हिंदुस्तानी कहते हैं कि वो पाकिस्तान में है, पाकिस्तानी कहते हैं कि नहीं है. करीब बीस साल से हिंदुस्तान-पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में ये पहलू लगातार मौजूद रहा है. भारत का सबसे वांछित आतंकवादी दाऊद इब्राहिम, इस हफ्ते फिर सुर्खियों में आया जब उसका नाम उन 88 ‘सम्मानित’ दहशतगर्दों की लिस्ट में आया जिन्हें पाकिस्तान ने गैर-कानूनी करार दिया. सरहद के दोनों तरफ बहुत से लोगों ने इसे पाकिस्तान के इकरार के तौर पर लिया कि दाऊद उसकी ज़मीन पर है. लेकिन नहीं, ऐसा नहीं था.
कई साल और हज़ारों ब्रेकिंग खबरों के बाद हिंदुस्तानियों को लगता है कि पाकिस्तानी लोग दाऊद के पते-ठिकाने से वाकिफ हैं लेकिन सच्चाई ये है कि वो ये सोचते हैं: दाऊद, तू है कि नहीं? एक आम हिंदुस्तानी की नज़र में एक आम पाकिस्तानी आदमी जानता है कि दाऊद नाश्ते, लंच और डिनर में क्या खाता है, टीवी पर क्या देखता है या शॉपिंग के लिए कहां जाता है. लेकिन नहीं. पाकिस्तानी लोगों को नहीं मालूम कि दाऊद इब्राहिम क्या खाता है और क्या देखता है.
पाकिस्तानियों के लिए दाऊद इब्राहिम ओसामा बिन लादेन की तरह है. वो पाकिस्तान की श्रोडिंगर बिल्ली है. वो वहां है या नहीं है? ये भी है कि दाऊद इब्राहिम कोई हाफिज़ सईद या मसूद अज़हर नहीं है. या ओसामा बिन लादेन भी नहीं है. ऐसा नहीं है कि किसी को मालूम था कि लादेन कहां था, जब तक कि वो वहां था, जहां उसे नहीं होना चाहिए था. लादेन और अज़हर जैसे लोग आइकॉन्स हैं, दाऊद नहीं है. और इसके लिए कौन दोषी है? हिंदुस्तान.
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दाऊद का मकान, दाऊद की कार
अब, बात उन चीज़ों की जो हम जानते हैं या रहस्यमय दाऊद के बारे में कम से कम सुनते रहते हैं. वो एक ऐसा इंसान है जिसके चश्मे का नंबर बदला नहीं है. इसलिए जब से अंग्रेज़ हिंदुस्तान से गए दाऊद उसी चश्मे में नज़र आता है. वो कराची में एक पार्ट-टाइम ड्राइवर है जिसके पास एक खटारा टैक्सी है. वो एक मरतबा एक लोकल इंटरनेट कैफे में गंदी तस्वीरें देखते हुए पाया गया था. क्लिफ्टन में उसके महल को व्हाइट हाउस कहा जाता है और उसके पड़ोसी ताकतवर लोग हैं- इत्तेफाक या कुछ और लेकिन उसके और ओसामा बिन लादेन के बीच एक और समानता है. ताकत बड़ी हो, तो पड़ोसी भी महान मिलते हैं.
एक बार हिंदुस्तान ने हमें बताया कि दाऊद का पता वही था जो मलीहा लोधी का था जो उस वक्त यूएन में पाकिस्तान की नुमाइंदगी कर रही थीं. इतनी बड़ी गलत इत्तिला ने दाऊद के बारे में हमारी ‘मालूमात’ में इज़ाफा कर दिया.
दाऊद को दोपहर में सोना पसंद है. एक इंडियन टीवी चैनल टाइम्स नाऊ के एक चौंका देने वाले स्टिंग ऑपरेशन में बताया गया कि पाकिस्तान में दाऊद का एक लैंडलाइन नंबर भी था. ये तो बहुत ही अजीब था. डॉन को कई घरों का मालिक बताया जाता है तो क्या पाकिस्तान में उसका एक लैंडलाइन नंबर नहीं हो सकता? पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी के एक नंबर पर दहशतगर्द की बीवी ने जज़्बात से भरे रिपोर्टर को बताया कि वो महजबीन थीं और उनके शौहर सो रहे थे. अब, इस बात की जांच नहीं की गई कि बेगम इब्राहिम क्यों नहीं सो रहीं थीं. लेकिन इत्मीनान रखिए, इस ख़ुलासे के बाद से दुनिया बहुत बदल गई है.
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दाऊद मर गया, दाऊद ज़िंदा है
इस साल जून में ही दाऊद मर कर नया मुल्ला उमर बन गया. ये कोई मामूली कारनामा नहीं था. हमें बताया गया कि दाऊद को कोविड-19 इंफेक्शन था और वो गुज़र गया. ठीक वैसे ही जैसे 2016 में ऐलान कर दिया गया था कि वो तकरीबन मर चुका है और फिर 2017 जब उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी हालत नाज़ुक हुई तो ऐसा लगा कि दाऊद अपने ही दिल के पीछे पड़ा था. ऐसा लगता है कि 2018 और 2019 में वो मीडिया के हाथों मरने से बच गया.
डॉन अपनी जगह बदलता रहता है. कभी-कभी उसका पता बदलकर हिल स्टेशन मरी हो जाता है. अब कौन ऐसी ठंडी जगह गर्मियां नहीं बिताना चाहेगा? चूंकि दाऊद की बेटी की शादी पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से हुई है इसलिए पाकिस्तान में उसकी दिखाई न देने वाली ‘मौजूदगी’ और ख़ास बन जाती है. कभी-कभी वो जावेद मियांदाद की तरफ से लड़ाईयां भी मोल ले लेता है. इसीलिए भगोड़े गैंगस्टर ने एक बार शाहिद आफ्रीदी से कहा था कि वो मियांदाद के खिलाफ बोलना बंद कर दे, वरना- आप तो जानते हैं कि तीस साल पहले तक ये भगोड़ा गैंगस्टर मुंबई में यही किया करता था.
दाऊद और मियांदाद शोले के गब्बर और उसके साथी सांभा की तरह हैं. और सभी दोस्तों को कभी न कभी अपनी दोस्ती की कीमत चुकानी पड़ जाती है- मियांदाद को भी चुकानी पड़ी जब 2013 में हिंदुस्तान ने उन्हें वीज़ा देने से मना कर दिया. हालांकि मियांदाद के लिए पाकिस्तान में मौकों की कोई कमी नहीं है. उन्होंने सियायत में दाखिल होने का ऐलान किया है. वो एक दिन बिना दाऊद के पाकिस्तान के अगले वज़ीरे आज़म बन सकते हैं. उम्मीद पे दुनिया कायम है.
दाऊद के बारे में पाकिस्तान के लीडरान क्या कहते हैं? मुशर्रफ कहते हैं कि इंडिया को दाऊद के बारे में कुछ भी बताने के लिए सभ्य होने की ज़रूरत नहीं है- ‘वो होगा यहीं कहीं, हमें क्या पता?’ वज़ीरे आज़म बनने से पहले इमरान खान ने कहा था कि उन्हें नहीं मालूम कि दाऊद कहां है लेकिन वो पावर में आए तो उन्हें पता चल जाएगा. लेकिन फिर अंजानी चीज़ों के बारे में कौन कुछ जानता है? पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिमजैसी कोई चीज़ नहीं है, ठीक वैसे ही जैसे कोई ओसामा बिन लादेन नहीं था.
(लेखिका पाकिस्तान की स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं)
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