शुक्रवार की सुबह जब आप आंख खोलेंगे तो भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेल रही होगी. ये मैच वेलिंगटन के बेसिन रिजर्व में खेला जाएगा. टेस्ट सीरीज से पहले टी-20 में टीम इंडिया ने न्यूज़ीलैंड को 5-0 से हराया था. बाद में वनडे सीरीज में उसे 3-0 से हार का सामना करना पड़ा.
सीमित ओवर के बाद अब टेस्ट सीरीज का इम्तिहान शुरू हुआ है. यूं तो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में टीम इंडिया टॉप पर है. अब तक खेले गए सात के सात मैच उसने जीते हैं. बावजूद इसके विराट कोहली को ये समझ आ रहा है कि ये सीरीज पिछली सभी सीरीज से अलग है. विराट ऐसा क्यों सोचते हैं इस पर भी चर्चा करेंगे लेकिन पहले आपको बताते हैं कि विराट कोहली ने मैच शुरू होने से पहले क्या कहा था.
विराट ने कहा था, ‘आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में अभी हमने ज्यादातर क्रिकेट भारत में ही खेला है. हम वेस्टइंडीज में खेले हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड जैसे देशों में नहीं खेले. इस लिहाज से ये हमारी पहली बड़ी सीरीज है. मुझे उम्मीद है कि दोनों टीमें ड्रॉ के इरादे से नहीं बल्कि मैच के नतीजे के लिए मैदान में उतरेंगी. टेस्ट क्रिकेट में आप यही देखना चाहते हैं. मेरे लिए ये सबसे बड़ा टूर्नामेंट है. हर टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलना चाहती है. हम भी उससे अलग नहीं है. हम भी चाहते हैं कि फाइनल में जगह बनाए. हम इस दिशा में सही रास्ते पर हैं. हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि लॉर्ड्स फाइनल में जगह पक्की करने के लिए जितने अंक चाहिए हम हासिल करें.’
विराट का ये बयान बताता है कि उन्हें समझ आ रहा है कि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इस सीरीज को क्यों अलग रखना चाहिए.
कहां पिछड़ रही है टीम इंडिया
न्यूज़ीलैंड की जमीन पर जीत हासिल करना कभी भी आसान नहीं रहा. अपने घर में कीवियों (न्यूज़ीलैंड की टीम) ने हमेशा टीम इंडिया को कड़ी टक्कर दी है. वेलिंगटन के बेसिन रिजर्व में तो भारतीय टीम के रिकॉर्ड्स भी अच्छे नहीं हैं. अब तक भारत ने इस मैदान में सिर्फ एक टेस्ट मैच जीता है. 4 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा है.
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बतौर कप्तान विराट कोहली की बड़ी परेशानी टीम इंडिया की सलामी जोड़ी है. रोहित शर्मा को टी-20 सीरीज में लगी चोट उन्हें भारी पड़ रही है. रोहित की गैरमौजूदगी में वनडे सीरीज में विराट कोहली ने मयंक अग्रवाल और पृथ्वी साव को सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी दी. ये कदम गलत साबित हुआ. तीनों ही मैच में सलामी जोड़ी जल्दी ही टूट गई. पृथ्वी साव ने तो फिर भी कुछ रन बनाए लेकिन मयंक अग्रवाल बिल्कुल बेरंग दिखे. बाद में प्रैक्टिस मैच में मयंक ने कुछ रन जरूर बनाए लेकिन टेस्ट सीरीज में एक बार फिर उनकी फॉर्म पर निगाहें होंगी. पृथ्वी साव को भी अपनी ताकत फिर से दिखानी होगी.
विराट कोहली ने इस जोड़ी को लेकर कहा था, ‘हम चाहते हैं कि वो जिस तरह की क्रिकेट खेलते हैं वैसी ही खेलें. इन दोनों ही खिलाड़ियों पर किसी तरह का बोझ नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि इन पर विदेशी पिचों पर खुद को साबित करने को लेकर किसी तरह का दबाव हो. इसलिए जैसा मंयक ने ऑस्ट्रेलिया में किया था वैसा पृथ्वी यहां कर सकते हैं. मयंक अपनी शानदार फॉर्म को जारी रख सकते हैं. इससे हमें उस तरह की शुरुआत मिल जाएगी जो हम चाहते हैं.’
परेशानी गेंदबाजी को लेकर भी है. दरअसल, टीम इंडिया के नंबर वन गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को वनडे सीरीज में एक भी विकेट नहीं मिला था. चोट के बाद वापसी कर रहे बुमराह को अपनी लय में आना होगा. ईशांत भी चोट के बाद ही लौटे हैं. न्यूज़ीलैंड के मैदानों में तेज गेंदबाजों को तेज हवा से भी जूझना होता है. ऐसे में पिछले दो-ढाई साल में जिन गेंदबाजों ने टेस्ट क्रिकेट में भारत की साख को बढ़ाया है उनका एक बार फिर इम्तिहान है.
भरोसेमंद केएल राहुल टीम में नहीं
साल 2020 में टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज के तौर पर जो खिलाड़ी सामने आया है वो हैं- केएल राहुल. परेशानी ये है कि केएल राहुल टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हैं. टी-20 और वनडे सीरीज में वो शानदार फॉर्म में थे. टी-20 सीरीज में उन्होंने सबसे ज्यादा 224 रन और वनडे सीरीज में भी उन्होंने 204 रन बनाए. हाल के दिनों में वो विराट कोहली के सबसे बड़े ‘ट्रबलशूटर’ रहे हैं. विराट ने उन्हें लिमिटेड ओवर में विकेटकीपिंग का जिम्मा भी दिया. जिसे उन्होंने बखूबी संभाला.
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विराट के लिए राहत की बात ये है कि अब उनके पास चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे आ गए हैं लेकिन बावजूद इसके एक ‘इनफॉर्म’ बल्लेबाज की कमी उन्हें खल रही होगी.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं)