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Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमत‘क्या हुआ तेरा वादा', भाजपा और योगी सरकार से पूछ रहे हैं अयोध्या के आशंकित व्यापारी

‘क्या हुआ तेरा वादा’, भाजपा और योगी सरकार से पूछ रहे हैं अयोध्या के आशंकित व्यापारी

एक प्रेस कांफ्रेंस में तो यहां तक कह दिया कि अयोध्यावासियों को खून के आंसू रुलाने पर आमादा योगी सरकार इतना भी नहीं समझती कि भगवान राम की प्रजा को बेघरबार कर उसके हाथों में कटोरा देकर रामकाज करने का उसका दावा कितना अमानवीय है.

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अयोध्या में गुप्तारघाट से नयाघाट तक सरयू रिवर फ्रंट का निर्माण किया जायेगा, जिस पर कई सेल्फी प्वाइंट व पिकनिक स्पाॅट विकसित किये जायेंगे और मोटर बोट भी चलाई जायेंगी. इतना ही नहीं, इस धर्मनगरी को बिजली कटौती से पूरी तरह मुक्त करके उसके हर घर को नल से जोड़ा जायेगा, एक चैराहे को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का नाम दिया जायेगा और ग्रीन स्पेस बढ़ाया जायेगा.

ये घोषणाएं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गत छः मई को मंत्रियों के समूह के साथ की गई अयोध्या यात्रा के दौरान की गईं. तब जब वे महत्वाकांक्षी अयोध्या विजन डाक्यूमेंट-2047 के तहत अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्रों में चल रही कोई उन्नीस हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा की योजनाओं व परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे. अयोध्या की प्राचीन विरासत, वैभव, ईकोसिस्टम और पर्यावरण वगैरह के संरक्षण व संवर्धन को लेकर की गई घोषणाएं इनके अतिरिक्त हैं. इस दौरान योगी ने वहां स्कूलों व स्वास्थ्य केन्द्रो का निरीक्षण तो किया ही, प्रधानमंत्री आवास योजना की बसंती नाम की दलित लाभार्थी के घर में जमीन पर बैठकर भोजन करके उसके समुदाय को खास संदेश भी दिया. लम्बे अरसे से एक होटल में पड़ी और धूल खा रही महाराणा प्रताप की प्रतिमा के स्थापना व अनावरण समारोह में शामिल होकर अपनी क्षत्रिय समर्थक छवि को और मजबूत करना भी वे नहीं ही भूले. मठों-मन्दिरों में दर्शन व पूजा अर्चना के कार्यक्रम तो खैर उनकी अयोध्या यात्राओं के रूटीन में ही शामिल रहते हैं.

लेकिन अयोध्या की सड़कों को चैड़ी-चकली करने से जुड़ी उनकी घोषणा, जो उन्होंने अधिकारियों को चैड़ीकरण के काम को ठीक से आगे न बढ़ाने को लेकर लताड़ते हुए की, इन सारी घोषणाओं पर इस कदर भारी पड़ी कि उनके लखनऊ लौअ जाने के बाद से अयोध्या, खासकर उसके व्यापारियों, की चेतना पर उसी का कब्जा है, जिसके चक्कर में उन्हें नेकी कम और बदी ज्यादा हाथ आ रही है.

सपनों की अयोध्या

दरअसल, योगी के सपनों की अयोध्या में अयोध्या विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान-2031 के तहत सहादतगंज से नया घाट तक ‘राम पथ’, सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि मन्दिर तक ‘राम जन्मभूमि पथ’ और श्रृ्रंगारहाट से रामजन्मभूमि मन्दिर तक ‘भक्ति पथ’ को ‘भव्यतम स्वरूप’ देना प्रस्तावित है. अपनी समीक्षा बैठक के उन्होंने दौरान पाया कि अधिकारियों ने इसके लिए जो प्रारूप बनाया है, उसमें समुचित ड्रेनेज सिस्टम, यूटिलिटी सर्विसेज और फुटपाथ वगैरह की माकूल व्यवस्था नहीं है तो वे भड़क उठे और अधिकारियों को चेतावनी दे डाली कि बेमन से और खानापूरी के तौर पर किया गया काम वे कतई बर्दाश्त नहीं करने वाले. फिर उन्होंने अधिकारियों से इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और उक्त तीनों पथों की योजना पर अयोध्या की ग्लोबल व माॅडल सिटी की परिकल्पना के अनुसार अमल करने को कहा. यह गुंजायश कतई न रहने देने को भी कि ये पथ कहीं चैड़े तो कहीं संकरे हों.

जैसे ही मुख्यमंत्री के अधिकारियों पर बुरी तरह भड़कने की खबर बाहर आई, अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा इन पथों के चैड़ीकरण की योजना बनाये जाने के बाद से ही अपने घरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों पर बुलडोजर चलने की आशंका से परेशान वे व्यापारी और त्रस्त हो उठे, जिन्हें उसके बाद से ही लगातार शिकायत है कि भाजपा के पारम्परिक वोटर होने के बावजूद योगी सरकार उनके प्रति कतई रहमदिली नहीं बरत रही और संवेदनहीन बनी हुई है. इतना ही नहीं, इन व्यापारियों को लगने लगा कि योगी अपनी इस यात्रा के दौरान सड़क चैड़ीकरण के पुराने जिन्न को एक बार फिर बोतल से बाहर निकाल गये हैं.


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यों, ये व्यापारी उक्त पथों के निर्माण के आडे़ नहीं आ रहे. उनकी इतनी भर माग है कि चूंकि उनकी दुकानों व प्रतिष्ठानों से उनकी रोजी-रोटी जुड़ी हुई है, उन्हें उनके समुचित पुनर्वास के बाद ही ढहाया जाये, अन्यथा वे सब कुछ खोकर सड़क पर आ जायेंगे. गत विधानसभा चुनाव से पहले वे अपनी इस मांग की अनसुनी को लेकर आन्दोलन पर भी उतरे थे. फिर भी अभी तक स्थिति जस की तस है. न उनके पुनर्वास की योजना को गति पकड़ाई जा रही है और न मुआवजे की विसंगतियां ही दूर की जा रही हैं. पीडित्रतइ व्यापारियों की समस्या की एक विडम्बना यह भी है कि उनमें से अनेक अपनी दुकानों के स्वामी नहीं बल्कि किरायेदार हैं. वे डरे हुए हैं कि दुकानें तोड़ दी जायेंगी तो रोजी-रोटी तो उनकी जायेगी, खाली हाथ भी वे ही रह जायेंगे, जबकि मुआवजा दुकानों के स्वामियों को मिलेगा. उनकी इस समस्या पर अब तक किसी भी स्तर पर ठीक से विचार नहीं हुआ है.

व्यापारियों की नाराजगी और भाजपा का दबाव

यह तब है जब गत विधानसभा चुनाव से पहले इन व्यापारियों की नाराजगी ने जोर पकड़ा और भाजपा दबाव में आई तो उसके विधायक प्रत्याशी वेद प्रकाश गुप्ता ने न सिर्फ खुद उनकी मान-मनौवल की बल्कि अपने विश्वस्त व्यापारी नेता सुशील जायसवाल को भी उनका असंतोश दूर करने के काम में लगाया था. दोनों ने मिलकर व्यापारियों को पक्के तौर पर आश्वस्त किया था कि उक्त पथों को जब भी चैड़ा किया जायेगा, उनके हितों की हानि नहीं होने दी जायेगी. तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी अयोध्या आकर उन्हें आश्वस्त किया था कि उनको ध्वस्त किये जाने वाले घरों के बदले घर और दुकानों के बदले दुकानें दी जायेंगी. अयोध्या विकास प्राधिकरण ने भसी अपने मास्टरप्लान-2031 को लेकर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किये थे और कहा था उनके निस्तारण में व्यापारियों की आशंकाओं का भरपूर ध्यान रखा जायेगा.
लेकिन चुनाव जीतने के बाद अभी नई योगी सरकार का छः महीने का ‘हनीमून पीरिएड’ भी नहीं बीता है और भाजपा समेत इन सबको व्यापारियों से किये गये वादे भूल गये हैं तो वायदाखिलाफी के बीच व्यापारियों के पास उनसे ‘क्या हुआ तेरा वादा’ पूछने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है. उनकी समझ है कि योगी के अयोध्या आकर अधिकारियों से सड़क चैड़ीकरण के काम को तेजी से आगे बढ़ाने को कहने का एकमात्र अर्थ यही है कि अब उनके घरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों पर कभी भी बुलडोजर चल सकते हैं. कई जगहों पर अधिकारियों ने ध्वस्त किये जाने वाले निर्माणों निशानदेही भी कर ली है, जिससे व्यापारियों का बुलडोजर चलने का डर और बढ़ गया है. वे इसे ध्वस्तीकरण की तैयारी के रूप में ही देख रहे हैं.

जैसा कि बहुत स्वाभाविक है, विपक्षी समाजवादी पार्टी व्यापारियों के इस डर को भुनाने और उन्हें भाजपा से दूर करने के लिए आगे आ गई है. गत विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाले उसके तेजतर्रार प्रत्याशी तेजनारायण पांडेय पवन, जो अखिलेश की सरकार में राज्य मंत्री रहे हैं और जिन्होंने पिछले दिनों श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जमीनों की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा किया था, व्यापारियों के पक्ष में भावुक अपीलें करते हुए योगी सरकार पर निशाना साध, सवाल पूछ और उसके वादे याद दिला रहे है.

एक प्रेस कांफ्रेंस में तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि अयोध्यावासियों को खून के आंसू रुलाने पर आमादा योगी सरकार इतना भी नहीं समझती कि भगवान राम की प्रजा को बेघरबार कर उसके हाथों में कटोरा देकर रामकाज करने का उसका दावा कितना अमानवीय है. उन्होंने यह भी आरोप भी लगाया कि सड़कों को चैड़ी चकली करने के नाम पर व्यापारियों के घर, दुकान व प्रतिष्ठान तोडकर वह अयोध्या का स्वरूप इस तरह बदल देना चाहती है कि वह भगवान राम वाली अयोध्या रह ही न जाये. उसे बताना चाहिए कि जो व्यापारी यहां तीन-तीन चार-चार पीढ़ियों से रह और कामधंधों की मार्फत जीविका कमा रहे हैं, वे सड़क पर आ जायेंगे तो कहां जाएंगे?

तेजनारायण पांडेय ‘पवन’ के ये कथन और तोहमतें हालात का राजनीतिक लाभ उठाने की भावना से प्रेरित भी हो सकती हैं, लेकिन अयोध्या में विकास योजनाओं के नाम पर अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण से बेघर-बेदर होने वालों के पुनर्वास के प्रति योगी सरकार की बेरुखी से विस्थापितों में जो असंतोष पनप रहा है, ‘भरपूर मुआवजे’ के दावों के बावजूद आगे चलकर उसके बड़े सिरदर्द में बदल जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

(कृष्ण प्रताप सिंह फैज़ाबाद स्थित जनमोर्चा अखबार के स्थानीय संपादक और वरिष्ठ पत्रकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


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