मैं आमतौर पर सुपरफूड शब्द की अनदेखी कर देती हूं क्योंकि लोग सभी तरह के स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए सिर्फ एक फूड या ड्रिंक पर भरोसा करते हैं. किसी को लंबे समय का लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है जब वह नियमित तौर पर अपने खाने में कई तरह के स्वास्थ्यवर्धक भोजन को शामिल करता हो. मैंने देखा है कि कई लोग पौष्टिक आहार का सेवन लंबे समय तक नहीं कर पाते या व्यस्तता के कारण रोज नहीं तैयार कर पाते. जब ऐसी स्थिति हो, तो खाने के शौकीन लोगों को चाहिए कि वे सुपरफूड माने जाने वाले आइटम को अपने खाने में शामिल करें. भरपूर पौष्टिकता होने की वजह से ऐसे आइटम को सुपरफूड कहा जाता है. इन्हें अपने खाने में शामिल करने से आपके भोजन की पौष्टिकता बढ़ जात है और आपका खाने में पोषण की मात्रा पर्याप्त हो जाती है.
भारत में पौष्टिक सुपरफूड भरपूर हैं. आश्चर्य की बात है कि रोजना इसका उपयोग कम ही लोग करते हैं. अगर आप बिना पसीना बहाए अपने रूटीन में गुणवत्ता वाले पौष्टिक आहार शामिल करना चाहते हैं, तो यहां कुछ ऐसे सुपरफूड की चर्चा की जा रही है जो आपके स्वास्थ्य के लिए सही साबित हो सकते हैं.
आंवला, मोटा अनाज और बहुत कुछ
आंवला एक ऐसा ताकतवर फल है जिसमें कई तरह के जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट, एंटीआक्सीडेंट और तमाम प्रकार के लाभ होते हैं. पर्याप्त रूप से उपलब्ध होने के बावजूद, इस सुपरफ्रूट की अनदेखी होती है और पर्याप्त इस्तेमाल नहीं होता. आश्चर्य की बात है कि एक आंवले में 600-700 एमजी विटामिन सी होता है, जो एंटीआक्सीडेंट का सबसे अच्छा स्रोत होता है. जानवरों, मनुष्यों के ऊपर किए गए अलग-अलग अध्ययनों और प्रयोगों से पता चला है कि आंवले बहुत प्रभावशाली होता है. इससे बालों का स्वस्थ विकास, फेफड़े की मजबूती, लीवर की मजबूती और पाचनतंत्र को ठीक रखने में मदद मिलती है. यह बहुतायत रूप में उपलब्ध होता है और सस्ता भी है. इसका इस्तेमाल हम अचार, मुरब्बे और कच्चे रूप में कर सकते हैं. आंवला उपलब्ध नहीं होने पर विटामिन सी और एंटी7आक्सीडेंट के लिए दूसरे खट्टे फलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
रक्त में शर्करा, रक्तचाप और वजन के नियंत्रण की समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ी है. पूरी दुनिया सामान्य रिफाइंड शक्कर की जगह कंप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट के इस्तेमाल पर जोर दे रही है, ताकि गैर-संक्रमित बिमारियों (एनएसडी, नान कम्यूनिकेबल डिजीस) जैसे टाइप टू डाइविटिज, हाइपरटेंशन, मोटापा पर नियंत्रण लगाया जाए. इनमें मोटा अनाज एक बेहतर विकल्प है. भारत में मोटे अनाज के रूप में रागी, बाजरा, नाचनी, कोदो और कुछ अन्य अनाज पैदा किए जाते हैं. पोषक तत्वों जैसे कि विटामिन बी, मिनरल्स, फाइबर, प्रोटीन और एंटीआक्सीडेंट होने के कारण इन्हें सुपरग्रेन्स माना जाता है. ये सस्ते और कई तरह के होते हैं जिन्हें कठिन मौसम में भी उगाया जा सकता है. हालांकि, इन प्राचीन अनाजों को भारतीय अपने दैनिक भोजन में अक्सर इस्तेमाल नहीं करते. आज हम पॉलिश किए हुए सफेद चावल और रिफाइंड सफेद आटे पर निर्भर हैं.
मोटे अनाज का इस्तेमाल हम खिचड़ी, बिरयानी, चपाती या उपमा बनाकर कर सकते हैं. इन्हें किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं.
बीजों को पौष्टिकता का पावरहाउस माना जाता है. लेकिन, 100 में सिर्फ चार लोग ही प्रतिदिन चार चम्मच स्वस्थ बीजों का इस्तेमाल करते हैं. मैंने देखा है कि ज्यादातर लोगों को सनफ्लावर, पंपकिन, फ्लेक्स, चिया, सिसेम आदि बीजों के लाभ के बारे में कुछ नहीं मालूम है. एंटीआक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण बीजों से शरीर को होने वाले आक्सीडेटिव तनाव से मुक्ति मिलती है. बीजों में विटामिन ई, जिंक, ओमेगा 3, सिलेनियम, और प्रोटीन होते हैं, जो दिमाग, त्वचा और बालों के लिए सुपरफूड का काम करते हैं.
बीजों के बारे में मुझे सबसे अच्छी बात क्या लगती है? इन्हें पकाने या तैयार करने की जरूरत नहीं होती. आप इसे भूनकर या भिगोकर खा सकते हैं. संतुलित आहार के तौर पर आप सिर्फ एक चम्मच बीज या कई तरह के बीज मिलाकर खा सकते हैं, जिससे आपको भरपूर स्वास्थ्य लाभ मिलेगा.
यह भी पढ़े: NCISM ने कहा- भारतीय चिकित्सा प्रणाली के चिकित्सकों को ‘नीम हकीम’ मत कहिए, उनके भी अधिकार हैं
हरी सब्जियां और दलिया
पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोक्ली, काले, अंकुरित ब्रूसेल्स आदि को संपूर्ण संतुलित आहार के रूप में खूब इस्तेमाल किया जाता है. इन सब्जियों को स्वादिष्ट और सुपरफूड मानते हैं क्योंकि इनमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर और फोलेट के रूप में काफी पौष्टिकता होती है. अमेरिका के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार इन सब्जियों में कैंसर विरोधी गुण होते हैं, जो कोशिकाओं को मरने से रोकते हैं और कारसिनोजेनिक कोशिका का नाश करते हैं.
जानवरों और प्रयोगशाला के अध्ययनों से मिले हैं, जिसमें मनुष्य के ऊपर ट्रायल के कम या न के बराबर उदाहरण हैं. देखा जाए तो एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 2.5 कप सब्जियों की जरूरत होती है. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम एक कप हरी सब्जियां और दो कप पत्ते वाली सब्जियों का सेवन रोज करने की कोशिश करें.
कुछ स्वास्थ्य कारणों से हरी सब्जियों के उपयोग की मनाही है. इसलिए अच्छा होगा कि पहले आप किसी न्यूट्रिनिस्ट से बात करें फिर अधिकतम स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए इन सब्जियों का प्रयोग करें.
गेंहू के टुकड़े या दलिया में काफी मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं. इसमें विटामिन बी, मैंगनींज, आयरन, प्रोटीन, और फोलेट पाया जाता है. दलिया भारत में प्रचुरता से उपलब्ध है लेकिन बहुत इस्तेमाल नहीं किया जाता. दलिया में फाइबर की प्रचुरता होती है, जिससे अनेक तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे वजन कम करना, रक्त में शर्करा पर नियंत्रण, ह्रदय को स्वस्थ्य रखना और आंतों को मजबूत बनाने का काम दलिया करती है. आप जब भी उपमा बनाए उसमें दलिया का प्रयोग करें न कि सिमोलिना का, ताकि आपको अच्छा फाइबर और दूसरे पौष्टिक तत्व मिल सकें.
दलिया में ग्लुटेन होता है इसलिए अगर आपका पेट सही नहीं है या पाचन संबंधी बिमारियां हैं तब इसके प्रयोग से बचना चाहिए.
‘सुपरफूड’ को लेकर अंतिम निष्कर्ष
‘सुपरफूड’ के लेबल वाले पैकेज्ड फूड (डिब्बाबंद खाद्य) को लेकर समझदारी दिखाने की ज़रूरत है. यह सच है कि सुपरफूड को पैक करते समय पोषकता का ध्यान रखा जाता है, लेकिन आप इनका पूरा फायदा तभी उठा सकते हैं जब आप इन्हें साबूत खाते हैं. ‘सुपरफूड’ पोषकता से जुड़े उद्योग का नया ट्रेंड है. स्वास्थ्य को लेकर जागरूक लोगों को सुपरफूड टैग के साथ प्रोसेस किया गया पैकेज्ड फूड बेचा जाता है. हालांकि, सुपरफूड लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दिए जाते हैं.
इसलिए, हमेशा हर तरह का व्यंजन अपने खाने में शामिल करें. साबूत (अनाज, बीज वगैरह) वाला संतुलित आहार लें. एक ही तरह के खाने से बचें और पूरा पोषण पाएं. हम सभी को एक संतुलित और पौष्टिक (जिसमें हर तरह के खाद्य पदार्थ मसलन फल सब्जियां और डेयरी प्रोडक्ट शामिल हो) की जरूरत होती है. अगर आपके पास संतुलित आहार लेने के लिए योजना बनाने की फुर्सत नहीं है, तो पौष्टिकता से भरपूर चीजों को अपने खाने में शामिल करें. जिनका जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं.
(डॉ. सुभाश्री राय डॉक्टोरल स्कॉलर (केटोजेनिक डाइट), सर्टिफाइड डायबटिज एडुकेटर, और क्लीनिकल तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पौष्टिकता विशेषज्ञ हैं. डनका ट्विटर @DrSubhasree . व्यक्त विचार निजी हैं)
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़े: क्या आप उसी पर टूट पड़ेंगे जिस पर ‘डाइट’ लिखा हो? डाइट सोडा पर दोबारा सोचिए