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Thursday, 21 November, 2024
होममत-विमतचीन के शीर्ष दो नेताओं के पास है डॉक्टरेट की डिग्री, सीसीपी में शिक्षा भी तय करती है राजनैतिक सत्ता का स्तर

चीन के शीर्ष दो नेताओं के पास है डॉक्टरेट की डिग्री, सीसीपी में शिक्षा भी तय करती है राजनैतिक सत्ता का स्तर

माओ की सांस्कृतिक क्रांति ने चीनी युवाओं की शिक्षा को बाधित कर दिया था, लेकिन डेंग सिआओपिंग के सुधारों के कारण शिक्षित मंत्रियों के शामिल किये जाने की एक प्रवृत्ति शुरू हुई जो शी जिनपिंग के शासन काल में और विकसित हुई है.

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ऐसे समय में जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 1 जुलाई को अपनी पहली शताब्दी का जश्न मानाने जा रही है, तो दुनियाभर का ध्यान अवश्य एक ऐसे राजनीतिक संगठन की ओर जाएगा जो कई सारे महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजरी है, खासकर तब जब शिक्षा के प्रति इसके दृष्टिकोण – आम जनता और अपने स्वयं के सदस्यों के लिए दोनों के मामले में – की बात आती हो.

चीनी के हाल के वर्षो के राजनीति इतिहास में शैक्षिक योग्यता और शक्ति संतुलन एक दूसरे से काफी हद तक जुड़े हुए हैं. सेंट्रल पार्टी स्कूल जैसी संस्थाओं ने चीनी नेताओं की संभावनाओं को पूरी तरह बदल दिया है.

माओ की सांस्कृतिक क्रांति ने अधिकांश चीनी युवाओं की शिक्षा व्यवस्था में गंभीर व्यवधान पैदा किया था. 1965 से 19777 के बीच कॉलेज स्तर पर प्रवेश के लिए कोई प्रवेश परीक्षा (गाओकाओ) आयोजित नहीं की गई थी और चीन में समूची शिक्षा प्रणाली को कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा. इस संकट ने विशेष रूप से गैर-अभिजात वर्ग के छात्रों को प्रभावित किया. इस अवधि के दौरान, माओ ने कॉलेज के छात्रों के भीतर एक खास चुनिंदा समूह को बढ़ावा दिया, जो आम तौर पर किसानों, सैनिकों और श्रमिकों की पृष्ठभूमि से आते थे.

माओ की मृत्यु के बाद, डेंग शियाओपिंग ने कॉलेज प्रवेश परीक्षा एक बार फिर से बहाल की और उनकी विघटनकारी नीतियों को एकदम पलट दिया.


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क्रांति के बाद सुधार

1977 में, लगभग एक दशक के बाद 5.7 मिलियन (57 लाख) चीनी छात्रों ने कॉलेज प्रवेश परीक्षा दी. इससे उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ और इसने डेंग द्वारा 1978 में शुरू किए गए ‘सुधार और खुलेपन’ के लिए मंच तैयार किया.

1982 में स्टेट काउंसिल ने संस्थागत सुधार शुरू किए गए, जिसने युवा और शिक्षित मंत्रियों और अधिकारियों को काम पर रखने/शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया. टोलेडो यूनिवर्सिटी में अतिथि सहायक प्रोफेसर कुन वांग के अनुसार, ‘इस से मंत्रालय स्तर के नौकरशाहों की आयु 64 से 60 वर्ष और ब्यूरो स्तर के अधिकारियों की आयु 58 से 54 वर्ष तक गिर गई.’

साल 1982 के प्रशासनिक सुधारों ने 1982 और 1987 के बीच चीनी सरकार में कॉलेज-शिक्षित मंत्रियों और उप-मंत्रियों की संख्या को 38 प्रतिशत से बढ़ाकर 59 प्रतिशत कर दी. इन सुधारों के बाद, 1987 तक, 45 प्रतिशत मंत्रियों के पास इंजीनियरिंग की शिक्षा थी जो 1982 में महज दो प्रतिशत थी. इससे पहले, माओ युग के दौरान, ‘राजनीतिक कार्य’ अथवा कानून में प्रशिक्षण हीं वह योग्यता थी जिससे पारंपरिक रूप से चीनी राजनीति में सत्ता के उच्च स्तर तक पहुंच होती थी.

साल 1997 तक, चीन में इंजीनियरिंग या अन्य तकनीकी शिक्षा वाले मंत्रियों का प्रातिनीधित्व बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया, जो मुख्य रूप से टेक्नोक्रैट्स को बढ़ावा देने के कारण संभव हुआ. 1997 तक चीनी प्रांतों के 77 प्रतिशत राज्यपालों (गवर्नर्स) के पास तकनीकी प्रशिक्षण था. 1997 में चीनी राजनीति में टेक्नोक्रैट्स की पकड़ अपने चरम पर थी जब पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति (पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमिटी) के सात सदस्यों के पास विज्ञान और इंजीनियरिंग की डिग्री थी.

चीनी सरकार में टेक्नोक्रैट्स के इस शिखर/ स्वर्णिम युग को समाप्त हुए दो दशक से अधिक समय बीत गया है, लेकिन आम जनता के बीच एक लोकप्रिय परन्तु गलत धारणा अब भी बनी हुई है कि चीन में शीर्ष क्रम के नेता अभी भी इस शैक्षिक पृष्ठभूमि से आते हैं – इंजीनियरिंग डिग्री के साथ.


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विधाएं बदलती हैं, परन्तु योग्यता के मानदंड नहीं

बाद के वर्षों में राजनीति पर तकनीकी शिक्षा के नियंत्रण में बदलाव आना शुरू हुआ. 2008 में, 41 प्रतिशत मंत्रियों के पास तकनीकी शिक्षा थी जो 2013 तक गिरकर 12 प्रतिशत रह गई.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की वर्तमान 19वीं नेशनल कांग्रेस (या पार्टी कांग्रेस) के नेतृत्व वर्ग में फ़िलहाल मानविकी और सामाजिक विज्ञान में डिग्री रखने वाले नेताओं का वर्चस्व है. पार्टी कांग्रेस सीसीपी के भीतर सर्वोच्च निकाय है और इसकी हर पांच साल में एक बार बैठक होती है.

पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमिटी के कुल सात में से चार सदस्यों के पास सामाजिक विज्ञान और मानविकी में डिग्री है. केंद्रीय समिति (सेंट्रल कमिटी) के अधिकांश सदस्य कानून (लॉ), अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य विषयों में प्रशिक्षित हैं.

इसी तरह सेंट्रल कमिटी के भीतर 45 सदस्यों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है. इन 45 में से पोलित ब्यूरो के तीन और पोलित ब्यूरो की स्टैंडिंग कमिटी के दो सदस्यों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है. शी जिनपिंग भी पोलित ब्यूरो की स्टैंडिंग कमिटी के उन सदस्यों में से एक हैं, जिनके पास डॉक्टरेट की डिग्री है, दूसरे शख्स हैं चीन के प्रधानमंत्री ली केकिआंग. इस तरह चीन के शीर्ष दो नेताओं के पास डॉक्टरेट की डिग्री है.

चीन का वर्तमान नेतृत्व वर्ग मोटे तौर पर दो गुटों से बंटा है जिन्हें ‘तुआन पाई’ और ‘प्रिन्सेलिंग्स’ कहा जाता है. ‘तुआन पाई’ या ‘कम्युनिस्ट यूथ लीग गुट’ – जिसे ‘हू जिंताओ गुट’ के रूप में भी जाना जाता है – को विशेषता है उनकी गैर-कुलीन पृष्ठभूमि है, जो ‘प्रिन्सेलिंग्स’ के बिलकुल विपरीत है, जो उन पुराने कम्युनिस्ट वंशो के सदस्य हैं जिनकी जड़ें लांग मार्च के दिनों की है. ‘तुआन पाई’ गुट के सदस्य कम्युनिस्ट यूथ लीग के माध्यम से ऊपर उठे और उन्हें हू जिंताओ द्वारा आगे बढ़ाया गया. शी जिनपिंग के करीबी नेताओं को कभी-कभी ‘झेजियांग गुट’ के रूप में जाना जाता है.

‘प्रिंसलिंग्स’ कुलीन राजनीतिक वंशावली वाले नेता हैं जिनमे से अधिकांश का सम्बन्घ उन 10,000 रेड आर्मी के सेनानियों है जो 1935 में लॉन्ग मार्च के बाद बच गए थे.

कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) शी जिनपिंग सिंघुआ यूनिवर्सिटी के मानविकी और सामाजिक विज्ञान संस्थान से कानून (मार्क्सवाद) में डॉक्टरेट की डिग्री रखते हैं, जिसे उन्होंने अंशकालिक अध्ययन के माध्यम से प्राप्त किया था. लेकिन शी खुद ‘प्रिंसलिंग्स’ में से एक हैं क्योंकि वे पूर्व उप-प्रधानमंत्री और पोलित ब्यूरो सदस्य शी झोंगक्सुन के बेटे हैं.

स्टेट काउंसिल के प्रमुख और दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता ली केकियांग ने पेकिंग यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है. 1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (पीआरसी) की स्थापना के बाद से ली को चीन का सबसे सुशिक्षित प्रधानमंत्री माना जाता है. चीन की आर्थिक योजना की पूरी कमान ली के ही पास है.

केंद्रीय समिति के अधिकांश सदस्य शीर्ष चीनी विश्वविद्यालयों में शिक्षित हैं. वर्तमान में, केवल छह सदस्यों को चीन के बाहर से डिग्री प्राप्त करने के लिए जाना जाता है. कुछ सदस्यों की डिग्रियां अज्ञात हैं. लेकिन विदेशी शिक्षा वाले मंत्रियों और अधिकारियों का प्रतिशत कम ही है और उनमें से अधिकांश वित्त, विदेश मामलों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विभागों की देखभाल करते हैं.

विदेशी शिक्षा प्राप्त करने वाले सबसे प्रमुख नेताओं में से एक लियू हे हैं. लियू ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (1995) से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है. उन्हें चीन का आर्थिक मामलों ‘विशेषज्ञ’ माना जाता है और उन्होंने हीं डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के साथ हस्ताक्षरित व्यापार समझौते पर वार्ता को अंतिम रूप दिया था. 1988 से 1998 तक राज्य योजना आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान, लियू करीबन 11 औद्योगिक नीतियों का मसौदा तैयार करने में भी शामिल रहे थे. ब्लूमबर्ग के अनुसार, लियू को हाल ही में शी जिनपिंग ने तीसरी पीढ़ी के अर्धचालकों (सेमीकंडक्टर्स) के विकास के प्रयोग का नेतृत्व करने और इस मामले में अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए चुना था.

लियू ने 2014 के हार्वर्ड प्रकाशन में लिखे एक लेख में लिखा था – ‘मौजूदा संकट के बाद से, वैश्विक विकास केंद्र एशिया-प्रशांत क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है, जी -20 फोरम का गठन किया गया है, राष्ट्रों की सापेक्ष/ तुलनात्मक शक्ति में तेजी से बदलाव हो रहा है और यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में नए बदलाव में योगदान दे रही है.’

पोलित ब्यूरो के एक अन्य सदस्य और चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची ने यूनाइटेड किंगडम के बाथ यूनिवर्सिटी से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है. यांग के पास लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री भी है. उन्होंने अंशकालिक अध्ययन के माध्यम से नानजिंग यूनिवर्सिटी से इतिहास में डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त की है. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच यांग फिलहाल अमेरिका के साथ बातचीत में चीन का चेहरा बने हुए हैं.

संभवतया शीर्ष तक के सफर की सबसे अनुकरणीय जीवन गाथा वांग यांग की है. वांग ने अपना करियर एक आम श्रमिक के रूप में शुरू किया और बाद में उन्होंने अनहुई प्रांत में एक खाद्य उत्पाद के कारखाने में प्रबंधक के रूप में कार्य किया. शीर्ष पर पहुंचने से पहले उन्होंने कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल होकर कम्युनिस्ट पार्टी में अपनी यात्रा शुरू की.

हालांकि वह एक अत्यंत हीं साधारण पृष्ठभूमि वाले थे, फिर भी वांग की असाधारण प्रोनत्ति का श्रेय पूर्व प्रधान मंत्री हू जिंताओ के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों को दिया जाता है. वह ‘तुआन पाई’ गुट का हिस्सा है.

पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमिटी ) के सदस्य वांग हुनिंग एक अन्य ऐसे व्यक्ति हैं जो कुलीन पारिवारिक संबंधों के बिना भी पार्टी के शीर्ष क्रम तक पहुंचे. वांग ने शंघाई नगरपालिका सरकार के प्रकाशन ब्यूरो में अपना करियर शुरू किया. उन्हें कुछ लोग ‘चीन का किसिंजर’ भी कहते हैं और वे ‘शी जिनपिंग थॉट’ अभियान के अग्रिम पंक्ति के सदस्य रहे हैं.

राजनीतिक वंशावली की अपनी महत्ता के बावजूद, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व की सीढ़ी में ऊपर उठने के लिए शैक्षिक योग्यता अभी भी एक आवश्यक शर्त है. यहां तक किचीन में, ‘प्रिंसलिंग्स’ के पास भी स्नातक डिग्री है.

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन डेस्क पर मीडिया पत्रकार थे. विचार  व्यक्तिगत हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढने के लिए यहां क्लिक करें)


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