लिबरल आगे बढ़ सकते हैं और मोदी से घृणा कर सकते हैं। यह सिर्फ उनके आधार को मजबूत करेगा और उत्पीड़न की मिथक की तसदीक़ करेगा।
यदि मैंने इसे हेडलाइन दी होती कि लिबरल उपदेश मंच के अयातुल्लाह या मुख्य धर्माध्यक्ष, तो शायद यह अधिक उपयुक्त होता। क्योंकि, उनके द्वारा दिए जाने वाले सभी उपदेशों के लिए शंकराचार्य फतवे जारी नहीं करते हैं। लेकिन आपको इन दिनों सावधान रहना होगा। यदि मैंने ऐसा किया होता तो मैं अल्पसंख्यकों की प्रोफाइलिंग के लिए समान रूप से इन विश्वासों के रूढ़वादियों और “उदारवादियों” दोनों द्वारा लक्षित किये जाने का जोखिम उठाता। इसलिए, अपने स्वयं के हिन्दू साथी के साथ उलझना ज्यादा बेहतर है।
हालांकि, यह तर्क इन महान आस्थाओं में से किसी के भी बारे में नहीं है। मैं मानवजाति के इतिहास में उभरने वाले नवीनतम धर्म पर बात कर रहा हूँ: उदारवाद का आदेश। यह नया है इसलिए इसे अभी भी तनाव की विविधता को विकसित करना है। यह अपनी पवित्र पुस्तक से किसी भी विचलन को बर्दाश्त नहीं करेगा। कोई शिया/सुन्नी नहीं, कोई कैथोलिक/प्रोटेस्टेंट नहीं, कोई वैष्णव/शैव नहीं। यदि आप मेरे पीठ (या आदेश) से सम्बंधित हैं तो आपको पूरी तरह इसके अनुरूप होना होगा। यहाँ कोई अपवाद नहीं है, कोई छूट नहीं, कोई भटकाव नहीं और सप्ताहांत की लम्बी छुट्टी भी नहीं। या तो आप हमारे साथ हो, या हमारे खिलाफ। अब, हम पहले यह पंक्ति जॉर्ज बुश जूनियर से सुन चुके हैं और वह कोई उदार व्यक्ति नहीं थे।
यद्यपि मैं पूछ सकता हूँ कि आप उदार कैसे हो सकते हैं और साथ ही ऐसे बर्ताव करते हैं कि आपके कुछ निर्धारित नियम हैं, व्यवहार है और आपके भाषण में भी यह सब प्रदर्शित होता है।
फिर भी, मैं सबसे पहले आपके द्वारा तय की गयी न्यूनतम आचार संहिता का सारांश निकालने का प्रयास करता हूँ। पहला है, कि मेरी शर्तों पर सेक्युलर रहो इसलिए अपनी धार्मिकता और देवताओं को कचरे में डालो। दूसरा, मुक्त-बाज़ार स्वीकार करो, वैश्वीकरण और अविनियमन विषाक्त, नव-उदारवादी द्वेष हैं। राज्य को अपने सबसे पवित्र देवता के रूप में स्वीकार करो और इसे उत्तम बनाने में बस हमारी सहायता करो। वैसे तो कहने को कहा जा सकता है कि सभी कॉर्पोरेट चोर हैं और मुझे मत पूछना कि अगर कॉर्पोरेट और लुटेरे माफिया नहीं तो और कौन है जो सबसे पवित्र फाउंडेशनों को वित्तपोषण देता है, फोर्ड, रॉकफेलर, बिल एंड मेलिंडा गेट्स, मैकआर्थर, इनलाक्स, टाटा जो समझदारी से बदले में मुझे वित्तपोषित करते हैं। आपके नव-उदारवाद से कोई लेना देना नहीं।
आपको सभी बांधों, बिजली उत्पादन, खनन और कीटनाशकों का भी विरोध करना होगा। स्वीकार करो ट्रम्प बेवक़ूफ़ अमेरिकियों द्वारा चुने गए शैतान हैं लेकिन पुतिन और शी जिनपिंग शायद ऐसे नहीं हो सकते हैं। कम से कम आप उन्हें स्थापित करने के लिए उनके लोगों को दोष नहीं दे सकते। सरकार महान है लेकिन एनजीओ बेहतर हैं, विज्ञान खतरनाक है, खासकर जब इसे निजी क्षेत्रों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ हैं। कोई भी विचलन, इस शरीयत का कोई भी उल्लंघन, यानि कि आप ख़राब निगमों और अमित शाह, या दोनों, के लिए काम करने वाले एक अनुदार शूकर हैं। संक्षिप्त सन्देश: उदार बनो, इसे मेरे तरीके से करो। ठीक वैसे ही, जैसे मैं कहता हूँ।
अमित शाह, क्या हमने यह कहा? इसलिए, अगर आप जज लोया की कहानी को “न्यायाधीश लोया की विवादास्पद मौत” के रूप में वर्णित करते हैं और यहां तक कि एक ताजा और निष्पक्ष जांच की मांग भी करते हैं, तो आप हमारी धार्मिक सोच से अलग हो। एक सच्चा उदारवादी “सही” भाषा का प्रयोग करेगा: न्यायाधीश लोया की हत्या। और जांच में समय क्यों बर्बाद करना कि उनकी मृत्यु कैसे हुई? आप जानते हैं कि उनकी हत्या हुई थी और यह भी जानते हैं किसके द्वारा। बस इस सब को एक में बाँधने के लिए कुछ धागे ढूँढ़ो और अमित शाह को लटका दो। अगर आप इससे भटक जाते हैं तो आप भी अमित शाह से डरते होंगे।
बाकी सभी चीजों का स्वाभाविक रूप से पालन होता है। यदि आप एक प्रसिद्ध बुद्धिजीवी हैं या सोशल मीडिया जिन्हें “इन्फ्लूएंसर”(प्रभाव डालने वाला) कहता है, तो आपके द्वारा बोला जाने वाला हर एक शब्द आपके खिलाफ सबूत हो सकता है। और अंत में, यदि आप एक संपादक हैं तो आप आपकी हर न्यूज़रूम कॉल पर आजमाइश पर होते हैं। पवित्रों में अपनी ही शैली के पवित्र लिबरल शंकराचार्य की नजरें आप पर होती हैं।
हमने इस बुधवार ThePrint.in पर मुंबई की रहने वाली रूपा सुब्रमण्या द्वारा एक लेख प्रकाशित किया था। वह एक अर्थशास्त्री और एक भयंकर ट्विटर योद्धा हैं। पांच सालों तक, वह नरेन्द्र मोदी के सबसे उत्साही समर्थकों में से एक रही हैं और मेरे सहित किसी के भी द्वारा मोदी की आलोचना करने पर निर्ममतापूर्वक क्षमाहीन रही हैं। उन्होंने अब हमें एक लेख की यह कहते हुए पेशकश की कि क्यों वह मोदी के साथ मायूस थीं, क्योंकि उन्होंने मोदी को उनके आर्थिक सुधार के वादे पर समर्थन दिया था और इसकी जगह पर कट्टरता और आर्थिक राज्य-नियंत्रणवाद को स्वीकार नहीं करतीं। इस लेख में बहुत अच्छे तर्क हैं, यदि यह गलती की स्वीकारोक्ति है।
जैसा की अपेक्षित था, इसने भाजपा समूह से दुर्वचनों की बौछार को आमंत्रित किया, उन पर एक “पाखंडी” होने के लिए और हम पर “अपने एजेंडे को पूरा करने हेतु उनके विश्वासघात का इस्तेमाल करने के लिए”। अप्रत्याशित रूप से, इसने ओपेन राइटर्स (जो अपने लेख खुले तौर पर बिना झिझके लिखते हैं), लिबरल रायदाताओं को भी नाराज़ किया। एक समय राईट विंग में रहे “ट्रोल” के लिए हम अपने मंच की पेशकश कैसे कर सकते हैं? हम क्यों उन्हें सम्मानित कर रहे थे और खुद को कम कर रहे थे? तर्क था कि न्यूज़रूम कोर्ट या पुलिस स्टेशन नहीं है क्योंकि उन्होंने “अब भी अपने अतीत के अविवेक के लिए क्षमा नहीं मांगी थी और हमसे क्षमा प्राप्त नहीं की थी”।
अब यह भ्रामक है। आपको लगेगा कि उदारवाद की परिभाषा दूसरों के लिए नियम निर्धारित न करना है और इनका पालन करने पर जोर न देना है। यदि आप मेरे लिए नियम निर्धारित करते हैं, तो अच्छे आचरण और स्वीकार्य (आपके लिए) व्यवहार को परिभाषित करें, आप उदारवादी नहीं हैं। हो सकता है आप नेक हों, मुझसे अधिक धार्मिक हों और संभवतः गाय से अधिक पवित्र हों। लेकिन उदारवादी! नहीं। आप दूसरों को आदेश देते हुए, कि कैसे व्यवहार करना है, क्या कहना है, किसे प्रसिद्ध करना है, एक अयातुल्लाह, पोप या शंकराचार्य हैं। यह उन लोगों के लिए एक चुनौती है जिन्होंने पूरी तरह से एक भिन्न “वाद” में विश्वास किया है: पत्रकारिता, जो बदले में संदेहवाद और (राजनीतिक) अनीश्वरवाद पर आधारित है।
लगभग तीन साल पहले, एक अमेरिकी स्नातक ने उदारवाद के अपने संस्करण के लिए एक छोटी सी लड़ाई जीती थी लेकिन अपनी आस्था के लिए युद्ध हार गयी। कृपया हेलोवीन और सिलीमान कॉलेज, येल विश्वविद्यालय को गूगल करें। संक्षेप में: इस आवासीय विद्यालय के कुछ विद्यार्थियों ने अपने मास्टर और उनके सहयोगी एवं पत्नी से शिकायत की थी कि उन्हें हेलोवीन के लिए ‘क्या करें क्या नहीं’ (ऐसी या वैसी पोशाक न पहनो जिससे एक समुदाय को अप्रसन्नता हो) के बहुत सारे नियम दिए गए हैं। प्रो. एरिका क्राइस्टाकिस ने मूल रूप से उनसे राजनीतिक रूप से अत्यधिक सही होने को लेकर परेशान न होने और मूड हल्का करने के लिए कहते हुए सभी को एक उत्साही ईमेल लिखा। इसने छात्रों के उदार समूह से क्रोधित विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। एक छात्र को मास्टर निकोलस क्राइस्टाकिस से पूछते हुए कैद किया गया, “…तूने पदवी को क्यों स्वीकार किया था?! किस मूर्ख ने तुझे नियुक्त किया था?! तुझे इस्तीफ़ा देना चाहिए! तुझे रात में सोना नहीं चाहिए! तू घिनौना है!”
1:20 मिनट की क्लिप फॉक्स न्यूज़ पर बार-बार दिखाई गयी। इसने पहले से ही बढ़ रहे गोरे अमेरिकियों के गुस्से, जो उन्होंने अतिनाटकीय उदारवादी राजनीतिक शुद्धता के रूप में देखा था, की आग में घी झोंक दिया। इससे मदद नहीं मिली कि यह “कुख्यात रूप से” उदारवादी पूर्वी तट परिसर में था और नाराज छात्रा एक युवा अश्वेत महिला थी। यह कहना बहुत अधिक हो सकता है कि इसने ट्रम्प के लिए चुनाव को प्रभावित किया था। लेकिन निश्चित रूप से, इसने आघात नहीं पहुँचाया था। वाशिंगटन पोस्ट के लिए एरिका क्राइस्टाकिस द्वारा लिखे गए लेख को भी पढ़ें। उन्होंने लिखा, “मेरे हेलोवीन ईमेल ने कैंपस में आग लगा दी और आत्म-अभिवेचन के बारे में चिंतित करने वाला एक सबक दिया। स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार हमारे देश के कुछ महान विश्वविद्यालयों में स्थापित किया जा सकता है, लेकिन सुनने की संस्कृति को मरम्मत की जरूरत है।”
आगे बढ़ो और ट्रम्प के लिए नफरत फैलाओ, सेमिनारों में, पब्स में, कॉफ़ी शॉप्स में, ओप-एड्स में, ट्विटर पर, फेसबुक पर अपनी टी-शर्ट पर। रॉबर्ट डी नीरो जैसे लोगों की तरह सार्वजनिक रूप से उन्हें गलियां देकर वाहवाही लूटो। आप यहाँ मोदी के साथ ऐसा कर सकते हैं। परिणाम एकसमान होगा: इससे उनका आधार ही मजबूत होगा। क्योंकि आपके कार्य उनके लिए उत्पीड़न की मिथक की पुष्टि करेंगे जिसे उदारवादी दक्षिणपंथ ने आपकी कुछ मदद के साथ सफलता पूर्वक बनाया है।
ध्रुवीकृत लोकतन्त्रों में, सत्ता किसे मिलती है का निर्धारण किसी भी तरफ सच्चे विश्वासियों के धर्म-परिवर्तन से नहीं होता है बल्कि उनके द्वारा होता है जो इनके बीच में एक तरफ या दूसरी तरफ जा सकते हैं। यदि आप उन सभी को बुद्धिहीन, असभ्य, अशिक्षित, उदारवादी फिलिस्तीनियों के रूप में आंकते हैं तो वे आप के और दूसरे पक्ष के बीच कोई अंतर नहीं देखेंगे। आप उन्हें खो देंगे, क्योंकि दूसरा पक्ष खेद न व्यक्त करने वाले राष्ट्रवाद और सामूहिक शिकायतों के विश्वासप्रद भाषण के साथ आयेगा।
इसलिए, वो लोग जो खुद को उदारवादी कहते हैं उन्हें खंदक बनाने, दीवारें खड़ी करने और द्वीप को नष्ट होने देने की बजाय अपने व्यक्तिगत विचारों का विस्तार करना चाहिए और इसे साझा करना चाहिए। और जैसे एरिका क्राइस्टाकिस ने कहा, सुनने की संस्कृति की मरम्मत करनी चाहिए।
Read in English: The holier-than-cow Indian liberal elite is actually Modi’s best friend and ally