पिछले कुछ सालों में, आमने-सामने एक-दूसरे से बात करने के बजाय लोग स्क्रीन पर समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं. त्वचा संबंधी समस्याओं वाले मेरे कई मरीज़ अलग-अलग स्क्रीन के सामने रोज़ाना लगभग 12 घंटे तक बिताते हैं.
आज की दुनिया में, स्क्रीन पर समय बिताना अपरिहार्य है, चाहे काम के लिए हो, मनोरंजन के लिए हो या सामाजिक रूप से एक-दूसरे के साथ जुड़ने के लिए हो. हम नीली रोशनी (ब्लू लाइट) उत्सर्जित करने वाली स्क्रीन के सामने अनगिनत घंटे बिताते हैं. जबकि हममें से ज़्यादातर लोग अपनी आँखों और नींद के पैटर्न पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं, हमारी त्वचा पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में कम ही चर्चा की जाती है, लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
यह जानने के लिए पढ़ें कि स्क्रीन की रोशनी, ख़ास तौर पर नीली रोशनी आपकी त्वचा को कैसे प्रभावित करती है और संभावित नुकसान से इसे कैसे बचाएँ.
नीली रोशनी का प्रभाव
हाई-एनर्जी विजिबल (HEV) प्रकाश के रूप में भी जाना जाने वाला नीला प्रकाश, दृश्यमान प्रकाश स्पेक्ट्रम का हिस्सा है, जिसकी तरंगदैर्घ्य 400 से 490 नैनोमीटर तक होती है. यह प्राकृतिक रूप से सूर्य द्वारा उत्सर्जित होती है, लेकिन डिजिटल स्क्रीन, LED लाइट और फ्लोरोसेंट लाइटिंग जैसे कृत्रिम स्रोतों के कारण हमारा एक्सपोज़र और ज्यादा बढ़ गया है.
स्किन बैरियर का खराब होना
स्किन बैरियर, जो पर्यावरणीय रूप से नुकसान पहुंचाने वालों से बचाती है और नमी बनाए रखती है, उसे नीली रोशनी की वजह से नुकसान पहुंच सकता है. यह नुकसान सूखापन, सेंसिटिविटी और मरम्मत व पुनर्जीवित करने की कम क्षमता का कारण बन सकता है. यह त्वचा की जलन और सूजन का कारण बन सकता है. स्वाभाविक रूप से, यह मुँहासे, रोसैसिया और एक्जिमा जैसी मौजूदा त्वचा की स्थितियों को बढ़ा सकता है. यह मेलास्मा का कारण भी बन सकता है, जो हाइपरपिग्मेंटेशन का एक रूप है.
चूंकि नीली रोशनी यूवी किरणों के विपरीत त्वचा में गहराई तक प्रवेश करती है, इसलिए यह ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकती है जो त्वचा कोशिकाओं, कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को नुकसान पहुंचाती है. यह आपकी त्वचा की लोच और दृढ़ता को कम करता है, जिससे समय से पहले बुढ़ापा आता है. और नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मेलानोसाइट्स उत्तेजित हो सकते हैं, जो मेलेनिन उत्पादन के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं हैं. इसके परिणामस्वरूप हाइपरपिग्मेंटेशन हो सकता है, जो विशेष रूप से गहरे रंग की त्वचा वाले व्यक्तियों में ध्यान देने योग्य होता है, जिससे त्वचा का रंग असमान हो जाता है और काले धब्बे पड़ जाते हैं.
नींद का महत्व
त्वचा संबंधी समस्याओं के अलावा, रात में नीली रोशनी के संपर्क में आने से स्लीप साइकिल में बाधा आ सकती है, क्योंकि यह मेलाटोनिन के स्राव को प्रभावित कर सकती है, जो नींद को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हार्मोन है. खराब नींद की गुणवत्ता आपके दिमाग, शरीर और त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप आप थके हुए और तनावग्रस्त दिखते हैं.
अपने 13 वर्षों के अभ्यास के दौरान, मैंने हमेशा अपने रोगियों से कहा है कि नींद एक ऐसी चीज है जिससे आपको कभी समझौता नहीं करना चाहिए. उचित नींद – आठ घंटे का बिना किसी बाधा के आराम – आपकी त्वचा की मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है.
नीली रोशनी से सुरक्षा
हमारे दैनिक जीवन में स्क्रीन और नीली रोशनी की व्यापक उपस्थिति को देखते हुए, अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक उपाय अपनाना आवश्यक है. इसके लिए यहाँ कुछ प्रभावी रणनीतियाँ दी गई हैं:
ब्लू लाइट रोकने वाला चश्मा
यदि आप स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहते हैं, तो नीली रोशनी को फ़िल्टर करने के लिए डिज़ाइन किए गए चश्मे का उपयोग करें.
प्रोटेक्टिव कपड़ा
ज्यादा से ज्यादा त्वचा को ढकें, विशेष रूप से अपनी बाहों को. यह नीली रोशनी के संपर्क में आने से एक अतिरिक्त फिज़िकल बैरियर प्रदान करता है.
स्क्रीन प्रोटेक्टर
स्मार्टफ़ोन, टैबलेट और कंप्यूटर स्क्रीन के लिए नीली रोशनी को फ़िल्टर करने के लिए डिज़ाइन किए गए स्क्रीन प्रोटेक्टर में निवेश करें. वे आपकी त्वचा तक पहुँचने वाली नीली रोशनी की मात्रा को काफी कम कर देते हैं.
स्क्रीन सेटिंग समायोजित करें
नीली रोशनी के उत्सर्जन को कम करने के लिए अपने डिवाइस पर “नाइट मोड” एनेबल करें या “ब्लू लाइट फ़िल्टर” का उपयोग करें. ये सेटिंग स्क्रीन के रंग के तापमान को समायोजित करती हैं, जिससे विज़िबिलिटी से समझौता किए बिना नीली रोशनी का जोखिम कम हो जाता है.
हेल्दी स्किन केयर रूटीन
एक सुसंगत त्वचा की देखभाल का रूटीन फॉलो करें, जिसमें सफाई, मॉइस्चराइजिंग और दैनिक सनस्क्रीन लगाना शामिल है. पर्याप्त हाइड्रेशन एक मजबूत स्किन बैरियर को बनाए रखने में मदद करता है. एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन चुनें जो UVA/UVB किरणों और नीली रोशनी से बचाता है. जिंक ऑक्साइड, टाइटेनियम डाइऑक्साइड और आयरन ऑक्साइड जैसे तत्वों की तलाश करें, जो नीली रोशनी के खिलाफ बैरियर पैदा करते हैं.
एंटीऑक्सीडेंट शामिल करें
विटामिन सी, विटामिन ई, नियासिनमाइड और फेरुलिक एसिड जैसे एंटीऑक्सीडेंट युक्त स्किनकेयर उत्पादों का उपयोग करें. वे नीली रोशनी के संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाले फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने और आपकी त्वचा की सुरक्षा को मजबूत करने में मदद करते हैं.
स्क्रीन टाइम को मैनेज करें
20-20-20 नियम का उपयोग करके स्क्रीन टाइम को सीमित करें और ब्रेक लें: हर 20 मिनट में, कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें. यह अभ्यास आँखों के तनाव को कम करता है और नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क को सीमित करता है.
अपनी दैनिक स्किनकेयर दिनचर्या में इन सुरक्षात्मक उपायों को शामिल करने से नीली रोशनी से प्रेरित त्वचा के नुकसान के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. और अपनी त्वचा के प्रकार और विशिष्ट चिंताओं के अनुसार इन रणनीतियों को तैयार करने के लिए त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करना न भूलें. हमारे डिजिटल युग में, आपकी त्वचा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है कि यह तकनीक के लगातार संपर्क में रहने के बावजूद स्वस्थ और लचीली बनी रहे.
(डॉ. दीपाली भारद्वाज एक त्वचा विशेषज्ञ, एंटी-एलर्जी विशेषज्ञ, लेजर सर्जन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित एस्थेटिशियन हैं. उनका एक्स हैंडल @dermatdoc है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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