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Saturday, 21 December, 2024
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टेस्ट क्रिकेटर की मोहर लगने से क्यों बचते हैं भारतीय बल्लेबाज़?

कड़वी सच्चाई यही है कि भारत ने आईपीएल को काफी महत्व दिया जाता है. कोई नहीं चाहता कि महान टेस्ट बल्लेबाज़ बनने की चाहत में वो आईपीएल खेलने से चूक जाए.

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इस सवाल का जवाब है आईपीएल. जिसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज के बाद आईपीएल के मैच खेले जाएंगे. आईपीएल को लेकर एक बहस पिछले कई साल से चल रही है. क्या आईपीएल ने ज्यादातर भारतीय बल्लेबाज़ों की बल्लेबाज़ी पर नकारात्मक असर डाला है? क्या भारतीय बल्लेबाज़ क्रीज पर टिककर खेलना भूल गए हैं? क्या उन्हें गेंद को ‘मेरिट’ के हिसाब से खेलने की कला पर फिर से मेहनत करनी होगी? यही सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2018 में टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया. भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में पहली बार टेस्ट सीरीज में मात दी.

इसके अलावा टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में भी एक-एक टेस्ट मैच में जीत हासिल की. लेकिन इस जीत की एक बड़ी खास बात थी. वो खास बात ये थी कि इन जीतों की कहानी भारतीय गेंदबाजों ने लिखी थी. विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा को छोड़ दें तो बाकि बल्लेबाज़ सीरीज के ज्यादातर मैचों में संघर्ष करते ही दिखाई दिए. जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था. मुसीबत ये है कि बल्लेबाज़ों के प्रदर्शन में आई इस गिरावट को कोई गंभीरता से नहीं लेता. या यूं कहें कि बल्लेबाज़ भी चाहते हैं कि उनके ऊपर टेस्ट क्रिकेटर की छाप न लगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर एक बार ये छाप लग गई तो उसका सीधा असर बैंक बैलेंस पर पड़ता है. आपको बताते हैं कैसे-

पिछले साल दिसंबर का महीना था. आईपीएल के लिए खिलाड़ियों की बोली लग रही थी. उधर टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेल रही थी. पहले टेस्ट मैच में चेतेश्वर पुजारा की शानदार बल्लेबाज़ी की बदौलत टीम इंडिया ने कंगारुओं को 31 रनों से हराया. एडिलेड में खेले गए उस टेस्ट मैच की पहली पारी में पुजारा ने 123 रन बनाए थे. दूसरी पारी में भी उन्होंने 71 रन बनाए थे. उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया. उनकी इस पारी का महत्व समझने के लिए जरूरी है कि बाकि बल्लेबाज़ों का भी स्कोर जान लिया जाए. हम यहां विराट कोहली को छोड़कर टीम के बाकि स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ों की बात करते हैं. विराट कोहली की बात इसलिए नहीं कर रहे, क्योंकि वो टीम इंडिया के इकलौते बल्लेबाज़ हैं जो क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में निरंतर खुद को साबित करते रहे हैं.

याद कर लीजिए एडिलेड टेस्ट का स्कोर

केएल राहुल 2 (पहली पारी) 44 (दूसरी पारी)

मुरली विजय 11 (पहली पारी) 18 (दूसरी पारी)

रोहित शर्मा 37 (पहली पारी) 1 (दूसरी पारी)

अजिक्य रहाणे 13 (पहली पारी) 70 (दूसरी पारी)

टेस्ट मैच खत्म होने के करीब एक हफ्ते बाद ही जब आईपीएल की बोली लगी तो चेतेश्वर पुजारा को खरीदार नहीं मिले. आपको शायद जानकर ताज्जुब होगा कि चेतेश्वर पुजारा को उनके बेसप्राइस 50 लाख पर भी किसी ने नहीं खरीदा. आप कह सकते हैं कि चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी टी-20 फॉर्मेट के लायक नहीं है. चलिए आपकी बात को मान लेते हैं. अब कुछ और आंकड़े देखिए और फिर बताइए कि उनके क्या मतलब निकलने चाहिए.

टेस्ट क्रिकेट में फ्लॉप रही जिनकी बल्लेबाजी

इससे उलट चेतेश्वर पुजारा ने 4 टेस्ट मैचों में 74.42 की औसत से 521 रन बनाए थे. अब अगर पुजारा आईपीएल के लायक नहीं है तो क्या इस प्रदर्शन के दम पर केएल राहुल, मुरली विजय या रोहित शर्मा टेस्ट क्रिकेट के लायक हैं? जवाब आप खुद ही दें.

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ग्राफिक्स में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आंकड़े | दिप्रिंट

दरअसल, कड़वी सच्चाई यही है कि भारत में आईपीएल को काफी महत्व दिया जाता है. हर क्रिकेटर कैमरे के सामने टेस्ट क्रिकेट को ही असली क्रिकेट बताता है, लेकिन अपने खेलने के अंदाज में उस असली क्रिकेट को उतारने की कोशिश नहीं करता. मामला करोड़ों की कमाई का है. कोई नहीं चाहता कि महान टेस्ट बल्लेबाज़ बनने की चाहत में वो आईपीएल खेलने से चूक जाए. हालात ये है कि कई खिलाड़ी तो घरेलू क्रिकेट में इक्का दुक्का मैच सिर्फ इसलिए खेलते हैं, जिससे आईपीएल के लिए वो ‘अवेलेबल’ रहें. विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे जैसे गिने चुने बल्लेबाज अपवाद हैं. वरना भीड़ ऐसे ही बल्लेबाज़ों की है जिनकी पहली प्राथमिकता है- आईपीएल.

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