scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होममत-विमतपैंडोरा पेपर्स: अमीरों का खेल और उसमें शरीक होने वालों का खुलासा

पैंडोरा पेपर्स: अमीरों का खेल और उसमें शरीक होने वालों का खुलासा

पत्रकारों के एक संघ ने टैक्स से छूट देने वाले ठिकानों में पैसे जमा करने वालों की पैंडोरा लिस्ट का पता लगाया तो जवाबदेही की जरूरत महसूस की जाने लगी जबकि इसके नाम पर दिखावा ही किया जाता रहा है.

Text Size:

‘वाल स्ट्रीट’ फिल्म में हाल हॉलब्रूक चार्ली शीन से कहता है, ‘पैसे के बारे में असली बात यह है प्यारे कि यह तुमसे ऐसे काम भी करवाता है जो तुम नहीं करना चाहते हो.’ यह फिल्म नैतिकता, लालच और अकूत पैसे के बारे में थी मगर अनजाने में यह असली वाल स्ट्रीट (शेयर बाज़ार) से जुड़ने के लिए विज्ञापन बन गई. तो नैतिकता और पैसे का यही हाल है. लेकिन पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संघ ने जब टैक्स से छूट देने वाले ठिकानों (टैक्स हेवेन) में अपना गुप्त खजाना जमा करने वालों की पैंडोरा लिस्ट जारी की, तो जवाबदेही की मांग तेज हो गई. लेकिन इसके नाम पर हमें दिखावा ही हासिल होता है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी कॉंग्रेस को संबोधित करते हुए स्विट्ज़रलैंड, केमैन द्वीप समूह, और दूसरे टैक्स हेवेन का हवाला दिया. वे भूल गए कि अमेरिका के डेलावेरे और साउथ डकोटा जैसे राज्य भी गोपनीयता और टैक्स के मामले में ‘नये स्विट्ज़रलैंड’ हैं, जबकि असली स्विट्ज़रलैंड ने जमा किए गए भ्रष्ट पैसे के मामले में बैंक की गोपनीयता समाप्त कर दी है. वास्तव में, अमेरिका ने फॉरेन एकाउंट्स टैक्स कम्प्लाएंस एक्ट का उपयोग करते हुए दूसरे देसों को अपने यहां अमेरिकी नागरिकों द्वारा जमा किए गए पैसे की खबर देने की शर्त लगा दी है, जबकि वह खुद ऐसा नहीं करता.  

ब्रिटेन के विदेशी इलाके और उसकी शाही व्यवस्था पर निर्भर बरमूडा और ब्रिटिश वर्जिन आइलैण्ड्स सबसे अहम टैक्स हेवेन हैं. इसके चलते ब्रिटेन को टैक्स से आमदनी में सबसे बड़ा घाटा होता है. उसके यहां की दो बड़ी पार्टियों कंजरवेटिव और लेबर पार्टी के नेता पैंडोरा लिस्ट में अपना नाम आने पर एक-दूसरे पर उंगली उठाते रहते हैं लेकिन टैक्स हेवेन को खत्म करने का कानून अटका पड़ा है. रूस के एक विवादास्पद व्यवसायी ने ब्रिटेन और फ्रांस के बीच एनर्जी लिंक बनाने की मंजूरी हासिल करने के लिए कंजरवेटिव पार्टी के हर 10वें सांसद को पैसे दे चुका है. 

इस मामले में भारत वाले उन्हें एक-दो गुर सिखा सकते हैं. उन्होंने मॉरिशस को अपना टैक्स हेवेन बना रखा है, भले ही यहाँ राजनीतिक दलों के लिए विदेशी पैसा अवैध बना दिया गया है. चुनावी बॉन्ड स्कीम चंदे का खुलासा करने की जरूरत को खत्म करने का उपाय बना दिया गया है, और चुनावों में कोई दल कितना खर्च कर सकता है इसकी सीमा खत्म कर दी गई है.


यह भी पढ़े: मोदी, योगी, अमरिंदर—आर्थिक मोर्चों पर कमजोर रहे नेता वोटर्स के बीच क्यों लोकप्रिय हैं


 

टैक्स हेवेन में लोग कई कारणों से पैसे जमा करते हैं, मसलन गोपनीयता, अपराध से बचने, टैक्स चोरी या उससे बचने के लिए, ट्रस्ट के जरिए एस्टेट में पैसा लगाने के लिए, और तानाशाही व्यवस्था वाले देशों में सत्ता परिवर्तन के कारण असुरक्षा से बचने के लिए. इनमें से कुछ वैधानिक होता है, हालांकि अनैतिक होता है. कई बार आपको टैक्स हेवेन की जरूरत नहीं पड़ती. अमेज़न के जेफ बेजोस और टेसला के एलोन मस्क ने कुछ सालों में मामूली या शून्य टैक्स दिए. लेकिन गलती सुधार शुरू हो गया है. आयरलैंड जैसे टैक्स हेवेन या कम टैक्स वाले ठिकानों में छुपी कंपनियों से 15 फीसदी (मूल प्रस्ताव 21 फीसदी का था) का न्यूनतम कॉर्पोरेट मुनाफा टैक्स वसूलने की अंतरराष्ट्रीय पहल की गई है.   

पैंडोरा लिस्ट में दर्ज भारतीयों का क्या होगा? अधिकतर तो छोटे व्यवसायी हैं (ए लिस्ट वाले या तो निर्दोष हैं या अभी उनके नाम नहीं पता चले हैं) और हरेक ने चंद लाख ही जमा किए हैं. कई ने कहा है कि उन्होंने टैक्स और मुद्रा अधिकारियों को बता रखा है. कई अप्रवासी हैं और उन्होंने कोई कानून नहीं तोड़ा है. लेकिन दो विख्यात व्यवसायियों ने, जिन्होंने खुद को दिवालिया घोषित कर रखा है, टैक्स हेवेन में भारी रकम जमा की है. शायद अहम बात यह है कि कई हजार नये भारतीय धनकुबेरों ने हाल के वर्षों में अप्रवासी का दर्जा हासिल कर लिया है और शायद अपना कुछ धन दुबई जैसे टैक्स हेवेन में ले गए हैं. चर्चा यह है कि वे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से लेकर स्वच्छ हवा और अनुकूल टैक्स व्यवस्था के नाम पर यह पैसा ले गए हैं. 

अगर नैतिकता को परे रख दिया जाए तो क्या व्यापक आर्थिक संदर्भ में इसका महत्व है? अनुमान है कि टैक्स हेवेन में 5.6 से लेकर 32 ट्रिलियन डॉलर के बीच जमा किए गए हैं, जो आपको अचंभित कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश के पेपर के मुताबिक इससे 500-700 अरब डॉलर के बीच टैक्स राजस्व का घाटा हुआ है. यह भारी रकम है मगर वैश्विक जीडीपी के मात्र 1 प्रतिशत के बराबर है. अगर अमेरिका और ब्रिटेन अपनी खामियों को दुरुस्त कर लें तो यह अनुपात और कम हो सकता है. उनकी टैक्स व्यवस्था को इससे सबसे ज्यादा लाभ होगा. लेकिन यह अमीरों का खेल है और अमीर देश इसमें खुशी से शामिल हैं. ऐसे में आप इस पुराने फिल्मी गाने को ही याद कीजिए-  ‘बाप बड़ा ना भइया, भैया सबसे बड़ा रुपैया’.

(बिजनेस स्टैंडर्ड से विशेष प्रबंध द्वारा)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़े: भारत लड़खड़ाया, जबकि चीन ने अपनी नौसेना बढ़ाई, अब पश्चिम को अपनाना ही एकमात्र ऑप्शन है


 

share & View comments