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Friday, 1 November, 2024
होममत-विमतब्लॉगएक वीडियो ने पुलिसवालों की इमेज प्यारभरी दिखाई, लेकिन इस बात पर पुलिस सिस्टम भड़क उठा

एक वीडियो ने पुलिसवालों की इमेज प्यारभरी दिखाई, लेकिन इस बात पर पुलिस सिस्टम भड़क उठा

सोशल मीडिया में राजस्थान से प्री-वेडिंग शूट का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सब इंसपेक्टर धर्मपाल सिंह अपनी होनेवाली बीवी के साथ फिल्मी रोमांस करते नज़र आ रहे हैं.

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नई दिल्ली: सैक्रेड गेम्स के सीज़न 1 और 2 में मुंबई पुलिस का इंस्पेक्टर सरताज सिंह शहर को न्यूक्लियर बम के धमाकों से बचाने जा रहा है. पर उसके जीवन में इससे बड़ा धमाका हो रखा है. उसकी शादी टूट गई है. शहर के सारे गमों से ज्यादा बड़ा गम उसे यही लगता है. टूटी हुई शादी जैसे हॉलीवुड और बॉलीवुड के पुलिसवालों का ईमान-धर्म बन गई है. इसी बीच इंटरनेट पर एक और पुलिसवाले पर नज़र जाती है.

सोशल मीडिया में राजस्थान से प्री-वेडिंग शूट का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सब इंसपेक्टर धर्मपाल सिंह अपनी होनेवाली बीवी के साथ फिल्मी रोमांस करते नज़र आ रहे हैं. वीडियो में धर्मपाल एक खूबसूरत लड़की का ट्रैफिक चालान काटते हैं. वो लड़की बड़ी अदा से उनके पास आती है और उनकी शर्ट की जेब में नोट डाल देती है. उस लड़की की खूबसूरती पर धर्मपाल मोहित होकर देखते रह जाते हैं और कुछ देर बाद उन्हें महसूस होता है कि लड़की उनका पर्स उड़ा ले गई है. अगले सीन में दोनों एक दूसरे को डेट करते नज़र आते हैं. कहने का मतलब ये कि एक पुलिसवाले धर्मपाल की एक ‘चोरनी’ के प्यार में पड़ने की दास्तान दिखाई जा रही थी.

इस प्यारे से फिल्मी वीडियो पर राजस्थान पुलिस का पारा चढ़ गया और वे आगबबूला हो गये. पुलिस के बड़े अधिकारियों ने इसे पुलिस के इमेज को खतरा बताया. आनन-फानन में धर्मपाल से सफाई मांगी गई है और सफाई से संतुष्ट ना होने पर उन पर विभागीय कार्रवाई की तलवार लटकी रही, हालांकि ये कहानी सैक्रेड गेम्स के सरताज सिंह की कहानी से बिल्कुल उलट चल रही है. यहां एक पुलिसवाला अपनी पत्नी के प्रेम में फनी वीडियोशूट कर रहा है.

ऑस्कर वाइल्ड के उपन्यास की तरह पुलिस सिस्टम जालिम और खूबसूरत 

ऑस्कर वाइल्ड के उपन्यास ‘द पिक्चर ऑफ डोरियन ग्रे’ के एक सीन में खूबसूरत नायक डोरियन ग्रे अपनी पेंटिंग देख रहा है. डोरियन ग्रे का बाहरी रूप जितना खूबसूरत है उसकी पेंटिंग उतनी ही भद्दी और क्रूर है. ये भद्दापन विक्टोरियन समाज के दोहरे चरित्र की वजह से पैदा हुआ था. ये ही दोहरा चरित्र भारत की पुलिसिंग में भी दिखता है. जालिम भी और खूबसूरत भी- वो भी एक साथ.

एक खबर में एक पुलिसवाले ने कूड़े के ढेर में पड़ी बच्ची को देखा उसका प्रेम उभरा और उसने उसको गोद ले लिया. वहीं झारखंड से खबर आई कि पुलिस ने सर्च ऑपरेशन में तीन साल की एक बच्ची को पटक पटककर मार डाला. इस दोहरे चरित्र और भद्देपन को दूर करने के लिए ही बार-बार पुलिस रिफॉर्म्स के जरिए पुलिस वालों को मानवीय बनाने की बात की जाती है.

पुलिस इमेज अपनी नज़रों में अच्छी रखना चाहती है या जनता की नज़रों में?

अगर धर्मपाल सिंह के प्राइवेट प्री-वेडिंग वीडियो शूट से पुलिस की इमेज खराब हो रही है तो फिर इसी वीडियो से ‘खूबसूरत लड़कियों’ की भी इमेज भी खराब होनी चाहिए. फिर तो हर ‘खूबसूरत लड़की’ एक चोर है जो किसी को अपनी अदाओं मे फंसा कर पर्स चुरा सकती है.

राजस्थान पुलिस के बड़े अधिकारी एक चीज़ को मिस कर रहे हैं. वास्तविकता में ये वीडियो पुलिस की इमेज को सुधार रहा है. इस वीडियो के माध्यम से वो पुलिसवाला जनता के सिस्टम का हिस्सा बन रहा है, जिसमें जीवन के हल्के क्षणों का आनंद है. अधिकारी उस पुलिसवाले पर दबाव बनाकर वो व्यवस्था कायम कर रहे हैं जिसमें किसी के घर में वॉर एंड पीस उपन्यास देखकर वो उसे गिरफ्तार कर लेते हैं.

इमेज का तो आप इसी बात से अंदाजा लगा लें कि बच्चा चोरी की अफवाहों में लोगों ने यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश में मॉब हिंसा का कहर जारी है. उस वक्त कोई भी पुलिस को कॉल नहीं कर रहा, खुद ही फैसले कर रहे हैं.

धर्मपाल सिंह के इस वीडियो से उनकी इमेज चमकी है. इससे लगता है कि वर्दी पहनने वाला पुलिसवाला ज़रूरी नहीं कि खुर्राट हो बल्कि वो एक रोमांटिक इंसान भी हो सकता है जो अपनी बीवी के प्यार में पड़कर रोमांटिक या फनी वीडियो शूट कर सकता है. ये उसका मानवीय पहलू है. ये कहीं से भी उसके प्रोफेशन का अपमान नहीं है. अपमान करना उस वीडियो का उद्देश्य भी नहीं था.

अगर कोई पुलिसवाला मिलेनियल की तरह एक्ट कर रहा है तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए. पुलिसिंग भी एक प्रोफेशन है. बाकी प्रोफेशन की तरह इसमें भी रिक्रिएशन की जगह होनी चाहिए, जीवन के हल्के क्षण होने चाहिए.

पुलिस ‘महान’ और ‘अपराधी’ के बाइनरी समीकरण में जी रही है

क्या इमेज वो होती है जो पुलिस खुद कहे कि ये मेरी इमेज है या फिर इमेज वो होगी जो जनता महसूस करती है?

कुछ दिन पहले राजस्थान और गुजरात की पुलिस ने ही अपने पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों पर एक्शन लिया था क्योंकि वो लोग टिकटॉक पर वीडियो बना रहे थे. बाद में पता चला कि जिस महिला अधिकारी ने एक्शन लिया, उसने खुद भी टिकटॉक पर वीडियो बना रखा था.

बेहतर ये रहेगा कि पुलिस के अधिकारी अपने मातहतों को खुले दिल से जीने के लिए प्रेरित करें. ताकि वो फिल्मों की तर्ज पर ‘कड़क पुलिसवाले’ की तरह जीने की कोशिश ना करें. बल्कि एक मानवीय पुलिसवाला बनें. पुलिस रिफॉर्म के नाम पर इसी की तो लड़ाई हो रही है कि पुलिस को कैसे मानवीय बनाया जाए. टिकटॉक पर वीडियो बनाने या फनी प्री वेडिंग शूट करने से पुलिसवाले जनता के ज्यादा नजदीक आएंगे क्योंकि उनको लगेगा कि ये भी हमारे ही बीच से हैं, किसी दूसरे ग्रह से नहीं आए हैं.

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