हिंदुस्तान और पाकिस्तान में कौन सी टीम बेहतर है? ये सवाल आप किसी से पूछ लीजिए. पाकिस्तान के खिलाड़ियों से भी पूछ लीजिए तो इसका जवाब मिलेगा- टीम इंडिया. इसकी वजह बड़ी साफ है. पिछले एक दशक के रिकॉर्ड्स उठाकर देख लें तो ये बात सोलह आने सच है कि खेल के तीनों डिपार्टमेंट में इस वक्त भारतीय टीम पाकिस्तान से कहीं बेहतर है. कसौटी टीम के संतुलन की हो, टीम के खिलाड़ियों के अनुभव की हो या फिर इम्पैक्ट प्लेयर्स की. भारत और पाकिस्तान के बीच का फर्क उन्नीस-बीस का नहीं बल्कि अठारह-बीस का है. सबसे पहले तो उस आंकड़े की बात कर लेते हैं, जो पाकिस्तान की टीम को लगातार डरा रहा है.
पिछले 27 साल से पाकिस्तान को विश्व कप में भारत के खिलाफ जीत का इंतजार है. ये सिलसिला 1992 में शुरू हुआ था. इसके बाद 1996, 1999, 2003, 2011 और 2015 में भी भारत ने पाकिस्तान को हराया. सिडनी से लेकर सेंचूरियन और बंगलुरू से लेकर एडिलेड तक मैदान बदलते रहे. लेकिन पाकिस्तान का विश्व कप में भारत को हराने का सपना पूरा नहीं हुआ. इसी सपने के साथ पाकिस्तान की टीम एक बार फिर रविवार को मैनचेस्टर के मैदान में उतरेगी.
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इस सपने के पूरे होने में कई रोड़े हैं. पिछले दो साल में भारतीय टीम की ताकत और बढ़ी है. भारतीय बल्लेबाजी तो पहले से ही मजबूत थी. इस बढ़ी ताकत के पीछे हैं उसके गेंदबाज. भारतीय टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह इस वक्त दुनिया के नंबर एक गेंदबाज हैं. उनके साथ-साथ भुवनेश्वर कुमार पाकिस्तान के टॉप ऑर्डर का इम्तिहान लेने को तैयार हैं. स्पिन डिपार्टमेंट में कुलदीप यादव और युज्वेंद्र चहल बीच के ओवरों में दुनिया भर के बल्लेबाजों को परेशान करते रहे हैं. बल्लेबाजी में शिखर धवन के बाहर होने से बात थोड़ी बिगड़ी जरूर है. लेकिन, केएल राहुल प्रतिभाशाली और भरोसेमंद बल्लेबाज हैं. नंबर चार पर विजय शंकर को खुद को साबित करना है. फिर विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी का अनुभव इतना है कि वो हर हालात में प्लान बी के लिए तैयार रहते हैं. इन्हीं वजहों से भारतीय टीम को विश्व कप के सबसे मजबूत दावेदारों में रखा जा रहा है. आईसीसी रैंकिंग्स के लिहाज से भी भारतीय टीम का पलड़ा काफी भारी है. भारत दूसरे जबकि पाकिस्तान छठे नंबर की टीम है.
पाकिस्तान की असल परेशानी वो दबाव है. जो उसे भारत के खिलाफ मैच में झेलना ही है. इमरान खान से लेकर वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे दिग्गज कप्तान जो काम नहीं कर पाए वो काम करने की जिम्मेदारी अब सरफराज अहमद पर है. सरफराज अहमद की टीम पर कई तरह के दबाव हैं. इस दबाव पर चर्चा करने से पहले बात करते हैं इस विश्व कप के उस मैच की जब पाकिस्तानी फैंस के चेहरों पर मुस्कान बिखरी. दरअसल, सरफराज अहमद की अगुवाई में टीम ने इस विश्व कप में एक बड़ा उलटफेर किया.
6 मार्च को नॉटिंघम में खेले गए मैच में पाकिस्तान ने इंग्लैंड को 14 रनों से हरा दिया था. मैच के इस नतीजे ने एक बार फिर साबित किया कि पाकिस्तान की टीम अनप्रेडिक्टेबल टीम है. हालांकि, बाकि मैचों में पाकिस्तान की टीम को वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा. श्रीलंका के खिलाफ मैच बारिश की वजह से नहीं हो पाया. यानी अब तक 4 मैचों में पाकिस्तान के खाते में 3 अंक है. अगर भारत के खिलाफ पाकिस्तान टीम हार जाती है तो उसे सेमीफाइनल की रेस में बने रहने के लिए अगले चारों मैच जीतने होंगे. पाकिस्तान की टीम पर दबाव यही से शुरू हो जाता है.
इसके अलावा पाकिस्तान की टीम में विश्व कप से ठीक पहले कई बदलाव कर दिए गए थे. मोहम्मद आमिर, वहाब रियाज और आसिफ अली को अचानक टीम में शामिल किया गया. इसके पीछे विश्व कप के ठीक पहले इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज में पाकिस्तान का खराब प्रदर्शन था. पाकिस्तान की टीम विश्व कप से पहले लगातार 10 मैच गंवा चुकी थी.
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पाकिस्तान की टीम के टॉप ऑर्डर में अनुभव की कमी भी दबाव की एक वजह है. फखर जमां शानदार बल्लेबाज हैं. आक्रामक बल्लेबाजी करते हैं. चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में शानदार शतक लगा चुके हैं. लेकिन, सिर्फ एक बल्लेबाज पर उम्मीदों का बोझ डालना ठीक नहीं. पाकिस्तान की टीम एक अदद फिनिशर की कमी से भी जूझ रही है. उसके पास ऐसा कोई बल्लेबाज नहीं है. जो जरूरत पड़ने पर बड़े शॉट्स खेल पाए. इन सारी कमजोरियों के बाद भी अगर पाकिस्तान की टीम को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. तो उसकी सिर्फ एक वजह है, जिसका जिक्र हम पहले भी कर चुके हैं. वो वजह है टीम का मोस्ट अनप्रेडिक्टबल यानी अप्रत्याशित होना.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)