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Saturday, 21 December, 2024
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कोरोना की दूसरी लहर के लिए वे जिम्मेदार हैं जो पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए

मुंबई, बंगलूरू में इस महामारी की दूसरी लहर 40 दिनों में खत्म हो सकती है बशर्ते सबके टीकाकरण का अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जाए.

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कोरोना वायरस ने दोबारा क्यों हमला किया है?

मार्च 2021 से इसके मामले बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि जिन लोगों ने पहले खुद को सुरक्षित रखा वे निश्चिंत होकर बाहर निकलने लगे, क्लास करने लगे, काम पर जाने लगे और सामाजिक तथा धार्मिक आयोजनों में शामिल होने लगे. जिन लोगों ने 2020 में खुद को अलगथलग कर लिया था, वे 2021 में कोरोना वायरस की जद में आने लगे. आंकड़ों से साफ है कि ‘दूसरी लहर’ वहां आई है जहां 2020 में लोग मास्क पहनने, हाथों की सफाई, और दूसरे लोगों से शारीरिक दूरी रखने की हिदायतों का बेहतर पालान कर रहे थे. वायरस की नयी नस्लें ज्यादा संक्रामक हैं और उनकी वजह से तो इसके मामले तेजी से बढ़े ही हैं, लोगों का व्यवहार इसका ज्यादा बड़ा कारण है.

उदाहरण के लिए, जिस शहर की 20 प्रतिशत आबादी ने 2020 में सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए वहां इसकी पहली लहर तब खत्म हो जानी चाहिए थी जब कम सुरक्षित 80 प्रतिशत (यानी कुल आबादी के 56 प्रतिशत) लोगों में से 70 प्रतिशत के शरीर में एंटीबडीज़ बन गया होगा. इसलिए जनवरी 2021 तक मामले बहुत कम आने लगे, लेकिन शहर की 44 फीसदी आबादी के लिए वायरस से खतरा बना रहा. जब इन लोगों ने लापरवाही बरती तो दूसरी लहर शुरू हो गई.
गौर करने वाली बात यह है कि ‘दूसरी लहर’ देश के कुछ हिस्सों में आई है, इसे पूरे भारत में आई ‘दूसरी लहर’ कहना सही नहीं होगा.


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‘दूसरी लहर’ कब खत्म होगी?

यह तब खत्म होगी जब संक्रमित आबादी के बड़े हिस्से में या तो संक्रमण की वजह से या टीकाकरण की वजह से ‘इम्यूनिटी’ (रोग प्रतिरोधक क्षमता) पैदा हो जाएगी. इस आबादी में वे भी हैं जिन्होंने 2020 में अपने को सुरक्षित रखा और जो किस्मत से संक्रमण से बचे रहे. ऐसे लोगों में ‘दूसरी लहर’ तब खत्म होगी जब पहली लहर से बची 44 फीसदी आबादी (यानी शहर की कुल आबादी का 31 फीसदी) में से 70 प्रतिशत के शरीर में एंटीबडीज़ पैदा हो जाएगी.

इसमें कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर होगा कि पहली लहर कितनी बड़ी थी और नया संक्रमण कितनी तेजी से फैलता है. मेरा संदिग्ध आशावादी मोटा अनुमान है कि मुंबई और बेंगलुरू जैसे शहरों में (मान लें कि 10 फीसदी आबादी ने पिछले साल खुद को अच्छे तरह सुरक्षित रखा; वास्तविक मामले सरकारी आंकड़ों से 20 गुना ज्यादा थे; और ‘दूसरी लहर’ में मामले औसतन 20 दिनों में दोगुने हो रहे हैं) यह लहर 40 दिनों में या इससे तेजी से भी खत्म हो सकती है. इसमें इस बात का खयाल भी रखा गया है कि टीकाकरण इसी गति से चलेगा.

‘दूसरी लहर’ को कैसे रोका जाए? इन शहरों में जिस आबादी को संक्रमण का ज्यादा खतरा है उसमें 50 फीसदी को अगर टीका लगा दिया गया तो इस लहर को ज्यादा तेजी से रोका जा सकेगा— मुंबई में एक सप्ताह के भीतर और बेंगलुरू में करीब तीन सप्ताह में. इससे भावी लहरों को भी रोका जा सकेगा. इसलिए मुंबई, पुणे, बेंगलुरू, दिल्ली जैसे प्रभावित शहरों में सबको टीका लगाने के लक्ष्य के साथ कार्यक्रम चलाने की जरूरत है.

क्या आपका यह कहना गलत नहीं था कि भारत में दूसरी बड़ी लहर नहीं आएगी?

जनवरी 2021 में मैंने लिखा था— ‘पूरे देश में किसी उल्लेखनीय ‘दूसरी लहर’ की संभावना नहीं है, हालांकि कई शहरों और जिलों में छोटी-छोटी दूसरी लहर आ सकती है. इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सावधानी बरतना छोड़ दें और महामारी से पहले जिस तरह जमावड़े करते थे वैसा करने लगें. बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सावधान रहें तो अगले कुछ महीने सुरक्षित रह सकेंगे.‘

मैंने अपने आकलन में कुछ शर्तें भी बताई थी. लेकिन मेरा यह अनुमान गलत था कि कई शहरों और जिलों में दूसरी लहर ‘छोटी’ होगी. मैं यह नहीं अंदाजा लगा पाया कि लोग इतनी जल्दी असावधानी बरतने लगेंगे और जमावड़ों तथा भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने लगेंगे. पहली लहर कब खत्म होगी इसका आशावादी मोटा अनुमान लगाना ठीक था और मैंने इस तरीके को दूसरी लहर का अनुमान लगाने में भी इस्तेमाल किया. याद रहे कि यह संक्रमण के फैलाव का बेहतर अनुमान लगाने का बेहद मोटा तरीका है. मैं इन आकलनों का खुलासा इसलिए कर रहा हूं कि रहा हूं कि कुछ स्पष्टता पूर्ण अनिश्चितता से बेहतर है.

क्या तेज दूसरी लहर अच्छी बात है? तेज दूसरी लहर बेहतर लग सकती है क्योंकि यह जल्दी खत्म भी हो सकती है. समस्या यह है कि यह स्वास्थ्य सेवा क्षमता को जल्दी खत्म भी कर सकती है. प्रभावित हुए कई शहरों में ऐसा हो भी रहा है. मास्क लगाकर, शारीरिक दूरी बनाए रखकर और संक्रमण के फैलाव को रोकने के उपाय करके ‘कड़ी को तोड़ना’ इसलिए जरूरी है ताकि स्वास्थ्य सेवा की सुविधाएं उपलब्ध रहें. इसका अर्थ यह होगा कि लहर देर तक रहेगी, जैसा पिछले साल हुआ था, लेकिन यह कम घातक होगी. इसलिए सोची-समझी और लक्ष्य आधारित उपाय जरूरी हैं.

इसलिए सबसे अच्छा उपाय यही कि जिन शहरों और जिलों में दूसरी लहर आई है वहां तेजी से सबका टीकाकरण किया जाए. इससे दूसरी लहर कमजोर भी पड़ेगी और अस्पतालों तथा मेडिकल सेवाओं पर बोझ भी कम पड़ेगा. हमें टीकाकरण अभियान युद्ध स्तर पर चलाना ही होगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(लेखक तक्षशिला संस्थान के निदेशक हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


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