scorecardresearch
Wednesday, 18 December, 2024
होममत-विमतअतीत के मिथकों द्वारा क्यों हिंदुओं को बनाया जा रहा है अंधविश्वासी

अतीत के मिथकों द्वारा क्यों हिंदुओं को बनाया जा रहा है अंधविश्वासी

दुनिया के वैज्ञानिकों ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप बनाए हैं और हम उनके बनाए प्लेटफॉर्म पर अंधविश्वास और झूठ फैला रहे हैं. जैसे ही कोई इस पर सवाल उठाएगा उसे हिंदू विरोधी करार दिया जाएगा.

Text Size:

भाजपा के हिंदू राज की एक पहचान है कि हिंदुओं को अंधविश्वासी बनाया जाए. उनके अंदर लगातार झूठे गर्व की भावना भरी जाए. मोदी, योगी का राज अपवाद नहीं है. एक सतत अभियान के तहत हिंदुओं को अंधविश्वासी बनाया जा रहा है और अतीत के मिथकों को लेकर झूठा गर्व पैदा किया जा रहा है.

जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा कि प्राचीन भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट होता था, सर्जरी होती थी. कोई कहता है कि रावण के पास आठ या नौ किस्म के विमान की तकनीक थी. कोई कहता है कि मंत्र में हर बीमारी और समस्या का समाधान है.

अब तक इस तरह की बातों का प्रचार राजनीतिक स्तर पर होता था. नेता लोग ऐसी बातें किया करते थे. लेकिन अब शिक्षा और शोध से जुड़ी संस्थानों में उच्च पदों पर बैठे लोग भी इस तरह की बातें कर रहे हैं. कह सकते हैं कि खोज कर ऐसे लोगों को उच्च पदों पर बैठाया जा रहा है, जो इस तरह की बातें करें. इसका मकसद हिंदुओं के मन में अपनी सुदूर अतीत के प्रति गर्व का भाव बढ़ाना है और साथ ही यह प्रचारित करना कि अभी के जो हिंदू हृदय सम्राट हैं उनके शासन में देश फिर उस गौरवशाली अतीत को हासिल कर लेगा. जाहिर है लोगों को मानसिक रूप से दिवालिया और आर्थिक रूप से कंगाल बनाया जा रहा है.


यह भी पढ़ें: ‘सूचना के मैदान-ए-जंग’ के बारे में सेनाध्यक्ष की चेतावनी की अनदेखी नहीं की जा सकती


अवैज्ञानिक सोच और अंधविश्वास का बढ़ता बोलबाला

सोचें, पूरे देश को बैक गियर में डालने वाली इस सोच का क्या किया जा सकता है? स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक शोध तक का बजट घटाया जा रहा है और उसकी जगह अवैज्ञानिक सोच या अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है.

हिंदू राज में ज्ञान-विज्ञान के एक बड़े केंद्र आईआईटी के एक प्रमुख ने भूत भगाने का मंत्र दिया है. आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बहेरा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे बता रहे हैं कि चेन्नई में उनके एक दोस्त के पिता को भूत ने पकड़ लिया था और उन्होंने भगवद्गीता का पाठ करके भूत को भगाया.

सोचें, प्रोफेसर बहेरा खुद रोबोटिक्स के प्रोफेसर हैं लेकिन वे बता रहे हैं कि उनके दोस्त के पिता शारीरिक रूप से बहुत कमजोर थे लेकिन मंत्र पाठ के बाद उनमें ऐसी शक्ति आ गई कि वे उठ कर डांस करने लगे. वीडियो में वे बता रहे हैं कि बाद में दोस्त की मां और पत्नी को भी भूत ने पकड़ लिया. बेहरा का दावा है कि उन्होंने 45 मिनट से एक घंटे तक जोर-जोर से मंत्र का पाठ किया और दोनों को भूत से मुक्त कराया.

प्रोफेसर बहेरा को हाल ही में आईआईटी मंडी का स्थायी निदेशक बनाया गया है. उन्होंने बड़े जतन से लोगों को भूत के अस्तित्व के बारे में बताया है. आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर रहे एम जगदीश कुमार के बारे में सबको पता है कि उनको जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया तो उन्होंने शोध की गुणवत्ता सुधारने के लिए यूनिवर्सिटी कैंपस में टैंक लगवाने का फैसला किया ताकि छात्रों में देशभक्ति की भावना भरी जा सके.


यह भी पढ़ें: पाकिस्तानी ड्रोन नहीं बल्कि खुद की पीठ थपथपाने वाली बल्ले-बल्ले की संस्कृति पंजाब के लिए ज्यादा खतरनाक


हिंदू विरोधी करार देने का खतरा!

ज्ञान-विज्ञान के एक दूसरे केंद्र आईआईटी खड़गपुर में इस बात पर शोध किए जाने की खबर है कि आर्यों का आक्रमण भारत पर नहीं हुआ था. पता नहीं इतिहास अनुसंधान परिषद और पुरातत्व विभाग में क्या हो रहा है लेकिन आईआईटी खड़गपुर में आर्यों के आक्रमण के सिद्धांत को गलत साबित करने के लिए शोध है.

कहने की जरूरत नहीं है कि हिंदू राजा द्वारा प्रचारित श्रेष्ठता के सिद्धांत को प्रमाणित करने के लिए इस तरह के काम किए जा रहे हैं. अन्यथा क्या आईआईटी के प्रोफेसर और निदेशक को पता नहीं है कि डीएनए टेस्टिंग के जरिए वैज्ञानिक इस बात को स्थापित कर चुके हैं कि यूरेशिया से लोगों का पलायन हुआ और वे हड़प्पा सभ्यता के आखिरी दिनों में भारत के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में पहुंचे थे! इसके बावजूद शोध से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन वह काम पुरातात्विक विद्वान, इतिहासकार और भाषाविद् को करना चाहिए और आईआईटी को नागरिकों के अंदर वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करने में योगदान करना चाहिए.

दुर्भाग्य है, जो हिंदू राज में हिंदुओं के दिमाग में भूसा भरा जा रहा है. उनकी वैज्ञानिक चेतना खत्म की जा रही है. उन्हें अंधविश्वासी बनाया जा रहा है. कोई गोमूत्र से सारी बीमारियां ठीक होने की बात कर रहा है तो कोई गोबर से कोरोना ठीक कर रहा है. कोई गाय के ऑक्सीजन छोड़ने की बात कर रहा है तो किसी को लग रहा है कि मोर के आंसुओं से मोरनी गर्भवती होती है. कोई कहता है कि तालाब में बत्तख छोड़ने से तालाब के पानी में ऑक्सीजन बनता है तो कोई नाले की गंदगी से गैस बनाने की बात कर रहा है. यह सब कुछ सांस्थायिक तरीके से हो रहा है.

हैरानी की बात है कि इस अभियान में शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, उच्च न्यायपालिका से जुड़े लोग और शीर्ष राजनेता शामिल हैं. एक तरफ दुनिया मंगल पर बस्ती बनाने के प्रयास में लगी है, स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और नैनो टेक्नोलॉजी से चमत्कार कर रही है तो भारत में वैज्ञानिक शिक्षण संस्थान भूत का अस्तित्व बता रहे हैं और मंत्र से भगाने का तरीका समझा रहे हैं.

दुनिया के वैज्ञानिकों ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप बनाए हैं और हम उनके बनाए प्लेटफॉर्म पर अंधविश्वास और झूठ फैला रहे हैं. जैसे ही कोई इस पर सवाल उठाएगा उसे हिंदू विरोधी करार दिया जाएगा.

(यह लेख 5 फरवरी 2022 को नया इंडिया में प्रकाशित हो चुका है. दिप्रिंट इसे फिर से छाप रहा है. लेखक दैनिक अखबार नया इंडिया के संपादक हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


यह भी पढ़ें: कानून व्यवस्था के मुद्दे पर लड़ाई में नजर आ रही बसपा, UP चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं


 

share & View comments