नई दिल्ली: 2015 में बिहार चुनाव से पहले आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान का विपक्षी नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी हार देने के लिए पूरा फायदा उठाया.
2024 में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व विपक्ष के दावे के विपरीत कि संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है जो उनके आरक्षण की अधिकार की गारंटी देता है, दलितों और पिछड़े समुदायों के बीच डर को दूर करने के लिए यह आश्वासन दे रहा है कि आरक्षण सुरक्षित है.
विडंबना यह है कि भाजपा एक महत्वपूर्ण चुनावी साल में खुद को फिर से इस स्थिति में फंसा हुआ पा रही है. 2015 की तरह एक नहीं बल्कि कम से कम चार नेता हैं जिन्होंने उत्साहपूर्वक ‘अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार’ का नारा लगाते हुए संविधान में संशोधन या बदलाव की बात कही है. नारा केवल विपक्ष को गोला बारूद देने के लिए है.
भाजपा के मेरठ से उम्मीदवार ‘रामायण’ से प्रसिद्ध हुए अरुण गोविल को यह कहने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा कि संविधान को ‘बदलने’ से कोई नुकसान नहीं है. वह सत्तारूढ़ दल को बैकफुट पर लाने के लिए मौजूदा सांसदों लल्लू सिंह, अनंतकुमार हेगड़े और भाजपा के नागौर उम्मीदवार ज्योति मिर्धा की कतार में शामिल हो गए.
पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के बीच डर दूर करने के लिए आगे आए हैं, बल्कि भाजपा के दलित नेताओं को विशेष रूप से दलित बहुल सीटों पर प्रचार करने और विपक्ष के आरोपों का मुकाबला करने का निर्देश दिया गया है.
शुक्रवार को गोविल ने एक समाचार चैनल से कहा कि मोदी ने खुद ‘गारंटी’ दी है कि संविधान नहीं बदला जाएगा.
बहरहाल, उनके पिछले बयान को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तुरंत उठाया ताकि पिछड़े समुदायों को यह संदेश भेजा जा सके कि संविधान बदलने की सारी बातें उनके आरक्षण को खत्म करने के लिए हैं.
उत्तर प्रदेश के नगीना में बुधवार को एक जनसभा में अखिलेश यादव के साथ संजय सिंह ने दावा किया कि लल्लू सिंह, ज्योति मिर्धा, अनंत कुमार हेगड़े के बाद गोविल ने भी संविधान बदलने की बात कही है.
BJP संविधान ख़त्म करेगी चुनाव ख़त्म करेगी आरक्षण ख़त्म करेगी।
मा.अखिलेश यादव जी के साथ नगीना जनसभा।
अपनी जान की बाज़ी लगाकर संविधान बचाएँगे। वायरल स्पीच https://t.co/WCPmAHSVEv via @YouTube— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) April 17, 2024
अखिलेश ने यह भी कहा कि समाज के पिछड़े वर्गों को दिए गए आरक्षण को समाप्त करने के लिए भाजपा 400 सीटें क्यों चाहती है.
उन्होंने हिंदी में दिए अपने भाषण में कहा, “पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) मिलकर भाजपा को हराएंगे क्योंकि वह नया संविधान बनाकर पीडीए को दिए गए आरक्षण को खत्म करना चाहती है. भाजपा (चुनाव) लोगों की सेवा या कल्याण के लिए नहीं, बल्कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को बदलने के लिए जीतना चाहती है.”
"बीजेपी के नेताओं के जो स्टेटमेंट आते हैं उससे लगता है कि 400 पार का नारा ये इसलिए दे रहे हैं कि ये बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के दिए संविधान को बदलना चाहते हैं।"
– माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी, मुरादाबाद pic.twitter.com/LjlFFqu6bh
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) April 17, 2024
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को तुरंत ऐसे बयानों का संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि संविधान को मौलिक रूप से बदलने की बात करने से बड़ा लोकतांत्रिक उल्लंघन क्या हो सकता है. जनता पूछ रही है कि क्या उनके अधिकारों को खत्म करने की साजिश आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?”
15 अप्रैल को राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने संविधान को बदलने की बात के संबंध में एक बयान को ‘एक्स’ पर भी पोस्ट किया था, उन्होंने दावा किया कि यह मुद्दा मूल रूप से आरएसएस का है.
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बीजेपी का जवाबी हमला
विपक्षी नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर हंगामा करने के कारण पीएम मोदी को संसद में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने की भाजपा की योजना के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए सामने आना पड़ा.
उन्होंने 12 अप्रैल को राजस्थान के बाड़मेर में एक रैली में कहा, “लोग संसद में 400 सीटों के बारे में बात करते हैं क्योंकि कांग्रेस ने मुझे अच्छा काम करने से रोकने की कोशिश की…जहां तक संविधान की बात है, तो मोदी के शब्दों पर ध्यान दें, अगर बाबा साहब आंबेडकर खुद भी सामने आ जाएं तो भी वह संविधान को बदल नहीं पाएंगे. हमारा संविधान (भाजपा) सरकार के लिए गीता, रामायण, बाइबिल और कुरान के समान है.”
#WATCH | During a public rally in Rajasthan's Barmer, PM Modi says, "There is a need to be cautious of the lies of Congress and INDIA alliance who insult Baba Saheb and the Constitution." pic.twitter.com/J86IyBFh07
— ANI (@ANI) April 12, 2024
बाड़मेर में मोदी की रैली से एक दिन पहले, मीणा के कद्दावर नेता किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान की आदिवासी बहुल सीटों पर विपक्ष के कानाफूसी अभियान को नकारने के लिए दौसा में समुदाय के नेताओं की एक बैठक की.
इसी तरह, शाह ने 14 अप्रैल को आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक रैली में कहा कि भाजपा न तो आरक्षण खत्म होने देगी और न ही कांग्रेस को ऐसा करने देगी.
उन्होंने कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब तक भाजपा राजनीति में है. हम आरक्षण को कुछ नहीं होने देंगे, हम कांग्रेस को भी इसे खत्म नहीं करने देंगे. कांग्रेस झूठ का कारोबार कर रही है…उसने 1952 और 1954 के चुनावों में अम्बेडकर को हराकर उन्हें लोकसभा में प्रवेश करने से रोका.”
इससे पहले, भाजपा ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का संदेश देने के लिए रणनीतिक रूप से आंबेडकर की जयंती पर अपना 2024 लोकसभा चुनाव घोषणापत्र जारी किया था.
इस बीच, भाजपा के एससी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने दलित आउटरीच और “अफवाहों” को दूर करने के लिए 12 से अधिक सीटों पर अभियान चलाया है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमारे नेता इन झूठ (विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे) को दूर करने के लिए बैठकें और अभियान चला रहे हैं. यह कांग्रेस ही थी जिसने अम्बेडकर का उनके जीवनकाल में समर्थन नहीं किया और अब वे दलितों और पिछड़ों का वोट पाने के लिए झूठ फैला रहे हैं. कांग्रेस ने धारा 370 नहीं हटाई जिसके कारण कश्मीर में वाल्मिकी समुदाय आरक्षण के लाभ से वंचित हो गया। तो, यह कांग्रेस है जो आंबेडकर का अपमान कर रही है.”
बीजेपी सांसदों ने कैसे खड़ा किया विवाद?
संविधान को बदलने की भाजपा की योजना के बारे में कांग्रेस के राहुल गांधी के बयान के अलावा, छह बार के उत्तर कन्नड़ सांसद अनंत कुमार हेगड़े के मार्च में उस समय विवाद पैदा हो गया जब उन्होंने कहा कि संसद में भाजपा के मौजूदा बहुमत के साथ संविधान में संशोधन संभव नहीं है. यह टिप्पणी उन्होंने एक से अधिक मौकों पर की है.
कर्नाटक में कांग्रेस ने ‘संविधान बचाओ’ रैली आयोजित की जिसके बाद भाजपा ने खुद को बयान से अलग कर लिया. इसके बाद, हेगड़े को लोकसभा उम्मीदवारी के लिए नज़रअंदाज कर दिया गया और उनकी जगह उत्तर कन्नड़ में विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को नियुक्त किया गया.
हालांकि, फायरब्रांड नेता बेफिक्र रहे और उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि वह अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं.
हेगड़े ने कहा, ‘‘मैं संविधान, अनुच्छेद 370, राम मंदिर, सीएए पर टिप्पणियों पर कायम हूं, ये सभी संविधान में संशोधन हैं और मेरे बयानों की गलत व्याख्या की गई, तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और हाईलाइट किया गया.”
इसके बाद लल्लू और मिर्धा ने अप्रैल में विवाद को बरकरार रखा, क्योंकि दोनों ने संविधान में बदलाव लाने के लिए दो-तिहाई बहुमत होने पर जोर दिया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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