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Friday, 19 April, 2024
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त्योहारों पर खा ली हैं कुछ ज्यादा ही मिठाइयां तो ऐसे वापस पा सकते हैं अपनी फिटनेस

एक समझदार कार्ययोजना बनाएं जिसमें नियमित रूप से होने वाली शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ भोजन करना शामिल हो. अपने आप को जिम में बिताये जाने वाले लम्बे-लम्बे घंटों और खाली पेट के साथ दंडित न करें.

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दिवाली के स्वादिष्ट व्यंजनों को लगातार खाते रहने के मोह से बचना नामुमकिन सा है. दोस्तों, रिश्तेदारों, परिवारवालों, पड़ोसियों और साथ-ही-साथ त्योहारी मिजाज हमें मुंह में पानी ला देने वाले स्नैक्स (नमकीन), मिठाई और मसालेदार व्यंजनों से दूर रहने ही नहीं देते हैं. हाल के दिनों में, मोटापे को कम करने या वजन बरक़रार रखने, मधुमेह और हृदय रोगों की रोकथाम करने आदि में स्वस्थ भोजन की भूमिका के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ ही हम में से कुछ लोग निश्चित रूप से खाना पकाने या भोजन का चुनाव करने के तौर-तरीको में कुछ फेरबदल करके अपनी दिवाली को थोड़ा स्वास्थ्यप्रद बनाने का हरसंभव प्रयास करते हैं.

हालांकि, हम केवल इस बारे में उम्मीद ही कर सकते हैं कि हमने यह पता लगा लिया है कि दिवाली के दौरान कैसे समझदारीपूर्वक खाना चाहिए, क्योंकि इस बारे में तथाकथित सलाहें बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं. पर असलियत में हलवे की मीठी-मीठी सुगंध के साथ या फिर अच्छी तरह से तली हुई शंकरपाली को पहली बार चबाते ही ये सभी तरह की सलाहें, नुस्खे और साथ ही (स्वस्थ भोजन की हमारी सारी) उम्मीदें चंद ही सेकंड में काफ़ूर हो जाती है. अंततः हम इस बात के प्रति आश्वस्त से हो जाते हैं कि यह सब सिर्फ तीन दिनों तक चलने वाले एक ‘भव्य दावत’ की ही बात है और अगर हम थोड़ा ज्यादा खा भी लेते हैं, तो भी बहुत कुछ बिगड़ने वाला नहीं है.

सरासर गलत!

एक बार जब त्योहार का खुमार उतर जाता है और हम अपनी वास्तविकता में वापस आ जाते हैं, तभी हमें इस लगातार और ज्यादा मात्रा में गटके गए खाने से होनी वाली पीड़ा का अहसास होना शुरू होता है. बहुत से लोग घबराहट भरा उपवास (पैनिक फास्टिंग) शुरू कर देते हैं, साथ ही कैलोरी पर बहुत ज्यादा नियंत्रण, जोरदार व्यायाम जैसे उपाय करते हैं, या फिर केवल फल अथवा नींबू पानी ही लेते रहते हैं. अक्सर हम इस अतिरिक्त वजन और मुटापे को कम करने के लिए तथाकथित ‘डिटॉक्स’ पेय का सेवन भी करते हैं. लेकिन ऐसे प्रयास शायद ही काफी कारगर होते हैं. तो फिर क्या काम करता है? इसका जवाब है धीरे-धीरे बदलाव करना, नियमित रूप से अपने व्यायाम पर वापस आना, खाने की थाली में सभी आवश्यक पोषक तत्वों को वापस लौटाना, चिंतित या तनावग्रस्त न होना और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को (ज्यादा खा लेने के लिए) दंडित न करने के लिए लगातार प्रयास करना. लगातार बने रहने वाले तनाव से कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला, उलटे यह सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति में ही देरी करेगा.

जब आप ज्यादा खा लेते हैं तो क्या होता है?

जठरशोथ (गैस्ट्रिटिस) और कब्ज किसी भी त्योहार के बाद सामने आने वालीं सबसे आम शिकायते हैं. त्यौहार में खाये जाने वाले विशेष खाद्य पदार्थ जो बेहद मसालेदार, चिकनाई वाले और चीनी से भरे होते हैं, अक्सर एसिड रिफ्लक्स (गैस बनने) या फिर सीने में जलन के लिए जिम्मेदार होते हैं. चाहे कोई सेहत के प्रति जागरूक हों या अथव नहीं, फिर भी हर कोई त्योहारों के दौरान ज्यादा मात्रा में खाने में लिप्त होता ही है. अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करने और फिर उन्हें खर्च न किये जाने से अतिरिक्त वजन बढ़ता है. काफी अधिक चीनी और कैलोरी से भरपूर व्यंजन रक्त शर्करा की मात्रा बढ़ाते हैं और इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध के खतरे में भी वृद्धि करते हैं, जो मधुमेह होने के खतरे के साथ जी रहे लोगों में मधुमेह के रोग के विकास को एक कदम और आगे बढ़ाते हैं. इसके अतिरिक्त, परिष्कृत (रिफाइंड) चीनी और ट्रांस-फैट सूजन का कारण बनते हैं जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है.

इनसे कैसे उबरें और कैसे ठीक हों?

दिवाली के व्यंजनों का मोह खत्म करना और सामान्य रूप से दुबारा जीवन शुरू करना कठिन तो है मगर असंभव नहीं. आपको अपनी सामान्य जीवन शैली में वापस लाने के लिए हम यहां कुछ दिशा-निर्देशों का वर्णन कर रहे हैं.

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सबसे पहले तो आप अपने आपसे दुखी महसूस करना बंद करें. आप जैसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने बहुत कुछ खाया-पिया, अपना वजन बढ़ाया और सुस्ती महसूस कर रहे हैं. अपराधबोध की भावना आपको चिरकालिक तनाव की ओर वापस ले जा सकती है और आप ज्यादा खा लेने के अपराध बोध को दूर करने के लिए और अधिक खा सकते हैं. उस स्थिति में, ज्यादा खाने से बचना और दुबारा फिर से सामान्य जीवन शुरू करना असंभव होगा.

सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाये और दिवाली के उन सभी व्यंजनों का पूरा आनंद उठाने के लिए खुद को क्षमादान दें. आखिरकार, यह उन सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक था जिसे पूरा भारत एक सच्ची भावना के साथ मनाता है.

एक समझदार कार्ययोजना बनाएं जिसमें नियमित रूप से होने वाली शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ भोजन करना शामिल हो. अपने आप को जिम में बिताये जाने वाले लम्बे-लम्बे घंटों और खाली पेट के साथ दंडित न करें. जल्दी वजन कम करने के लिए की जाने वाली भावनात्मक प्रतिक्रिया आपको आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने से वंचित कर सकती है, जिससे आपको प्रोटीन की कमी और उनींदापन की समस्या हो सकती है. अपराध बोध, क्रोध और भूख की मिलीजुली भावना आपको फिर से ज्यादा खाने वाली अवस्था की ओर ले जा सकती है. इसके अलावा, जिम में बिताया गया अतिरिक्त समय जल्द न ठीक हो सकने वाले मांसपेशियों और हड्डियों में चोट का कारण बन सकती है. अपनी सामान्य दिनचर्या को हल्का कम मात्रा वाला भोजन करके, अपने सभी तरह के खाने में प्रोटीन और हरी सब्जियां शामिल करके, साबुत अनाज के साथ फाइबर की जरूरत पूरी करके और भोजन में पत्तेदार सब्जियां एवं फलियां जोड़कर शुरू करें. शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में फिर से शुरू करें न कि किसी सजा के रूप में. पीछे मुड़कर न देखें और अपने दैनिक जीवन में आगे बढ़ें.

तंदुरुस्ती दुबारा पाने में अपनी प्रगति के प्रति यथार्थवादी रवैया अपनाएं. ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे आप रातों-रात उन अतिरिक्त किलो को कम कर सकें. एक सप्ताह में 1 से 2 पाउंड (0.5 से 1 किलोग्राम) वजन कम करने का लक्ष्य रखना समझदारी भरा होगा. इतने वजन को घटाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको प्रतिदिन 500 से 1,000 कैलोरी अधिक खर्च करने की जरूरत है. स्वस्थ तरीके से कैलोरी में कमी या तो कम कैलोरी वाला आहार खाकर या अतिरिक्त कैलोरी खर्च करके प्राप्त की जा सकती है. सबसे स्वास्थ्यप्रद कैलोरी घटाने का रास्ता इन दोनों उपायों को मिलाकर प्राप्त किया जा सकता है.


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हाइड्रेशन (शरीर में पानी की मात्रा) बहाल करने के लिए ढेर सारा पानी पिएं. रोजाना आठ से दस गिलास पानी आपको तृप्त महसूस करने, खाने की लालसा को कम करने और विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है. घर का बना ताजा जूस, नींबू पानी, नमकीन लस्सी, छाछ, खीरा या फलों का पानी इस उपाय में विविधता लाने के लिए अच्छे विकल्प हैं.

‘डिटॉक्स’ के चक्कर में न पड़ें. डिटॉक्स से जुड़े घोटालेबाजों के लिए आपको उनके आकर्षक स्वास्थ्य सम्बन्धी दावों में फंसाने के लिए त्योहार के बाद का समय सबसे अच्छा समयकाल होता है. जूस और वेजिटेबल क्लीन्ज़ जैसे डाइट फ़ैट को अक्सर आपके शरीर को डिटॉक्स करने के शानदार तरीके के रूप में बेचे जाने की पेशकश की जाती है. मूल रूप से, इस तरह के आहार आपके शरीर से किसी भी तरह के ‘टॉक्सिन’ (विषाक्त पदार्थ) को बाहर नहीं करते हैं, बल्कि लंबे समय तक उपवास या कैलोरी पर सख्त प्रतिबंध को ही बढ़ावा देते हैं. अल्पकालिक उपवास आपको थका हुआ, चिड़चिड़ा और सुस्त महसूस कराता है.

दूसरी ओर, डिटॉक्स जूस के साथ लंबे समय तक उपवास करना स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा की कमी, विटामिन और खनिज की हानि और यहां तक कि इलेक्ट्रोलाइट के असंतुलन का कारण भी बनता है. अधिकांश तौर पर डिटॉक्स खाद्य पदार्थों और पूरक पदार्थों (सप्लीमेंट्स) में किसी भी तरह के वैज्ञानिक आधार का अभाव होता है क्योंकि डिटॉक्स उद्योग को सक्षम अधिकारियों द्वारा विनियमित अथवा मॉनिटर नहीं किया जाता है. यदि आप पर्याप्त सावधानी नहीं बरतते हैं तो इसका गंभीर ओवरडोज घातक भी हो सकता है.

अंत में, पिछली गलतियों की भूल से आगे बढ़ना और नए सिरे से शुरुआत करना दिवाली या किसी भी अन्य त्यौहार के दौरान ज्यादा खा लेने की समस्या पर काबू पाने की असल कुंजी है. आज के दिन में आप जो कुछ कर सकते हैं उसी पर ध्यान दें और भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने का प्रयास करें. इस दिवाली का त्यौहार आपके लिए जिन अनमोल, आनंदमय क्षणों को लाया उन्हें संजोएं तथा अच्छी तरह से खाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें, अच्छी नींद लें और अपने मानसिक और सामाजिक सलामती का ख्याल रखें.

सुभाश्री रे डॉक्टरेट स्कॉलर (केटोजेनिक डाइट), प्रमाणित मधुमेहविद, तथा एक नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य पोषण विशेषज्ञ हैं. वह @DrSubhasree से ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार पूरी तरह से निजी हैं.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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