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Saturday, 20 April, 2024
होममत-विमतएक इंस्टाग्रामर ने वो कर दिखाया जो दो सरकारें नहीं कर पाईं. भारत-पाकिस्तान में एक साथ ‘पावरी होरई है’

एक इंस्टाग्रामर ने वो कर दिखाया जो दो सरकारें नहीं कर पाईं. भारत-पाकिस्तान में एक साथ ‘पावरी होरई है’

मीम अब दो परमाणु संपन्न दुश्मन पड़ोसियों जो आपस मे बात नहीं कर रहे,के बीच विश्वास जगाने का नया जरिया बन गए हैं. पावरी से साथ पाकिस्तानी कह रहै हैं- घर में घुस कर हंसी से मारा.

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भारत और पाकिस्तान सरहदों के कारण तो बंटे हुए हैं, मगर ‘पावरी’ इन दोनों को जोड़ती है. इन दोनों देशों के लोग एक ही चीज को पसंद करें और उसके बारे में उनकी बातचीत कभी खत्म न हो, ऐसा सदियों में ही कभी होता है. उसे मीम का शुक्र मानिए कि उसने जो कर डाला वह कई सरकारें न कर पाईं.

इस मीम में इन्स्टाग्रामर दानानीर मोबीन ‘बोर्गोरों’ यानी मुल्क के कुलीन तबके वालों के अंग्रेजी उच्चारण की नकल करते हुए बताते हैं कि वे जब मुल्क के उत्तरी हिस्से के सफर पर होंगे तब अपनी कार, खुद अपने बारे में, और वे किस तरह पार्टी कर रहे हैं उसके बारे में कुछ इस तरह कहेंगे—‘ये हमारी कार है, और ये हम हैं, और ये हमारी पावरी होरई है.‘ बर्गरों को लेकर एक और मीम मजहब सामने आ सकता है, और हम उसके पहले भक्तों में शुमार हो सकते हैं.

हम पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआइ) के समर्थक जोहैर टोरू के इस कटाक्ष को नहीं भूले हैं कि ‘अगर पुलिस हमें मारेंगे तो हम इंकिलाब कैसे लाएंगे? ये मेरा भाई गर्मी में खराब हो गया है’. और पुलिस वाले उनके पीछे डंडा लेकर क्यों पड़े हैं? क्योंकि वह नये जमाने का भगत सिंह है.


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भारत-पाकिस्तान एक हैं

हम इसे तब इसकी मासूम बेबाकी के कारण पसंद करते थे, आज हम दानानीर की आकर्षक प्रस्तुति के कारण पसंद करते हैं. यशराज मुखाते के संगीत से गुलज़ार यह ‘पावरी’ हमारे समय का रूपक बन गया है. यह तबकों तथा औरत-मर्द के भेदों, और बेशक मुल्कों के बीच की सरहदों को पार कर चुका है. टिकटॉक पर एक नज़र डालने से ही पता चल जाता है कि गांवों और शहरों के युवाओं ने किस तरह इस मीम की पुनर्रचना की है. ट्विटर पर हैशटैग को फॉलो कीजिए और देख लीजिए कि लड़के-लड़कियां, अंकल-आंटी किस तरह ‘पावरी’ कर रही हैं; टीवी चला लीजिए, आप पाएंगे कि एंकर भी अपना टॉकशो शुरू करने से पहले तीन जादुई लाइनें दोहरा रहे हैं; सामाजिक और राजनीतिक बहसों को सुनिए, एक मिनट भी नहीं बीतेगा कि कोई-न-कोई यह कहता मिलेगा— ‘पावरी होरई है’.

देसी सियासी दुश्मनों को अब एक-दूसरे पर हमला करने का एक नया हथियार मिल गया है.

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अगर भारत के लोग पेट्रोल की महंगाई के खिलाफ गुस्सा जाहिर करना चाहते हैं तो मीमे होगा— ‘लुटाई होरई है!’ अगर पाकिस्तानी लोग महंगाई पर गुस्सा उतरना चाहते हैं तो वे वजीरे आजम इमरान खान को कार चालते हुए दिखाकर कह सकते हैं— ‘तबाही होरई है!’ भारत और पाकिस्तान में पावरी विद्रोह फूट चुका है. भारतीय स्टेट बैंक से लेकर प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो और पुलिस तक हर कोई पब्लिक सर्विस मेसेज भेज रहा है. और दक्षिण अफ्रीका को हराने के बाद पाकिस्तानी क्रिकेट टीम भी मीमे उत्सव में शरीक हो गई है.

हैरानी की बात यह भी है कि पाकिस्तानी लोग इसलिए खुश हैं कि एक बार फिर उन्होंने मीम की दुनिया में अपना योगदान दिया है. पहले वे ‘आंटी गोर्मिण्ट’, ‘मारो मुझे मारो’, ‘वाउ, दैट्स ग्रेप’ जैसे हिट दे चुके हैं. अब, ‘पावरी’ ने वह कर डाला है जो उनकी फौज कभी नहीं कर पाई— ‘घर में घुस के लाफ्टर से मारा’. जाहिर है, चूंकि यह फरवरी का महीना है तो अभिनंदन भी होगा, बस 27 तारीख का इंतजार कीजिए. आप सबको मालूम है कि इस तारीख को क्या हुआ था, याद है न? दो साल पहले, इस तारीख को शानदार जीत हुई थी जब अभिनंदन पाकिस्तानी चौकी के अंदर आ गिरे थे. उसकी सालगिरह जल्द ही आ रही है, और पुराने कटाक्ष नया मीमे बनेंगे—‘पावरी हो रही है’ और ‘अभिनंदन की पिटाई हो रही है’, दोनों में होड़ लगेगी. आप जानते ही हैं, जुनून कभी मरता नहीं.

हक़दार को नाम मिले

अब जबकि हम नया मीमे उत्सव माना रहे हैं, हमें अंग्रेजी भाषा का शुक्रगुजार होना चाहिए, जो कि पाकिस्तान में ऊंचे लोगों के बीच हमेशा बातचीत का मुद्दा बना रहता है. गुलामी के बाकी बचे असर का नतीजा था कि हाल में इस्लामाबाद के दो रेस्तरां मालिकों ने अपने एक कर्मचारी का जब इसलिए मखौल उड़ाया कि वह ‘अच्छी अंग्रेजी’ नहीं बोल पाता, तो इसको लेकर एक अहम बहस शुरू हो गई. लेकिन जल्दी ही असली मुद्दा फीका पड़ गया और बहस ‘पूरब बनाम पश्चिम, उर्दू सबसे उम्दा’ के इर्दगिर्द सिमट गई.

मशहूर लोकगायक नसीबो लाल द्वारा गाए पाकिस्तान सुपर लीग के गान ‘ग्रूव मेरा’ में कुछ अंग्रेजी शब्दों का जिस तरह से उच्चारण किया गया उससे कई लोगों के दिल जल गए. उनमें प्रमुख थे शोएब अख्तर, जिनका मानना था कि ग्रूव का मतलब नाली ही होता है, और ‘क्राउड’ तथा ‘ऐम स्योर’ का वाजिब उच्चारण नहीं किया गया. उन्होंने इस गान के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर मुकदमा भी दायर कर दिया, यहां तक कि उन्होंने संगीतकारों के लिए नेशनल टेलीविज़न पर भद्दी भाषा का इस्तेमाल भी किया. वे इसके प्रोडक्शन से इतने हताश हो गए मानो वे ही अगले ए.आर. रहमान हों जिन्हें कोई पहचान नहीं रहा. अब, यह कहना मुश्किल है कि अंग्रेज़ तो चले गए मगर शोएब को क्यों छोड़ गए.

पावरी के बारे में अनूठी बात यह है कि 19 साल के लड़के ने महज पांच सेकंड में खास लहजा-पसंद बर्गरों को प्रभावित कर लिया और हिट हो गया. आज विस्तृत ज्ञान के लिए किसी के पास समय नहीं है, सबको बस अपनी बात कहने के लिए फटाफट कनेक्सन चाहिए. दानानीर मोबीन ने बस यही किया. और भारत के यशराज मुखाते ने उसे सुरीला बना दिया.

कम-से-कम इस सप्ताह के लिए तो पाकिस्तान और भारत को साझीदारी की कोई चीज नज़र आई, वह भी तब जब न इधर कोई भुट्टो थे और न उधर कोई गांधी थे. दोनों देशों में ‘पावरी होरई है’.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह @nailainayat हैंडल से ट्वीट करती हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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