सार्वजनिक जीवन में कुछ मुलाकातें सिर्फ मौके का गवाह नहीं बनती, बल्कि दिशा भी बदल देती हैं. 1996 में श्री नरेंद्र मोदी जी से हुई मेरी पहली मुलाकात ऐसा ही एक मोड़ थी. मैं बतौर युवा कार्यकर्ता सीखने और योगदान देने की उत्सुकता के साथ गया था. वहां से लौटते वक्त मेरे पास नेतृत्व का एक जीवंत मॉडल था—एक ऐसा खाका जिसने राजनीति को उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई में बदल दिया, जो स्पष्टता, समयसीमा और हर एक नागरिक तक जवाबदेही पर आधारित था.
मोदी जी ने जो अनुशासन सिखाया, वह सीधा था: पूरी तरह सुनो, साफ निर्णय लो, लगातार काम करो. मुझे सबसे पहले उनकी असाधारण सुनने की क्षमता ने प्रभावित किया. वे हर बारीकी को समझते हैं—अक्सर वक्ता से भी ज़्यादा धैर्य के साथ. थोड़े से विराम के बाद मुश्किल से मुश्किल मुद्दों को कुछ स्पष्ट कदमों में बदल देते हैं. उनके साथ बैठकों का अंत कभी धुंधले संकल्पों से नहीं, बल्कि तय मापदंडों और समयसीमाओं से होता है.
मेरा काम स्पष्ट था: ईमानदारी से काम करो, नियमित रिपोर्ट दो, तुरंत सुधार करो. यही लय रिपोर्ट, समीक्षा, नतीजा मेरा काम करने का सिद्धांत बन गया. इसमें दिखावे की जगह परिणाम पर ध्यान देना था, कमी स्वीकार करनी थी बिना हिचकिचाए और समस्याओं को तुरंत ठीक करना था. ईमानदारी सिर्फ एक गुण नहीं थी, बल्कि सबसे असरदार काम करने का तरीका थी.
उन शुरुआती सालों ने मुझे अनुभव का मैदान दिया. गुजरात में मुझे कठिन राजनीतिक इलाकों में काम करने का मौका मिला, जिसमें कच्छ की आधी सीटें शामिल थीं—ऐसे इलाके जहां दूर-दूर तक फैले क्षेत्र, सटीक लक्ष्य और कड़ी समयसीमाएं थीं. बाद में, वाराणसी में मैंने एक विधानसभा क्षेत्र संभाला, जहां हर बूथ अपने आप में नामों, मुद्दों और समयसीमाओं का एक पूरा ब्रह्मांड था. मोदी जी के भरोसे ने मुझे जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ जैसी और चुनौतियां लेने का आत्मविश्वास दिया. सबक हमेशा एक ही रहा: शांत और लगातार प्रयास, ऊंची नीयत से बेहतर है; आंकड़े शोर से ज़्यादा बोलते हैं.
लगभग तीन दशकों का मोदी जी से जुड़ाव मेरे सार्वजनिक जीवन और निजी अनुशासन दोनों को गढ़ चुका है. हमारा रिश्ता सिर्फ खिचड़ी साथ खाने पर नहीं, बल्कि काम पर बना—उस आदत पर कि जो सच में मायने रखता है, उसे मापो और किसी को पीछे मत छोड़ो. जब मुझे हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई, तो यही भावना मेरे साथ रही: भरोसे के लिए कृतज्ञता, ज़िम्मेदारी को लेकर स्पष्टता, और सेवा में पूरी तरह जुड़ाव—मोदी जी के मार्गदर्शन में.
2014 से, जब उन्होंने देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी संभाली, नतीजे जल्दी चाहिए थे, लेकिन मोदी जी ने केवल नारेबाज़ी नहीं की, बल्कि व्यवस्थित तरीके से काम किया. जन धन योजना और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने कल्याणकारी योजनाओं में होने वाली गड़बड़ी रोक दी. डिजिटल इंडिया ने तकनीक को ज़रूरत बना दिया. यूपीआई ने सभी तक भुगतान की सुविधा पहुंचाई. जीएसटी ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को जोड़ दिया. ये अलग-अलग योजनाएं नहीं थीं, बल्कि एक ही सोच का हिस्सा थीं—देश में सम्मान को आम चीज़ बनाने की दिशा में.
मेरा आज का काम शहरी विकास में इसी योजना को लागू करता दिखाता है. उदाहरण के लिए, आवास. प्रधानमंत्री आवास योजना–शहरी के तहत, मिशन को दिसंबर 2025 तक बढ़ाया गया ताकि मंजूर किए गए घर पूरे बनकर तैयार हो जाएं. अब तक 1.19 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई, जिनमें 93 लाख से अधिक तैयार हो चुके हैं. हर पूरा हुआ घर सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं है—यह एक चाबी है जो उस दरवाजे को खोलती है, जो पहले मौजूद नहीं था. यही “आखिरी व्यक्ति” की गरिमा का असली उदाहरण है.
सड़क विक्रेता—शहर की अर्थव्यवस्था की कमज़ोर कड़ी को पीएम स्वनिधि के जरिए मदद दी गई. डिजिटल व्यवहार के आधार पर माइक्रो-क्रेडिट ने छोटे व्यवसायों को भरोसेमंद आजीविका में बदल दिया. जुलाई 2025 तक 96 लाख से अधिक लोन, कुल 13,800 करोड़ रुपये, 68 लाख से ज्यादा विक्रेताओं तक पहुंच चुके थे. लाखों लोगों ने डिजिटल भुगतान का तरीका अपनाया साबित करता है कि जब सिस्टम सभी के लिए खुला हो, तो गरिमा बढ़ती है.
शहरी विकास सिर्फ दिखावटी नहीं है, बल्कि ज़रूरी बुनियादी ढांचे से भी जुड़ा है: पाइप, नाले, लाइट. AMRUT और AMRUT 2.0 ने पिछले दशक में दो करोड़ से अधिक घरों में नल और डेढ़ करोड़ से ज्यादा सीवर कनेक्शन जोड़े. लगभग एक करोड़ एलईडी स्ट्रीट लाइट्स अब जल रही हैं, जिससे बिजली बच रही है और बिल कम हुए हैं. शहरी निकाय म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए भविष्य का पैसा जुटा रहे हैं यह अनदेखी, लेकिन महत्वपूर्ण काम हैं, जो शहरों को बेहतर बनाते हैं.
स्मार्ट सिटी मिशन छोटे प्रयोगों से बड़ी परियोजनाओं तक बढ़ चुका है. मई 2025 तक, 8,000 से ज्यादा परियोजनाओं में 94 प्रतिशत पूरी हो चुकी हैं, बाकी जल्दी पूरी होने वाली हैं. यह दिखाता है कि जब नागरिक भागीदार हों, सिर्फ दर्शक नहीं, तो योजनाएं समय पर पूरी होती हैं.
शहरों और नागरिकों को जोड़ने के लिए नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन एक साझा डिजिटल सिस्टम तैयार करता है—साझा प्लेटफॉर्म, रियल-टाइम डैशबोर्ड और आसान सेवाएं. ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समझौते किए गए हैं, जिसमें हज़ारों शहरी निकाय शामिल हैं. लाइसेंस, शिकायतें और स्वच्छता की सेवाएं इसी प्लेटफॉर्म पर चलती हैं. राष्ट्रीय डैशबोर्ड UMEED में लाइव डेटा आता है, जो पहले सिर्फ सैद्धांतिक था, अब यह रोज़मर्रा के काम का हिस्सा बन चुका है.
बिजली के क्षेत्र की कहानी भी कुछ इसी तरह है. सौभाग्य योजना के तहत मार्च 2022 तक लगभग 2.86 करोड़ घरों में बिजली पहुंचाई गई, जिससे लाखों लोगों के लिए अंधेरा खत्म हुआ, लेकिन सिर्फ बिजली पहुंचाना ही काम नहीं था. भरोसेमंद बिजली देने के लिए रीवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम लागू की गई, जिसमें अनुमान लगाने की जगह स्मार्ट मीटर और टेलीमेट्री का इस्तेमाल हुआ. 20 करोड़ से ज्यादा स्मार्ट मीटर मंजूर किए गए और 2.4 करोड़ लगाए गए, जिससे बिजली वितरण पारदर्शी और जवाबदेह बना. स्मार्ट मीटर सिर्फ मशीन नहीं, बल्कि शासन का हिस्सा हैं.
नवीकरणीय ऊर्जा यानी सौर और पवन ऊर्जा में भी तेज़ी आई. अगस्त 2025 तक भारत में लगभग 1.92 लाख मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित हो गई (बड़ी जलविद्युत को छोड़कर) जिसमें करीब 1.23 लाख मेगावाट सौर और 52,000 मेगावाट से ज्यादा पवन ऊर्जा है. बात सिर्फ बड़े आंकड़ों की नहीं, बल्कि इसे आम लोगों तक पहुंचाने की है. पीएम सूर्य घर योजना के तहत छतों पर सौर पैनल लगाकर घरों तक बिजली पहुंचाई गई. अब गांव की चौपालों से लेकर शहर की छतों तक सौर पैनल आम नज़ारा बन गए हैं.
इन सभी कामों में एक पैटर्न साफ दिखता है: भरोसा डेटा के साथ, महत्वाकांक्षा समयसीमा के साथ. पीएम मोदी खुद को राष्ट्र का प्रधान सेवक कहते हैं—यह सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि काम करने का तरीका है. उनके साथ काम करने वालों के लिए यह मानक है: काम में आलस नहीं, लोगों के साथ धैर्य, पारदर्शिता को महत्व, वक्त का सम्मान. यहां नेतृत्व सिर्फ सम्मान पाने का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने का है.
मोदी जी राष्ट्र सेवा के 76वें वर्ष में हैं. मैं करोड़ों लोगों के साथ उन्हें शक्ति और सफलता की शुभकामनाएं देता हूं. ग्लोबल मंच पर वह भारत की कमान संभाल रहे हैं, साझेदारी बना रहे हैं, देश के हित बढ़ा रहे हैं, दुनिया के गरीब देशों की आवाज़ बना रहे हैं और मुश्किल वक्त में सिद्धांत पर टिके रहते हैं.
आने वाले समय में वे स्पष्ट दृष्टि के साथ विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ें, जहां अवसर सभी के लिए हों और देश की सीमाएं बढ़ें. जिन लोगों को उनके मार्गदर्शन में सीखने का मौका मिला, उनके लिए काम साफ है: तरीका, गति और विश्वास हर व्यक्ति तक बनाए रखना.
(मनोहर लाल खट्टर केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उनका एक्स हैंडल @mlkhattar है. व्यक्त किए गए विचार उनके व्यक्तिगत हैं.)
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