नई दिल्ली : चीन को जब भी कोई संदेश भारत को देना होता है तब वह भारत में कुछ न कुछ करता है. लेकिन यह भी बात सही है कि जब भी भारत चीन के बीच टेंशन होती है तो शुरुआत भी चीन ही करता है. जैसा की इन दिनों लद्दाख और सिक्किम में चीन गतिविधियां कर संदेश दे रहा है. कोरोनावायरस को लेकर दुनिया भर में जो उसकी किरकिरी हुई है उससे यह ध्यान भटकाने की भी कोशिश हो सकती है.
जिस तरह से दुनिया ने कोरोनावायरस की वजह से चीन को दर किनार किया है और डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 के लिए पूरी तरह से चीन को दोषी ठहराया है और खुलेआम खिलाफत की है उसके बाद चीन की हालत दुनिया में खराब हुई है. छोटे देश भी इसपर चीन के खिलाफ हैं लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रहे हैं जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं जो कहीं न कहीं चीन के कर्ज में डूबे हुए हैं.
पिछले दिनों भारत चीन और नेपाल के बीच बिगड़ते रिश्तों पर #CutTheClutter में नजर डाल रहे हैं दिप्रिंट के एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता.
भारत और चीन के संबंध ठीक नहीं हैं. चीन की नाराजगी रहती है, बिना मतलब के चीन कुछ नहीं करता है, 1967 के बाद से भारत चीन के बीच फायरिंग नहीं हुई है कई बार भारत और चीन के सैनिको में तू-तू मैं-मैं होती रहती है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब भारत आये थे तो चीन की सेना ने लद्दाख पर हलचल की थी.
जनता सरकार के दौरान जब वाजपेयी विदेश मंत्री बनकर चीन गए थे, तो नए संबंध स्थापित हुए थे लेकिन उस दौरान भी चीन ने परमाणु टेस्ट (न्यूक्लियर) किया था अभी भी चीन परेशान कर रहा है.
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मानसरोवर की सड़क बन जाने से लिपुलेख दर्रा पर हलचल बढ़ी हुई है. प्रचंड भारत के साथ थे और केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ हैं. लेकिन दोनों ही माओवादी हैं. ओली चीन के साथ है. इस वक़्त नेपाल में एंटी इंडिया सेंटीमेंट है. नेपाल और चीन मिलकर भारत को परेशान कर रहे हैं. इसके पीछे भी चीन का हाथ है. चीन इस वक़्त बौखलाया हुआ है. उसकी किरकिरी पूरी दुनिया में हुई है चीन के खिलाफ कोई बोलता नहीं है.
पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और अफ्रीका के कई बड़े देशों में चीन का व्यापार है. सबको पता है वायरस चीन के वुहान से आया है भारत को उद्योग लगाने के लिए बहुत कुछ करना होगा. चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत से पांच गुना है. चीन में राष्ट्रवाद बहुत है वहां 98 प्रतिशत लोग एक जैसे हैं चीन अपने आस-पास के देश को सन्देश दे रहा है. साउथ चीन सी पर भी शोर मचा रहा है. भारत को गंभीरता से लेना चाहिए. यह लोकल मुद्दा नहीं है. डिप्लोमैटिक लेवल पर बातचीत करनी चाहिए.
मोदी सरकार के आने के बाद नेपाल के संबंध अच्छे थे, भारत को ताइवान के व्यापार करना चाहिए और चीन से उलझना नहीं चाहिए. नेपाल के साथ बात बिगड़ गयी है. माओवादियों का सोचने का तरीका अलग होता है.
ओली ने इसे इंडिया वायरस कहा है इसके पीछे चीन का हाथ है. नागा, मिज़ो, इम्फाल वैली से सभी लोगों को चीन का समर्थन प्राप्त था, बेल्ट रोड इनिशिएटिव पर चीन को परेशानी होगी और स्थायी रूप से किसी भी देश का कोई भी देश न तो दुश्मन होता है न ही दोस्त.
जसवंत सिंह ने भारत और अमेरिका के संबंध सुधरे थे, भारत के दो विदेश मंत्री जिन्होंने विदेश नीति बनाने में अहम भूमिका निभाई वो जसवंत सिंह और नटवर सिंह थे. भारत में एंटी अमरीका सोच थी. भारत वैश्विक देश है और आत्मविश्वास है. भारत को ईगो में नहीं आना चाहिए और डैमेज कण्ट्रोल करना चाहिए. भारत के संबंध म्यांमार, बांग्लादेश से ठीक हैं.