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Saturday, 21 December, 2024
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कैसे मोदी की सबसे बड़ी प्रशंसकों में से एक, बनी उनकी ही आलोचक

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रूपा सुब्रमण्या कहती हैं कि उनके जैसी स्वतंत्र आवाजें, जो पक्षपातपूर्ण पक्षों में जाने से इनकार करती हैं, गायब हो रही हैं।

10 जून 2018, रात्रि 1 बजे भारत में जन्मे ब्रिटिश सेलिब्रिटी शेफ अतुल कोचर ने तथाकथित हिन्दू आतंकवादियों पर आधारित एक कथानक पर  प्रियंका चोपड़ा और उनके अमेरिकी टेलीविज़न शो क्वांटिको की आलोचना करते हुए एक ट्वीट किया। कोचर का ट्वीट इस दावे की तरफ इंगित था कि इस्लाम द्वारा 2000 से अधिक वर्षों तक हिंदुओं को आतंकित किया गया था। उनका कालक्रम स्पष्ट रूप से गलत था लेकिन उनकी भावना ने हिन्दू दक्षिणपंथ में कई लोगों के दिलों को छू लिया।

उनके ट्वीट के कुछ ही मिनटों के भीतर संयुक्त अरब अमीरात के लोगों द्वारा सहित पूरे सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बौछार हो गयी। महत्वपूर्ण बात यह थी कि कोचर के पास दुबई के जेडब्ल्यू मैरियट मार्क्विस होटल में एक रेस्तरां का स्वामित्व था। इसके तुरंत बाद निस्संदेह रूप से सामरिक महत्व रखने वाली अपनी भारी भूल को महसूस करते हुए कोचर ने अपने ट्वीट्स डिलीट कर दिए और माफ़ी मांगी।

अब तक सब ठीक था। लेकिन यहाँ हम प्रवेश करते हैं भारतीय संवाद अंतरिक्ष के द्वि-आभा क्षेत्र में यानि कि जब मैंने 11 जून 2018 शाम 4 बजे कोचर के असल ट्वीट के बारे में ट्वीट किया।

दूसरे शब्दों में, कोचर के असल ट्वीट और मेरे ट्वीट के बीच 24 घंटे का समय गुजरा चुका था। इन 24 घंटों में कोचर ने अपने ट्वीट डिलीट किये थे, माफ़ी मांगी थी और उनके ब्रांड का एक ऑनलाइन बहिष्कार हुआ था और यह सब मेरे ट्वीट करने से पहले हो चुका था जिसका मेरे साथ कुछ लेना देना नहीं था।

लेकिन हिन्दू दक्षिणपंथ के मुताबिक ऐसा नहीं था, वर्तमान सरकार के कई करीबी लोगों ने विचित्र रूप से कोचर के संताप का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ दिया। उसके बाद जो हुआ वह यह था कि मैंने कई दिनों तक तिरस्कार, बदनामी और ताकतवर तथा प्रभावशाली आवाजों के जरिये धमकियों और सीधे-सीधे गलियों का सामना किया। दरअसल, सिग्नल तब तक जनरलों से उनके पैदल सैनिकों तक पहुँच चुका था।

रिकॉर्ड के लिए, मेरे ट्वीट ने कोचर की भावना की भी आलोचना नहीं की थी और यह एक बहिष्कार के लिए बहुत कमतर था बल्कि यह इस तथ्य की तरफ इशारा था कि संयुक्त अरब अमीरात में प्राधिकरण और इसके मुस्लिम संरक्षक उनके ट्वीट से निस्संदेह अप्रसन्न हो जाते जबकि हिन्दू दक्षिणपंथ को जरूर इसमें आनंद आता।

हिन्दू दक्षिणपंथ की इन आवाजों के मुताबिक मेरा मुख्य पाप दुबई में जेडब्ल्यू मैरियट मार्क्विस को टैग करना था- ऊटपटांग क्योंकि यह होटल दुनिया भर में मिशेलिन-तारांकित कोचर के सबसे प्रमुख रेस्तरां में से एक है।

जानबूझकर उलझाने का आशय कोचर को एक निर्दोष कर्मचारी के रूप में चित्रित करना था, जिन्होंने होटल से निकाले जाने का जोखिम उठाया था क्योंकि मैंने उन्हें टैग किया था। यह और भी अधिक ऊटपटांग है क्योंकि उच्च सामर्थ्य वाले एक सेलेब्रिटी शेफ कोचर के पास खुद का ब्रांड और व्यापार है और वह किसी के कर्मचारी नहीं हैं। पूरे विश्व में कहीं भी इस सेलेब्रिटी शेफ के साथ सम्बद्ध लगभग सभी रेस्तरांओं की तरह उनका दुबई रेस्तरां भी उनके और होटल के बीच एक संविदात्मक व्यवस्था के माध्यम से संचालित किया जाता था।

दरअसल, कोचर के ट्वीट द्वारा विवाद की चिंगारी भड़कने के नतीजतन होटल ने उनके अनुबंध को समाप्त कर दिया जैसा कि इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी भी विचार के लिए संयुक्त अरब अमीरात में सहिष्णुता के निम्न स्तर को देखते हुए कोई भी व्यक्ति इसकी उम्मीद कर सकता है। लेकिन क्या मेरे खिलाफ किये गए ये दावे पर्याप्त विचित्र नहीं हैं, हिन्दू दक्षिणपंथियों ने यह धारणा दे दी कि मेरे ट्वीट, जो कि विवाद पैदा होने के एक दिन बाद किया गया था, के कारण मैंने कोचर के जीवन को खतरे में डाल दिया।

इस सब धमाचौकड़ी में, क्या कोई वास्तव में मुझसे पूछ रहा था कि मैंने कोचर के असल ट्वीट और उनके विचारों के बारे में क्या सोचा था? रिकॉर्ड के लिए, कोचर के ट्वीट को निश्चित रूप से इस्लाम की आलोचना के रूप में पढ़ा जा सकता है लेकिन मुझे लगता है उनके विचारों को धर्मांध कहना कुछ जादा हो सकता है।

कोचर ने अतीत में और भी अधिक नीरस विचार व्यक्त किये हैं। विशेष रूप से एक घिनौने ट्वीट में उन्होंने कहा था कि भारत को एक हिटलर की जरूरत है। यह हिन्दू दक्षिणपंथ में चरमपंथियों का एक विचार है लेकिन इसे केवल अनुचित ही कहा जा सकता है।

जबकि मुझे मुझ पर हमला किये जाने की पूरी उम्मीद थी लेकिन मुझे इसकी सीमा और प्रकृति ने भी अचंभित किया था। मेरे अकाउंट को बंद करने और सचमुच मेरी आवाज़ को दबाने के प्रयास में ट्विटर पर बड़े पैमाने पर मेरी रिपोर्टिंग सहित एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र मेरे पीछे पड़ गया था। ये वो लोग हैं जिनके पास विरोधी आवाजों के लिए बहुत कम या कोई सहिष्णुता नहीं है। यहाँ तक कि मेरे जैसी आवाज के लिए भी नहीं, जिसने वर्तमान सरकार और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को कई अवसरों पर बचाया है जब-जब उन पर गलत तरीके से हमला किया गया।

यह स्पष्ट है कि हिन्दू दक्षिणपंथियों ने मुझ पर हमला करने के लिए कोचर का बस एक सुविधाजनक आधार के रूप में इस्तेमाल किया। यूएई और इसके अनुदार कानूनों, जो कोचर की परेशानियों का वास्तविक स्रोत हैं, के खिलाफ अपने गुस्से को जाहिर करने के बजाय हिन्दू दक्षिणपंथियों ने मुझे गलियां देने और बदनाम करने का फैसला किया।

क्या वे कोचर के लिए अपनी चिंता में ईमानदार थे, यदि थे तो वहां एक #BoycottDubai अभियान उनका तर्कसंगत कदम होता, न कि #BoycottRupa अभियान।

तो चल क्या रहा है? यह स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार से राजनीतिक रूप से जुड़े हिन्दू दक्षिणपंथ में ताकतवर और सुव्यवस्थित बलों द्वारा मुझे बदनाम करने के लिए यहाँ एक सक्रिय और ठोस अभियान है। दरअसल, उस पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर के कुछ मित्रों ने मुझे निजी तौर पर बताया कि मुझे पूरी अपेक्षा करनी चाहिए कि मुझ पर निशाना साधा जायेगा, देखते हुए कि मेरे पास सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना के रूप में देखी जाने वाली कुछ टिप्पणियां करने का साहस था।

यह मुझे अगली आलोचना के घेरे में लेकर आता है जहाँ वामपंथियों और दक्षिणपंथियों द्वारा मुझ बार-बार आरोप लगाये गए कि मैं बदल गयी हूँ; स्पष्ट रूप से एक मोदी समर्थक से अब एक आलोचक में|

मोदी और भाजपा के सत्ता सँभालने के चार साल से थोड़े अधिक समय के बाद वास्तविकता यह है कि यह मैं नहीं हूँ जो बदल गयी हूँ बल्कि यह शासन टेम्पलेट और इसके इर्द-गिर्द का पारिस्थितिकी तंत्र है जो मान्यताओं से परे बदल गया है।

इसके अलावा, विचार, कि कोई व्यक्ति राजनीतिक दल या आन्दोलन से स्वतंत्र हो सकता है, एक केन्द्रीय-दक्षिणपंथी परिप्रेक्ष्य से आने वाले विचारों के साथ प्रथमतः चिंतित और पारंपरिक वामपंथ के विपरीत, मोदी या भाजपा के लिए मनोविकारी नफरत को आश्रय नहीं देता है और यह विचार भारत में बढ़ रहे ध्रुवीकृत संवाद में खो गया है।

कई लोगों की तरह मैंने भी उम्मीद की थी कि 2014 में अपने विशाल जनादेश के साथ नरेन्द्र मोदी अपने किये गए वादों को पूरा करना शुरू कर देंगे जहाँ इन्होंने मुख्य रूप से भाजपा के पारंपरिक हिंदुत्व एजेंडे पर प्रचार न करके विकास और शासन के मुद्दे पर प्रचार किया था। आज, उत्तर प्रदेश में भाजपा की भारी जीत के एक साल बाद और अगले आम चुनाव के पहले विकास की बात और समझदार आर्थिक नीतियों के बारे में बात ही नहीं की जाती है। आपके पास जो आज है वह मोदी द्वारा 2014 में किए गए वादों से एकदम अलग है।

यदि इसके बारे में और सोचा जाए तो, मोदी और भाजपा के आस-पास के पारिस्थितिक तंत्र ने बदलाव के लिए एक सकारात्मक मामला बनाते हुए गियर बदल दिया है, जैसा कि उन्होंने कट्टरता और नफरत के दायरे वाले समस्याग्रस्त विचारों के नकारात्मक और परेशान करने वाले युक्तिकरण के साथ 2014 में किया था, जब तक कि वे एक उपयोगी राजनीतिक उद्देश्य पूरा करते हुए न दिखाई दें। प्रधानमंत्री समेत कई प्रमुख मंत्री कुछ घृणित ट्विटर हैंडल्स को फॉलो करते हैं और इस तरह उन्हें विश्वसनीयता और वैधता देते हैं।

जलवायु अब जहरीली है। पारिस्थितिक तंत्र जो एक बार फर्जी खबर चलाता था अब नियमित रूप से चलाता है।

इस पारिस्थिकी तंत्र के कुछ सम्मानित सदस्य, जिनकी विचारधारा और राजनीति निंदा से परे है, भीड़ द्वारा मार दिए जानी वाली मानसिकता की परिस्थितियों में बात करने से डरते हैं – उन्होंने मुझे निजी तौर पर ऐसा बताया है। मध्यस्थों को चरमपंथियों, जो अब सीमान्त न होकर केन्द्रीय मंच ले चुके हैं, ने दरकिनार कर दिया है।

यद्यपि संकरी, मेरे जैसी स्वतंत्र आवाजें, जो पक्षपातपूर्ण पक्ष लेने से इंकार करती हैं, के लिए जगह अब गायब हो रही है। मुझ पर किये गए हालिया हमले इस बारे में पर्याप्त सबूत हैं और आज भारतीय संवाद की स्थिति को चिंताजनक हालात में ले जा रहे हैं।

रूपा सुब्रमण्या मुंबई से एक अर्थशास्त्री और स्वतंत्र विश्लेषक हैं। @rupasubramanya पर इन्हें फॉलो करें।

Read in English : I’m not the one who changed: How one of Modi’s biggest champions turned critic

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