पलक्कड़ से केरल विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी के अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के बारी-बारी से सत्ता संभालने को फिक्स्ड मैच करार देते हुए दोनों के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर समझौता होने की ओर इशारा किया.
मोदी ने आरोप लगाया कि एलडीएफ सरकार ने केरल के लोगों को उसी तरह धोखा दिया है जैसे चांदी के चंद टुकड़ों के लिए जूडस ने ईसा मसीह के साथ विश्वासघात किया था. इसी सिलसिले में उन्होंने सोने की तस्करी मामले में राज्य सरकार की भूमिका का भी उल्लेख किया. मोदी के प्रभाव के सहारे भाजपा केरल में नए इलाकों में पैर जमाने की उम्मीद कर रही है. लेकिन कई लोग इस बात पर कयास लगा रहे हैं कि क्या सबरीमाला जैसे मुद्दे पर अपना प्रचार अभियान केंद्रित कर भाजपा वोटकटवा की अपनी पुरानी छवि को तोड़ सकेगी. भाजपा पर पूर्व में एलडीएफ और यूडीएफ के साथ गुप्त समझौते करने का आरोप लगाया जाता रहा है. लेकिन इन सबके बावजूद मोदी मैजिक और मेट्रोमैन ई श्रीधरन की संयुक्त ताकत के सहारे पार्टी के तीसरे विकल्प के रूप में उभरने के अतिरंजित दावे किए जा रहे हैं.
सबरीमला से भाजपा की उम्मीदें
भाजपा स्थानीय महत्व के मुद्दों पर पर्याप्त जोर देते हुए अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने की सोची-समझी रणनीति पर चल रही है. विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने सबरीमाला को अपने हिंदुत्व एजेंडे का केंद्रीय घटक बनाया है. इसलिए एक के बाद एक भाजपा नेता रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर, देकर कथित रूप से हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के खिलाफ वोट देने का आह्वान कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि लोग आस्थावानों को सताने वाले एलडीएफ को माफ नहीं करेंगे. तिरुवनंतपुरम के पास कझाकुट्टम से चुनाव लड़ रही भाजपा नेता शोभा सुरेंद्रन बारंबार कह रही हैं कि उनके एलडीएफ प्रतिद्वंद्वी और वर्तमान एलडीएफ सरकार में देवासम मंत्री कादाकंपाली सुरेंद्रन को सबरीमाला में उत्पीड़न के लिए माताओं का कोप भुगतना पड़ेगा.
सबरीमाला पर केंद्रित बेहद भड़काऊ चुनाव अभियान के साथ ही भाजपा लव जिहाद और केवल हलाल भोजन परोसने वाले रेस्तरां के खिलाफ कथित भेदभाव के अपने नए मुद्दे को भी उछाल रही है. भाजपा के घोषणा पत्र में पार्टी के सत्ता में आने पर लव जिहाद के खिलाफ कानून का वादा किया गया है. आने वाले दिनों में योगी आदित्यनाथ के दौरे से इस तरह के मुद्दों के और गर्माने की उम्मीद है. भ्रष्टाचार के आरोप, विशेष रूप से सोने की तस्करी मामले से जुड़े भ्रष्टाचार के ब्यौरे, पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार पर हमले का दूसरा मुख्य मुद्दा है. भाजपा के कथानक में, कांग्रेस को एक मरणासन्न पार्टी करार दिया गया है, जो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी सांप्रदायिक जमातों के समर्थन से जिंदा रहने की जद्दोजहद में लगी है.
नामांकन में गड़बड़झाला
भले ही भाजपा के कई केंद्रीय नेता और मंत्री एलडीएफ और यूडीएफ के खिलाफ आग उगलते हुए केरल का तूफानी दौरा कर रहे हों, लेकिन पार्टी को चुनाव अभियान की शुरुआत में ही दो प्रमुख उम्मीदवारों एन हरिदास और निवेदिता के नामांकन तकनीकी आधार पर रद्द किए जाने समेत शर्मिंदगी वाली कई घटनाओं का सामना करना पड़ा है.
वोटों का लेनदेन
नामांकन खारिज किए जाने के साथ ही इन निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा पर एक बार फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के साथ वोटों के लेनदेन के आरोप लगने लगे हैं. माकपा की अगुवाई वाला एलडीएफ इस तरह की सौदेबाजी के आरोपों को लेकर मुखर रहा है क्योंकि वह वाम दलों के खिलाफ भाजपा-यूडीएफ की मिलीभगत के आरोपों को हवा देना चाहता है. साथ ही, एलडीएफ का प्रयास माकपा-भाजपा सांठगांठ के आरोपों को भी बेअसर करने का भी है. आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र के पूर्व संपादक आर बालाशंकर ने आरोप लगाया है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन और उनके संरक्षक केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कोन्नी विधानसभा सीट पर सुरेंद्रन की जीत सुनिश्चित करने के लिए माकपा के साथ सौदेबाजी की है. वोटों की सौदेबाजी के आरोपों को राज्य में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता ओ राजगोपाल की इस स्वीकारोक्ति से भी हवा मिली कि भगवा पार्टी ने माकपा को हराने के लिए 1991 में कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ रणनीतिक समझौता किया था. नेमम विधानसभा सीट जीतकर 2016 में केरल में भाजपा का खाता खोलने वाले राजगोपाल का कहना है कि इस तरह के समझौतों में कुछ भी असामान्य नहीं है.
मोदी मैजिक
सवाल ये है कि क्या मोदी मैजिक वोटों के लेनदेन के आरोपों को बेअसर करने और जोरदार बयानबाजी के सहारे भगवा पार्टी के समर्थकों को उत्साहित करने में सक्षम होगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में अपने भाषणों से भावी दिशा का संकेत दे दिया था, और अपेक्षानुसार मंगलवार को मोदी ने भ्रष्टाचार और सबरीमाला के मुद्दों पर जोर देते हुए एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ पर हल्ला बोल दिया.
अपने दो चुनावी दौरों में शाह ने सोने की तस्करी और अन्य अपराधों में भूमिका का आरोप लगाते हुए एलडीएफ सरकार पर तीखे हमले किए थे. बजट से इतर वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बोर्ड को भी विदेशी मुद्रा नियमों के कथित उल्लंघनों के लिए हमलों का निशाना बनाया गया.
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ईसाइयों को लुभाने की कोशिश
भाजपा अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए 55-56 प्रतिशत हिंदू तथा 45-46 प्रतिशत ईसाई-मुस्लिम संयुक्त आबादी वाले केरल की असामान्य जनसांख्यिकीय बनावट से पार पाने की रणनीति की तलाश में है. भाजपा के चिंतकों को पता है कि पार्टी राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों में से एक को साथ लिए बिना सत्ता हासिल करने की स्थिति में नहीं होगी. इस दृष्टि से ईसाई समुदाय की पहचान संभावित सहयोगी के रूप में की गई है और भगवा ब्रिगेड को उम्मीद है कि इस समुदाय में पैठ बनाने के लिए उठाए गए कदमों से पार्टी को चुनावी लाभ मिल सकेगा.
स्थानीय और वैश्विक स्तर पर हुई कतिपय घटनाओं के कारण राज्य में ईसाइयों के एक वर्ग में बढ़ते इस्लामोफोबिया से भाजपा को अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ने में मदद मिली है. तुर्की की सरकार के हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में तब्दील करने के फैसले पर ईसाई पादरियों के बीच बेचैनी का माहौल भगवा ब्रिगेड के लिए चर्च के साथ सदभावना बढ़ाने का एक बड़ा अवसर था. इससे पहले लव जिहाद को लेकर ईसाई पादरियों द्वारा खुलकर आशंकाएं व्यक्त किए जाने से भी भाजपा के रणनीतिकारों का उत्साह बढ़ा था.
कांग्रेस के केंद्र में सत्ता गंवाने और राज्य में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पर अधिकाधिक निर्भर होते जाने को भी पादरी वर्ग ने अच्छे संकेत के रूप में नहीं लिया है. भाजपा वर्षों से ऐसे अवसर का इंतजार कर रही थी और भगवा थिंक-टैंक अपने राजनीतिक लक्ष्य के लिए इन घटनाक्रमों का लाभ उठाने के प्रति आश्वस्त है. हालांकि उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में ईसाई मिशनरियों पर हो रहे हमलों से स्पष्ट है कि राज्य में ईसाई अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश के बावजूद हिंदुत्व के मूल मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया जा रहा है.
श्रीधरन का असर
देश में मेट्रो रेल प्रणाली के मुख्य शिल्पी ई श्रीधरन का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होना भगवा ब्रिगेड के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. केरल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने श्रीधरन को एनडीए के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तक घोषित कर दिया, हालांकि बाद में उन्हें अपना बयान वापस लेने को बाध्य होना पड़ा.
पलक्कड़ विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए श्रीधरन को पार्टी ने राज्यव्यापी चुनाव अभियान का हिस्सा नहीं बनाया गया है. राज्य में विकास के लिए फास्टट्रैक परियोजनाओं के विषय में मीडिया को दिए साक्षात्कारों के अलावा, श्रीधरन की गतिविधियां पलक्कड़ में अपने निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित हैं. उनका चुनाव अभियान विवादों के साथ शुरू हुआ जब कुछ लोगों द्वारा उनके पैर धोए जाने और उनके समक्ष दंडवत करने की तस्वीरें सामने आईं. श्रीधरन ने आलोचनाओं को यह कहकर खारिज कर दिया कि उनका विरोध वही लोग कर रहे हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रति कोई सम्मान भाव नहीं है. मुकाबले में 2016 के चुनावों में लगभग 17,000 वोटों के बहुमत से निर्वाचित विधायक शफी परम्बिल के होने के बावजूद पलक्कड़ में भाजपा को बहुत उम्मीदें हैं. हालांकि सफलता लगभग 18,000 वोटों को कांग्रेस से भाजपा में स्थानांतरित करने की मेट्रोमैन की क्षमता पर निर्भर करेगी. नेमम के अलावा, भाजपा को कझाकुट्टम में सफलता की उम्मीद है, जहां 2016 में वह 7,347 वोटों के अंतर से पराजित हुई थी.
लेखक पत्रकार और डेक्कन क्रॉनिकल के पूर्व वरिष्ठ संपादक हैं. ये उनके निजी विचार हैं.
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