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Monday, 6 May, 2024
होममत-विमतदो गुब्बारों ने वो कर दिखाया जो इमरान खान सरकार नहीं कर सकी, भारत की रातों की नींद उड़ गई

दो गुब्बारों ने वो कर दिखाया जो इमरान खान सरकार नहीं कर सकी, भारत की रातों की नींद उड़ गई

भारत और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने में जी-जान लगा देने वाले कबूतरों और बंदरों को चीन निर्मित गुब्बारों से चुनौती मिल गई है. दोहरे मोर्चे वाली जंग के लिए ये कैसा रहेगा?

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जिसे एक सामान्य सप्ताह होना चाहिए था, वैसा नहीं रहा. सबसे पहले, उन्होंने एक गुब्बारा गिराया, फिर उन्होंने दूसरे का सहारा लिया. लेकिन भारत को अपनी जमीन पर मिले विमान के आकार के एक नहीं दो पाकिस्तानी गुब्बारों में से क्या मिला? क्या वे जासूस हैं? क्या वे गुब्बारे हैं? क्या ये विमान हैं?

इसका उत्तर तो इसी कथा-वृत्तांत में छिपा है.

10 मार्च को तड़के जम्मू-कश्मीर में भारतीय क्षेत्र स्थित एक गांव सोत्रा चक में एक गुब्बारा आकर गिरा जिस पर पीआईए (पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस) लिखा हुआ था. इस घुसपैठिये का गुलाब के फूलों के साथ स्वागत नहीं किया गया, बल्कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे हिरासत में ले लिया. अचानक, सब कुछ फरवरी 2019 के बालाकोट के बाद जैसा महसूस होने लगा. हालांकि, इस बार की स्थिति कहीं अधिक गंभीर थी, यह कोई जासूस कबूतर या युद्धक विमान नहीं था. बाकी सब ठीक था, वॉर रूम रेड अलर्ट पर था.

गुब्बारे के हमले की जद में आने के बाद भड़का भारत अभी यह पता लगाने की कोशिश कर ही रहा था कि उसकी संप्रभुता कैसे भंग हुई थी. तभी 16 मार्च को दूसरा एयरक्राफ्ट बैलून भारत के भलवाल में उतरा जो कि एक हफ्ते पहले सीधे लैंड करने वाले बैलून के भाई-बंधु जैसा ही लग रहा था. इसे ऐसे माना गया कि बैलून नंबर 2 अपने कजिन को मुक्त कराने के लिए यहां तक पहुंचा है. आखिरकार, यह बात तो इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाएगी कि कैसे पहली बार एक गुब्बारे ने दुश्मन की रातों की नींद उड़ा दी थी. यह क्यूरिएस केस ऑफ अरेस्टेड बैलून्स जैसा मामला है.

कोई मदद तो नहीं कर सकता लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि क्या पकड़े गए गुब्बारे को भारत की तरफ से चाय की पेशकश की गई थी? और क्या यह अच्छी चाय थी?

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यह कहानी 2018 से काफी अलग है, जब राजस्थान में ‘आई लव पाकिस्तान’ संदेश वाले गुब्बारे मिले थे. यहां तक कि यह 2017 की तरह भी नहीं है जब मालिया में पाकिस्तान के सिक्कों के साथ कुछ गुब्बारे गिरे थे जिन पर डोरेमॉन प्रिंट था. आपने ये कैसे सोच लिया कि ये बिटक्वाइन थे. गुब्बारे में अरबी में एक संदेश भी छिपा हुआ था. यह सब साजिश का हिस्सा था.

गुब्बारे जमीन पर, तनाव चरम पर

हिरासत में रह रहा बैलून नंबर 1 हर मुमकिन तरीके से अच्छा व्यवहार कर रहा है और भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा है. ‘विश्वसनीय सूत्रों’ ने हमें बताया है कि उसे यह कहते हुए सुना गया है, ‘मेरा नाम पीआईए गुब्बारा है और मैं आतंकवादी नहीं हूं.’ बेशक, कोई इसे खरीदना नहीं चाहेगा. क्योंकि इसका ये अप्रिय डिजाइन केवल कश्मीर बनेगा पाकिस्तान के लिए ही नहीं था, बल्कि इमरान खान के शासनकाल में धराशायी हो चुकी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की खोई प्रतिष्ठा लौटाने के लिए भी था, जिसने घोषित कर दिया था कि उसके 40% पायलटों के पास नकली लाइसेंस थे. यह तो उस समय वाली स्थिति भी नहीं है जब अच्छे मित्र मलेशिया ने पट्टे का भुगतान न करने के कारण पीआईए का एक विमान जब्त कर लिया था. वह सब अब भुलाया जा चुका है क्योंकि पीआईए गुब्बारे ने शहादत दे दी है. सुरंग के आखिरी छोर से उम्मीद की किरण तो हमेशा दिखती रहती है.

चरम पर पहुंचा तनाव यह बताता है कि भारत या पाकिस्तान या फिर दोनों, जब्त किए गए दो प्रशिक्षित गुब्बारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जा सकते हैं. और फिर असल में कुछ भी ना जीतने के बावजूद दोनों जीत का दावा करते हुए बाहर आ सकते हैं. सच्चाई तो यह है कि गुब्बारों के इस संघर्षविराम उल्लंघन से उपजी दहशत एक बड़ा मुद्दा है, खासकर ये देखते हुए कि किसी संघर्ष विराम समझौते के बाद हर कोई कितना उत्साहित हो जाता है. खैर, हम आज ‘गुब्बारे जमीन पर ’ जैसी जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसका हल तो अमेरिकी राष्ट्रपति के दखल से भी नहीं निकल सकता है.


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मिसाइल और कबूतरों को तो किनारे ही कर दें

वो सभी लोग जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे, आपके लिए ये जानना जरूरी है कि गुब्बारे के पूरा मामला दरअसल पाकिस्तान का अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है. और भारत के विपरीत पाकिस्तान ने शायद यह मुकाम हासिल करने के लिए महज 100 रुपये ही खर्च किए होंगे, जबकि भारत करोड़ों रुपये बर्बाद कर रहा है. यह सब आखिर किसलिए? इसे तो हमारे समय की त्रासदी ही कहा जाएगा कि इस तरह के अत्याधुनिक अंतरिक्ष मिशन को किसी परिचय का मोहताज होना पड़ रहा है. भारत को तो यह सब जब्त किए गए पाकिस्तानी गुब्बारों से ही सीख लेना चाहिए.

अब भारत और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने में जी-जान लगा देने वाले कबूतरों, हिरणों और बंदरों को चीन निर्मित गुब्बारों से चुनौती मिल गई है. दोहरे मोर्चे वाली जंग के लिए ये कैसा रहेगा? मैं तो यही कहूंगी कि ये बुरा नहीं है. 2021 में गुब्बारे सामूहिक विनाश के नए हथियार बन चुके हैं और 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस परेड में इन्हें जोरदार तरीके से प्रदर्शित किया जाना चाहिए.

विशाल घातक टैंक, मिसाइल और ड्रोन जैसे रक्षा उपकरणों के आगे एक दर्जन गुब्बारे जंग के भविष्य की एक बेहतरीन झलक बन सकते हैं. आइए थोड़ा और आगे बढ़ें और अपनी वीरता के लिए बैलून नंबर 1 और 2 को सर्वोच्च रक्षा पुरस्कार से सम्मानित करें, वहीं, भारत उन लोगों को पुरस्कार प्रदान कर सकता है जिन्होंने दिनदहाड़े रंगे हाथों इन गुब्बारों को जब्त किया.

(लेखिका पाकिस्तान की स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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3 टिप्पणी

  1. Wire Print Quint BBC ndtv , इन सबको भारत में भी बैन करना चाहिए, ये सभी भारत में रह कर विदेशी एजेंडा चला रहा है।

  2. आपकी पत्रकारिता में पाकिस्तान प्रेम कुछ ज्यादा ही झलक रहा है। शांतिप्रिय मजहब से हो क्या?

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