ महसूस होने लगा. कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने पहले से ही तनावग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं के लिए और बाधाएं पैदा कर दीं.
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आर्थिक पतन
अब, चीन की एक समय फल-फूल रही अर्थव्यवस्था सुस्ती के फेज में प्रवेश कर गई है. इसने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के आंकड़ों में अप्रैल-जून तिमाही में 6.3% से जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.9% तक गिरावट दर्ज की है- और बढ़ती बेरोजगारी संकट का सामना कर सकता है. इसके रियल एस्टेट बाजार को भी झटका लगा है.
इसके अलावा, बीआरआई, जिसकी उदारता के साथ अमेरिका की मार्शल योजना से तुलना की गई थी और जिसे 2008 के बैंकिंग संकट के लिए एक जादू की छड़ी समाधान के रूप में प्रचारित किया गया था, जिसने वैश्विक आर्थिक मंदी को जन्म दिया था, जो कि यह खुद ही समस्याओं का सामना कर रहा है. ऐसा शायद इसलिए था क्योंकि इसमें उन्हीं तरीकों इस्तेमाल किया गया था, जिनके कारण अमेरिका में रियल एस्टेट को नुकसान हुआ था. चीन के सबसे बड़े प्रॉपर्टी डेवलपर्स में से एक, कंट्री गार्डन ने 6.7 बिलियन डॉलर के घाटे की घोषणा की है और अपने बांड पर ब्याज नहीं चुकाया.
कैक्सिन एसएंडपी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) ने मुख्य रूप से निर्यात से जुड़ी वस्तुओं में लगे 650 निजी और राज्य के स्वामित्व वाले निर्माताओं के सर्वे में पाया कि पीएमआई जुलाई में 49.2 से बढ़कर अगस्त में 51 हो गया है.
इससे पहले कि निवेशक राहत की सांस ले पाते, अगस्त में जारी 3,200 से अधिक विनिर्माण इकाइयों के आधिकारिक पीएमआई सर्वेक्षण में बताया गया कि चीन में विनिर्माण में लगातार पांचवें महीने गिरावट आई है. इससे उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के लिए कर राहतों और प्रोत्साहनों की एक सीरीज की घोषणा करना पड़ा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीन को “एक चालू टाइम बम” कहने में शायद गलत नहीं थे.
बीआरआई एशिया तक ही सीमित
इटली एकमात्र G7 देश था जो BRI का हिस्सा था, लेकिन वह BRI@10 बैठक में भाग नहीं ले रहा है, जो इस पहल से हटने का संकेत है. हंगरी एक प्रबल समर्थक रहा है लेकिन यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व नहीं करता प्रतीत होता है. यूरोपीय संघ और कुछ अफ्रीकी देशों की निराशाजनक प्रतिक्रिया के अनुसार, बीआरआई सामान्य रूप से एशिया और विशेष रूप से दक्षिण एशिया तक ही सीमित है, जहां भारतीय हित रणनीतिक और महत्वपूर्ण प्रकृति के हैं.
सख्त कोविड विरोधी कदमों से चीन में लोग नाराज हो गए – इस हद तक कि प्रदर्शनकारी पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिन पर लिखा था, ”शी जिनपिंग पद छोड़ें;” सीसीपी पद छोड़ो” सीसीपी के वरिष्ठ नेतृत्व के एक वर्ग के बीच असंतोष की खबरें हैं जो कथित तौर पर बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट और सामाजिक तनाव के बारे में चिंतित हैं. बताया जाता है कि शी ने खुद पार्टी की घटती सदस्यता और इससे पैदा होने वाली समस्याओं पर चिंता व्यक्त की है.
‘बीआरआई@10’ की सालगिरह का जश्न ऐसे समय में हो रहा है जब शी को चीनी अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह से प्रबंधित करने, मार्क्सवादी सिद्धांतों से विचलित न होने और पश्चिम के असफल बाजार मॉडल को चुनौती देने के लिए वैलिडेट किए जाने की जरूरत है. अपने “सबसे अच्छे दोस्त” पुतिन के साथ के कारण और ऋण जाल में फंसे बीआरआई डिफॉल्टरों की वजह चीनी राष्ट्रपति ने सीसीपी और देश और विदेश में विरोधियों के बीच अपना मसकसद पूरा कर लिया है. लेकिन उन्हें जल्द ही बीआरआई के विकल्प की आवश्यकता होगी, इससे पहले कि सीसीपी उनका विकल्प खोजना शुरू कर दे.
(शेषाद्रि चारी ‘ऑर्गनाइज़र’ के पूर्व संपादक हैं. उनका एक्स हैंडल @seshadrihari है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादनः इंद्रजीत)
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