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Thursday, 25 April, 2024
होममत-विमतनिर्मला सीतारमण के बजट से दो बिरादरी को सबसे ज्यादा फायदा- चार्टर्ड एकाउंटेंट और वित्त सलाहकार

निर्मला सीतारमण के बजट से दो बिरादरी को सबसे ज्यादा फायदा- चार्टर्ड एकाउंटेंट और वित्त सलाहकार

करीब करीब हर आदमी को समझना है कि वित्त मंत्री ने बजट में उन्हें इनकम टैक्स भरने के जो दो रास्ते दिखाए हैं उनमें से किस रास्ते पर कदम रखना सही रहेगा.

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दो बिरादरी ऐसी हैं जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दुआएं दे रही होंगी. एक सीए यानी चार्टर्ड एकाउंटेंट और दूसरे फाइनेंशियल एडवाइजर या कंसल्टेंट. शेयर बाजार भले ही धड़ाम से गिरा हो, इन दोनों का बिज़नेस चमकने वाला है. अभी तक तो कंपनियों या बहुत अमीर लोगों को ही इनकी जरूरत पड़ती थी, लेकिन अब इनकम टैक्स भरने वाला हर आदमी इनकी तलाश में है और अगले कुछ महीने इनकी मांग तेज़ रहेगी.

करीब करीब हर आदमी को समझना है कि वित्त मंत्री ने बजट में उन्हें इनकम टैक्स भरने के जो दो रास्ते दिखाए हैं उनमें से किस रास्ते पर कदम रखना सही रहेगा. ये फैसला आसान इसलिए नहीं है क्योंकि ये फैसला एक बार ही करना है और जिस राह पर आप निकल लिए उससे यू टर्न लेकर दूसरी तरफ जाना फिर मुमकिन नहीं होगा.

सिर्फ एक ही किस्म के लोगों के लिए ये चुनाव बिल्कुल आसान है. वो जिनकी कमाई पांच लाख रुपए साल से कम है और जो टैक्स बचाने के लिए कुछ नहीं करते हैं. बाकी सभी तरह के लोग बजट के बाद से ही हिसाब जोड़ने में लगे हैं. एक एक छूटा का हिसाब लगाते हैं फिर स्लैब देखते हैं फिर टैक्स का हिसाब जोड़ते हैं. फिर दूसरी छूट उसका नुकसान और टैक्स में बचत.

आम लोग इस उधेड़बुन में लगे हों तब भी गनीमत थी. वो लोग जिनके पास इस बीमारी का इलाज तलाशने जाएंगे वो यानी सीए भी दिन भर इसी कसरत में रहे. उनकी मुसीबत तो और भी बड़ी है, सिर्फ अपना हिसाब तो जोड़ना नहीं है, हर तरह के ग्राहक के बारे में सोचकर, उनकी अलग अलग कमाई, अलग अलग बचत और अलग अलग जरूरत देखकर सबके कैल्कुलेशन तैयार करने हैं ताकि जो पूछे उसे तुरंत समझा सकें. समझा सकें इसके लिए जरूरी है कि पहले खुद समझ लें.


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ऐसे लोग आपस में विचार विमर्श और जोरदार बहस में भी जुटे हैं. व्हाट्सएप पर ऐसे एक ग्रुप में रात तक पचासों मैसेज इधर से उधर हो चुके थे इस चर्चा में कि कितनी कमाई वालों को कितना नुकसान या फायदा हो सकता है और कौन कौन सी छूट खत्म हो गई हैं.

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इसी बहस के बीच में दूसरा एंगल आ गया ये कि अब टैक्स के लिए एनआरआई की परिभाषा बदल गई है. अब जो एनआरआई या प्रवासी भारतीय साल में एक सौ इक्कीस दिन से ज्यादा भारत में रहेंगे उन्हें एनआरआई नहीं माना जाएगा और भारत और भारत के बाहर की उनकी सारी कमाई पर भारत में हुई कमाई जैसा ही टैक्स लगेगा. बजट की बारीक इबारत पढ़नेवालों ने जैसे ही ये खबर बाहर निकाली वो तेजी से फैलने लगी.

सबसे बड़ी परेशानी उन भारतीय नागरिकों के लिए खड़ी हुई जो दुबई या ऐसी किसी और जगह रहते हैं जहां टैक्स नहीं लगता. ऐसे भारतीय नागरिक भले ही भारत में 120 दिन से कम भी रहें तब भी उनकी दुनिया भर में हुई सारी कमाई को भारत में हुई कमाई माना जाएगा और उसपर भारत के इनकम टैक्स रेट के हिसाब से ही टैक्स लगेगा.

इतनी खबर तो नींद उड़ाने के लिए काफी थी. अब ऐसे अनगिनत लोग हाउडी हाउडी कर रहे हैं और हिसाब ये जोड़ रहे हैं कि क्या उन्हें अब भारत की नागरिकता ही छोड़ देनी चाहिए. ऐसा सोचने वाले तीन किस्म के लोग हैं. एक जो दुबई या किसी भी जीरो टैक्स जगह रहते हैं. दूसरे जो इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी या किसी और देश में रहते और कमाते हैं, लेकिन हर साल काफी समय भारत में बिताते हैं. और तीसरे वो लोग हैं जो दुनिया भर में घूमते रहते हैं और किसी भी देश में टिके नहीं रहते यानी कहीं भी वो साल में इतना समय नहीं बिताते जितने से उनपर उस देश का टैक्स लगने लगे. नए नियम के हिसाब से इन तीनों को ही भारत में टैक्स देना पड़ेगा, और अब वो इससे बचने का तरीका सोचने में लग गए हैं.


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ये दो नमूने हैं. अभी बजट के दस्तावेज में और कहां कहां क्या छुपा है, ये कहा नहीं जा सकता.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और youtube.com/c/1ALOKJOSHI के संचालक हैं)

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