तो मोदी की ऐसी छवि हो गई है कि वो लोगों में विस्मय पैदा करते है, साथ ही एक फ्रीज मैगनेट्स के रूप में भी देखे जाते है.
कभी नरेंद्र मोदी ने ख़ुद को 56 इंच वाली छाती की शान बघारी थी लेकिन अब वो अपने स्वैग को बेच रहे है, वे नहीं तो नमो एप्प तो ऐसा कर ही रहा है.
प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर, नामो एप्प ने मग, नोटबुक, स्टिकर, रेफ्रिजरेटर मैगनेट्स , पेन, कैप्स और टी-शर्ट बेचना शुरू कर दिया.
इसको देख के ऐसा प्रतीत होता है कि अच्छे दिन के आन्दोलन को बाज़ार में बेचने की तैयारी है.
ये भी पढ़ें : Modi wants your money — donate from Rs 5 to Rs 1,000 on NaMo app
और ये सब बहुत वाजिब दाम में मिलेंगे. कीमत बस 150 से 500 रुपये के बीच है.199 रुपये पर ‘नामो फिर से!’ राउंड-गर्दन वाली टी-शर्ट रफाल लड़ाकू विमान की तरह सस्ता है. आपके टी-शर्ट के लिए बहुत सारे नारों का विकल्प है: केसरिया रंग में ‘इंडिया मॉडिफाइएड, साइकेडेलिक रंगों में ‘युवा शक्ति’; और केवल एक राष्ट्र विरोधी ही ‘मेक इन इंडिया’ टी-शर्ट को लेने से इंकार कर सकता है. (बस उम्मीद है कि यह चीन में नहीं बनाया गया हो). एक सच्चे प्रशंसक के लिए, एक ‘नमो नमः टी शर्ट या नोटबुक या टोपी हो सकती है. क्या आप हर बार रेफ्रीजरेटर खोलने पर मोदी जी को याद करना चाहते है. तो मोदी – नमो फ्रिज मैगनेट्स के बारे में क्या ख्याल है? महिला सशक्तिकरण? नामो एप्प पर ‘नारी शक्ति’ को मैगनेट और स्टिकर के ज़रिए पेश किया गया है. जब भी आप चाय (या कॉफी) पीते हैं, तो चाय पे चर्चा के बारे में सोचना चाहते हैं? नमो मग के बारे में क्या विचार है? एलजीबीटीक्यू अधिकार? क्षमा करें, उसके लिए ये गलत एप्प है.
ये भी पढ़ें : BJP is leaving Twitter behind, wants to stay in touch via NaMo app
नमो एप्प अब तक आपके पुरे डाटा और डिवाइस की जानकारी को किसी थर्ड पार्टी डोमेन में साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत अच्छी तरह से जाना जाता था. लेकिन उस लीक के बारे में किसके पास सोचने के लिए समय है जब नमो एप्प पर मात्र 289 रुपये में 20 पेन मिल रहे हो, वो भी जो लीक नहीं करते! गोमूत्र के अलावा यही एक ऐसी जानकारी लीक है जिसके बारे में एक असली देशभक्त को चिंतित होना चाहिए. नमो एप्प पर गौमाता की बिक्री के लिए अभी तक कोई योजना नहीं है, पर शायद ऐसा कुछ समय में हो भी जाए.
अगर कोई यह सोचता है कि प्रधानमंत्री एप्प से सामान बेचना उनके पद को शोभा नहीं देता तो यह सोचना बंद कर देना चाहिए. सामान की बिक्री से जो भी धन अर्जित किया जायेगा वह गंगा को साफ करने में मदद करेगा. क्या इसका मतलब यह है कि हाई प्रोफ़ाइल गंगा सफाई अभियान में धन कि कमी हो गयी है. तो क्या उन्हें कैप्स और पेन बेचने की ज़रूरत है? कौन जाने. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि गंगा मैली है और जो मोदी एप्प का विरोध करेगा वो गंगा विरोधी माना जाएगा. भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, ” सामान की प्रस्तावित बिक्री को स्वच्छ गंगा परियोजना में नागरिकों को शामिल करने के रूप में देखा जा सकता है.” अगर, ये मोदी के चुनाव अभियान में मदद का साधन बन जाता हैं तो निश्चित रूप से एक अतिरिक्त लाभ होगा. माँ गंगा बुरा नहीं मानेगी.
निष्पक्ष रूप से देखें तो नरेंद्र मोदी की ब्रांड बिल्डिंग कोई विशेष बात नहीं है. गांधी परिवार इसका मास्टर रहा हैं. मोदी तो बस नोटबुक और पेन पर अपना नाम डाल रहे हैं, जबकि गांधियो ने सड़कों, पुलों, अस्पतालों, पुरस्कारों, स्टेडियमों, कॉलेजों, हवाई अड्डों को अपना नाम दे दिया है. लेकिन जो अलग बात है वो ये कि कांग्रेस अपने नेताओं के देवत्वाधान में विश्वास करती है. मोदी के भारत में, देवत्वाधान बुद्धिमानी से ज़्यादा पॉप डिज़्नी-फ़िकेशन के साथ आता है.
तो मोदी की ऐसी छवि हो गई है कि वो लोगों में विस्मय पैदा करते है, साथ ही एक फ्रीज मैगनेट्स के रूप में भी देखे जाते है.
जैसा कि संतोष देसाई कहते है, ब्रांड भारत का विचार “ये दिखाता है कि भारत में अब उसकी छवि और भूमिका को लोगों तक पहुंचाने वालें ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है जो इसका प्रचार जोर शोर से करते हैं.” पर ये ऐसा भारत भी है जिसे आप पहन ओढ़ सकते हो, जोकि आप शायद एक एयरपोर्ट या हाइवे को नहीं कर सकते. देसाई लिखते है “ कई तरह से ब्रांड इंडिया बाज़ार इंडिया है जो कि राष्ट्रीय रंग पहन रह है और जिसके नागरिक उपभोग की दुनिया के वाशिंदे है.” टीम मोदी जितना अच्छे से इस बात को समझती है दूसरा कोई और नहीं समझता.
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अमेरिका अपने नेताओं को मार्किट करके उनका ब्रैंड के रूप में प्रयोग करने में अग्रणी रहा रहा है. यदि आप डोनाल्ड ट्रम्प शॉप में जाते हैं तो आप ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (मागा ) पाइंट ग्लास, ‘स्टैंड अप फॉर अमेरिका’ फुटबॉल जर्सी, और यहां तक कि एक ट्रम्प-पेंस कुत्ते का कॉलर और पट्टा भी खरीद सकते हैं. व्हाइट हाउस की उपहार की दुकान ओबामा द्वारा हस्ताक्षरित लकड़ी के अंडे बेचती है, मिशेल ओबामा की बॉबल गुड़िया और 1,000 टुकड़े वाली जिगसॉ पहेली- जिसमें ओबामा बिल क्लिंटन, जॉन एफ कैनेडी, थॉमस जेफरसन और अन्य के साथ पूल खेल रहे दिखते हैं. ऐसी दुनिया में जहां सब कुछ उपभोग के लिए तैयार है, राजनीतिक नेताओं को क्यों छोड़ा जाना चाहिए? एक छोटा टुकड़ा ही सही लेकिन अब हम अपने ‘मालिकों’ को खरीद सकते हैं जैसे उन्होंने हमें खरीद रखा है.
ये भी पढ़ें : Modi, like Richard Branson, is a brand that needs undiluted attention
हमारे पास ऐसी दुकाने है जो मोदी का मुखौटा, कुर्ता और जैकेट्स को बेचती है. मिठाई की दुकानों में मोदी पेडा भी हैं. बाज़ार की मांग खुद मोदी ब्रांड की बिक्री का ठप्पा बन गया है. यह आश्चर्य की बात नहीं है कि टीम मोदी के लोग उन्हें उस स्थान पर बनाये रखना चाहते है जहां हमारा एक शक्तिशाली राजनीतिज्ञ का क्रेज़ और बेलगाम ब्रांड के प्रति दीवानगी को छूता है. इस प्रकार, मोदी की रैली में मोदी मास्क, मोदी टी शर्ट पहने हुए, उत्साहित फेन्स एक तगड़ी छवि पेश करती है- एक ऐसे ब्रांड की छवि जो वायरल हो रही है- मानो एक मोदी अनेको मोदी को संबोधित कर रहे है. ये इस ब्रांड की जीत है.
लेकिन मोदी एप्प इसे एक कदम आगे ले जाता है. एप्प का उद्देश्य प्रधानमंत्री को आम जनता से से जोड़ना था, ताकि उन्हें अपने कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी जा सके. अब, यह सिर्फ मोदी की दृष्टि नहीं बल्कि स्वयं मोदी को भी भी बेच रहा है. एप्प हमें नवीनतम योजना के साथ ही उपहार की दुकान में नवीनतम सामान के बारे में बता सकता है. अब तक सर्वोच्च नेता इस सब से उपर था और उसकी पैकेजिंग और उसकी बिक्री उसके आस पास के लोग करते थे. पर अब, नेता उपहार की दुकान भी हो गया है, जो हर फोन में है जिसमें नमो एप्प है और वो भी मां गंगा के नाम पर. लेकिन फिर राम, तेरी गंगा पहले से ही मैली थी, अब थोड़े से ई-कॉमर्स से क्या फर्क पड़ता है? एप्प आपको बीजेपी को 5 रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक दान करने की इजाज़त देता है. यह अपना स्वयं का पारिस्थितिकी तंत्र बन रहा है.
असल में, जैसे ही टीम मोदी के राजनेताओं ने सोशल मीडिया का उपयोग एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में किया यह एक दूसरी सीमा हो सकती है जिसे मोदी पहली बार लांघ रहे हैं. अगर यह काम कर गया, तो दूसरे भी ऐसा ही करेंगे. मैं अभी से ही ममता बनर्जी की कविताओं वाले मोबाइल रिंगटोन की कल्पना कर सकता हूँ.
Read in English : The NaMo App is selling not just Modi’s vision but also Modi himself
रागा के “दलित लंच बॉक्स” और बिप्लब कुमार देब की हवा भरने वाली रबड़ की बतख के बारे में क्या ख्याल है जनाब?
संदीप रॉय एक पत्रकार, टिप्पणीकार और लेखक है.