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Tuesday, 17 December, 2024
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केंद्र सरकार की FY25 राजस्व प्राप्ति निराशाजनक लगती है, हर एक रुपए की कमाई पर 1.54 रुपए खर्च होंगे

सरकार आरबीआई के इनाम से भरपूर लाभ हासिल कर रही है. वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान में लाभांश मोटे तौर पर 1.02 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है.

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वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे को रेखांकित करने वाली प्रमुख धारणाएं क्या हैं? अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. सकल कर प्राप्तियों में 14 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है – आयकर 28.4 प्रतिशत, कॉर्पोरेट कर 13 प्रतिशत, जीएसटी 11.6 प्रतिशत, सीमा शुल्क -0.8 प्रतिशत और उत्पाद शुल्क -6 प्रतिशत घटेगा.

राजस्व प्राप्तियों के 14 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, कर राजस्व (केंद्र को शुद्ध) 11.6 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. हालांकि, गैर-कर राजस्व में 32 प्रतिशत की भारी वृद्धि का अनुमान है, जो मुख्य रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से बढ़े हुए लाभांश और दूरसंचार स्पेक्ट्रम वेव्स की बिक्री से प्राप्त राजस्व के कारण है.

जादू की छड़ी से, राजस्व व्यय में वृद्धि वित्त वर्ष 2024 बीई (बजट अनुमान) में 35.02 लाख करोड़ रुपये से केवल 4.3 प्रतिशत पर सीमित होकर वित्त वर्ष 2025 बीई में 36.54 लाख करोड़ रुपये हो गई है.

राजस्व व्यय के भीतर, ब्याज भुगतान वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान में 10.79 लाख करोड़ रुपये से 10 प्रतिशत बढ़कर 2025 के बजट अनुमान में 11.90 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है.

पूंजी खाते के निर्माण के लिए अनुदान सहित कुल पूंजी व्यय, वित्त वर्ष 2024 के 13.7 लाख करोड़ रुपये से 9 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2025 के 14.96 लाख करोड़ रुपये हो गया है. कुल व्यय में मामूली 5.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है.

वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा 16.85 लाख करोड़ रुपये (अनुमानित नाममात्र जीडीपी 327.71 लाख करोड़ रुपये का 5.1 प्रतिशत) होने का अनुमान है.

तो, वित्त वर्ष 2025 में भारत सरकार 30.8 लाख करोड़ रुपये कमाने जा रही है, जिसमें 50,000 करोड़ रुपये की विनिवेश आय और गैर-कर राजस्व शामिल है, जिसमें मुख्य रूप से आरबीआई या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से लाभांश और 3.99 लाख करोड़ रुपये की दूरसंचार प्राप्तियां शामिल हैं. वहीं, केंद्र की 47.65 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है. इसका मतलब यह है कि प्रत्येक 1 रुपये की कमाई के लिए वह 1.547 रुपये खर्च करेगा, या प्रत्येक 1 रुपये के खर्च के लिए वह केवल 0.646 रुपये लेगा.

जैसा कि आरबीआई के दिवंगत डिप्टी गवर्नर एसएस तारापोर मुझसे कहा करते थे, सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, जिसमें जटिल गणना होती है और यह बहुत सारे अस्पष्ट कारकों पर आधारित है, खासकर हमारे जैसे डेटा-गरीब देश में हमें आवर्ती राजस्व प्राप्तियों की तुलना में राजकोषीय घाटे पर ध्यान देना चाहिए. इस संदर्भ में देखने पर स्थिति स्पष्ट रूप से निराशाजनक और चिंताजनक लगती है.


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निजी क्षेत्रों का निवेश

क्या सरकार ने अपनी कमर कस ली है और क्या निजी क्षेत्र के पूंजी निवेश में भीड़ के लिए बड़े पैमाने पर संसाधन उपलब्ध होंगे?

हालांकि, सरकार की सकल बाजार उधारी वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में 15.43 लाख करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान में 14.13 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी; शुद्ध उधारी 2025 के बजट अनुमान में 11.75 लाख करोड़ रुपये के लगभग समान स्तर पर है, जबकि 2024 के संशोधित अनुमान में यह 11.80 लाख करोड़ रुपये थी.

सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा लक्ष्य हासिल करना है, जो वित्त वर्ष 2024 में 5.8 प्रतिशत है. वित्त वर्ष 2025 में 327.71 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित जीडीपी के साथ, इस 0.7 प्रतिशत की कटौती से 2.29 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी. अगर वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024 की तरह जीडीपी के समान प्रतिशत पर रहता, तो सरकार की सकल उधारी उस सीमा तक बढ़ जाती. बेशक, इससे भारत की क्रेडिट रेटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और बांड में तेज़ वृद्धि देखी जा सकेगी – अर्थव्यवस्था में धन की लागत बढ़ेगी और देश की पहले से ही विलंबित मध्यम अवधि की राजकोषीय समेकन योजना के बारे में निवेशकों के बीच संदेह बढ़ेगा.

रेलवे में केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं/परियोजनाओं पर व्यय – सड़कों के अलावा सरकार के विकास के प्रमुख जुड़वां इंजनों में से एक – वित्त वर्ष 24 संशोधित अनुमान में 2.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 बजट अनुमान में 2.52 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो साल दर साल केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. सड़क क्षेत्र में केंद्रीय क्षेत्र की योजना/परियोजना व्यय 2.76 लाख करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) से बढ़कर 2.77 लाख करोड़ रुपये हो गया है, यानी मामूली 0.3 प्रतिशत की वृद्धि.

रक्षा क्षेत्र पर बढ़ते जोर को देखते हुए, इस पर पूंजी परिव्यय वित्त वर्ष 2024 में 1.62 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 1.72 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो साल-दर-साल 6 प्रतिशत की मामूली वृद्धि को दर्शाता है.

ग्रामीण क्षेत्र में कुल मांग कम होने और कृषि आय पर दबाव के बावजूद, हमारे अन्नदाताओं के लिए उर्वरक सब्सिडी नहीं बढ़ाई गई है. उर्वरक यूरिया सब्सिडी वास्तव में वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में 1.28 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2025 के बजट अनुमान में 1.19 लाख करोड़ रुपये हो गई है. वित्त वर्ष 2024 संशोधित अनुमान में पोषक तत्व आधारित सब्सिडी 60,000 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान में 45,000 करोड़ रुपये हो गई है.


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सब्सिडी, ओएमसी समर्थन

वित्त वर्ष 2024 में खाद्य सब्सिडी का बजट 1.97 लाख करोड़ रुपये था और 2024 के लिए संशोधित अनुमान 2.11 लाख करोड़ रुपये है. वित्त वर्ष 2025 के लिए, सब्सिडी बजट 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में लगभग 2.05 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर रहा है. 2025 में, संपूर्ण खाद्य सब्सिडी प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से वितरित की जाएगी.

महत्वपूर्ण पेट्रोलियम क्षेत्र में गरीब परिवारों के लिए एलपीजी सिलेंडर पर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और सब्सिडी 9,960 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान से बढ़कर 10,594 करोड़ रुपये 2025 के बजट अनुमान में – एक और मामूली 6 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है.

जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाने से बचने और राष्ट्रीय शुल्क का निर्वहन करने का आह्वान किया जाता है. हालांकि, OMCs को पूंजी समर्थन 2024 के संशोधित अनुमान में 30,000 करोड़ रुपये से 50 प्रतिशत कम होकर 2025 के बजट अनुमान में 15,000 करोड़ रुपये हो गया है.

वित्त वर्ष 24 के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में मजबूत तेजी को देखते हुए, सरकार का विनिवेश कार्यक्रम, जिसमें विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों में आंशिक या नियंत्रित हिस्सेदारी की बिक्री शामिल थी, जांच के दायरे में थी.

विविध पूंजीगत प्राप्तियां, गैर-ऋण प्राप्तियों का एक हिस्सा, जिसमें मुख्य रूप से पीएसयू से विनिवेश आय शामिल है, वित्त वर्ष 24 बजट अनुमान में 61,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था. हालांकि, वित्त वर्ष 24 में भारतीय इक्विटी के स्वप्निल प्रदर्शन के बावजूद, केवल 30,000 करोड़ रुपये ही हासिल किए जा सके. चूंकि, उम्मीद है, सरकार ने 2025 के बजट अनुमान के लिए इस श्रेणी के तहत 50,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है.

2024 के बजट अनुमान में विभिन्न PSUs और PSBs से लाभांश का बजट 43,000 करोड़ रुपये था. 2024 के लिए संशोधित अनुमान 50,000 करोड़ रुपये आंका गया है, जो 2025 के बजट अनुमान में 48,000 करोड़ रुपये पर कमोबेश स्थिर है. इस बीच, वित्त वर्ष 2024 में ओल्ड लेडी ऑन द मिंट स्ट्रीट (आरबीआई) के लाभांश का बजट 48,000 करोड़ रुपये था, लेकिन वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान में यह बढ़कर 1.04 लाख करोड़ रुपये हो गया है (बजट राशि की तुलना में 116.7 प्रतिशत की वृद्धि) और वित्त वर्ष 2025 के अनुमान में मोटे तौर पर 1.02 लाख करोड़ रुपये के दायरे में रहने की उम्मीद है.

सरकार आरबीआई की उदारता से भरपूर लाभ प्राप्त कर रही है.

दूरसंचार क्षेत्र से प्राप्तियां गैर-कर राजस्व प्राप्तियों का एक बड़ा हिस्सा है. वित्त वर्ष 2025 में अंतर्निहित बजटीय धारणाएं क्या हैं?

गैर-कर राजस्व प्राप्तियों का एक प्रमुख घटक दूरसंचार (संचार) से है, जिसमें नियमित प्राप्तियां और नीलामी आय दोनों शामिल हैं. 2024 का बजट अनुमान 89,469 करोड़ रुपये था, जो 2024 के संशोधित अनुमान में मामूली रूप से बढ़कर 93,541 करोड़ रुपये हो गया. बजट में वित्त वर्ष 2015 में 34.4 प्रतिशत की भारी वृद्धि के साथ 1.20 लाख करोड़ रुपये (बीई से बीई) का अनुमान लगाया गया है.

(अजय बोड़के फाइनेंशियल पॉलिसी, आर्थिक और बाज़ार मामलों के विश्लेषक हैं. व्यक्त किए गए विचाप निजी हैं.)

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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