महान नेता देश को कुछ बड़ी चीज देने से बनते हैं. इस बात में तो कोई संदेह नहीं है कि मोदी जी महान नेता हैं. सवाल यह है कि उन्होंने देश को क्या दिया, अमित शाह? गांधीजी इसलिए महान नेता कहे गए क्योंकि उन्होंने देश को आजादी दी. नेहरू जी इसलिए महान नेता माने गए क्योंकि उन्होंने देश को लोकतंत्र दिया (यह अलग बात है कि इंदिरा के हाथों वापस छिनवा भी लिया). अंबेडकर ने देश को संविधान दिया. हम काफी दिनों से सोचते रहे हैं कि मोदी जी की महानता का क्या कारण है? क्या कारण है कि वह व्हाट्सएप पर, फेसबुक पर और देश में भी सबसे बड़े नेता माने जाते हैं?
लॉकडाउन का फायदा यह है कि हमें सारा समय सोचने के लिए मिलता है, विचार के लिए मिलता है. पिछले तीन हफ्ते से मैं इस गुत्थी को सुलझाने में लगा हूं कि मोदी जी महान तो बन गए लेकिन उन्होंने हमें दिया क्या? गहरे चिंतन के बाद मेरा यूरेका मोमेंट आया और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मोदी जी ने देश को जो दिया है वह है झटका, सरप्राइज? जोर का झटका बहुत जोर से देना ही उनकी महानता का कारण है. मोदी जी देश को सरप्राइज तो देते ही हैं पाकिस्तान को भी सरप्राइज दे देते हैं. पाकिस्तान पर आक्रमण करके वापस आ जाते हैं और पाकिस्तान को पता ही नहीं लगता कि उनके ऊपर आक्रमण हुआ! इससे बड़ा सरप्राइज क्या हो सकता है?
उन्होंने मार्च में पहले जनता कर्फ्यू घोषित किया. तीन-चार दिन बाद लॉकडाउन किया. 8:00 बजे रात में घोषणा की कि 12:00 बजे रात से लॉकडाउन चालू हो जाएगा. बहुत सारे पत्रकार, राजनेता, अर्थशास्त्री अल-बल बात कर रहे हैं कि लॉकडाउन की पहले से तैयारी करनी थी, लोगो को सूचना देनी थी. उनका यह भी कहना है कि अगर मोदी जी ऐसा करते तो लाखों-करोड़ों लोग भूख से बच जाते. उन्होंने ऐसा नहीं किया, कठोर कहीं के!
लेकिन मोदी जी ऐसी बातें बता के अपनी असली ताकत सरप्राइज से समझौता नहीं कर सकते.
मोदी जी की खास बात है कि वह कठोर तो हैं लेकिन साथ में लचीले भी हैं. अब ऐसा कोई बहुत जरूरी काम हो जिसके बिना देश का बड़ा नुकसान हो सकता है जैसे ताली बजाना, थाली बजाना, दिए जलाना तो उसके लिए मोदी जी देश को पहले से सूचना दे देते हैं, प्रैक्टिस भी करा देते हैं. मोदी जी की पार्टी के बाकी सारे नेता भी लगातार टि्वटर पर, फेसबुक पर जनता को सूचना देते रहते हैं कि ताली कब, कितने बजे बजानी है थाली, कैसे बजानी है, कितनी देर बजानी है. बल्ब बुताने हैं, फ्रिज बंद नहीं करना है, आदि आदि. लेकिन जो अन्य बातें हैं छोटी मोटी, जिनकी उपयोगिता ताली-थाली जैसी नहीं जैसे लॉकडाउन या नोटबंदी; जिसमें लोग मर जाएं, करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएं तो उसमें मोदी जी अपनी कोर वैल्यू सरप्राइस से समझौता नहीं करते.
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अब जनता को भी इस लुका-छिपी के खेल में मजा आता है. कुछ लोग यह कह रहे हैं कि लॉकडाउन 14 अप्रैल तक घोषित है. आज 10 अप्रैल हो चुका है. लोग घरों में बंद हैं. कोई बीमार है तो कोई भूखा है लेकिन हमें पता नहीं है कि लॉकडाउन 14 अप्रैल के बाद बढ़ेगा या नहीं, कितना बढ़ेगा? कुछ खुलेगा? कुछ बंदिशें कम होंगी या नहीं. बता दिया जाता तो लोग कुछ सोच सकते थे कुछ प्लान कर सकते थे लेकिन जनता को मोदी जी से प्यार है और वह आशिक ही क्या जो आशिकी में सरप्राइज न रखे. नहीं तो रिश्ते का थ्रील खत्म हो जाता है. इसीलिए मोदी जी जनता से अटकलबाजी करवाते रहते हैं. कभी सोशल मीडिया छोड़ने की घोषणा कर के जनता को सरप्राइज दे देते हैं, फिर न छोड़ के.
मोदी जी की खास बात यह है कि नई सोच के व्यक्ति हैं. किसी ने कहा है कि
लीके-लीके गाड़ी चले, लीके चले कपूत.
लीक छाड़ि के तीन चले; सिंह, शायर, सपूत.
मोदी जी शेर जैसे वीर भी हैं, कविता भी करते हैं और देश के सपूत तो हैं ही. इसलिए घिसी-पिटी लीक पर नहीं चलते, कुछ नया करते हैं. वह सरप्राइज़ का उपयोग भी एक अलग तरीके से करते हैं. सरप्राइज़ का उपयोग सामान्यता विरोधियों के लिए किया जाता है, लड़ाई में आक्रमण के समय, खेल में विरोधियों के खिलाफ. मोदी जी की खासियत है कि वह सरप्राइज का उपयोग गरीब जनता के खिलाफ करते हैं. मोदी जी नेहरू को पसंद नहीं करते, वो सुभाष चंद्र बोस के भक्त हैं. हो सकता है किसी दिन वो सुभाष चंद्र बोस से प्रेरणा ले के जनता को ये नारा भी दे दें: ‘तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें सरप्राइज दूंगा.‘
(लेखक सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं. यह लेखक के निजी विचार है)