सिद्धू मूसे वाला की हत्या ने सभी को पंजाब की पॉप संगीत संस्कृति का जानकार बना दिया है. हर कोई संगीत और बंदूकों की बात करता नजर आ रहा है. एक लोकप्रिय धारणा बन गई है कि पंजाबी गाने बंदूक और हिंसा को महिमांडित करते हैं. लेकिन आकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. अगर पूछा जाए कि पंजाबी गाने किन भावनाओं को ध्यान में रखकर लिखे और गाए जाते हैं? तो ये जानकर शायद आपको आश्चर्य हो कि ज्यादातर गाने ‘प्यार’ की बात करते हैं और उन्हीं भावनाओं को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं.
यूट्यूब पर 29 पंजाबी गाने हैं, जिन्हें 50 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. इन 29 गानों में से चार को तो सौ करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. इनमें से केवल एक गाने में हत्या का महिमामंडन करते हुए बंदूक का इस्तेमाल किया गया है. बाकी सभी पंजाबी गानों में ‘प्रेम’ और उससे जुड़ी भावनाएं हावी रहीं है.
29 सबसे लोकप्रिय पंजाबी गानों में से लगभग 18 यानी लगभग 62 प्रतिशत लव सांग्स हैं.
पंजाबी गाने बेहद लोकप्रिय
पंजाबी गानों की लोकप्रियता को मापने के लिए अपने विश्लेषण के लिए मैं यू टयूब संगीत वीडियो पर भरोसा कर रहा हूं. हालांकि Spotify, Amazon Music और Apple Music जैसे कई अन्य ऑडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म भी मौजूद हैं, लेकिन भारत में इनमें से हर एक की एक अलग पहुंच है. यू ट्यूब का फ्री होना इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इसे देख पाना या इस तक पहुंच बनाना संभव बना देता है. इसलिए मैंने आकलन करने के लिए संगीत वीडियो के व्यूज का इस्तेमाल किया है.
म्यूजिक डेटा रखने वाले kworb.net के मुताबिक, 7 जून तक लगभग 101 भारतीय संगीत वीडियो को दुनिया भर में आधा अरब से अधिक लोगों ने देखा है. बॉलीवुड देश में सबसे लोकप्रिय गाने बनाने में माहिर है, शायद इसी वजह से यू ट्यूब पर डाले गए लगभग 61 संगीत वीडियो हिंदी में बनाए गए और बाकी के 40 गाने क्षेत्रीय भाषाओं से थे.
और इन 40 संगीत वीडियो में से 29 गाने पंजाबी में गाए गए थे. इसका सीधा सा मतलब है कि राज्य का संगीत गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में भी काफी पसंद किया जाता है. पांच गानों के साथ 50 करोड़ से थोड़े अधिक बार देखे गए हरियाणवी पॉप सॉंग्स भी लोकप्रियता सूचकांक में उच्च स्थान पर रहे. इसके बाद चार भोजपुरी संगीत वीडियो, तमिल और तेलुगु में एक-एक वीडियो आते हैं.
बंदूकें कहां हैं?
जैसा कि प्रसिद्ध अमेरिकी कार्यकर्ता मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने एक बार कहा था, ‘ घृणा जीवन को पंगु बना देती है, प्रेम इसे मुक्त कर देता है, घृणा जीवन को भ्रमित करती है, प्रेम इसमें सामंजस्य बिठाता है, घृणा जीवन को अंधकारमय कर देती है, प्रेम इसे प्रकाशित करता है’ पंजाबी संगीत भी प्रेम को अपनी थीम बनाकर उभरता रहा है.
मन्नत नूर के ‘लौंग लाची’ ने बड़ी आसानी से लोगों के दिलों में जगह बना ली. इसे यू ट्यूब पर 140 करोड़ से अधिक बार देखा गया है और इसे पसंद करने वालों में पंजाब और हिंदी भाषी दोनों क्षेत्रों के लोग थे. इस गाने में एक लड़की अपने प्यार के लिए लौंग (लौंग) और लची (इलायची) जैसे रूपक शब्दों का इस्तेमाल करती है.
गुरु रंधावा के ‘हाई रेटेड गबरू’ और ‘लाहौर’ को क्रमशः 113 करोड़ और 102 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया.
पंजाबियों को शराब और कपड़े पसंद
पंजाबियों को डिजाइनर कपड़ों से गहरा लगाव है. ज्यादातर गाने अक्सर परिधान को उनके लिटमोटिफ के रूप में चलाते हैं. और यह इस हद तक है कि इसके चलते मुझे कपड़ों की थीम वाले गानों के लिए एक अलग कैटेगरी तैयार करनी पड़ी.
जस मानक के ‘लहंगे’ को 148 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं. इस गाने में एक लड़की अपने प्रेमी से उसके लिए एक महंगा लहंगा खरीदने के लिए कहती है. काला चश्मा, प्रादा, चिट्टियां कलाइयां जैसे गाने भी इस सूची में आते हैं. इनमें से हर एक को 65 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है.
पंजाबी गानों में शराब भी एक ऐसी थीम है जिस पर बार-बार गाने बनाए जाते रहे हैं और इन्हें खासे पसंद भी किए जाता है. अब आप कमल कहलों और परम सिंह के ‘दारू बदनाम करदी’ गाने को ही लें. इसे 95 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है, जबकि लगभग हर ‘दारू-पार्टी’ में बजने वाले शैरी मान के 3-पेग गाने को 69.2 करोड़ व्यूज मिले हैं.
हिंसा का जिक्र करने वाला एकमात्र पंजाबी गाना 8 पारचे रहा, जिसे बानी संधू और गुर सिद्धू ने गाया था. इस गाने में लड़की बताती है कि कैसे उसके प्रेमी के खिलाफ 8 ‘पर्चे’ (पुलिस मामले) ने उनकी शादी में रुकावट डाल दी. इसके बावजूद उसका ये साथी उन लोगों के खिलाफ हिंसक चीजों का इस्तेमाल करता है जो उसकी प्रेमिका के साथ छेड़छाड़ करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि वीडियो के अंत तक उसकी प्रेमिका ही अपने प्रेमी के खिलाफ बंदूक पकड़े हुए आदमी को गोली मार देती है. वीडियो को 72.9 करोड़ बार देखा जा चुका है. और यह इस तरह का एकमात्र गाना है जिसने इतना पसंद किया गया.
आइए अहिंसा का गुणगान करें
आप तो आप जान ही गए होंगे कि ‘ प्यार’ को लेकर बने गानों से पंजाबी कलाकारों को दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने की ज्यादा संभावनाएं है. हालांकि कुछ गायक अपने वीडियो में पंजाब को एक गिरोह के रूप में दिखाने की कोशिश करते हैं – जैसे मनकीरत औलख, दिलजीत दोसांझ और यहां तक कि सिद्धू मूसे वाला भी.
मुझे लगता है कि बंदूकों को लेकर बनाए गए गानों की शेल्फ लाइफ कम होती है क्योंकि हमारे पास गुणवत्ता वाले पंजाबी संगीत को पसंद करने वाले श्रोताओं का एक बड़ा हिस्सा है. कैसेट्स के एक गौरवशाली युग में गाने को रिलीज करना एक मुश्किल काम था. लेकिन इसके उलट आज ऐसा करना आसान है. गुरदास मान से लेकर हरभजन मान तक और अमरिंदर गिल से लेकर बब्बू मान तक, हमने जो कुछ सुना वह संगीत अपने शुद्धतम रूप में था. बंदूकों का महिमामंडन करने वाले गीत शायद ही इनमें से किसी के मिलेंगे. इसलिए, बूमर्स, बेबी बूमर्स, मिलेनियल्स और जेन-वाई किड्स का एक बड़ा हिस्सा संगीत में बेहतर स्वाद के साथ बड़ा हुआ है. – यह ऐसे लोगों का एक वर्ग है जिनके लिए ऐसे गन-ग्लोरिफायर गाने ज्यादा कलात्मक मूल्य नहीं रखते हैं.
हमारे पास एक ऐसी पीढ़ी भी है जिसने महान कवि शिव कुमार बटालवी के आत्मा को झकझोर देने वाले शब्दों को सुना है और साहिर लुधियानवी के गीतों को गढ़ा है. इस पीढ़ी ने सुरिंदर कौर और पाकिस्तान की नूरजहां की सुरीली आवाज भी सुनी है. पंजाबी संगीत अतीत में गुणवत्ता से भरा था, लेकिन आज गानों की शैली ‘गैंगस्टा रैप’ की तरफ जाती नजर आ रही है. यह समझने के लिए कि पंजाब में ‘गैंगस्टा’ रैपर्स कैसे आगे बढ़ रहे हैं, मैंने एक युवा गायक हस्तिंदर से बात की, जो 2014 से संगीत उद्योग में है और एक ऐसी पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं जो अपने गानों से बंदूक और हिंसा को दूर रखना चाहते है.
हस्टिंदर ने कहा कि बंदूकों को अपनी थीम बनाकर रैप बनाना आसान है. लेकिन गुणवत्तापूर्ण संगीत बनाना चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘आपको केवल 25-30 डॉलर में बीट्स खरीदने और फिट होने वाले गीत जोड़ने की ज़रूरत है. ये एनआरआई गायक पश्चिम की ‘गैंगस्टा’ रैप शैली को भारत में लाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बात का आकलन किए बिना कि यहां किस तरह के दर्शक मौजूद हैं.’ जब कोई पंजाबी संगीत के बारे में सोचता है तो ज्यादातर कुछ ग्रूवी बीट्स, पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र और ‘सुर’ और ‘ताल’ दिमाग में आते हैं. लेकिन इनमें से कोई भी गन ग्लोरिफायर वास्तव में अच्छा संगीत बनाने के लिए इनकी परवाह नहीं करता है.
जहां तक लाखों व्यूज का सवाल है- तो अगर मुझे बंदूक की महिमा करने वाले गायक का बहिष्कार करना है, तो क्या मेरे पास ऐसी कोई लिस्ट है? मनकीरत औलख और सिद्धू मूस वाला के बजाय, हार्डी संधू और गुरु रंधावा के ‘प्यार और इच्छा’ की थीम को लेकर बने उनके गानों को देखें. पंजाबी सूफी संगीत अपने आप में एक अलग शैली है, जिसे सतिंदर सरताज और वडाली भाइयों ने आगे बढ़ाया है. नूरां बहनों ने भी पंजाबी लोककथाओं को हमारी पीढ़ी के सामने लाकर पारंपरिक संगीत के साथ बहुत न्याय किया है. और अली सेठी की पसूरी सुनने के बाद, मुझे लगता है कि हमारे यहां पड़ोसी देश से कुछ और बेहतरीन संगीत आ सकता है.
बदलाव साफ दिखाई दे रहा है और हमें उम्मीद है कि बंदूक हिंसा के इर्द-गिर्द बढ़ती बातचीत युवा गायकों को अपनी थीम से बंदूकों को बाहर रखने के लिए प्रेरित करेगी. एक जिम्मेदार श्रोता के रूप में हम उन्हें उचित सम्मान के साथ लाइक और व्यूज देंगे, जो डेटा में नजर आएगा.
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