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Tuesday, 7 May, 2024
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दूसरा सेमेस्टर शुरू होते ही छात्र चाहते हैं कि कॉलेज खुलें लेकिन विशेषज्ञों ने कोविड क्लस्टर पर चेताया

दिल्ली, जालंधर और हैदराबाद में छात्रों ने कॉलेज फिर से खोलने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. लेकिन विशेषज्ञ संक्रमण के खतरों पर जोर दे रहे हैं.

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नई दिल्ली: देशभर के कई कॉलेजों में अब दूसरे सेमेस्टर का समय आ जाने के साथ इन संस्थानों के छात्र फिर से ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, संस्थान ताजा लहर में कोविड-19 के मामले बढ़ते देखकर सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं.

दिल्ली, जालंधर और हैदराबाद में तो छात्रों ने कॉलेज फिर से खोलने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तक शुरू कर दिया है.

दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के छात्रों के एक समूह ने अप्रैल में दूसरा सेमेस्टर शुरू होने के मद्देनज़र प्रशासन से ऑफलाइन कक्षाएं बहाल करने की मांग करते हुए सोमवार को संस्थान के बाहर प्रदर्शन किया. छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं का भी बहिष्कार किया.

आईआईएमसी के एक छात्र रिदम कुमार ने कहा, ‘अधिकारियों ने हमें बताया था कि वे अप्रैल में दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई ऑफलाइन शुरू कराएंगे, लेकिन यह सेमेस्टर भी ऑनलाइन मोड में ही शुरू हो गया है. हमारे लिए पत्रकारिता जैसा विषय पूरी तरह से ऑनलाइन सीखना बहुत मुश्किल है. इसके लिए प्रैक्टिकल और ऑफलाइन बातचीत की जरूरत पड़ती है.’

नाम उजागर न करने वाले एक दूसरे छात्र ने कहा कि कोविड-19 संबंधी सभी मानदंडों का पालन करते हुए संस्थान को खोला जाना चाहिए और छात्रों को सही मायने में फील्ड में काम करने का मौका देना चाहिए, जो पिछले सेमेस्टर में वो नहीं कर पाए थे.

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संस्थान ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि वह ‘मांगों पर विचार’ कर रहा है और साथ ही उसने छात्रों से अपनी पढ़ाई जारी रखने और प्रदर्शन खत्म करने का आग्रह भी किया था.

आईआईएमसी के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (एडमिन) के. सतीश नंबूदरीपाद की तरफ से जारी एक नोट के मुताबिक, ‘हम छात्रों के एक समूह की तरफ से रखी गई मांगों पर चर्चा कर रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शीर्ष स्तर पर चर्चा जारी है और अंतिम निर्णय लेने में कुछ समय लग सकता है.’

इस मामले में सरकार के रुख के बारे में बताते हुए शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘अब तक स्कूलों को फिर से खोलने के मुद्दे पर हम स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते रहे हैं. उसी के मुताबिक संस्थान भी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जो कुछ भी उपयुक्त कदम हैं, वो उठा रहे हैं. जब भी और जैसा भी कोई नया निर्देश आएगा तो हम उसे आगे बढ़ा देंगे.’


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देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन

पिछले हफ्ते दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कॉलेज फिर से खोलने की मांग सोशल मीडिया पर उठाई. छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा पर शिफ्ट करना अब भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कराई जाएं.

यद्यपि, यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने पूर्व में दिप्रिंट को बताया था कि कोविड केस के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच कॉलेज फिर से खोले जाने की संभावना नहीं है.

इस महीने की शुरुआत में हैदराबाद के जूनियर कॉलेज छात्रों ने भी बोर्ड परीक्षा से पहले कॉलेज फिर से खोलने की मांग की थी.

मार्च में जालंधर के छात्रों ने जिले में कॉलेज फिर से खोलने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था. पंजाब छात्र संघ का कहना है कि कॉलेज बंद रखे जाने से पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा.


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कोविड से बिगड़ते हालात

बहरहाल, देश में कोविड की दूसरी लहर के जोर पकड़ने के बीच विशेषज्ञों ने कोई क्लस्टर न बनना सुनिश्चित करने के लिए बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी है.

महामारी विशेषज्ञ और कोविड-19 पर कर्नाटक सरकार की विशेषज्ञ समिति के सदस्य गिरिधर बाबू ने कहा कि युवा लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति आने से बचने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘वायरस का नया ब्राजीलियन म्यूटेशन युवाओं को भी गंभीर रूप से संक्रमित कर रहा है, हमने देखा कि कनाडा में…युवाओं को अस्पताल में भर्ती कराए जाने और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में, जब मामले बढ़ रहे हैं तो कॉलेजों को फिर से खोलना कोई अच्छा विचार नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि पढ़ाई पर असर पड़ रहा है लेकिन छात्रों की पढ़ाई छूटने और उनके संक्रमित होने के खतरे के बीच एक को चुनने की चुनौती है. मुझे लगता है कि अभी संक्रमित होने का जोखिम उठाने का विकल्प चुनना सही नहीं होगा. हमें संक्रमण के क्लस्टर बनने से रोकने के उपाय करने की जरूरत हैं और स्कूल और कॉलेजों में इसकी संभावना बहुत ज्यादा है.’

वायरोलॉजिस्ट टी. जैकब जॉन का कहना है कि टीकाकरण ही उपाय है. उन्होंने कहा, ‘सरकार को जनवरी में ही सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का टीकाकरण कर देना चाहिए था. जनवरी में पहली खुराक दी जाती और फरवरी तक उन्हें दूसरी खुराक भी मिल जाती तो कॉलेज और स्कूल सुरक्षित रूप से फिर से खोले जा सकते थे.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, राज्य और केंद्र सरकारों की तरफ से इसे प्राथमिकता नहीं दी गई. इस मामले में एकमात्र समाधान यही है कि अगर कॉलेज फिर खुलते हैं तो संक्रमण को स्थानीय स्तर पर रोकना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि कोविड क्लस्टर न बनें.’

जॉन ने कोविड की लहर के जोर पकड़ने के बीच कोविड क्लस्टर बनने के जोखिम पर ध्यान आकृष्ट किया. उन्होंने कहा, ‘लेकिन साथ ही स्कूल-कॉलेजों को फिर से खोलना भी आवश्यक है. केवल उन क्षेत्रों में ही कॉलेज फिर से खोले जाने चाहिए जहां संक्रमण कम है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहां प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन हो. जिन भी क्षेत्रों में संक्रमण ज्यादा है वहां स्कूल फिर खोलने से बचना चाहिए.’


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पहले ही बन चुके हैं क्लस्टर

कई शैक्षणिक संस्थान पहले ही कोविड क्लस्टर बन चुके हैं. कुल मिलाकर सात राज्यों में स्कूलों और कॉलेजों के बीच कम से कम 1,000 कोविड केस का पता चला है.

भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद इस सूची में शामिल होने वाला एक और संस्थान बन गया है. यहां पिछले हफ्ते 191 मामले सामने आए हैं.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भुवनेश्वर के दस छात्रों को पिछले महीने कैंपस पहुंचने के बाद पॉजिटिव पाया गया था. संस्थान को इसके कारण छात्रों के अगले बैच के आने की तिथि को आगे बढ़ानी पड़ी थी.

पिछले साल आईआईटी मद्रास भी पीएचडी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए फिर से खोले जाने के बाद एक कोविड क्लस्टर बनकर उभरा था. केस बढ़ने के बाद उसे अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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