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Friday, 29 March, 2024
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अमेरिका में रह रहे NRIs ने योगी आदित्यनाथ के बारे में मुझसे पूछे ये पांच सवाल

पूरे अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज और उनकी चुनावी संभावनाओं के बारे में कई कठिन सवाल पूछे.

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अपनी किताब ‘द मॉन्क हू ट्रांसफॉर्म्ड उत्तर प्रदेश’ के सिलसिले में मैंने अमेरिका की 8000 किलोमीटर की तीन सप्ताह की यात्रा की और 13 से ज्यादा शहरों में इस पर हुई कई चर्चाओं में भाग मे लिया. इस दौरान मैं हजारों सामुदायिक नेताओं, धार्मिक नेताओं, डॉकतारों, उद्यमियों, राजनीतिक नेताओं, प्रोफेसरों, और भारतीय समुदाय के छात्रों से भी मिला. प्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में प्रायः निम्नलिखित पांच सवाल पूछे.

1. बोस्टन के हारवर्ड के छात्रों ने पूछा— भारत में शासन व्यवस्था को एक ‘योगी’ से किस तरह का अतिरिक्त ‘बढ़ावा’ मिल रहा है?

अमेरिका में रह रहे एनआरआइ ने इसी सवाल को कई तरह से पूछा. कुछ ने यह पूछा कि शासन व्यवस्था को एक योगी से किस तरह का अतिरिक्त बढ़ावा मिल रहा है, तो कुछ का सवाल यह था कि एक योगी को तो सांसारिक लाभों का तो त्याग करना चाहिए, फिर वे राजनीतिक का फल क्यों चख रहे हैं? बोस्टन के हारवर्ड के छात्रों ने इस सवाल पर लंबी चर्चा की.

बोस्टन सेंटर ऑफ एक्सेलेंश के प्रोफ. बलराम सिंह और हारवर्ड केनेडी स्कूल के इंडिया कॉकस की सह-अध्यक्ष तथा पब्लिक पॉलिसी कंडीडेट की मास्टर सुरभि होडिगेरे ने इसी तरह का सवाल किया कि धर्म से जुड़े व्यक्तियों का एक लोकतंत्र में क्या भविष्य और उसकी क्या भूमिका हो सकती है. एक योगी होना किसी लोकतंत्र के लिए बोझ बनना है या थाती बनना है? इस सवाल के जवाब में मैंने कहा कि नीति निर्माण में हालांकि काफी विद्वता और सूचनाओं का उपयोग किया जाता है और नीतियों को लागू करने में काफी निगरानी, राजनीतिक प्रचार आदि का प्रयोग किया जाता है लेकिन दुनियाभर के लोकतान्त्रिक देश ईमानदार और भ्रष्टाचार से अछूते रहने वाले राजनीतिक नेताओं को पैदा करने के लिए काफी मशक्कत करते रहे हैं. मैंने कहा कि चूंकि ऐसे नेता तैयार करने की कोई स्थापित प्रक्रिया या ‘फैकटरी’ नहीं है इसलिए एक संत या योगी होना बड़े मानवीय लक्ष्य के लिए त्याग और बलिदान करने की सीख देता है. यह किसी लोकतंत्र में अच्छे, समर्पित तथा निःस्वार्थी नेता पैदा करने का उपाय साबित हो सकता है.

2. कैलीफोर्निया के स्टैनफोर्ड के शोधार्थियों ने सवाल किया कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कोविड महामारी का किस तरह सामना किया?

स्टैनफोर्ड में मेडिसिन विभाग के एडजंक्ट प्रोफेसर डॉ. अनुराग मैराल ने मुझसे पूछा कि कोविड-19 के खिलाफ योगी आदित्यनाथ की मुहिम को देश-विदेश में इतनी प्रशंसा क्यों मिली कि ऑस्ट्रेलिया के सांसद क्रेग केल्ली अपने देश में कोविड से लड़ने के लिए किस तरह योगी की मदद लेना चाहते थे, कि बॉम्बे हाइकोर्ट ने कोविड की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को किस तरह यूपी का उदाहरण दिया, कि आइआइटी कानपुर ने कोविड से लड़ने के यूपी मॉडल को किस तरह आंकड़ों की से लैस रिपोर्ट के द्वारा मान्यता प्रदान की, कि नीति आयोग ने दूसरे राज्यों को ऑक्सीज़न उगाहने के मामले में यूपी की रणनीति का किस तरह उदाहरण दिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने ग्रामीण उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के अभियान की किस तरह तारीफ की.

मैंने उन्हें बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किस तरह राज्य के गांवों और शहरों में वायरस की निगरानी के लिए बड़ी फौज तैनात कर दी थी, कि किस तरह रोकथाम वाली दवाइयों की किट व्यापक पैमाने पर उपलब्ध कराई गई और मुख्यमंत्री की ‘टीम-11’ और ‘टीम-9’ किस तरह कोविड-19 की ऐक्शन प्लान की निगरानी कर रही थी. मैंने यह भी बताया कि ‘एम्स’ के पूर्व निदेशक डॉ. एम.सी. मिश्रा ने मुझसे कहा था कि योगी सचमुच में पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल हैं और यह भी गौर करने वाली बात है कि उन्होंने पूर्वी यूपी में जापानी दिमागी बुखार नामक बीमारी को किस तरह काबू में किया था.

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Author of Yogi Adityanath's biographer, Shantanu Gupta with NRI groups. | Photo Credit: Special Arrangement
एनआरआई समूहों के साथ योगी आदित्यनाथ के जीवनी के लेखक शांतनु गुप्ता| फोटो क्रेडिट: विशेष व्यवस्था

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3. आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की तुलना किस तरह करेंगे?

कई आयोजनों में भारतीय मूल के सामुदायिक नेताओं ने मुझसे एक कठिन सवाल किया और मोदी तथा योगी में समानताओं और अंतरों को बताने का आग्रह किया. इस पर मेरा जवाब था कि दोनों नेताओं में कई समानताएं हैं. दोनों काफी लोकप्रिय हैं, अनुशासित तथा समर्पित निजी जीवन जीते हैं, और कोई चाटुकारों की फौज नहीं रखते. लेकिन कुछ मामलों में दोनों के बीच अंतर भी हैं. मोदी पार्टी और उसके संगठन के अंदर ऊपर उठे, जबकि योगी गोरखनाथ मठ के आधार के बूते सामुदायिक और धार्मिक आधार के बूते आगे बढ़े.

4. क्या योगी 2022 में भी मुख्यमंत्री बनेंगे?

अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मैंने पाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 के चुनाव के समीकरण से जुड़े सवाल हरेक एनआरआइ के मन में उभर रहे थे. कई एनआरआइ यूपी की जटिल जातीय जोड़तोड़ के मद्देनजर यह जानने को उत्सुक थे कि योगी के लिए दोबारा मुख्यमंत्री बनने की कितनी संभावना है? वे मेरी भविष्यवाणी सुनना चाहते थे.

मैंने उन्हें बताया कि अपनी किताब के लिए शोध करने के क्रम में यूपी के तीन दर्जन से ज्यादा जिलों का दौरा करते हुए मैंने वहां एक नयी जाती उभरती देखि, जिसका नाम ‘लाभभोगी जाती’ रखा जा सकता है. राज्य के करोड़ों लोगों इसकी दुहाई देते हैं क्योंकि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने केंद्र तथा राज्य सरकार की कई जनकल्याण योजनाओं का लाभ उठाया है. मैंने यह भी बताया कि अगर लोग विकास के नाम पर ही वोट देंगे तो योगी जोरदार बहुमत से दोबारा सत्ता में लौट सकते हैं.

5. क्या योगी भारत के भावी प्रधानमंत्री होंगे?

कई एनआरआइ योगी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं. उन्होंने इस बारे में मेरे विचार जानने चाहे. मैंने जवाब दिया कि भाजपा में पार्टी अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, या प्रधानमंत्री पद के लिए कौन अगला उम्मीदवार बनेगा इसकी आप भविष्यवाणी नहीं कर सकते क्योंकि वहां राजनीतिक तरक्की योग्यता के आधार पर होती है, परिवार के नाम पर नहीं. मैंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले सात साल में कई युवा नेताओं को प्रशिक्षित किया है, जिनमें योगी भी शामिल हैं.

मैंने बताया कि अगर योगी दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो इस बार कार्यकाल पूरा करने पर वे विधायिका में 19 साल, और एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में 10 साल पूरे कर लेंगे. इतना अनुभव और इतनी भारी लोकप्रियता वे 53 साल की उम्र में ही बटोर लेंगे. यह उन्हें मोदी के बाद दौर में प्रधानमंत्री पद का सबसे तगड़ा उम्मीदवार बना देगा.

शांतनु गुप्ता ‘द मॉन्क हू ट्रांसफॉर्म्ड उत्तर प्रदेश’ और ‘द मॉन्क हू बिकम चीफ मिनिस्टर’ के लेखक हैं.

(यहां व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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