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रविवार, 20 अप्रैल, 2025
होममत-विमतमोदी का राम राज्य गांधी को मंजूर होता लेकिन आंबेडकर की अग्निपरीक्षा में वह नाकाम है

मोदी का राम राज्य गांधी को मंजूर होता लेकिन आंबेडकर की अग्निपरीक्षा में वह नाकाम है

आंबेडकर गांधी के राम और राम राज्य के विचार से तनिक भी प्रभावित नहीं थे. बल्कि राम और रामराज्य को लेकर उनकी दृष्टि आलोचनात्मक रही और इसे उन्होंने विस्तार से दर्ज भी किया है.

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अयोध्या में भूमि-पूजन एक तरह से बीजेपी और आरएसएस की राम राज्य की कल्पना का साकार होना है. इसका जश्न भव्य है तो ये स्वाभाविक ही है. जिस विचारधारा की सरकार है, वह अपने सपने के साकार होने का जश्न क्यों न मनाए? ऐतिहासिकता में देखें तो राम राज्य की अवधारणा को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण रहे हैं. इस लेख में ये देखने की कोशिश होगी कि मोहनदास करमचंद गांधी और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की नज़रों में राम और राम राज्य क्या था.

गांधी का राम राज्य यानी जादूगर का बक्सा

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के शिखर नेता गांधी की हमेशा ये कामना थी कि भारत में राम राज्य आए. लेकिन राम राज्य की कोई परिभाषा वे कभी नहीं दे पाए. बल्कि उन्होंने जानबूझकर इसे अबूझ पहेली बनाए रखा. उनके राम राज्य में सत्ता का विकेंद्रीकरण, स्वशासन, बुनियादी शिक्षा, ग्राम स्वराज जैसे अलग-अलग तत्व हैं. कभी उन्होंने कहा कि ये ऐसा राज होगा जहां सबसे अमीर और सबसे गरीब व्यक्ति के अधिकार समान होंगे. तो 1929 में यंग इंडिया अखबार में वे लिखते हैं कि राम राज्य की अवधारणा का मतलब एक ऐसा लोकतंत्र है, जिसमें मामूली से मामूली नागरिक को तेजी से और बिना ढेर सारा धन खर्च किए न्याय मिल जाएगा. आगे चलकर जब देश में सांप्रदायिकता बढ़ती है तो वे कहते हैं कि राम राज्य का मतलब हिंदू राष्ट्र नहीं है. ईश्वर अलग-अलग लोगों के लिए राम और रहीम किसी भी शक्ल में हो सकता है.

ये राम राज्य के बारे में कही गई उनकी सैकड़ों बातों में से कुछ नमूने हैं. जाहिर है कि सुविधा के हिसाब से और सुनने वालों के हिसाब से गांधी राम राज्य के बारे में कुछ-कुछ बोलते चले गए. सवाल उठता है कि अब जबकि अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि-पूजन और मंदिर निर्माण हो रहा है, तो इस समय में गांधी की वैचारिक भूमि उन्हें कहां खड़ी करती?

गांधी का अयोध्या ज्यादा आना-जाना नहीं था. ज्ञात जानकारियों के आधार पर लेखकों ने बताया है कि वे दो बार ही अयोध्या गए. इसमें से एक दौरे में सरयू तट पर सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘कमजोर की रक्षा करना बहुत जरूरी है. इसके बिना हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम ईश्वर से अपनी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करें.’ इसी भाषण में वे आगे कहते हैं कि ‘हमें वैसे प्रेम करना सीखना होगा, जैसा प्रेम राम ने सीता से किया था.’


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गांधी, राम और आरएसएस

आज के समय पर गांधी की टिप्पणी क्या होती या वे किस पक्ष में खड़े होते, इस बारे में कुछ कहना तो मुश्किल है लेकिन हम ये जरूर जानते हैं कि भारत की राजनीति में राम को लाने वाले गांधी ही थे. आरएसएस ने तो राम की राजनीति 1986 में शुरू की. गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इससे बहुत पहले ये कर चुकी थी. बेशक दोनों संगठनों के लक्ष्यों में अंतर था. गांधी को भारतीय जनमानस में राम की व्याप्ति का अंदाजा था और इसलिए इस पहलू का उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया.

इसलिए मुमकिन है कि वे वर्तमान भूमि पूजन का स्वागत करते और साथ में शायद ये चाहते कि दोनों पक्ष शांति से इसे हो जाने दें. हो सकता है कि वे भूमि पूजन का समर्थन करते लेकिन सरकार से कहते कि वह धार्मिक मामलों से दूर रहे. गांधी इस मामले में रानाडे और तिलक यानी उदारवादी हिंदुत्व और उग्र हिंदुत्व के संगम हैं.

गांधी के राम राज्य को आंबेडकर की चुनौती

राजनीति के स्तर पर गांधी को मुस्लिम लीग से चुनौती मिलती दिखती थी लेकिन ये चुनौती राजनीतिक ही थी. मुस्लिम लीग और कांग्रेस की राजनीतिक विचारधारा में कोई निर्णायक फर्क नहीं था. गांधी को उस दौर में जो एक शख्स वैचारिक आधार पर चुनौती दे रहा था, वे थे डॉ. बी.आर. आंबेडकर. गांधी के राम राज्य के विचार की फिलॉसफी और वैचारिकी के स्तर पर काट सिर्फ आंबेडकर प्रस्तुत कर रहे थे.

आंबेडकर गांधी के राम और राम राज्य के विचार से तनिक भी प्रभावित नहीं थे. बल्कि राम और राम राज्य को लेकर उनकी दृष्टि आलोचनात्मक रही और इसे उन्होंने अपने भाषणों और किताबों में विस्तार से दर्ज भी किया है. प्रस्तुत लेख में उनके जो भी विचार हैं, वे भारत सरकार की वेबसाइट से लिए गए हैं.

आंबेडकर राम और राम राज्य की तीन प्रमुख बिंदुओं पर आलोचना करते हैं.


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राम राज्य वर्ण व्यवस्था पर आधारित है

अपनी प्रसिद्ध कृति एनिहिलेशन ऑफ कास्ट यानी जाति व्यवस्था का उच्छेद में आंबेडकर ये कहते हैं कि बिना दंड विधान के वर्ण व्यवस्था को बनाए रखना संभव नहीं है. मनुष्य की यह प्रवृत्ति ही नहीं है कि वह तय खांचे के अंदर कैद रहे. अगर दंड की कठोर व्यवस्था नहीं रहेगी तो व्यक्ति एक वर्ण से दूसरे वर्ण में चला जाएगा और वर्ण व्यवस्था टूट जाएगी.

इस क्रम में वे राम और शंबूक का उदाहरण देते हैं और बताते हैं कि राम ने अपने शासन में वर्ण व्यवस्था को किस क्रूरता से साथ बनाए रखा. शंबूक शूद्र थे और तपस्या में लीन थे. लेकिन राम राज्य में हर वर्ण का कर्म निर्धारित था और शूद्र का कर्म तपस्या नहीं, सेवा करना था. इस वजह से राम के शासन में जब एक ब्राह्मण लड़के की मृत्यु हो गई तो उसके पिता ने राम से इसकी शिकायत की और जांच करने पर पाया गया कि कोई शूद्र तपस्या कर रहा है और उससे धर्म की जो हानि हुई है, उसी वजह से ब्राह्मण लड़के की असमय मृत्यु हुई है. राम कथा में वर्णित है कि राम ने स्वयं जाकर शंबूक का वध कर दिया, जिसके बाद वह लड़का जी उठा.

आंबेडकर लिखते हैं कि ‘कुछ लोग राम को इस बात का दोष देते हैं कि उन्होंने निर्दोष शंबूक का वध कर दिया. लेकिन शंबूक वध के लिए राम को दोषी ठहराना पूरी व्यवस्था को लेकर समझ न हो पाने की वजह से है.’

आंबेडकर आगे लिखते हैं कि ‘राम राज्य वर्ण व्यवस्था पर आधारित थी. राजा होने के नाते राम का कर्तव्य था कि वे वर्ण व्यवस्था की रक्षा करें. इसलिए जब शंबूक ने वर्ण व्यवस्था का उल्लंघन किया और तपस्या करके ब्राह्मण बनने की कोशिश की तो राम का धर्म था कि वे शंबूक का वध कर दें. वर्ण व्यवस्था को बचाने के लिए मामूली दंड काफी नहीं है. इसके लिए मत्युदंड की आवश्यकता पड़ी. राम ने यही किया.’

बाली का वध एक अनैतिक कार्य

राम ने बाली को जिस तरह से मारा उसे लेकर आंबेडकर को सख्त नाराजगी थी. रिडल्स इन हिंदुइज्म पुस्तक में आंबेडकर मनुष्य और राजा के तौर पर राम के जिन कामों की समीक्षा करते हैं उनमें बाली वध भी है. बाली का भाई सुग्रीव राम से मिल गया था और राम ने तय किया कि सुग्रीव की मदद करने के लिए बाली का वध करना होगा.

आंबेडकर अपनी पुस्तक में लिखते हैं, ‘बाली की हत्या राम के चरित्र पर सबसे बड़ा धब्बा है. इस अपराध के लिए राम को किसी ने उकसाया नहीं था. राम से बाली का कोई झगड़ा भी नही था. ये एक कायरतापूर्ण कार्य था क्योंकि बाली निहत्था था. ये योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या थी.’ (मूल उद्धरण इंग्लिश में देखें पेज- 326)

एक अच्छे वकील के तौर पर आंबेडकर ने सुग्रीव के खिलाफ तर्क दिए और बाली के पक्ष का बचाव किया. वे लिखते हैं कि बाली जब गुफा के अंदर हुए युद्ध में मायावी को मारने के बाद अपने राज में लौटते हैं तो देखते हैं कि सुग्रीव उनकी जगह राजा बन बैठा है. ये दो कारणों से गलत था. सुग्रीव को इस बात की जांच करनी चाहिए कि राजा बाली क्यों नहीं लौटे और दो, जब बाली का पुत्र अंगद राजा के बनने के योग्य था तो सुग्रीव खुद क्यों राजा बन बैठा.


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राम का अपनी पत्नी सीता के प्रति व्यवहार

आंबेडकर इस बात से बेहद नाराज थे कि राम ने अपनी पत्नी सीता के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. इस संदर्भ में उन्होंने दो घटनाओं का प्रमुखता से उल्लेख अपनी किताब रिडल्स इन हिंदुइज्म में किया है.

पहली घटना तब की है जब रावण राम से हार चुका है और मारा गया है. लेकिन इसके बाद राम सीता के पास नहीं जाते हैं. बल्कि रावण का अंतिम संस्कार होता है और विभीषण का राज्याभिषेक होता है, जिसमें राम शामिल होते हैं. इसके बाद भी वे खुद सीता के पास नहीं जाते, बल्कि अपने प्रतिनिधि के तौर पर हनुमान को सीता के पास भेजते हैं. सीता हनुमान के साथ राम के पास आती हैं.

आंबेडकर रामायण के हवाले से बताते हैं कि राम ने सीता से कहा कि ‘तुम्हारे अपहर्ता को युद्ध में परास्त करके मैंने तुम्हें जीता है. मैंने अपना स्वाभिमान पुन: प्राप्त कर लिया है और शत्रु को सजा दे दी है. ये सब मैंने तुम्हारे लिए नहीं किया है…मुझे तुम्हारे चरित्र पर शक है. रावण के साथ तुम्हारे संबंध जरूर बने होंगे. मैं तुम्हें इसकी इजाजत देता हूं कि तुम जहां चाहो, चली जाओ. मुझे तुमसे कोई लेना देना नहीं है.’ ( सभी मूल उद्धरण इंग्लिश में देखें पेज 327-331).

आंबेडकर को इस बात की पीड़ा है कि कोई भी व्यक्ति, जिसमें मानवता हो, वह अपनी पत्नी के साथ, जो पहले से इतनी तकलीफ में हो, ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है. इसके बाद सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी, जिसके बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है.

अयोध्या वापसी के बाद और राम राज्य की स्थापना के बाद भी सीता के साथ दुर्व्यवहार का सिलसिला रुकता नहीं है. सीता के चरित्र को लेकर अफवाह फैलने की बात सुनकर राम फिर से सीता का त्याग कर देते हैं. बाद में राम सीता से फिर से अपनी चरित्र की परीक्षा देने को कहते हैं तो वे धरती में समा जाती हैं.

आंबेडकर लिखते हैं– ‘सीता ने क्रूरता का व्यवहार करने वाले राम के साथ लौटने की बजाए मर जाना बेहतर समझा. ये सीता के जीवन की त्रासदी है और भगवान राम का ये अपराध है.’

राम के इस आचरण के बारे में आंबेडकर कहते हैं कि राम ने सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ये सब किया जबकि उन्हें मालूम था कि सीता के चरित्र में कोई दोष नहीं है. एक राजा के तौर पर उन्हें अफवाहों का शमन करना चाहिए था लेकिन वे एक ‘कायर राजा’ साबित हुए.

इस तरह हम पाते हैं कि मोदी या आरएसएस जिस राम राज्य की स्थापना कर रहे हैं, वह गांधी के विचारों के साथ मेल खा सकता है. लेकिन आंबेडकर लोकतंत्र की कसौटी पर जब राम राज्य को कसते हैं तो ये एक प्रतिगामी, अनैतिक, जातिवादी और स्त्रीविरोधी शासन के रूप में सामने आता है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और व्यक्त विचार निजी हैं)

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289 टिप्पणी

  1. गाँधी के राम राज्य की सटीक व्याख्या ढ़ूँढ़ने की कभी आवश्यकता हींं नहीं होती यदि गाँधी के जीवन, कर्म और उनके संदेशों को विवेकपूर्ण ढंग से आत्मसात करके पढ़ा जाए होता। गाँधी का जीवन, कर्म और उनके स्वप्नों का भारत हीं गाँधी का राम राज्य था।

    • This are not views but is was reality as those idol person(mr.gandhi and mr. Ambedkar) was thought. So you just have to apply your mind who was correct and what should be right. As per given information in Ramayan Ram ji was wrong because he took agni pariksha from Sita maa. So obivously it was wrong as i thought.

  2. अंबेडकर की ये रामायण बकलोल है जो अपने आप को सिद्ध करने के लिए किसी के चरित्र को उल्टा दिखाता हैं
    बाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामायण ही एक मात्र सच्चाई है और उसमे ये बक्लोलता कुछ भी नही हैं ये सब कुछ तुम जैसे लोगो द्वारा रची हुई कहानिया है जिन्हे राम से जोड़ते हो

      • अम्बेडकर को फिर से रामायण पढ़ना चाहिए था उस समय ऐसी कोई वर्ण व्यवस्था नही थी की कोई अपना वर्ण ना बदल सके वरना वाल्मीकि एक शूद्र और लुटेरे से तपस्वी नही हो जाते और जहाँ तक संबुक की बात है वो एक ऐसी कार्य कर रहा था जिससे किसी और को हानि हो इसलिए उसको मारना पड़ा। वास्तव मे अम्बेडकर ने भगवान बनने के चक्कर मे रामायण की अलग ही व्याख्या करदी।

    • अंबेडकर जी ने जो भी कुछ कहा है वह तर्कसंगत और अर्थपूर्ण है। राम कोई देवता नहीं एक व्यक्ती मात्र है जिसे मुर्ख लोगों ने भगवान की संज्ञा दे दी है। जो छल पूर्वक बाली को मार सकता है और सीता जैसी पवित्र पत्नि पर शक कर सकता है वो ‘ मर्यादापुरुषोत्तम ‘ कैसे हो सकता है।

    • अम्बेडकर को पढने के बाद मुझे ये अहसास हुआ की अम्बेडकर पूरी तरह से वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे और उनके विचारो में स्पस्ट वामपंथी विचारो की झलक दिखायी देती हैं उनका मकसद सिर्फ एक खास वर्ग विशेस का हित साधना था और कुच नहीं

    • राम जी ने लड़ाई खुद के लिए लड़ी। जनता का भला कहा किया।। किसी भाई की बहिन की कोई नाक काटे तो कोनसा भाई चुप बैठेगा ।रावण भी भाई था और भाई होने के नाते राम लक्ष्मण को मारने गया लेकिन जब राम लक्ष्मण कुटिया में नहीं मिले तब वो सीता को इसलिए के गया कि राम लक्ष्मण सीता को छुड़ाने जरूर आएंगे। राम ने खुद की सेना तत्यार की और सुग्रीव को साथ में लिया बाली को मारके। फिर रावण के भाई बिभीसन को साथ लिया लंका का राजा बनाने के लिए लालच दिया । भिब्बिसं ने पूरे भेद उसके भाई रावण के राम को बता दिए।।। रावण तो ज्ञानी था। लंका का राजा था। परिवार की लड़ाई सबके होती है । जो जनता के लिए कुछ करे वहीं भगवान । शिव , ब्रह्मा, विष्णु ही भगवान हे । बाकी तो अपने अपने लोगो ने भगवान बना लिए अवतार बताकर जो कि गलत हे । महापुरुष कह सकते हे भगवान नहीं । ओम नम शिवाय ।

    • पूजहि विप्र सकल गुण हीना।
      शूद्र न पूजहिं वेद प्रवीना।।

      अधम जाति में विद्यया पाए।
      भयहूं यथा अहि दूध पिलाए।
      उत्तर काण्ड 986/दोहा 99(3)
      ये आप जिसे प्रमाणित रामायण मानते हैं उसका उदाहरण है।पहले दोहा तो स्पष्ट है कि जन्म के आधार पर पूजा होने की बात कहीं गई है।क्या व्यक्ति जाति या कुल में जन्म लेने से पूज्य तुल्य हो जाता है??
      दूसरे दोहे में निम्न जाति के व्यक्ति को शिक्षा देना मतलब सांप को जहर पिलाने जैसे होता है!
      क्या सांप और मनुष्य के साथ यह तुलना करना कहां तक सही है??क्या शिक्षा पर किसी एक वर्ग का अधिकार बतलाता दोहा आपको कितना उचित लगता है??

      • नीलम जी ,
        जन्म से पुज्य होने कि बात काफी हद तक सही है डि अन ऐ भी कोई चीज होता है भाई , घोड़े का बच्चा घोड़ा बनेगा ,हाथी का बच्चा हाथी और शेर का शेर , इसमे दुखी होने की कोनसी बात हैं ……
        दुसरी बात आप ने कही सापं को जहर पिलाने की तो ये बात भी कही ना कहीं संगत प्रतीत होती हैं क्योकी तथाकथित बुद्दीजीवी आमेडकर कि उच्च शिक्षा कि व्यवस्था भी उच्च कुलिन हिन्दु कहे जाने वाले गायकवाड ने कि थी , जीसका नतीजा आप सब के सामने हैं …. वरना रामायण मे माँ शबरी का भी अध्याय हैं और श्रीराम के मित्र निषाद राज का भी अध्याय था , पर शायद आमेडकर पढ़ना भूल गया, या जानबुझ के ……।
        वैसे ये बाद-विवाद का मुददा नहीं होना चाहीये था
        पर अफसोस ऐसा हुआ, मुझे समझ नहीं आता कि लोगो को द्वेश फैला के क्या मिलता हैं ,
        अगर कोई मेरे आराध्य के लिए कुछ गलत कहेगा तो मेरे द्वारा भी कटु शब्द हि निकलेगे ,

  3. अंबेडकर ने अगर वास्तविक रामायण पढ़ी होती जिसमें शंबूक वध का कोई उल्लेख है ही नहीं तो वह यह सब बात नहीं करते अंबेडकर की कल्पना में यह देश कभी विकास नहीं कर सकता क्योंकि उनकी सोच सिर्फ अपने वर्ग तक के लिए थी राम राज्य में सभी को समान अधिकार की बात है सनातन धर्म में कर्म को महत्ता दी गई है और कर्मों से ही किसी की योग्यता और पद निर्धारित किए जाते हैं

    • kya tab koi shudra yogya tha hi nhi ?
      Ramrajya me Manusmariti kyon lagu thin?
      Aj bhi Gen catgory K log aphi charpai par shudra Ko Kyou nhi baithne dete?
      Yakeen ha ho to mai Samne dikha Skta hu
      98% log bhedbhav Karte h.
      Islie bekar ka gyan na hi do to thik h.

    • अगर सिर्फ खुद की समाज के बारे मे सोचते तो सायद आज आपकी बहू बेटियाँ भी नही पढ पाती। क्या आपने हिन्दू कोड बिल पढा है? जिस समाज मे औरतो को समाज मे बराबरी का हक नही था, जिस समाज मे औरत सती प्रथा जैसी विडम्बना झेलि, जिस समाज मे बाल विवाह को झेला। और आप कहते है अम्बेडकर सिर्फ अपने समाज के बारे मे सोच्ते थे? लडकियो को reservation देकर उन्हे आगे बढ्ने की कोसिस किया गया और आज लोग कहते है reservation देकर अम्बेडकर समाज मे जाती फैलायी? दिक्कत इस बात से नही है की आप अम्बेडकर को criticise करते है दिक्कत इस बात से है आप लोग की अम्बेडकर को समझना नही चाहते। मै ऊन सभी लोगो से बहस करने को तैयार हू जो आरक्षण पर बहस करना चाहते हो। अम्बेडकर को सिर्फ दलित और ओ.बी.सी का मसीहा बना के रख दिये है आप सब लोग। जो लोग रामायण की बात करते है मै उन्हे बता दू अम्बेडकर सिर्फ हिन्दूओ का ही ग्रंथ और वेद नही पढा बल्कि उन्होने मुस्लिम, इसाई और बुद्ध की किताब को पढा। और उन्होने हर धर्म को लताड़ा है सिर्फ बुद्ध धर्म को छोड कर। वो मार्क्सवादी भी नही थे। और ना कट्टर धर्मवादी। उसने जो पढा अपने तर्क से सबको criticise किया। अरे जिसे वीदेशो मे पूजे जाते हो। विदेशो के दुवारा सम्मान किये जाते हो उनके लिखी किताबो से हमारा R.B.I गठन किया गया हो। आज लोग उसे तंज कास्ते है। ये मूर्खता पुर्ण कार्य भारत के उंची जाती के समाज मे ही हिम्मत हो सकती है।

  4. अम्बेडकर जैसे बकलोल जनता के कारण ही सीता जी कष्ट झेलना पड़ा था। राम जानते हुए भी राजधर्म निभाते हुए अपना सारा जीवन कष्ट में गुजरा है। अंबेडकर जैसे सोच उस राम के शासन काल मे भी था।

    • ब्राह्मणो(मनू) के बिचार से ही कौन सा भारत देश का विकास हो गया, अम्बेडकर के ही संघर्ष से ही OBC, SC, ST लोग शिक्षित हुए,तुम्हारे मनु ने तो OBC, SC, ST लोगो को शिक्षा लेने पर रोक लगाया, रही विकास की बात मनू के समय न कोई डाक्टर न कोई इन्जीनियर, न कोई विमान न कोई संस्था थी तुम्हारा मोदी तभी PM
      बना बाबा जी के नाम से ही लोग राजनीति कर रहें हैं
      मोदी भी उनका ही तलवा चाटत है, बस ये सरकार हटे विकास अपने आप होगा।

  5. नहीं| दिसंबर ६, १९९२ से हासिल हुआ राम राज्य गांधी को भी कभी मंजूर नहीं होता | गांधी को पढ़ें तो पूरा पो पढ़ें|

  6. Ambedkar jee ne thik to likha hai unhone jo sachchai hai usi ko darshaya hai lekin Sambhuk Rishi ki hatya huyi hai badh nahi ese babh kahana galat hai . I am agree Ambedkar vady vichardhara. Ye kahna galat hai ki Ambedkar ko keval ak verg hi dikhta hai unhone sabhi ke liye saman karya kiya hai ese jat pat se uper hoker dekhiye . Thanks.

  7. गाँधी जी ने राम राज की व्याख्या करने का समय नहीं मिला शायद उनका रामराज जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धान्त में उलझ कर रह गया रही बात अम्बेडकर जी की रामराज में कमी की बात तो उनके तर्क मुझे जातीवाद के कुंठा से ग्रसित लगते है जहां ऋषि शम्बूक की जाती की बात है तो महर्षि वाल्मीकि को क्यों भूलते जो ब्रम्हाण न होते हुए महर्षि के उच्च् पद को प्राप्त करते हैं राम चरित्र की रचना करते है सुग्रीव को तो जाँच के लिए कहते हैं मगर बाली बिन बिचारे जांच सुग्रीव को दण्डित करना उसकी पत्नी छीन लेना के दोष से मुक्त करते हैं बाली का कर्म समाज में व्यभिचार बढ़वा देता नहीं लगता उन्हें वह क्षेत्र राजा मान्धाता के राज्य के अन्तर्गत था जो राम के पूर्वज थे अतः राम को बाली को दण्डित करने का नैतिक अधिकार था उन्होंने सुग्रीव को राज देने के बाद अंगद को युवराज बना कर उसके अधिकार की रक्षा की रावण वध उपरान्त सीता को लेने नगर के अंदर नहीं गए क्योंकि वनवास के शर्त में भी सामिल था सीता के चरित्र पर उन्हें कभी शक न था उन्हें शक था तो प्रजा के लोकाचार प्रचलित मर्यादा का जिसके लिए अग्निपरीक्षा का आयोजन हुआ लक्ष्मण के विरोध के बाद भी आखिर राज्यारोहण के उपरांत भी सीता पर उंगली उठा जो उनके प्रजा का था अम्बेडकर जी ये क्यों भूल गए वो भी दलित धोबी ही था मगर मर्यादा परुषोत्तम श्री राम ने उसके बात को सम्मान दिया क्योंकि सीता पट्टमहिषी थी उसका त्याग किया प्रजा के सुख के लिए अपनी पत्नी और अपना जीवन कष्टकारी बना दिया सीता ने इस कारन महल वापस आना पसंद नहीं किया की फिर कोई सवाल उठाया तो फिर प्रजापालक राम धर्म संकट में न पर जाएं अम्बेडकर जी को थोडा दिल बड़ा करके और जातिवादी चश्मे को उतार कर राम का मूल्यांकन करना था राम और सिद्धार्थ गौतम बुद्ध दोनों क्षत्रिय राजकुमार थे राम केंवट सबरी निषाद राज गुह सुग्रीव बाली सभी जन जन के थे इसी कारण आज जन जन में हैं राम और जनता मांगती है रामराज ।

    • Bhai ab baat Valmiki ki jo Kathit roop se SC kahe jate hai Unhone Ramayan likhi Sanskrit me Tapasvi bhivthe To SC hone k karan Ram ko unka bhi Vadh karna chahiye tha ?? Shambook bhi SC tha Kya Baklol panthi hai Ram ko badnaam karne ki

    • Bilkul sahi bhai ambedkar ye kese bhul gya ki shbri bhi ek kam jat ki thi valya koli ka valmiki kyo bna aur valmiki ne ramayan ram janm ke pehle likhi thi to uske sanman ke liye ramji ne. Vesa hi kiya rahi bat bali ki to bali ne sugriv ki patni ko agva kra tha to usko dand milna hi tha pn manushya yoni me hone ke karn bhagvan ko bhi aapne karn ka fal milta he esi vajase shri krishna avtar ki jis adivasi ke hato se krishna ji ki mrutyu hoti he vo vastvik me bali ka hi avtar tha jo pichle janm ka karm ke fhal hetu jnma tha pehle janm me ramji ne use mara dusre janm me bali ne ram ji ko mara to ambedkar ko ye sb gyat tha fir bhi jatiywadi ka jahar felane ke liye usne ye kiya

  8. संविधान की उद्धेश्य के अनुसार राज्य का ना कोई धर्म है और नहीं किसी धर्म को संरक्षण देगा सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखेगा परन्तु अभी तो ऐसा कुछ नहीं दिखा. ऐसे lockdown में मंदिर की जरूरत है कि हॉस्पिटल की प्राइवेट हॉस्पिटल वाले रुपये कमा रहे हैं गवर्नमेंट वाले सुन नहीं रहे हैं और सभी को राम राज्य चाहिए.

    • यही बात ये मूर्ख समझ नहीं सकते मन्दिर मस्ज़िद जरूरी है या अस्पताल
      बस घूमे फिरते है
      इंसान की पूजा ना करके महापुरुषों की पूजा करते है
      और ये काम वो महापुरूष भी स्वीकार नहीं करते अगर आज होते तो
      जीवन की पूजा करो मूर्ति की नहीं
      देश आगे बढेगा जीवन से
      और पूजा करने से तुम्हारे घर का चूल्हा भी नहीं जलने वाला

    • आज समय धर्म के नाम पर आप और हम को लड़ने का नहीं है वर्तमान परिस्थिति में हमारे देश में बाढ़ तूफान और कोरोनावायरस से लड़ने की शक्ति प्रदर्शन का है आज मंदिरों में धन वर्षा करने का समय नहीं है लोगों की सुरक्षा के लिए हॉस्पिटल बाढ़ से बचने के लिए डैम पुल आदि बनाने का है धर्म के नाम पर मंदिर मस्जिद के नाम पर लड़ने से हम जनता को कुछ नहीं मिलेगा जो वर्तमान है वर्तमान की मांग है उसमें हम सभी आम जनता को जागना है इंसानियत को जगाना है तब देश का विकास होगा ना कि आप सी जाति धर्म लोकतंत्र के नाम पर वर्ण व्यवस्था के नाम पर विवाद कर अपनी वीरता दिखाने का यह देश हमारे देश के कई वीर सपूतों का है डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जिनकी संविधान के बल पर आज देश में अराजकता अनैतिकता जैसे पहलुओं पर लोगों को न्याय दिया जा रहा है उन्हीं पर कटाक्ष करना उंगली उठाना यह कहां की महानता है यह हमारी मानसिकता दर्शाती है कि वह दलित संवर्ग से थे इसीलिए उनका आए दिन मूर्ति तोड़ कर देश में अपमान किया जा रहा है यदि वे सवर्ण वर्ग के होते तो आज उनकी हर घर में पूजा होती सोच समाज में धर्म के नाम पर जाति के नाम पर बदलने की है भूखे पेट भजन न होय गोपाला यही जीवन का यथार्थ है

  9. अम्बेडकर जी रामायण अंग्रेजी मे पढ़ेंगे तो यही होगा!
    सत्यानाश!
    पर the print tum सम्भाल जाओ कहीं तुम्हारा समय ना आजाये नाश होने का!
    भारत के लोगों के मन मे अपने ही इतिहास और महापुरुषों
    संस्कृति सभ्यता के प्रति हीन भावना पैदा करना बंद करो |

    मुग़लों और अंग्रेजो का गुण गान करना बंद करो|
    तुम्हें अपने आप पर ही विश्वास नहीं है कि भारत सर्वश्रेष्ठ था और फिर से बन सकता है पर तुम्हें तो बस अंग्रेजो और मुग़लों और इतिहास मे हुए उसके चमचों और जो अभी उसके चमचे है उनका गुण गान करना है
    नही तो दाना पानी कहा से मिलेगा?

    अरे कुछ देश के लिए अच्छा करो
    और अगर खुद नही कर सकते तो जो कम से कम कुछ कर रहा है उसे तो करने दो|

    जय श्री राम
    भारत माता की जय
    वंदे मातरम
    जय हिंद ??❤️

  10. सर, आपने जो व्याखा की है। वो बहुत अच्छी है परन्तु ज्यादा विस्तारपूर्वक नहीं है जिसके कारण कुछ लोगो को समझने में कठिनाई हो रही है। मैं आशा करता हूं कि आप इस लेख के आगे भी लिखेंगे ताकि लोगो को बाबा साहेब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर जी के बारे में जो गलत फहमी है वो ना रहे। धन्यवाद!

  11. Aaj k doora bhagwaan ram pa ungly aur shak paida karne wale murakh waiqati ko ye pata he nahi hai ki bhagwaan ram swarq sa dhrati par ek manav k roop ma janam liye the aur prithivasiyo ko sahi raah dhikhaye the. Ek manushya ki hi tarah… Bhagwaan ka avatar lena koi shok singaar ka baat nahi thi. Ye ek manav ko kaisa charitrawaan banna chahiye , wo iskaakshsd hai… Sahi sa read karo aur smjho avatar kyu liya gay

    • Are bhai ye humaari saraafat ka fayada utha rhe ki Ram ke baare me itna kuch kah dia aur him chup hai waise agar kisi aur dharm ke baare me nhi yaad aata inko ki kai dharmo ki sthaapna hi krurta aur hatyao se hua hai Par uske baare me nahi ye bolenge nhi the print likhega kyunki tab secularism yaad aajaata hai aur constitution bhi kabhi yaad aata hai ki kiai dharm Par tippadi nhi kar skte.
      Jai Shri Ram

  12. Modi ko attack karne ke liye ab Lutyens waley Gandhiji aur Ambedkar ko apas mein ladwa rahe hain. Ram rajya was not Gandhi’s idea but of Ramayan, an epic written by Valmiki.
    STOP using spin doctored journalism Mr. Mandal to attack Modiji. Destroy his image you cant.

  13. जो बातें अम्बेडकर ने लिखीं उनसे, कहीं ना कहीं बहस का एक महत्वपूर्ण मुद्दा तो बन ही जाता है . हिन्दू स्वयं इस बात पर एकमत नही हैं. फिर भी ये हिन्दू धर्म की महानता है कि, यहां अपने पूज्यनीय आराध्य पर भी बहस का मार्ग खुला है. किसी और धर्म में ये सुविधा नहीं. खैर वर्ण व्यवस्था सामाज को सुचारू रूप से चलाने का एक प्रयोग थी. सभी वर्ण स्वतंत्र थे और महत्वपूर्ण थे. पर इस प्रयोग को बढ़ावा देना और अपने हिसाब से ढाल लेना उच्च वर्ग का अनैतिक कर्म था. उसके मूल स्वरूप को समय के साथ बदलाव की जरुरत थी, जो नहीं हुआ.लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पायी.

    • @SURUCHI JOSHI क्या आप बता सकती है की वर्ण वेवस्था किस रुप मे सही ठहराया जा सकता है? मै आपसे एक सवाल करता हू, आज के दौर मे लोग I.A.S और बडे बडे पोस्ट के लिए खुद को पढाई मे तपाते है सिर्फ पढाई ही क्यू हर क्षेत्र मे लोग आज खुद को साबित करने के लिए बहोत मेहनत करते है लेकिन उसमे वो कई बार फैल हो जाता है। निरासा हाथ आती है टूट जाता है पर हार नही मानता। और आगे फिर वो लगन से मेहनत करता है और सफल भी होता है। अब सवाल आपसे ये है आखिर किसलिए वर्ण वेवस्था बनाई गयी थी? जहा तक मै जाँत हू वर्ण वेवस्था राम राज्य मे कर्म के अधार पर था यानी उसकी परीक्षा ली जाती थी की उसे वेद का ज्ञान है तो वो पंडित बनेगा। लडाई करने और हथियार चलाने मे माहिर है तो क्षेत्रय बिज़नेस वाला दिमाग है तो वैश्य और कुछ नही तो शूद्र। सवाल ये है की आप कोन होते है ये decide करने वाले की मेरि जिनदीगी किस और जायेगी? आज के दौर मे लोग कई बार असफल होते है लेकिन हार नही मान्ते और अन्त मे सफल होते है। तो राम राज्य मे एक बार ही चांस क्यू? मेरि मेहनत और मै decide करंगा की मै किस लायक हू। आप कोन है? जबाब जरुर दिनियेगा।

  14. The above given facts and information is 100% percent right but still I don’t no why people are going against of it.Varna System always spread discrimination without humanity but still many people like this.I don’t accept anything without any reasoning but many people behave like monkey if one go with this others also want to go with the same thing without any Reason. Tell me ,is Ram Mandir more important than the life of people who are struggling with infection,poor health facility,lack of ventilators………….
    A general request to common public always try to see the things in both ways.

  15. यदि गाँधी जी सही थे तो उन्होंने अपनी बातों का प्रत्यक्ष प्रमाण क्यु नहीं दिया……
    बाबा साहेब ने जो कुछ भी कहा वो सब धार्मिक ग्रंथों में लिखी हुई थी…. . और आज भी है
    रामराज्य एक कल्पना है और कुछ नहीं
    सच तो यह है कि इस देश में ना कोई राम है नहीं रामराज्य सिवाए लूटपाट, चोरी, बेइमानी, बलात्कार, हत्या के

  16. रामायण लिखी जाती है संस्कृत में, और हमारे विद्वान लोग अंग्रेजी का हवाला देते हैं ।

    जो किसी विदेशी द्वारा हिंदुस्तान में “फूट डालो और राज करो ” की मानसिकता ही से शुरू होती है।

    • शायद आप ये नहीं जानते हो कि बाबासाहब संस्कृत में पंडित थे। और उनके समय में उन्होने खुली चुनौती दि थी कोई भी रामायण ( वाल्मीकि द्वारा लिखित) पर जो उन्होने अपने विचार रखे थे, वह सब कुछ मूल रामायण के संदर्भ के साथ लिखे थे। तो ये बात जाहीर है कि बाबासाहब ने जो कुछ लिखा था वह मनगढंत कहानी नही थी बल्कि जो कुछ मूल ग्रंथ में है उसपर सोच विचार कर के और हर विधान के लिए उन्होने मूल ग्रंथ का संदर्भ दिया है। तो जिनको बाबासाहब के विचारों पर शक है वह पहले उनकी लिखी हुई मंडल जी बताई हुई किताबें पढ़े और उसमें दिए गए संदर्भ के साथ मूल रामायण फिर से पढ़े और फिर बाबासाहब के विचारों पर टिप्पणी दे।

  17. The print
    I am force personal
    Do not want to comment on such articles
    But i am a living being also
    It hurts our sentiment
    Though being a force personal i have no religion
    But some where in the heart i do
    Reality is the ram temple will be there
    And it is reality that there are ideologically two rajya one ram rajya and other is rawan rajya
    If some people say ram rajya is not good then rawan rajya should be there?
    I do not want to read full article but if ram did wrong but anywhere did this article said rawan did wrong
    If someone want rawan rajya why this entire security force deployed
    Even then why we fought for independence
    If democracy is not ram rajya then why we are democratic country kindly please dont post such article

    • This article is not related with Ram rajya and Rawan Rajya. If you want to read such a statement on rawan rajya you can read books of Dr Ambedkar you will get everything on that topic. No one can express Balasaheb with all topics in a single article. So in short Babasaheb already written on Rawan and so on. Read books of Babasaheb with all proofs.

  18. History cannot be changed, what ever Baba Saheb Dr.beemrao Ambedkar as written based on the available evidence and he is such a man who will not comment unnecessarily, First, when Adi Shankara chary as made sastang pranaam to a Schedule caste person, So, Baba Saheb says every religion, every samaj, every person if he is a human being is a different image of God. So all should be equally treated in all ways and all forms of human life. The weaker should be supported to make the nation strong. When their is no differences between one another that area will be strong their by the state will become strong and if nation unites without any differences so the nation will be strong.

  19. रामायण को दो व्यक्तियों ने लिखा है ये हमें आज आदरणीय वीपेन्द्र सिंह जी के माध्यम से मालूम हुआ ।उन्होंने लिखा है कि बाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामायण ही एकमात्र सच्चाई है।
    ठीक है मित्र इसी एकमात्र सच्चाई का उजागर तो अंबेडकर ने अपनी पुस्तक “रिडल्स इन हिंदुइज्म” के (पेज नं. 327-331) में माता सीता जी के अपमान के बारे में बताया है ।अंबेडकर का यह तर्क बाल्मीककृत रामायण (संस्कृत में) के आधार पर ही है।
    श्री मान “रामायण “गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित नहीं, बल्कि “रामचरितमानस “है।
    संविधानपूर्व सम्पूर्ण नारी (स्त्री) जाति की बड़ी दयनीय दशा जैसे अशिक्षा, बाल विवाह, सती प्रथा इत्यादि थी। अंबेडकर ने उन्हें हिंदू कोड बिल और संविधान के माध्यम से बराबरी का अधिकार देकर सम्मानित किया । आज उदहारण स्वरूप अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, पर्वतारोही बछेन्द्री पाल, भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी,पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील और प्रथम आई पी एस अधिकारी किरण बेदी जी है।

  20. किसी को अच्छा या बुरा साबित कर देना यह विश्लेषक पर निर्भर करता है.वह पूर्वाग्रह से मुक्त होकर विश्लेषण करता है कि नहीं .. आज गांधी और अंबेडकर दोनों ही राम मंदिर का स्वागत करते क्योंकि वे देख चुके हैं कि भारत पाकिस्तान और अन्य देशों में क्या हो रहा है मुस्लिम भाई लोग पाकिस्तान और कश्मीर में क्या गुल खिला रहे हैं.राजनीति आज किस बिंदु पर हो रही है.. तीन तलाक 370 सब पर.. हां दोनों यह जरूर कहते कि राममंदिर बने रामराज्य भी आये उसे लागू किया जाय.. सर्वे भवन्तु सुखिनः..की अवधारणा हो..

  21. युगों पुरानी बात का आज के संदर्भ में व्याख्या अपने आप में एक मज़ाक और व्याख्याकार की नियत पर सवाल है।उस समय की परिस्थितियां,काल का विश्लेषण उस समय के संदर्भ काल के अनुसार हीं की जा सकती है। राम और सीता ने मानव रूप में जनसमुदाय को उपदेश देने और दुष्टों से निवारण के लिए जन्म लिया था और वह लीला कर रहे थे।लेख शुद्ध रूप से हिन्दू समाज पर एक वीभत्स प्रहार है और हम इसकी निंदा करते हैं। अंबेडकर की धर्म की व्याख्या स्वीकार्य नहीं है क्योंकि उन्होंने धर्म से पलायन किया किया था अतः उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति दुर्भावना थी। वैसे भी वह धर्म ज्ञाता नहीं थे।

  22. राम राज्य वर्ण व्यवस्था पर आधारित है
    बाली का वध एक अनैतिक कार्य
    राम का अपनी पत्नी सीता के प्रति व्यवहार
    यह सब जो बताया गया है उसका कोही आधार नहीं है यह वाल्मिकी रामायण मे नहीं है और जिन्होने यह लिखा है वह सत्य आधारीत नही है
    वाल्मिकी रामायण मे कही भी शम्बुक का वर्ण नहीं है यह बाद में श्री राम जी का चरित्र हणन करणे के लिए मिलाया है , और नाही माता सीता को अयोध्या आने के बाद वन मे जाना पढा .

  23. आंबेडकर भारतीय होकर भी भारतीयता से अंजान थे भारत के कण कण में राम हैं राम को जानने के लिए राम जी आदर्शों पर चलना होगा न कि कल्पना।

    • कण -कण में राम हैं, उसकी मर्जी के बिना पता भी नहीं हिलता…..मान लेते हैं
      (1)फिर ये छोटी -छोटी बच्चियों का बलात्कार वही करवाता है क्या???
      (2)मन्दिरों में मूर्तिया चोरी क्यों हो जाती हैं ।
      (3)कोरोना (संकटकाल) मे किसी की मदद क्यों नहीं कर रहे ।…………

  24. आंबेडकर भारतीय होकर भी भारतीयता से अंजान थे भारत के कण कण में राम हैं राम को जानने के लिए राम जी ,के आदर्शों पर चलना होगा न कि कल्पना।

  25. What dr,Ambedkar says is correct,trustworthy and fully justifiable. Show anything what he says is not justified. He has put in his views with reasons and are with application of his own mind. Principle of Ratio decidendi is fully observed. His views have to be accepted and just not ignored. There is a force in his arguments .

  26. अम्बेडकर ने संविधान मैं रिजर्वेशन बर्ण के आधार पर किया है या नहीं, लेखक इसका उत्तर देंगे क्या। वे तो स्वयं जाति प्रथा का समर्थन करते हुए सबर्नो के साथ अन्याय किया था।

  27. आपने बिना विश्लेषण के ही यह पोस्ट डाल दिया है कृपया इसके पीछे की वजह तक जाएं पहले तो मुझे यह बताएं कि विधानसभा की जो ड्राफ्ट कमेटी थे उस में कितने मेंबर थे उनका क्या क्या काम था संविधान लिखने का काम किसका था और उसके लिए कानून ढूंढने का काम किस किसका था भारत में कितने संविधानिक आर्टिकल विदेशों से लिए गए हैं भारत के कितने संवैधानिक आर्टिकल अंग्रेजी कानून के जोक क्यों उठाकर संविधान में डाले गए हैं इन सब क्वेश्चन का आप मुझे उत्तर दें इसके बाद आप पृष्ठभूमि पर जाएं विचारधारा वैसी होगी जैसा उसका लालन-पालन होगा आपको याद दिला दूं जिस साइमन कमीशन का विरोध भगत सिंह राजगुरु सुखदेव लाला लाजपत राय कर रहे थे उसी साइमन कमीशन का स्वागत डॉक्टर अंबेडकर कर रहे थे जिस भारत की जनता पर अंग्रेज जुल्म कर रहे थे उसी अंग्रेजी सरकार में अंबेडकर के पिता सैनिक थे और अंग्रेजी सैनिकों का कार्य क्या होता था यह भी समझाने का प्रयास करें क्या वह किसी दूसरे देश के साथ जंग लड़ते थे या भारत की जनता से कर वसूलने का काम या उन्हें उठाकर सजा देने का काम क्रांतिकारियों को पकड़ने का काम या अंग्रेजों के विरुद्ध बोलने वाले को प्रताड़ित करने का काम करते थे अभी आए इस देश में नहीं चलेगा गलत को गलत सही को सही कहने का सामर्थ्य होना चाहिए किसी एक आदमी का केवल राजनीति के चक्कर में महिमामंडन करना बहुत गलत बात है

    • मुझे लगता है की आत्म विश्लेशण की आवस्यकता अपको हैक्यौंकि जब तक सवाल सही नही होगा तब तक सही उत्तर की परिकल्पना व्यर्थ है पहले आप अपना सवाल ठीक करें।सबसे पहला सवाल विधान सभा नही था संविधान सभा था।इतिहास का लालन पोशन करने वाले लोग कोण थे ओर ये केसे लोग थे जो झूठे ओर भ्रामक इतिहास को लेकर ढो रहे थे जबकी उस जमाने मे गाधी जी ओर ब्राह्मणो का दबदबा था उस जमाने में।मुझे लगता है की आप खुद भ्रामक विचारो की भूल भुलैया मे फ्से हुए हैं।सच को स्वीकार करो।

    • मुझे लगता है की आत्म विश्लेशण की आवस्यकता अपको हैक्यौंकि जब तक सवाल सही नही होगा तब तक सही उत्तर की परिकल्पना व्यर्थ है पहले आप अपना सवाल ठीक करें।सबसे पहला सवाल विधान सभा नही था संविधान सभा था।इतिहास का लालन पोशन करने वाले लोग कोण थे ओर ये केसे लोग थे जो झूठे ओर भ्रामक इतिहास को लेकर ढो रहे थे जबकी उस जमाने मे गाधी जी ओर ब्राह्मणो का दबदबा था उस जमाने में।मुझे लगता है की आप खुद भ्रामक विचारो की भूल भुलैया मे फ्से हुए हैं।सच को स्वीकार करो।

  28. यह बात तो सही है जी डॉक्टर अंबेडकर जी ना केवल दुनिया के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति थे बल्कि वह एक कुशल वकील भी थे। उनके लेखों में और पुस्तकों में एक खास बात यह है कि वह आलोचनाओं को भी उसी तरह सुनते हैं जिस तरह दूसरे पक्ष को सुना जाना चाहिए। वे नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं को बराबर सुनते थे और फिर उसके बाद में मैं अपना स्वतंत्र मत व्यक्त करते थे।

  29. गांधी जी या कोई भी माहात्मा बोले। कुछ बाते उसी समय सत्य रहता है। आप ध्यान में ईस पर भि सोचना आवश्यक है कि प्रेम एक तरपसे नही होता। ईसिलिए ऐसा हुआ…

  30. दिलीप मंडल जी व the print का धन्यवाद उन्होंने बहुत ही
    अच्छे ढंग से आलोचनात्मक रूप से एक सुंदर लेख लिखा है जिससे व्यक्ति की सोच अलोचचनात्मक हो न की अंधभक्त वाली

  31. भगवन राम को कायर कहने वाला अम्बेडकर खुद शुद्र था वह राम का नहीं रक्ष का ही पुजारी होगा मानकी राम जीने कुछ ऐसे कम किये जो उनको नहीं करने चाहिए पर इसके लिए उनको कायर कहना अनुचित है संबुक शुद्र था या सवर्ण ये तो मुझे नहीं मालूम पर शम्बूक एक बच्चे जो ब्राह्मण पुत्र था उसको मरकर ब्राह्मण बनना चाहता था इसलिए उसे मारकर ब्राह्मण पुत्र की नहीं एक माँ के कोख की रअक्ष करनी थी

    • क्या बकवास है यह, मरने के बाद भी कोई आज तक जिंदा हुआ है.. शम्बूक ऋषि का वध इसलिए किया कि वो तपस्या कर रहा था, इसलिए ब्राह्मण का बेटा मरा तो क्या वो ब्रह्मण शम्बूक ऋषि के मरने के बाद जिंदा रहा होगा और राम भी नहीं मरा होगा, जन्म लिया है तो मरना तो पड़ेगा ही, कोई किसी को नहीं मारता इंसान मरता है तो अपने कर्मों की वजहों से…

      अम्बेडकर जी ने जो लिखा उसका प्रमाण भी दिया है, और संविधान में जो लिखा है उस एक एक शब्द का संविधान सभा में विश्लेषण भी किया है..

  32. भगवन राम को कायर कहने वाला अम्बेडकर खुद शुद्र था वह राम का नहीं राक्षसों का ही पुजारी होगा मानकी राम जीने कुछ ऐसे कम किये जो उनको नहीं करने चाहिए पर इसके लिए उनको कायर कहना अनुचित है संबुक शुद्र था या सवर्ण ये तो मुझे नहीं मालूम पर शम्बूक एक बच्चे जो ब्राह्मण पुत्र था उसको मरकर ब्राह्मण बनना चाहता था इसलिए उसे मारकर ब्राह्मण पुत्र की नहीं एक माँ के कोख की रक्षा करनी थी इसीलिए राम जी ने शम्बूक को मार कर माता के पुत्र की रक्षा की न की ब्राह्मण की । महर्षि विश्वामित्र भी तो क्षत्रिय ही थे वह तपस्या करके ब्रह्मऋषि बने उनको आंबेडकर क्यों नहीं कहा। आंबेडकर सिर्फ जातिवादी बढ़ने वाले नेता थे । श्रीराम ने जी किया वह सही था या गलत ये मई नहीं जनता पर जो हुआ वि विधि का विधान था । अंत में मात्र जय श्रीराम जय सीता मैया जय लक्ष्मण भैया जय बजरंग बाली भारत माता की जय

  33. You have said it right. But majority of people thought in popular way of today. Even before i started reading about history of political ideology i also thought in current popular way. But today I can’t understand it. We are socialist society and right wing politics has no way toward socialism.

    Many of my friends, family, mates in country, don’t understand that when country was made ….it was made to adapt socialism in true sense with democracy.

    And now we are thinking in terms of popular ideology that’s all. That one ideology by one organization tempted our belief to gain support and heading us towards capitalisation…… institutions are getting sold to businessmen. Ironically people don’t have basic idea and philosophy of political ideology and agenda. During independence most people who learnt about these ideology never supported right wing. They just hampering popular belief.

    For this or any govt. We should raise voice for

    Colleges/ hospital/ Research and Development/Inventions/ Police reforms (very important), job for increasing population,

    Where we are today……. religious propoganda s and agendas/borrowing everything that we should build.

  34. Sacchai samne aati hai to sb yahi kahte hain jab ram k shasan me naari ko uska swabhimaan nhi mila to es ram ke mandir ban jaane k baad naari ki khaak ijjat ki jaye gi sab golmaal duniya hai kalyug me raam khan se aaye ye to janta ko lootane ke bhane hai

  35. You have said it right. But majority of people thought in popular way of today. Even before i started reading about history of political ideology i thought in current popular way. But today I can’t understand it. We are socialist society and right wing politics has no way toward socialist.

    Many of my friends, family, mates in country, don’t understand that when country was made ….it was made to adapt socialism in true sense with democracy.

    And now we are thinking in terms of popular ideology that’s all. That one ideology by one organization heading us towards capitalisation…… institutions are getting sold to businessmen. Ironically people don’t have basic idea and philosophy of political ideology and agenda. During independence most people who learnt about these ideology never supported right wing. They just hampering popular belief.

    For this or any govt. We should raise voice for

    Colleges/ hospital/ Research and Development/Inventions/ Police reforms (very important), job for increasing population,

    Where we are today……. religious propoganda s and agendas/borrowing everything that we should build.

  36. सच में महात्मा गांधी का सम्पूर्ण जीवन ही
    रामराज्य है राम राज्य का परिभाषा ये है की
    राज्य में कोई गरीब नहो राज्य मे सभी खुश हो

  37. आज अयोध्या की छबि न्यारी ,दिखती त्रेता युग के जैसी ।
    रामायण के तथ्य सत्य सब ,नीली किताब की ऐसी तैसी ।

  38. अम्बेडकर सनातन धर्म में फुट डालकर चला गया।उसका सारा काम अच्छा लगता है,पर हिंदू होकर हिंदू धर्म पर कटाक्ष करता है तो बुरा लगता है।उसे धर्म की बुराई करने का इतना ही शौक था तो इस्लाम और क्रिश्चियन का करता,यहूदी और पारसी का करता।इसी को कहते हैं सांप जिस थाली में दूध पीता है उसी में छेद कर देता है।

    • Pr tum Hindu hoke bi ek Hindu ke sath kya bartav Kiye, tum Dudh bi pilaye ho, Bhikari sale, unhone pani bi Sangharsh krke paya he tum log Sach kbi accept krte hi nhi ho, aur Kalpnik duniya me ji re ho ?Dr. Baba saheb Aambedakr ji hamesha se sachhe the, he aur rahege.. Jay Bhim Jay Bhart Jay sanvidhan

  39. विपेन्द् सिंह जी शंबुक् ऋषि की कथा वाल्मीकि रामायण में ही लिखी है। अंबेडकर जी ने तो उसका वर्णन किया है

  40. बहुत बहुत शुक्रिया आपका अपने हमें सच्छे ज्ञान को बताया ??? हमें आप विनती है कि हमारे देश को अंधविश्वास तथा पाखंड से दूर रखे ।

  41. अम्बेडकर खुद को हमेंशा एक जाति विशेष का नेता मानते थे| अम्बेडकर की भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में कोई अहम भूमिका नही थी, और वे कभी भी हिन्दू धर्म को सही नही माना फिर इस तरह के टिप्पणी का क्या मतलब है |जिसको राम मे कोई विश्वास ही नही था, लेकिन सिर्फ श्री राम की आलोचना करनेके लिए उनका नाम लिया और रामायण के कहानी को तोड़ मरोड़कर कर के पेस किया

  42. बंधु लगता है आपने रामायण देखा या पढ़ा नहीं है वाल्मीकि की रामायण हो या तुलसदास की , क्या दोनों में ग्रन्थों में राम ने बाली का वध नहीं किया है यदि राम भगवान थे तो उन्हें बाली के पास जाना चाहिए था और पूछना चाहिए था कि अपने सुग्रीव के साथ ऐसा क्यों किया एक पक्ष कि बात सुनकर राम ने बाली की हत्या के दी यही न्याय दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए था। हिन्दुस्तान किसकी हिम्मत है कि राम के चरित्र को उल्टा दिखा दे ।

    • किसी एक बिंदु से पूरे रामायण या श्री राम जी के व्यक्तित्व पर कमेंट करने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी तो ले ले । क्या ये तुझे या अम्बेडकर जी को किसी ने नही बताया कि बाली ने सुग्रीव की पत्नी को बलात अपने पास ही रख लिया था।

  43. बाल्मीकि जी ने भी तपस्या की थी भगवान राम ने उनको तो नहीं मारा या कुछ भी नहीं हमारे हिंदू धर्म को बांटने की साजिश की जा रही है

  44. अम्बेडकर को रामराज्य से तकलीफ होनी ही थी, क्योंकि रामराज्य पुरुषार्थ से परिपूर्ण है हरामखोरी से नहीं, जिस थाली इन खाना उसी में छेद करना, मेहनत कोई और करे मजे कोई और करे ये सब रामराज्य में नहीं है, अम्बेडकर को यह अच्छे से पता था।

  45. As people don’t want to think rationally. Fact is fact if u find the fact as a researcher ambedkar views are right. There is no proper factual evidences of existence of valmiki Ramayan. There are lots of Ramayana in all India saying different views. And these are epics mind it. It’s the duty of the society to take good things from every character and also criticism is also necessary. Nation has to be run according to constitution. Belief system is at personal level.

  46. दम तो है अंबेडकर साहब के द्वारा राम राज्य के संदर्भ में दिए गए तर्कों का। अब कोई भावावेश मे आकर मानता है, या नहीं मानता है यह उसके विवेक के ऊपर निर्भर करता है।

  47. शंभूक वध और सीता परित्याग वस्तुतः वाल्मिकी की मूल रचना है ही नहीं, इसे राम के चरित्र पर दोष लगाने के लिए बाद में जोड़ा गया है। रामायण पढ़ने पर वाल्मिकी की भाषा शैली, शब्दविन्यास एवं भाव व्यंजना इन प्रसंगों में बिल्कुल मेल नहीं खाती इसे बाद में किसी अन्य द्वारा लिखा गया है। बडी आश्चर्य की बात है कि जो राम राम निषाद को निषादराज कहकर संबोधित करते हैं वो ऐसा कृत्य कर ही नहीं सकते। इसी तरह सीता परित्याग भी बाद में मनगढंत लिखा गया है इसीलिये तुलसीदास जी ने इन प्रसंगों को रामचरितमानस में स्थान नहीं दिया। इसमें बाबा साहब की गलती नहीं है जो गलत इतिहास हमें पढ़ाया गया है उसे सही तरीके से उचित करने की नितांत आवश्यकता है।

  48. धन्यवाद मंडल जी ।

    कहते है कि पीड़ा का एहसास हो बता सकता है जिसने सहा हो । अर्थात डॉक्टर ब र आंबेडकर जी ने सहा है जातिवाद को इसलिए ही उन्होंने राम राज्य की व्याख्या की । माफ करना मै किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचा रहा ।

  49. Mr.vipendra singh ramayan me agni pariksha ka pura sandarbh diya he..our uske mutabik sita maa ko agni pariksha deni padi thi. Ab ham apne mind se bhi sahi ya galat soch sakte he k ram ji ne agni pariksha mangani chahiye thi ya nahi. To ap khud samjhoge k ram ji galat the….Ram ji didnt had good thoughts.

  50. जादू का बॉक्स तो संविधान है, जिससे जो जादू करना है कर सकते है, और जैसा जादू डालना है डाल के लोगो को दिखा सकते है।

  51. रामराज्य यानी वर्ण व्यवस्था कायम रखना।21 वी सदि मे क्या अभी भी चार वर्ण आधारित जाती व्यवस्था लाने की बात कितनी बालबुद्धी है।देश को अगर महासत्ता बनना है तो प्राचीन-मध्ययुगीन मानसिकता छोडकर आधुनिक आंबेडकर विचारो की सोच अपणानी होगी।

    • At which point your agreed with this illogically and false explanation made by this self proclaimed learned man?

      Have you read Ramayana? Do you know why Bali was killed? What sin did he make because of which he was killed?

      If you don’t know something, silence is best answer, but before speaking anything, atleast know it.

  52. Matlb ambedkar wadi soch iti hawi hai ki sahi galt ka faisla lene ki sthiti me nhi hai lekhak sahb… ambedkr ite mahan the to unki asliyat bhi ja ke pata kr lo savindhan niramn kameti ke president the bas uske alawa koi kam nhi kia ek article joga sc st that’s it uske alwa kia kya?? Sara kam members n kia approve dr rajendra prasad ji ne kia… Tum logo ki mansikta gulami ki hai swachand vichar jivn bhar nhi askte kyuki vichar swach man se ate hai bas gandgi bhare hue dimag se nhi…

  53. Agree with baba saheb .. He raised legal questions.
    इसमे कोई संदेह नही है की dr. अम्बेडकर एक महान, तार्किक, vaigyanik soch, aur ek mahan arthshastri bhi the.. He wanted a equality and social justice which is comming from Long years and years people are tortured on basis of their caste, pooreness.. They were kept away from education system such a horrible incident happened in our society today also..

  54. Ravan sita ka apaharan karta hey raam usko chudata aur baad mey jungle chodh ata hey bass ramayan khatam, oh bhai sandesh kya mila biwi ko chudawo aur pregnent dikhi toh jungle chodh aao. Aur murkh ladkiya bolengi humko raam jaisa pati miley.

  55. आलेख मेरी नज़र में प्रशंसनीय है। आलोचकों ने दिखा दिया है कि वे कुएं के मेंढक हैं । उन्हें यदि वाल्मीकि रामायण का ज़रा भी ज्ञान होता और ईमानदारी होती तो वे आंबेडकर जी के विचारों को मान लेते या कम से कम गाली गलौज से बचते। हमारी नयी शिक्षानीति के कर्णधारों से मेरी यह अपेक्षा है कि वे न सिर्फ बच्चों को सही नैतिक शिक्षा देने की व्यवस्था करें बल्कि ऐसे साक्षरों की शिक्षा की भी व्यवस्था करें जिन्हें नहीं मालूम कि हमने अपने संविधान को धर्म निरपेक्ष क्यों बनाया।

  56. जाति व्यवस्था को बनाकर रखने वाले कुछ
    तुच्छ लोग मनुवादी विचारधारा के लोग
    आज बाबा साहब डॉ बी. आर. अंबेडकर के विचारों पर उंगली उठा रहे हैं। सारा विश्व जिन्हे ज्ञान का प्रतीक मानता है।
    इनकी माताओं बहिनो को अधिकार किसने दिलाए ये नहीं पता इन्हे..?
    लेकिन इन्हे चाहिए वही वर्ण व्यवस्था वाला भारत जिसको ना जाने किस किस ने गुलाम बनाया.. और ये लोग उनकी चाटुकारिता करने में लगे रहे..।

  57. Bhagvaan Ram nahi woh Sant lekhk hai jisne bharat ke alag alag sthano per poori Umar goom goom ker apni kahani poori ki jhan ruke apni kahani ke character ko us sthan se jod ker usko ane wali piddi ke liye bilkul real story bna ker chale gye. Jai shri Ram

  58. आस्था के आधार पर न्यायपालिका फैसले सुनाती है .सकैत में कहि बुद्ध कालीन अवशेष मिले एक भी इलेक्ट्रिनिक न्यूज मीडया ने नही दिखाया. ट्वीटर पर लाखों लोगों ने 5 अगस्त काली फिति बांनधकर विरोध जताया, ,बहुजन क्रांति मोर्चा ,मुस्लिम राष्ट्रीय मौर्चा भी शामिल था ,लेकिन मीडिया नही दिखाता ,मीडिया ऐसी सचाई किऊ नही दिखाती

  59. संक्षेप में कड़वा सच कहूंगा मैं, –
    डाक्टर भीमराव आंबेडकर ने ब्राह्मण विरोध में संपूर्ण सत्य को ही अपनी पश्चिमी कुसंस्कृति में पढ़ने के कारण अपने स्व विचारों के आधार पर असत्य सिद्ध करने का असफल प्रयास किया है,
    यद्यपि मैं ब्राह्मण नहीं हूँ लेकिन इतना तो जानता ही हूँ कि भीमराव आंबेडकर ने ब्राह्मण विरोध में ब्रह्माण्ड के परम शाश्वत सत्य अर्थात सनातन संस्कृति/धर्म (आधुनिक नाम- हिन्दू धर्म) को असत्य और निम्नतम सिद्ध करने का प्रयास किया और सनातन धर्म की मूलभूत वैज्ञानिक चेतना को न समझकर अपने स्वयं के विचारों को घुसेड़ने का प्रयत्न किया और वर्ग विशेष के हित हेतु मसीहा के रूप में खुद को स्थापित किया,
    जानता हूँ कड़वा है सहन करना मुश्किल होगा

  60. संक्षेप में कड़वा सच कहूंगा मैं, –
    डाक्टर भीमराव आंबेडकर ने ब्राह्मण विरोध में संपूर्ण सत्य को ही अपनी पश्चिमी कुसंस्कृति में पढ़ने के कारण अपने स्व विचारों के आधार पर असत्य सिद्ध करने का असफल प्रयास किया है,
    यद्यपि मैं ब्राह्मण नहीं हूँ लेकिन इतना तो जानता ही हूँ कि भीमराव आंबेडकर ने ब्राह्मण विरोध में ब्रह्माण्ड के परम शाश्वत सत्य अर्थात सनातन संस्कृति/धर्म (आधुनिक नाम- हिन्दू धर्म) को असत्य और निम्नतम सिद्ध करने का प्रयास किया और सनातन धर्म की मूलभूत वैज्ञानिक चेतना को न समझकर अपने स्वयं के विचारों को घुसेड़ने का प्रयत्न किया और वर्ग विशेष के हित हेतु मसीहा के रूप में खुद को स्थापित किया,
    जानता हूँ कड़वा है सहन करना मुश्किल होगा

  61. ये हिन्दुओ की बर्दास्त करने की छमता के कारण ही ऐसे लेफ्टीस्त चीन के एजेंट स्वयं घोषित बुद्धिजीवी, अपने मन से कहानी बना कर राम के बारे में अपशब्द कह रहे है।ये पत्रकार रामायण पड़ी भी नही होंगी। और में इसे challange देता हूं कि इस तरह ये कभी मोहम्मद की जीवनी को भी समझाये। मुसलमान दूसरे दिन इसका सर काट देंगे। हिन्दू समझदारी दिखा रहे तो हमको बेवकूफ समझ रहा है । अब बेवकूफ जाकर पहले रामायण पढ।साले चीन से पैसे खा कर हिन्दुओ को बांट रहा है

  62. मंदिर बनाने से जनता का कोई भला नहीं होगा हमें मंदिर कि नहीं स्कूलों कॉलेज और अस्पतालों की जरूरत है

  63. किसी भी युग में तत्कालीन समस्याओं के समाधान तत्कालीन परिवेश में जो उचित होता है उस समय के
    शासक या तो प्रजातंत्र के हो या राजतंत्र के सर्वसम्मति से निर्णय ले करते हैं । आज संचार व्यवस्था दूरस्थ होने के कारण हम फैसला सेकेण्ड में कर मंतव्य दे देते हैं ।फिर एक घंटा के बाद पलट भी देते हैं ।पता नहीं किसी एक ही मसले पर हम कितना फैसला लेते हैं तथा पलटते हैं । यह फैसला भी अलग अलग चैनल्स के आधार पर करते हैं जबकि चेनल्स वालों को ही हकिकत पता नहीं होता है । हजारों साल पहले की बात पर कितना सही है कितना गलत कोई नहीं जानता फिर भी एक धर्म के ही पीछे क्यों पड़े रहते हैं । चर्चा सभी धर्मों पर खुलकर होनी चाहिये ।

  64. यह बुद्धिस्ट के द्वारा लिखा गया लेख है जिससे कि दलितों का धर्म परिवर्तन किया जा सके और कुछ नहीं।

  65. DO NOT READ THIS IF YOU CAN’T FACE THE TRUTH.
    Just like the print writer can write things about Rama and Gandhiji taking the help of mr. Ambedkar thinking he can easily tell all what he thinks and target Hindus and their faith, I Hitesh Chandravanshi would like to tell you something:-

    1. Mr. Ambedkar fought for one community, he never fought for the India except making the constitution.
    2. During freedom India’s most people were in poverty, India was a poor nation but Mr. AMBEDKAR MADE LAWS FOR UPLIFTMENT FOR HIS COMMUNITY.

    3. It was because of Mr. Ambedkar that India’s freedom was delayed.
    During the round table conference.
    When Gandhi ji wanted to talk about Swaraj and independence.
    Mr. Ambedkar was with the the British and changed the topic completely into the seperate electorates.

    4. Those people who target upper caste Hindus and Hinduism.
    I would like to say that If the upper caste hindu would have wanted then they would have denied the right to reservations to the Dalits
    But they didn’t despite many of upper caste having a large amount of political power then because it would have been wrong.

    5. Talking about the Dalit who was killed by lord Rama.
    Mr. Ambedkar I am just not as learnt as you were.
    But I have read about it too
    And I would like to clarify
    “Shumba was slayed by lord Rama because his prayer was not normal prayer instead he was praying so that he may become stronger than the gods and get the status of supreme”
    ” Now for Rama it was justified to kill him, because shumba has already sacrificed a brahmin youth during the course of his prayer as a sacrifice. So this meant that Shumba was worthy to become supreme god and thus was slayed”

    I don’t believe that Mr. AMBEDKAR MIGHT HAVE WRITTEN THAT ABOUT RAMA AND MAYBE IT’S JUST THE PRINT WRITER SPREADING IT.

    ALSO DALITS WERE NOT DENIED TO WORSHIP GODS WHY?

    Answer is Shabri who prayed lord Vishnu belonged to a lower caste, valmiki ji too belonged to lower caste.

    :- And if the above texts criticising lord Rama was written by Mr. Ambedkar then I have lost my respect to him as a Indian and now I just respect him like any common human must be respected because if it was written by Mr. Ambedkar then it shows that his heart was filled with hatred.
    He could not move on, he could not love, he was just burning in his own fire and burning other Dalits.

    Also lord Rama left Mata Sita because of the citizens of Ayodhya.
    Ram- Rajya means rule that Rama did.

    Now this example shows that Rama cared for his citizens and not his own happiness.

    This is a small example of Rama Rajya.

    Also ” The Print ” I challenge you to do whatever you may do or say about Rama.

    As a Hindu I would respect him more than anything because Rama never fought for his own community people but for all

    And this is the reason that Rama is not connected to a Community.

    He is connected to humanity.

    He never uplift others while putting down others.

    • भाई अपने कहा बाबासाहेब आंबेडकरजीने देश के लिये कुछ नहीं किया
      १ संविधानमे सभी वंचित शोषित लोगो के लिये आरक्षण
      न केवल कंपनी जाती के लिये
      २ महिलाओके लिये, मजूरोंके लिये,कानूनी प्रावधान
      ३ भारत -पाकिस्तान मामले भारतीय हित चाहते थे
      ४ भारत स्वंतत्रता पश्चात दलित फिरसे उच्चवर्णियोंके
      गुलाम ना बन जाये इसीलिये गोलमेज परिषदमे गांधीजीका
      विरोध किया
      ५ गांधीजींकी जान बचाने के लिये पूना करार किया
      ६ बेशक बाबासाहेबजीने दुनिया की सारे देश की संविधान के कलमोंका समावेश हमारे संविधानमे किया है लेकीन
      यह समावेशन करते समय भारतभूमी के अनुरूप सभी वर्ग
      जाती, भौगोलिक परिस्थिती, इन सभी तथ्थोका बारिकीसे
      विचार कर समावेशन किया है
      ७ आज महिला पढी-लिखि सबला बन गयी यह सब
      महात्मा फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, आगरकर, ईश्वर चंद्र
      विद्यासागर, महर्षी कर्वेजी,नाना शंकरशेठ जी, गोपाळ कृष्ण गोखले जी कि बदौलत है यह सभी ब्रिटिश साम्राज्य को भारतीयोंके लिये वरदान मानते थे
      ८ आप मुझे यह बताये कि जो राम काल्पनिक है केवल हिंदू बहुसंख्य है ईसिलिए हर राजनैतिक पार्टी राम संबंधित बिषयमे सावधान भूमिका लेतीहै यदी हिंदू अल्पसंख्यांक होते तो कोई भी पार्टी उसका विरोध करती
      ९ आप मुझे यह बताये कि रामजीने ऐसै कौनसे कर्म कियेथे
      जो तत्कालिन अन्य हिंदू राजाने नही किये थे ?
      १० महात्मा गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, छत्रपती शिवाजी महाराज, छत्रपती शाहू महाराज, ऐसे आदर्शवत हिंदू राजाओंको हम अपना आदर्श मानते है जिन्होने अपनी प्रजापर बिनाभेद पुत्रवत प्रेम किया

  66. The print is like this only.
    Recently the first hindu family that got invitation to worship lord Rama in Rama mandir was a Dalit Family.
    Please show these news only.

    Don’t show us about people who have hated Hinduism and who could never find goodness in anything.

    It is not 1950 and the age of targeting a particular religion or community has ended and we must spread love.

    Show some good news.

    Don’t show always hatred.
    Spread some love too.
    The Print.

    Because you don’t what your hatred may give you in your lives.

    Maybe you are those people who have nothing to have to love in life and so you spread hatred.

  67. भारत में रामजी पर सौ से ज्यादा टीका या कथायें स्थानिक पुटता के साथ प्रचलित है जिसका आधार प्रमाणिक साक्ष्य न होकर अनुश्रुतियां है क्योंकि कोई भी कथाकार प्रत्यक्षदर्शी नहीं था यहाँ तक संस्कृत के आदिकवि वाल्मिकी भी राम के समकालीन नहीं थे। राम ऐतिहासिक कम मिथकीय ज्यादा है वर्तमान तक यदि भविष्य में कोई भारतीय विद्वान राम की ऐतिहासिकता प्रमाणित न कर दे तब तक । रही बात राम से संबंधित घटनाओं के वर्णन का तो इसमे रचनाकार की कल्पनाशीलता ज्यादा परिलक्षित होती की वह राम को लेकर क्या कहना चाहता हैं? जैसे तुलसीकृत राम सभी तथाकथित हिन्दूओं के लिए मान्य इसलिए नहीं है कि तुलसी का विचार शूद्रों स्त्रियों के प्रति क्या था वह स्वयं अपने दोहो व चौपाइयों मे स्पष्ट करते है। ब्राह्मणवादी विचार राम को अधूरा मानते है क्योंकि यह विष्णु के 8 कलाओं वाले अवतार माने गए है जो कि अपूर्ण है पहले ब्राह्मण राम को पूर्ण कर लें तब रामराज्य की बात समझ में आती हैं। राम कथा में शूद्रों का जो वर्णन किया गया उसी पथ पर अग्रसरित होकर राम मंदिर ट्रस्ट में एक दलित को प्रतिनिधित्व दे दिया की कोई सवाल न उठा सके और वनवासी व ओबीसी का कही अता पता नहीं। जो अंबेडकर के मौलिकता पर प्रश्न चिह्न लगाते है वह कितने मौलिक है वह उनकी जीवनयापन के साधन से लगा सकते एक पुरोहिताई जो की दूसरे के जूठन से चलती है और दूसरा किसी की रचना पर टीका टिप्पणी करके यदि किसी ब्राह्मणवादियों से पूछा जाए की आपकी मौलिक रचना कहा है तो वितर्क करने लगते है। यदि रामराज्य में सब अपराधों का न्याय केवल मृत्युदंड है तो यह शरियत कानून से कैसे अलग है? राम पर सब की आस्था होगी लेकिन ब्राह्मणवादी राम पर नहीं।

    • आप जिस दोहे की बात कर रहे हैं वह दोहा तुलसीदास जी के नामसे इस प्रकारप्रचलित किया गया है,” ढोल गवार शुद्र पशु नारी… ” जबकि जो उन्होंने असली में लिखा वो इस प्रकार है”ढोल गवार क्षुब्द पशु आरि ये सब ताड़ना के अधिकारी”। जहां पर “आरि “का अर्थ “शत्रु” और “क्षुब्द “का मतलब “दिमागी रूप से असंतुलित” है। जब तक असली दोहा नही पढ़ा था तब तक यही विचार थे तुलसीदास के बारे में मेरे।
      आप सभी लोग हमारे देश के इतिहास को माइथोलॉजी बताने वाले कभी राम कभी अम्बेडकर कभी गांधी का नाम ले कर लड़वाने और कमज़ोर करने वालो की बातों में न आएं। आपस में लड़ने की वजह से ही हम इतने साल ग़ुलाम रहे। कृपया अपने आने वाली पुश्तों को सही जानकारी दें हमारे महापुरुषों और देश के बारे में । हमारे देश की खासियत ही यह है कि उसने हर धर्म व उसकी विशेषता को अपनाया है।चाहे हम् अम्बेडकर को माने या गांधी को चाहे राम की पूजा करें या किसी और तरीके से ऊपरवाले को धन्यवाद दें हैं तो हम सब भारतीय।

  68. यह लेख लिखने वाले ने बाबा साहेब अम्बेडकर का नाम लेकर अपने विचार प्रस्तुत किया है ।।
    बालि का वध भगवान ने सुग्रीव से मित्रता की वजह से नहीं बल्कि बालि का वध भगवान राम ने उसकी उद्दंडता के लिए किया था और रामायण कथा के अनुसार अंगद उस समय बहुत छोटे थे इसलिए कम उम्र होने के कारण उन्हें राजा नहीं बनाया जा सकता था बाबा साहब ने खुद यह लिखा है कि जब भारत का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ है तो पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र है तो हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए १अंबेडकर आन इस्लाम २अंबेडकर आन पाकिस्तान
    पुस्तक में सब कुछ लिखा है।।

  69. Sir shayad aap ye bat bhul gaye hai ki ambedkar ne duniya ki sabse jyada kitabe padhi thi, wo chahe dharm ki ho ya kisi aur chij ki, aap ko ye malum hona chahiye ki baba Shahab ne kisi bhi dharm ke bare me bahash nahi kiya, wo warn wyawshtha se shakht nafrat karte,
    Chalo chhoro Baba Shahab ne ram rajya ki kis kitab me wyakhya ki thi yahi bata do.
    Baba Shahab ke hisab se ram jail me hote shambuk murder case me, sita ko garbhavastha me jungle me chhodne ke case me, bali murder case me

  70. कुल मिलाकर एक बात साफ हो गई है कि, अबतक गांधी के नाम पर चलने वाली नाव को डूबने से बचाने के लिए अब अंबेडकर के नाम को बेचा जाएगा। हो सकता राहुल गांधी के अगले संतति का सरनेम अंबेडकर हो।

    अगर अंबेडकर बाली वध के विरुद्ध हैं तो वे परोक्ष रूप से परस्त्रि हरण और उसके साथ दुर्व्यवहार के समर्थक हो जाते हैं।क्योंकि श्रीराम ने बाली को इसी अपराध का दंड दिया था। जो अंबेडकर कभी नहीं हो सकते।

  71. Ambedkar didnot do anything for tribals he wanted to leave them in forest forever.
    It was the Nehruvian panchsheel , a Brahmin , because of which ST got their Rights. And today many people in my community has got good jobs.

    Hinduism is the inky releigion which allowed our community to accpet it along with our old rituals.
    Tolerenace is the virtue, hiduism gave to world.

    I more thing , Ram had in his court , teibal bheels , he ate from Sabri , a low caste woman , shumbhak was killed because of killing a Boy. So dont spread false info and hatred , bacause u r not the only educates ppl in India.

  72. Agr baba saheb nhi hote toh aaj mahilao kii situation vhi hoti jo manusmriti mai thi ……
    LooG bolte h unhone apni community k liye kiya ….aap logo ne jana hii kitna unhe agr shii se pda hota toh pta chlta kii vh kitne bde philosopher the,equality kii bt krna,reserve bank of India established, symbol of knowledge, constitution maker,hindu code bill ….bhoot kch kiya unhone. ….agr varna system nhi hota toh shyd so clled community jesa word ka tag nhi lgta unke uppr….glt chizo kii invention manusmriti mai hoti h …..logo ko vhi se divide kr diya jta h r jb koi uss stereotypes ko dur krta h toh bola jta hai kii specific community k liye kiya unhone……bhai r behno pehle jaan toh loo unhe
    Yeh hindu muslim sikh Cristian toh logo ko divide krne k liye bne hai. …hm sbse pehle ek insan h r insan iss bases pr insan se nffrat krne lga hai kii vh so clled aalg community ka h ya aalg religion ka hai…..
    (Dharma se insan nhi h
    insan hai tb dhrm hai
    Bhoot bda difference hai ….khli ldai jhgde mai kya rkha h aap b insan h hr ek insan fr difference kesa …..bss ek difference hai garibi r amiri ka jisse km krna hai bkki difference ko itna bdwa vh b iss time pr isliye diya jraa hai tkki politician aarm se foot daale r raaj krre….
    Equality kii bt koi nhi krta ….
    Varna system khtm ho jyega kffi hdd tk equality aa jyegi r roti beti ka rishta kayama ho jyega nffrate mit jyengi

  73. गांधी जी या अम्बेडकर जी का राम राज्य के बारे में क्या विचार थे इस पर बहस करने से क्या मिलने वाला है
    देखा जाए तो सबकी अपनी अलग ही परिभाषा मिलेगी
    हिन्दू के अलावा बाकी धर्म के लोग भला क्या सोचते होंगे,?
    उनके लिए सायद राम राज्य से मतलब होगा कि सभी लोग सुखी , स्वस्थ, समर्रिध सभी को न्याय मिले… काश कि सभी लोग ऐसा ही सोचते, काश कि कोई जाति धर्म होता ही नहीं…
    कम से कम आज तो इसकी जरूरत बिल्कुल ही नहीं लगती
    काश कि कोई भगवान ही नहीं होता….

  74. Ho sakata hai m. Gandhi sahi ho ya ho sakata hai ambedkar ke vichar sahi ho…..hame bhi buddhi hai, hame khud padhakar usapar vishleshan karana chahiye ….na ki gandhi ya ambedkar ki kisi viachar par as it is ade rahana chahiye…..agar ham hindu hai to rmrajya pasand hai aur agar ambedkarvadi hai to hindurajya pasand nahi hai….uapar ki sab tippniya almost aise hi hai….kya sahi hai kya galat hai ye khud sari baate jankar tay kare naki kisi ke…………

  75. मुस्लिम और मोहम्मद के बारे में क्या सोच थी जरा वो भी अपने लेख में शामिल कीजिए बंधु।अगर राम और रामराज्य एक छलावा है तो फिर बौद्ध जो सनातन की एक शाखा है और मुस्लिम जिस धर्म का उत्थान ही एक काबिले और अन्याय से हुआ उसमे मोहम्मद ने कौन से कर्म किए जिससे कि पूरे मनुष्य जाती का भला हो।अब बात करते है बाबा साहेब की हम सब बाबा साहेब को बहुत मानते है लेकिन क्या उन्होने गलतियां नहीं की बहुत सारी गलतियां कि,अपने समाज की उंच नीच को ख़तम करने के बजाए उसे और बढ़ावा दिया उन्होंने और अपनी राजनीति को चरम पर पहुंचाया उन्होंने।हम सब को जात पात में बांट कर खुद दूसरे धर्म को अपना कर क्या साबित किए ये मुझे बताए।क्या बौद्ध में ऊंच नीच छुआछूत नहीं है या वो शुद्ध सनातन से ज्यादा पवित्र है,आखिर क्या साबित हुआ इससे।अगर उस समय ऐसे माहौल थे तो फिर एक ब्राह्मण परिवार में उनकी शादी कैसे हुई और उनको एक जमींदार ने विदेश अपने पैसे से पढ़ाई करने कैसे भेजा ये बताईए मुझे।देखिए ये सब राजनीति के लिए बाबा साहेब ने किया जिसके लिए इतिहास उनको कभी छमा नहीं करेगा।आज अगर हम सब को वो आपस में ना बांटते तो आज हम सिर्फ हिन्दू या सनातनी होते ना की शूद्र,वैश्य,क्षत्रिय और ब्राह्मण।सिर्फ एक बार अपनी राजनीति की भावना को छोड़ कर वो ये सोचते कि ऐसा संविधान बनाया जाए जिसमें कास्ट हो ही ना सारे हिन्दू एक ही सरनेम रखे और एक रहे।इसलिए गलतियों को ना गिनवाए मंडल जी गलतियां बाबा साहेब से भी बहुत हुई है,और गांधी जी से भी? धन्यवाद

    • वाह भाई आज जिसे तुमने अच्छा भला बोलने की हिम्मत दिखायी है ना, वो हिम्मत भी अम्बेडकर ने ही दिया है। तुम कहते हो अम्बेडकर ने जातिय बनाई तुम्हारी इस बात से एक ही बात साबित होती है की तुम किसी ऐसे वेक्ती से बात सुने हो जो अम्बेडकर को criticise करने के अलवा वो दुनिया मे और कुछ नही किया। तुम अम्बेडकर की कोन सी किताब पढे हो? और तुम्हे ऐसा क्यू लगा की अम्बेडकर ने लोगो को बाता और अपनी राजनिती चम्काई? क्या तुम जानते हो जिन्होने अपने बेटो खो दिया सिर्फ तुम्हारे जैसे समाज के लोगो को उठाने को आज तुम उसमे बुराई निकाल रहे हो। अगर तुम पढे होते तो सायद ये बात नही कहते। जैसे आज भी उंची जाते के लोग जिसने अच्छी सिक्षा ग्रहण किया है वो अम्बेडकर को बरा भला नही कहते। बल्कि उनकी किताबो से सिक्षा पाते है। पर तुम जैसे लोग ना तो पढते तो ना उनके बारे मे सुन्ते हो बस बहकावे मे चले जाते हो। हो ना हो तुम RSS के पिल्ले हो, मै ये दावे के साथ नही कह सकता पर तुम उसके विचार धारा से जुडे हो। रही बात की उन्होने एक ब्रहमण लड्की से सादी किया, ये सम्भव इस्लिये भी था क्युंकि उस वक़्त तक वो संविधान लिख चुके थे और देश मे लागू हो चुका था। सभी forward क्लास वाले लोग जाती की जाल मे नही फसे है बहोत सारे ऐसे भी सवर्ण है जो इन्सान को इन्सान की नजर से ड़खते है। और सायद ये तुम्हे पता होगा वो लड्की एक डॉक्टर थी। और डॉक्टर मे ये खस बात होती है की उसे लिंग, नस्ल और जाती के भेदो से उपर सोचना होता है समानता की भावना रखना होता है। वो जब किसी मरीज को ठीक कर्ते है तो वो ये नही ड़खते ये किस समाज से है। सायद इसलिये भी वो स्वर्ण लड्की अम्बेडकर से सादी की। जिसने औरतो की बात की उनको मुख्या धारा मे लाने की कोसिस किया आज उसी को लोग ये criticise करते है की इन्होने ही जातियो का विस घोला। सरम आनी चाहीए ऐसे लोगो को। जिन्की सोच कभी उपर नही ऊठ पाया। तुमने ये भी कहा की किसी सवर्ण ने उसे पढाया। तुम्हे बाता दू जब अम्बेडकर अपनी समाज की आजादी के लडाई लड़ रहे थे तो उनको साथ देने वाले सवर्ण समाज के भी बहोत लोग थे। और उसके समाज के ऐसे भी लोग उस वक़्त होंगे जो अम्बेडकर को छोड कर ब्राह्मणो और बनिया का साथ दे रहा होगा। जैसे आज तुम कर रहे हो। तुमने मुस्लिम के बारे मे कहा और बुद्ध के बारे मे भी कहा। तुम्हे बाता दू अम्बेडकर आज तक के ऐसे वेक्ती है जिसने सभी धर्मो को पढा है चाहे वो हीन्दू की ग्रंथ हो या मुस्लिम का कुरान और इसाई का बाईबल या बुद्ध की किताब। उसने सभी को critice kiya सिर्फ बुद्ध धर्म को छोड कर। तुमने कहा क्या बुद्ध मे भेदभाव नही है? मुझे ऐसे एग्ज़ाम्पल बता दो जिसमे तुम्हे बुद्ध मे भेदभाव मनुस्य या किसी भी प्राणी के लिये दिख्ते है। कुछ कहने से पहले थोडी ज्ञान रखना आवस्यक होता है। जो तुम्हारे पास नही है। पहले तुम अम्बेडकर को पढो फिर बहस करने आना।

  76. मैने टिपनिया पढी,पर भाइयों मैने जो सहा काश जातिवाद न होता तो ये सहना ना पड़ता,गाव मे अस्प्रुश व्यक्ति को पिने का पाणी भरने नहि देते हालाकि गाये, भैस बाकि जानवरो को पाणी पिलाते है पर अस्प्रुश को दुर से पाणी देते हैं क्या यह सहि है,राम राज्य यहि सिखाता है क्या? ये तो कुछ भी नही, ऎैसे बहुत उधाहण है.

  77. Are gavaro ram ek Kalpana hai ur Ambedkar ek sacchai Acha hoga agar des ki unnati ki bat ki jay ur roti ki talas ho Kalpana ki Nahi jise ram Chahiye vo ayodhya Jake ghanta bajaye hame Ye mat batao kya dharm kya adharm hai hamare liye ek hi dharm hai vo hai insaniyat Jo RSS ke bhakto ko rass Nahi Aati

  78. Baba sahab durdarsi the unhone jo kaha sab sahi hai. Hamare vichar se Ramayan ek sochi samjhi kahani hai. jisse samaj pariwar ko is kahani ke madhyam se Ek sutra mai bandhakar rakh sake.lekin kahani likhne wale ne kai jagah mistake kar diye.

  79. कोई शक नहीं की अम्बेडकर बिल्कुल सही है। राम को अपनी जनता को समझना चाहिए था और उन्हें स्त्री की इज्जत करना सिखाना चाहिए था, जोकि वह ना कर पाए और सीता को छोड़ दिया। वे वर्ण व्यवस्था को भी नहीं तोड़ पाए

  80. Please read and write correct history of Ram rajya. Ram rajya was much better than Ambedkar rajya. Even don’t compare bhagwan Ram with Ambedkar. Ram rajya gives equal opportunities to all as per skills; However, Ambedkar rajya makes Below cast always below and gives cast certificates which keep lower cast forever lower…

  81. इसमें रामायण के बारे में लिखे अम्बेडकर जी के विचारों का मैं सिरे से खंडन करता हु और आप सब को ये बताना चाहता हु की यदि श्री अम्बेडकर जी के ज्ञान और महानता पर हमें पूरा भरोसा है और मैं उनका आदर भी करता हु लेकिन मेरा मानना है कि यदि बे रामायण को सही से पड़ते और समझते तो शायद उनके विचार कुछ अलग होते उन्होंने इन सब को तथ्यों को साही डंग से विश्लेषण नही किया क्युकी उनके दिए गए तथ्यों में ना कोई वास्तविकता से संबंध है और न ही सच है उन्हीने इसे सर्फ एक advocate की नज़र से पड़ा इसलिए उनकी इतने विकृति सोच दिखाई दे राही है
    1, उन्हीने कहा राम का बाली को मारना गलत था मैं बताता हूं सही क्या है
    राम ने बाली को मारा क्युकी उसने अपने छोटे भाई की पत्नी का हरण कर लिया था जो कि बिल्कुल अधर्म हैं छोटे भाई की पत्नी बेटी समान होती है और उसने अपने छोटे भाई का राजपाठ हडप लिया था जो कि गलत था
    और सुग्रीव उस समय राजा इसलिए बना था क्युकी अंगद अयोग्य था इन्हें ये नही पता बाली को वरदान प्राप्त जिससे बो सालो साल युद्ध कर सकता था समझे
    इसलिए बाली को भागवान श्री राम ने बाली का वध किया था।।।जै श्री राम

  82. बाबा साहब ने खुद यह लिखा है कि जब भारत का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ है तो पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र है तो हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए १अंबेडकर आन इस्लाम २अंबेडकर आन पाकिस्तान।।।।हिंदू राष्ट्र जै श्री राम

  83. Agr Aaj reservation na hota to abhi tk SC. St… Untouchable rhete…. Wo abhi b whi hote…. Jaise ambedkr ne class ke bahr baith kr sikhsha prapt Ki…. Aur Aaj unhi ka bnya hua constitution hai… Jo v h resevation kbhi hota hi nhi bs hamre logo ne unhe kbhi wo jgh hi nhi di…jo hum sb ko dete h ….aaj. v SC. St ko barabr ka nhi smjha jata……..

  84. आपको धन्यवाद सर आपने बहुत ही बढिया लिखा है रामराज्य के बारे मे गांधी जी के विचार और बाबासाहेब जी के विचार .मै आर एस एस बि.जे.पी और मोदी जी से बिनती करता हु की रामराज्य आता है तो आए पर रामराज्य मेसे वर्ण व्यवस्था निकाल दिजिये .वर्ण व्यवस्था से हमारी प्रगति नही होगी हम फिर से शुद्र हो जाऐगे

  85. जिसकी कोई प्रमाण नहीं है उसके बारे में व्यर्थ की बहस क्यों? जगह जगह खुदाई हुई जिसमें कहीं भी राम राज्य का प्रमाण नहीं मिला। अगर होगा भी तो रामायण से प्राप्त जानकारी के अनुसार राम एक निर्दई किस्म का इन्सान रहा होगा अपनी शक्ति का उपयोग हर जगह किया करता होगा । दूसरे की लड़ाई खुद ले लिया करता होगा। आज अगर राम होता तो लोग उसे criminal कहते क्योंकि संभूक ऋषि उसकी कोई लड़ाई नहीं थी। बाली से भी उसकी कोई दुश्मनी नहीं थी । फिर भी दोनों को उसने मारा। राम अगर विष्णु का अवतार होता तो अपनी पत्नी पर अग्नि परीक्षा के बाद भी विश्वास क्यों नहीं किया ।गर्भवती आवस्था में घर से बाहर कर दिया । इससे बड़ा क्रूर और निर्दयता का प्रमाण क्या हो सकता है।

  86. Agar yeah sabhi baatein banawati nhi hai aur satya par adharit hai aur aise vichar aur lekhan swyam Ambedker ji k the toh hme yeah jaan k bahut aascharya ho rha hai ki kaise ek anbhigya aur agyani purush se hmare samvidhan ka nirman karaya gaya hm jab bhi samvidhan ko padhte the toh hme ek baat badi ajib lgti thi ki kaise uss samay samvidhan banane k naam pr dusre desh k samvidhan ko copy kr diya jata tha yeh chij yaha se li gayi wo chij waha se pr aaj hme baat samjh aa gayi jo wyakti kisi dharm k baare me thik thik jankari na rakhte hue itni occhi tipadi kr sakta hai toh bhala hm usse kya umeed rakh sakte hai samvidhan Bharat k liye tha pr uske sare parup dusre desh se liye gaye aur sayad issi wajah se Bharat k hi constitution me sabse jada badlao kiye gaye hai (agar print me likhi sari baatein Sach hai toh mujhe kehte hue yeh dukh ho rha hai ki aaj maine Ambedker ji k liye sari respect kho di thanks@the print)

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