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Saturday, 20 April, 2024
होममत-विमतसामान्य लोगों की तुलना में ऐसे क्या गुल खिला देंगे आईएएस अफसर?

सामान्य लोगों की तुलना में ऐसे क्या गुल खिला देंगे आईएएस अफसर?

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हम अब एक ऐसी प्रणाली में हैं जहाँ एक आलू विशेषज्ञ रक्षा की देखभाल कर रहा है, एक पशु चिकित्सक इंजीनियरों की देखभाल कर रहा है और एक इतिहास स्नातक स्वास्थ्य नीति पर निर्देश दे रहा है।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) अंततः संयुक्त सचिव के स्तर पर सरकार में ‘प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों’ के शामिल होने के लिए लेटरल प्रवेश हेतु एक विज्ञापन के साथ आया है।

हालांकि यह वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि, नौवहन, नागरिक उड्डयन के क्षेत्रों में केवल 10 पदों की प्रारंभिक पेशकश है और मेरा मानना है कि यह केंद्र सरकार की मानव संसाधन नीति में एक बड़ा सुधार है।

आम तौर पर,आईएएस के एक सदस्य को संयुक्त सचिव के रूप में सूचीबद्ध होने में कम से कम 16 वर्ष लगते हैं एवं अन्य केन्द्रीय तथा सम्बद्ध सेवाओं के अधिकारियों को और भी ज्यादा वर्ष लगते हैं। नयी लेटरल प्रवेश प्रणाली के तहत सेवारत अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के अधिकारियों के अलावा, निजी क्षेत्र की कंपनियों, कंसल्टेंसी संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय/बहुराष्ट्रीय संगठनों में तुलनीय स्तरों पर काम कर रहे व्यक्ति निम्नतम 15 वर्ष के अनुभव के साथ आवेदन के लिए पात्रता रखते हैं। अनुबंध की अवधि तीन साल है और पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है।

यह 2005 की बात है जब दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने ‘संस्थागत पारदर्शी प्रक्रिया’ के माध्यम से पेशेवरों के लेटरल प्रवेश का प्रस्ताव दिया था लेकिन वहां सेवाओं द्वारा इस प्रस्ताव के लिए भारी आतंरिक प्रतिरोध था, मुख्य रूप से आईएएस सेवाओं द्वारा।

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इन सब में प्रमुख आईएएस, जिसका इन अधिकांश पदों पर कब्जा रहता है, द्वारा उठाई गयी आपत्ति यह रही है कि इस तरह का कदम कम योग्यता वाले लेकिन राजनीतिक रूप से जुड़े व्यक्तियों के लिए पिछला दरवाजा खोलकर उच्चतम स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करेगा। एक और शोरगुल यह भी रहा है कि करियर सिविल सेवक,जिन्होंने बहुत ही प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से सिस्टम में प्रवेश किया है, हतोत्साहित होंगे क्योंकि इन संयुक्त सचिव (जेएस) स्तरों पर उनकी पदोन्नति संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

लेकिन फिर साथ ही पिछले कुछ वर्षों में एक सामान्य आधार की वितरण प्रणाली के साथ साथ एक तकनीकी युग, जिसमें हम रहते हैं, की चुनौतियों पर एक गंभीर बहस होती रही है। अक्सर यह कहा जाता है कि 1947 का एक पुराना उपकरण 2018 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता है। आईपीएस / आईएफओएस / आईआरएस जैसी अन्य सेवाएं अक्सर आईएएस की पूर्व-प्रतिष्ठा के खिलाफ असंतोष दिखाती हैं। विभिन्न सेवाओं के मध्य नागरिक सेवाओं का पूर्ण घमासान चल रहा है क्योंकि शीर्ष पर बहुत कम पदों को पाने के लिए बहुत सारे लोग जोर लगा रहे हैं।

इसलिए लेटरल प्रवेश प्रणाली चीजों की शास्त्रीय योजना में एक व्यवधान है। यह वर्जित आईएएस क्षेत्र में एक घुसपैठ है। आशंका यह है कि वास्तव में यह संस्थापित आईएएस अधिकारियों के लिए शीर्ष पर पहुँचने की दौड़ को और भी मुश्किल बना देगा। वहां निश्चित रूप से एक जोखिम है कि शायद उचित प्रक्रिया का पालन न हो और कम योग्य और राजनीतिक प्रभाव द्वारा नियुक्त व्यक्ति सरकार के वरिष्ठ पदों पर काबिज होंगे और सार्वजनिक हित को नुकसान पहुचाएंगे। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि यह सब ठीक किया जा सकता है।

लेकिन यह सुधार आईएएस के फाउंडेशन कोर्स में हाल ही में प्रस्तावित परिवर्तनों के विपरीत है क्योंकि प्रवेश स्तर पर यूपीएससी का आदेश उस मामले में कमजोर हो रहा था। सेवा में शामिल होने के लिए, तीन-स्तरीय कठोर सिविल सेवा परीक्षा द्वारा सभी को समान अवसर देने वाला मैदान दिया जाता है और लम्बे समय से चले आ रही इस प्रणाली में कोई भी बदलाव इसे राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए जवाबदेह बना देगा। अनुभव और अधिकार क्षेत्र की विशेषज्ञता का इस स्तर पर कोई तर्क नहीं है और इस प्रकार यूपीएससी पैटर्न इस चरण के लिए सर्वोत्तम है हालाँकि कोई भी चाहेगा कि सिविल सेवा परीक्षा में अर्थशास्त्र और लोक प्रशासन पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाए।

हालांकि संयुक्त सचिव (जेएस) स्तर पर, विभिन्न विभागों के लिए आवश्यक योग्यता का प्रकार बिल्कुल अलग है। इस स्तर पर, बढ़ोतरी डोमेन विशेषज्ञता और पेशेवर अनुभव पर निर्भर है। वरिष्ठ अधिकारियों को इस तरह लिखित परीक्षा जैसे मानकीकृत परीक्षण के अधीन नहीं किया जा सकता है और स्वतंत्र सदस्यों के साथ चयन समितियों का एक संस्थागत तंत्र बड़े पैमाने पर चयन पक्षपात को दूर कर सकता है – उपाध्यक्ष, पीएसयू और बैंकों के अध्यक्ष, शोध संस्थानों के निदेशकों की नियुक्ति के लिए ऐसा कुछ किया जा रहा है। हालांकि, चयन प्रक्रिया को यूपीएससी को सौंपना सबसे अच्छा होगा ताकि एक बार सभी के लिए उचित प्रक्रिया से संबंधित सवाल गलत साबित हो सकें।

सवाल यह है कि एक आईएएस अधिकारी ऐसा कौन सा कौशल दिखाता है जो एक पेशेवर पार्श्व प्रवेशकर्ता नहीं कर सकता ? मेरा ही उदाहरण ले लीजिये। मैं मेडिकल साइंसेज विषय के साथ स्नातक हूं और लोक प्रशासन और उर्दू साहित्य के साथ सिविल सेवा परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त कर चुका हूँ, एलबीएसएनएए के माध्यम से प्रशिक्षण मिला और एक जिला कलेक्टर के रूप में कृषि, ग्रामीण विकास, राजस्व प्रशासन की निगरानी करने लगा, साथ ही अपनी सेवा के पिछले आठ वर्षों में मैंने राज्य की स्कूल शिक्षा और ऊर्जा क्षेत्र का नेतृत्व किया। यह स्पष्ट है कि इनमें से किसी एक में भी औपचारिक शैक्षिक पृष्ठभूमि के बिना केवल एक आईएएस अधिकारी ही इतने सारे विषयों में पारंगत होने की हिम्मत कर सकता है। जब हम हमारे समृद्ध समकक्षों से बातचीत करते हैं, तो उन्हें यह विश्वास करना मुश्किल लगता है कि एक व्यक्ति इतने सारे विषयों में विशेषज्ञ हो सकता है। लेकिन यहां हमारे मामले में, हम मानते हैं कि यह सबसे अच्छी प्रणाली है।

यूपीएससी परीक्षा की संरचना ऐसी है कि लोग विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ आईएएस में प्रवेश करते हैं, और एक ऐसी प्रणाली में पहुँचते हैं जहां एक आलू विशेषज्ञ रक्षा की देखभाल कर रहा है, एक पशु चिकित्सक इंजीनियरों की देखरेख कर रहा है, एक इतिहास स्नातक स्वास्थ्य नीति को निर्देश दे रहा है और इसी तरहअन्य भी हैं। स्थानान्तरण और नियुक्ति की योजना ऐसी है कि एक अधिकारी की विशेषज्ञता और उस पद के बीच कोई मिलान नहीं है जिसकी उसे उम्मीद होती है। 68 प्रतिशत से अधिक आईएएस अधिकारी 18 महीने से कम अवधि का कार्यकाल निभा पाते हैं, इस वजह से कार्यात्मक विशेषज्ञता का सवाल भी उत्पन्न नहीं होता है। अधिकारी द्वारा एक नए विभाग को समझने से पहले, उसे स्थानांतरित कर दिया जाता है।

जब तक एक आईएएस अधिकारी महत्वपूर्ण नीति स्तर की स्थिति तक पहुंचता है, वह कई विभागों से गुजर चुका होता है लेकिन किसी भी विभाग में स्थिर नहीं हो पाता है। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अधिकतर क्या करता है? वह एक अधिकारविहीन तकनीकि विशेषज्ञ और अर्द्धसाक्षर राजनेता के बीच एक दुभाषिया के रूप में कार्य करता है। वह आमतौर पर मूल विषयवस्तु के ज्ञान के बिना अपने अनुभव से बाहर बात करता है, वह मुख्य रूप से अपना अनुभव जिला कलेक्टर के रूप में प्राप्त करता है, नियम पुस्तिका को देखता है, और विभागीय प्रस्तावों को तैयार करता है ताकि उन्हें समान रूप से अनजान राजनीतिक मालिक के लिए आकर्षक बनाया जा सके। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सम्माननीय अपवाद भी हैं जहाँ कुछ प्रमुख भाग्यशाली आईएएस अधिकारी, अपने विशेषज्ञता वाले विभागों में नियुक्त होते हैं लेकिन ऐसा प्रायः होता नहीं है।

बात इस सन्दर्भ में हो रही है कि अपने ज्ञान क्षेत्र में विशेषज्ञ इस प्रणाली को, जो कि मध्यस्थता से ग्रसित है, नुकसान से बचाने के लिये बचाव करने वाले पायलटों के रूप में आ सकते हैं। यह अन्य सभी सेवाओं को विशिष्ट बनाने के लिये बाध्य करेगा। इससे विभागों की अदला-बदली बंद हो जाएगी और अधिकारी उन एक-दो क्षेत्रो में अपनी विशेषज्ञता का निर्माण करना पसंद करेंगे जो कि उनके लिए सबसे उपयुक्त होंगे। जिसके चलते उनमें प्रतियोगिता की भावना उभर कर बाहर आएगी।सिविल सेवा परीक्षा की अर्हता प्राप्त करने के बाद होने वाली प्रसन्नता और फिर स्वचालित रूप से शीर्ष तक पहुँचने का रास्ता खत्म हो जाएगा।लोग अध्ययन की नीतिको अधिक गंभीरता से लेंगे जिसके चलते सेवाकालीन प्रशिक्षण के मानक में सुधार होगा।

यहाँ कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं जिन्होंने अपनी युवावस्था में आईएएस की अर्हता नहीं प्राप्त की लेकिन आखिरकार उन्हें सरकारी सेवा का अवसर मिल जायेगा और यहाँ तक कि वे आईएएस अधिकारियों के भी बॉस बन सकते है जो इस बदलाव के कम महत्वपूर्ण लेकिन अतिरिक्त लाभ में एक हो सकता है।लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रशासन प्रणाली पर नौकरशाही के एकाधिकार को तोड़ देगा और नए विचारआएंगे। हो सकता है वहाँ पर करियर अधिकारियों और लेटरलकर्मचारियोंके बीच सकारात्मक तनाव हो जो आखिरकार नए वितरण मार्ग बना सकता है।

सरकार को इस सुधार के साथ आगे बढ़ना चाहिए और चयन की संस्थागत और पारदर्शी विधि का पालन करके दुनिया भर से सर्वोत्तम व्यक्तियों को लाना चाहिए। इसके अलावा, लेटरल निर्गम प्रणाली को इसमें जोड़ा जाना चाहिए ताकि करियर सिविल सेवकों का भी थोड़े समय के लिए बाहर स्थानांतरण हो जिससे वे कुछ अलग करेंऔर फिर समृद्ध विशेषज्ञता के साथ उच्च पद पर वापस आएं।मेरे एक सहयोगी कहते हैं कि, यह प्रणालीचेजों को खुलने का मौक़ा देगा और एस्को बढ़ावा देगा।

लेखक हार्वर्ड केनेडी स्कूल में एडवर्ड एस मेसन फेलो है और साथ ही जम्मू-कश्मीर के एक आईएएस अधिकारी हैं।

Read in English: What does an IAS officer bring to the table that regular mortals can’t?

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