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Friday, 1 November, 2024
होममत-विमतपति या अनजान व्यक्ति: रेप केस में किसके खिलाफ आवाज़ उठाती हैं महिलाऐं?

पति या अनजान व्यक्ति: रेप केस में किसके खिलाफ आवाज़ उठाती हैं महिलाऐं?

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दिसम्बर महीने में हिसार की रहने वाली एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज करायी कि एक चलते ऑटो में तीन लोगों द्वारा उसका गैंगरेप किया गया था। हालाँकि, तीन बच्चों की इस माँ ने अभी तक अपनी आठ साल की वैवाहिक समयावधि में हुए दुर्व्यवहार की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है, जिसका वह दावा करती हैं।

हिसार में एक 27 वर्षीय ब्यूटी पार्लर कार्यकर्ता ने अपने राज्य हरियाणा के बारे में सुना था कि लोग इसे भारत की “गैंग रेप राजधानी” कहते हैं। दिसम्बर की सर्द रात में इसकी क्रूर वास्तविकता से इस महिला का आमना सामना हुआ जब इसने दावा किया कि ऑटो रिक्शा चालक समेत तीन लोगों द्वारा चलते ऑटो में इसके साथ गैंगरेप किया गया था।

लेकिन यह पहली बार नहीं था जब तीन बच्चों की इस माँ का बलात्कार किया गया था। वह दावा करती हैं कि उनकी आठ साल की शादीशुदा जिंदगी में उनका उनके पति द्वारा लगभग हर दिन बलात्कार हुआ था। यहाँ तक कि दिसम्बर की उस भयानक घटना के बाद भी उनके पति ने अपनी हवस को उन पर थोपना जारी रखा था।

उसी रात महिला ने सामूहिक बलात्कार की सूचना दी थी । विडम्बना यह है कि यह उनका पति ही था जिसके साथ वह हिसार में पुलिस स्टेशन गयीं थीं।

गैंगरेप की इस घटना ने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी और खींचा और कुछ ही दिनों में तीनों दुष्कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया। अब यह केस जिला न्यायालय में लड़ा जा रहा है।

लेकिन इस दिन तक वह वैवाहिक बलात्कार, जिसे वह वर्षों तक चुपचाप झेलने का दावा करती हैं, की सूचना देने का सामर्थ्य नहीं जुटा पायीं हैं।

वैवाहिक बलात्कार के प्रसिद्द भय और महिलाओं द्वारा हथियार के रूप में इसके संभावित दुरूपयोग के विपरीत अपने पति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का विचार भी इस महिला के दिमाग में नहीं आया है, भले ही वह अपने पति को छोड़ चुकी हैं।

हिसार की महिला की तरह अन्य महिलाएं भी यौन दुर्व्यवहार के लिए अपने पतियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने से बचती हैं। वे इसे अदालत में चुनौती न देने और लगातार स्वीकार करना जारी रखती हैं। वैवाहिक बलात्कार को लेकर उनका नजरिया उतना ही अनेकार्थी है जितना कि सरकार का।

पिछले साल, केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को दिए एक हलफ़नामे में कहा था कि एक पत्नी को जो “शायद एक वैवाहिक बलात्कार लगता है”,“अन्य लोगों को शायद ऐसा नहीं भी लग सकता है”। इसने, यह प्रकाश डालने के लिए कि कैसे “पतियों को परेशान करने के लिए” केन्द्रिक कानूनों का दुरूपयोग किया जा सकता है, “आईपीसी की धारा 498ए के बढ़ते दुरूपयोग” का भी उल्लेख किया था।

लेकिन दुरूपयोग के बारे में सरकार के डर से कहीं दूर, हिसार महिला की कहानी से पता चलता है कि अजनबियों द्वारा उसकी शारीरिक अखंडता को भंग करने के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने के लिए उसके पास आधार था लेकिन पति द्वारा ऐसा करने पर उसके पास कोई आधार नहीं था।

गैंगरेप होने के कुछ हफ्तों बाद, उनका अपने पति के साथ झगड़ा बढ़ गया – जो एक इलेक्ट्रीशियन है। कानूनी लड़ाई में उनको सहारा देने के बजाय, वह उनका उपहास उड़ाता था और हुए बलात्कार को लेकर उनको दोष देता था। “वह मुझे बोलते यह सब मैंने पैसे के लिये किया है” उन्होंने याद किया, जब वह जिला अदालत में अपने वकील के कक्ष में अकेली बैठी थीं।

उनकी शादी की तरह उनकी कानूनी लड़ाई उन्हें अकेले ही लड़नी थी। उन्होंने बताया कि अब तक उनकी माँ ने उनकी सहायता की है, यदि मामला दर्ज करने से पहले मैंने उनको इस बारे में बताया होता, तो वह मुझे इसे दर्ज करने की इजाजत नहीं दोतीं। इस मामले में उनका पति यहाँ तक कि एक गवाह के रूप में भी नहीं दिखाई दिया भले ही उन्होंने और उनके वकील ने उससे कई बार दरख्वास्त की। इस मामले में वह एक महत्वपूर्ण गवाह है क्योंकि वह घटना के समय बस स्टॉप पर उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

उन्होंने दावा किया कि शादी के तुरंत बाद उसने दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया था। हमने कभी साथ बैठ के बात नहीं की। मैं हमेशा उसके सामने एक मृत शरीर की तरह पड़ी रहती थी और वह हर रात स्वयं को संतुष्ट करता था

शराब उसकी कठिनाइयों को और बढ़ा देता था। अपने हाथों को एकटक देखते हुए उसने कहा, “शराब पीने के बाद वह मुझे मारता भी था … एक बार, उसने मेरी यहाँ की एक हड्डी तोड़ दी,” उसने अपनी छाती की तरफ इशारा करते हुए दावा किया। वह कुछ बहुत अजीब हरकते भी करता था। कभी-कभी, वह मुझे जबरन शराब भी पिलाता था, भले ही मैं इसका विरोध करती थी … और फिर मैं बेहोश हो जाती थी , और अगली सुबह वह मुझे बताता था कि उसने मेरे साथ संभोग किया था।”

फिर भी, वैवाहिक दुर्व्यवहार को लेकर भारत में वास्तविक सामाजिक नजरिया कुछ यूँ है कि उसकी माँ और बड़ी बहन ही, जिनके साथ वह अब रहती है, उसे “उसकी शादी बचाने” के लिए मना रही हैं।

उन्होंने कहा,”मेरी माँ अभी भी कहती है कि मुझे अपने बच्चों के लिए उसके पास वापस जाना चाहिए, मेरे पति ने मामले की स्थिति पता करने के लिए कभी फोन भी नहीं किया या यहाँ तक कि मुझसे यह भी नहीं पूछा कि मैं कैसी हूँ। जब मेरे साथ इतनी बड़ी घटना हो जाने पर भी उसने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं उसके पास वापस कैसे जा सकती हूँ?”

महिलाओं को आम तौर पर दुर्व्यवहार सहन करने के लिए अभ्यस्त माना जाता है, जिसकी स्वीकृति अक्सर उनके माता-पिता से भी नहीं होती है। महिलाओं पर उनके विवाह को बचाने का और अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार को अनदेखा करने का सामाजिक और पारिवारिक दबाव होता है। फिर भी, सरकार, न्यायपालिका और बहुत से लोग इस बात को ले कर संशय में हैं कि महिलाओं के लिये उनके वैवाहिक जीवन में यौन स्वायत्तता हेतु मौलिक अधिकार देना चाहिए।

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