तालिबानी, जब 2008-09 में इस्लामाबाद के करीब पहुंच रहे थे, तब सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की दुविधा इस बात से और भी गहरी हो गई थी कि अमेरिका में एक ‘प्लान-बी’ पर विचार होने लगा था, जिसके तहत अमेरिका को जरूरी लगा तो वह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है. भारत के खुफिया हलक़ों में ऐसी कहानियां कही-सुनी जाने लगी थीं कि पाकिस्तान ने परमाणु हमले करने के अपने तामझाम को पश्चिमोत्तर सरहदी सूबे (एनडब्लूएफपी) से हटाकर सिंध और बलूचिस्तान में पहुंचाना शुरू कर दिया है. आज, जो उपग्रह चित्र हासिल हुए हैं वे कुल मिलाकर इसकी पुष्टि करते हैं.
‘शैडोब्रेक’ (Shadowbreak) द्वारा प्रस्तुत और @detresfa (@डीट्रेस्फ़ा) द्वारा पता लगाए गए उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि भारी सुरक्षा वाले दो अड्डों का काफी विस्तार किया गया है. एक अड्डा बलूचिस्तान में क्वेटा के बाहरी इलाके में है, और दूसरा सिंध में हैदराबाद से कुछ किलोमीटर दूर इसके बाहरी इलाके में है. इस बात के अहम सबूत मिलते हैं कि ये दोनों अड्डे पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडार भी हैं.
समुंग्ली
यह अड्डा बलूचिस्तान में दो फौजी अड्डों के बीच स्थित है- समुंग्ली एअर बेस और खालिद एअर बेस के बीच. समुंग्ली एअर बेस पाकिस्तानी वायुसेना के 23वें और 28वें स्क्वाड्रनों का अड्डा है, जहां से एफ-7 और जेएफ-17 फाइटर विमान उड़ाए जाते हैं. माना जाता है कि खालिद एअर बेस ड्रोन का अड्डा है, जिसे जबरदस्त सुरक्षा प्रदान की गई है. इसके बावजूद इस अड्डे को जो अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई है वह गौर करने वाली बात है.
चित्र 2 में तीन वृताकार घेराबंदी पर गौर कीजिए, जिसमें सबसे अंदर की घेराबंदी में निगरानी टावर भी बने हुए हैं. कुछ इलाकों में हरेक घेराबंदी के बीच की दूरी में फर्क है. घेराबंदी बहुत कसी हुई है और तीनों वृत्तों के बीच बड़ी दूरी रखी गई है, जो हरेक परिधि के लिए अलग खतरे के एहसास को उजागर करती है. पास के खालिद और समुंग्ली वायुसेना अड्डों की, जिन पर 2014 में बड़े हमले हुए थे, तिहरी घेराबंदी नहीं की गई है जो हाइ-सिक्यूरिटी वाले इस क्षेत्र की की गई है और यह बताती है कि यह एक स्पेशल ज़ोन है.
8-8 मीटर चौड़ी कई सुरंगों में से दो सुरंग चित्र के इन्सेट में दिखाए गए हैं. इनमें से एक के बाहर 14 मीटर लंबा कंटेनर ट्रक खड़ा है, जिसके पास ही बाड़ दिख रही है. दूसरी सुरंग के पास कुछ निर्माण कार्य चल रहा है. रेल का नेटवर्क सुरंगों तक आने वाली सड़क के आखिरी छोर से शुरू होता है. इससे यहां जमा किए जा रहे ट्रांसपोर्टर एरेक्टर लाउंचर (टेल) पर बड़ी मिसाइलों का आवागमन बाधित होता है. इन मिसाइलों में पाकिस्तान के कब्जे वाली वे बड़ी मिसाइलें भी हैं जो भारत पर मार कर सकती हैं और जिनके लिए 20 मीटर लंबे ‘टेल’ की जरूरत पड़ती है. इसलिए, रेल का इस्तेमाल शायद भारी और बेहद अहम सुरक्षा सामग्री को लाने-ले जाने के लिए होता है.
वैसे, इस ठिकाने पर बेहद मजबूत शेल्टरों के जो दो क्लस्टर बनाए गए हैं वे एकदम अलग दिखते हैं. पहले क्लस्टर को ‘एरिया ऑफ इंटरेस्ट-1’ (एओआइ-1) नाम दिया गया है जिसमें 400 पक्के बंकर हैं.
इसके अलावा, साइट (चित्र 5) पर नियमित रूप से अग्नि गश्त पर ध्यान दें, जिसमें एक समर्पित फायर स्टेशन है।
इनमें से हरेक के सामने वाले हिस्से के आगे दोहरी दीवार बनाई गई है. पहले, हरेक बंकर तक केवल 4 मीटर चौड़ा बेहद संकरा रास्ता है (जो चित्र 4 में दिखाए गए दमकल की चौड़ाई से बाहर निकल रहा है).
AoI2 (चित्रा 6) कुछ बहुत अलग और दिलचस्प विशेषताएं दिखाता है.
दूसरे, पानी से भरे गड्ढे भी हैं. ‘शैडोब्रेक’ के लोगों ने बताया कि इसका मतलब यह है कि ‘उन बंकरों में बेहद विस्फोटक चीज़ें रखी हैं.’ इसलिए दमकलों की खातिर पानी के गड्ढे बनाए गए हैं.
- यहां के बेहद मजबूत शेल्टरों के सामने पहाड़ की चट्टान तो है ही, एक दीवार भी बनाई गई है, जो एओआइ-1 शेल्टरों के मुक़ाबले प्रवेशद्वार से काफी दूरी पर है. इससे दो संकेत मिलते हैं. एक तो यह कि एओआइ-1 के विपरीत इस शेल्टर में बड़े वाहन घुस सकते हैं. दूसरे, आगे जो दीवार बनाई गई है वह पतली है, जिसका मतलब यह है कि स्मार्ट हथियारों के हमलों को नाकाम करने की चट्टानों की क्षमता पर पूरा भरोसा है.
- अजीबोगरीब ऐंगल से मोटी दीवार बनाने का एकमात्र मकसद बाहर के प्रवेशद्वार से किए जाने वाले विस्फोट को नाकाम करना लगता है. यानी, अगर बंकर हाथ से गया तो भी परिसर सुरक्षित रहे.
हम जानते हैं कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को टुकड़ों में और सुरक्षित रखने के लिए कितनी सावधानी बरतता है. इसी लिहाज से लगता है कि यह अड्डा परमाणु वारहेड्स को जोड़ने के काम के लिए बनाया गया है. इस योजना के अनुसार मिसाइल/डेलीवरी प्लेटफॉर्म पाकिस्तानी सेना/ वायुसेना के कब्जे में है और वास्तविक ‘फिजिक्स पैकेज’ एवं फ्यूज स्ट्रेटेजिक प्लान डिवीजन (एसपीडी) के दो अफसरों के कब्जे में है. इन एअर बेसों तक पहुंच जैसी है उससे साफ है कि ये फाइटर विमानों से गिराए जाने वाले परमाणु बमों के लिए बनाए गए हैं. इसलिए, सुरंग बमों के पुर्जों को रखने के लिए हैं. फ्यूज और फिजिक्स पैकेज को जोड़ने का काम एओआइ-1 में किया जाता है जबकि डेलीवरी प्लेटफॉर्म (संभवतः हवा से मार करने वाली मिसाइल या गिराए जाने वाले बम) से जोड़ने का अंतिम काम एओआइ-2 में किया जाता है जहां से उसे तुरंत एअर बेस तक की सड़क पर उतारा जा सकता है.
रेल प्लेटफॉर्म और इन्फ्रास्ट्रक्चर भंडार वाली सुरंगों और एओआइ-1 को अलग करते हैं. यह तथ्य बताता है कि मिसाइलों के बड़े और भारी वारहेड यह जमा किए जाते हैं और इन्हें तेजी से जोड़कर रेल के द्वारा दूसरी जगह भेजा जा सकता है.
अगर ये सचमुच पाकिस्तान द्वारा गिराए जाने वाले परमाणु बमों के भंडार हैं, तो यहां जेएफ-17 और एफ-16 विमानों की मौजूदगी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इसका मतलब यह होगा कि जेएफ-17 विमान परमाणु हथियार की क्षमता रखते हैं, या उन्हें इनके लिए सक्षम बनाया जाएगा.
मनझंड
यह भंडार सिंध में हैदराबाद के करीब न्यू भोलारी एअर बेस के पास है. भोलारी का निर्माण 2014 में जॉर्डन से खरीदे गए सेकंडहैंड एफ-16 विमानों के लिए किया गया था.
फिर से, ट्रिपल-फेंसिंग दिखाई देती है (चित्र 7) जैसा कि सेमंगली में था. वाहनों की ऑन और ऑफ उपस्थिति (चित्र 8) इस परिधि से जुड़ी विस्तृत सुरक्षा सावधानियों की एक श्रृंखला की भी पुष्टि करती है.
भूमिगत भंडारण सुरंगों (चित्र 9) धातु सुदृढीकरण के साथ ठीक वैसा ही संरक्षण दिखाती हैं, जैसा कि सरगोधा के पंजाब हवाई अड्डे में एक परमाणु हथियार सक्षम वायु बेस (चित्र 10) के रूप में जाना जाता है.
निष्कर्ष
उड्डयन विशेषज्ञ अंगद सिंह (ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े) कहते हैं, ‘जिस एअर बेस पर रखे जाने वाले विमान में परमाणु बम गिराने की क्षमता हो, उस बेस पर परमाणु बम की मौजूदगी को लेकर घालमेल करना गलत होगा. जेएफ-17 को परमाणु हथियार सक्षम बनाया जा सकता है. लेकिन हमने ऐसी किसी कोशिश के बारे में नहीं सुना है कि उन्हें परमाणविक भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है. वैसे, विमान की भंडारण सिस्टम को परमाणु बम स्वीकार करने लायक बनाया जा सकता है.’
वैसे, अमेरिकी सूत्रों ने कहा कि आधुनिक फ-16 विमानों की वायरिंग से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, न ही इनके वेपन कंप्यूटर को बदला जा सकता है. पाकिस्तानी सूत्रों ने पुष्टि की कि ‘हम एफ-16 में परमाणु हथियार किसी तरह फिट नहीं कर सकते, क्योंकि अमेरिका इसके बेड़े पर 24 घंटे नज़र रखता है.’ अमेरिकी वैज्ञानिकों के संघ के हान्स क्रिस्टेंशन ज़ोर देकर कहते है कि वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि इनमें से किसी अड्डे पर परमाणु हथियार जमा किए जाते हैं या नहीं. वे कहते हैं, ‘अमेरिका और रूस में काम करने की मानक प्रक्रिया और बुनियादी ढांचा निश्चित है, जो एक परमाणु अड्डे को परमाणु अड्डा ही बताएंगे. पाकिस्तान (और दक्षिण एशिया) में ऐसा कोई मानक नहीं है, और फिर पाकिस्तानी लोग अपनी चीज़ें छिपाने में माहिर हैं.’
लेकिन समुंग्ली और मनझंड में परमाणु हथियार के भंडार हैं, इसके ऐसे काफी सबूत उपलब्ध हैं, जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता.
समुंग्ली एक आधुनिक बेस है जहां वरहेड्स को फ्यूज़ और डेलीवरी प्लेटफॉर्म से जोड़ने, पूरे देश में पहुंचाने की व्यवस्था है. मुझे खुद लगता है कि भोलारी में जॉर्डन के जो दो पुराने एफ-16 विमान हैं उन्हें परमाणविक भूमिका के लिए तैयार किया गया है (पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 विमान परमाणु हथियार दोने की क्षमता खो चुके हैं), इसलिए यह मानना गलत नहीं होगा कि समुंग्ली के जेएफ-17 विमान भी इस भूमिका में उतरने की तैयारी में हैं.
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
शैडोब्रेक @detresfa द्वारा प्रदान की गई उपग्रह इमेजरी द्वारा पता लगाया गया है.
(लेखक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज़ में वरिष्ठ अध्येता हैं. वह @iyervval हैंडल से ट्वीट करते हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)