scorecardresearch
Tuesday, 19 November, 2024
होममत-विमतDMK फाइल्स, फैक्ट्रीज एक्ट और वीपी सिंह की प्रतिमा—क्यों संकट में हैं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन

DMK फाइल्स, फैक्ट्रीज एक्ट और वीपी सिंह की प्रतिमा—क्यों संकट में हैं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन

आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव का तमिलनाडु की राजनीति पर नैतिक प्रभाव होगा. अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन जारी है.

Text Size:

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) अध्यक्ष एमके स्टालिन संकट में हैं. एक प्रशासक के रूप में उनकी अक्षमता सत्ता पक्ष के राजनीतिक दिवालियापन में झलक रही है.

डीएमके 2021 में एक दशक के बाद तमिलनाडु में सत्ता में लौटी है. इसके कामकाज के विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टी खराब प्रदर्शन कर रही है. राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों से परामर्श प्रक्रिया के जरिए निपटने में स्टालिन अपने पिता एम करुणानिधि की तरह पारदर्शी नहीं हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में अन्य केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरह तमिलनाडु का दौरा किया. फिर वाराणसी के काशी तमिल संगमम की तर्ज पर, सौराष्ट्र तमिल संगमम का मेगा शो हुआ, इसके बाद मोदी ने अपने मासिक रेडियो शो मन की बात पर कारीगरों और सपेरों का समर्थन करने के लिए लोगों से आग्रह किया और पिछले 10 वर्षों में कई तमिलों को पद्म पुरस्कार दिए—ये केवल कुछ बिंदु हैं जो साबित करते हैं कि भाजपा ने तमिलनाडु की राजनीति में पैठ बना ली है. यह क्रमिक और स्थिर धक्का डीएमके और अन्य द्रविड़ पार्टियों की मुसीबत है.

तमिलनाडु देर से ही सही लेकिन कई विस्फोटक राजनीतिक घटनाक्रमों का गवाह रहा है. डीएमके में आपसी कलह लौट आई है जबकि इसके पदाधिकारी बस संचालकों और राशन दुकान मालिकों को धमकाते देखे गए हैं. डीएमके ने राज्यपाल आरएन रवि पर केंद्र के “एजेंडे” को पूरा करने का आरोप लगाया. डीएमके नेता आरएस भारती ने तो यहां तक कह दिया कि उत्तर भारतीय प्रवासी राज्य में सिर्फ पानी पूरी बेचते हैं और राज्यपाल उनके जैसे हैं.

उत्तर भारत के मोटे तौर पर 10 लाख प्रवासी राज्य में खेती, निर्माण, हॉस्पिटैलिटी और अन्य उद्योगों में काम कर रहे हैं.

इससे पता चलता है कि सीएम स्टालिन राजनीतिक रूप से डीएमके को संकटों की एक सीरीज़ से बाहर निकालने में असमर्थ हैं.

विपक्षी अन्नाद्रमुक के नेता एडप्पादी पलानीसामी को पार्टी के महासचिव के रूप में उनकी स्थिति के बारे में चुनाव आयोग से मान्यता मिली. एआईएडीएमके को प्रतिष्ठित ‘दो पत्तियों’ का चुनाव चिन्ह भी आवंटित किया गया. यह स्टालिन के लिए एक बड़ा झटका था, जिन्होंने एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना की थी जहां ओ पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाला एआईएडीएमके गुट – जो डीएमके के साथ बहुत अधिक मित्रवत है – चिन्ह को दोबारा हासिल करने के लिए एक अंतहीन कानूनी लड़ाई छेड़ेगा.

केंद्रीय नेतृत्व द्वारा समर्थित भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने एक और झटका देते हुए चेन्नई में “डीएमके फाइल्स” जारी कीं. यह लगभग ऐसा ही था जैसे बीजेपी नई दिल्ली में “कांग्रेस फाइल्स” लेकर आ रही हो. “डीएमके फाइल्स” पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का एक वीडियो संकलन है. डीएमके नेताओं ने कहा है कि इन फाइल्स में चुनावी समय के दौरान हलफनामों में पहले से घोषित संपत्ति विवरण के अलावा कुछ नहीं है, जहां सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस वीडियो को फैलाने लगे, वहीं अन्य ने इसे नज़रअंदाज कर दिया. जल्द ही वित्त मंत्री पीटीआर त्यागराजन का एक कथित ऑडियो क्लिप वायरल हो गया. क्लिप में स्टालिन के परिवार पर 30,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है. 72 घंटों के बाद, राज्य सरकार ने क्लिप में किए गए सभी दावों का खंडन किया.

स्टालिन ने घोषणा की है कि सामाजिक न्याय पर उनके काम को चिह्नित करने के लिए चेन्नई में पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी, लेकिन इसने कांग्रेस नेताओं को गुप्त रूप से चर्चा करने के लिए प्रेरित किया कि कैसे वीपी सिंह ने बोफोर्स घोटाले के दौरान वित्त मंत्री के रूप में राजीव गांधी की “पीठ में छुरा घोंपा” था.

चेन्नई में चल रही चर्चा यह है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने डीएमके नेताओं को प्रतिमा के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करने के लिए फोन किया, जो एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. क्या डीएमके कांग्रेस को संदेश देना चाहती है? यह बाद में राजीव गांधी के सजायाफ्ता हत्यारे एजी पेरारिवलन को स्टालिन के गले लगाने पर पहले से ही भड़का हुआ है.

तमिलनाडु विधानसभा में स्टालिन ने दो संवेदनशील प्रस्ताव पेश किए हैं. पहले ने केंद्र से अनुसूचित जाति (एससी) के सदस्यों को वैधानिक सुरक्षा, अधिकार और आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कहा, जो ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं. अध्यक्ष एम अप्पावु द्वारा उनके द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को निकाले जाने के विरोध में भाजपा के वनाथी श्रीनिवासन और पार्टी के अन्य सदस्यों ने विधानसभा से बहिर्गमन किया.

स्टालिन द्वारा दूसरा प्रस्ताव फैक्ट्रीज एक्ट 1948 में काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 करने के लिए संशोधन की मांग करने वाला एक बिल था. इसने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और सीपीआई (मार्क्सवादी) सहित डीएमके सहयोगियों को प्रतीत होता है.


यह भी पढ़ेंः ‘दक्षिण चलो’ की नीति के साथ भाजपा की नज़र अब तमिलनाडु पर, द्रमुक के लिए खतरे की घंटी


तमिलनाडु 2024 के लिए तैयार है

स्टालिन कभी भी बीजेपी, खासकर पीएम मोदी को घेरने और उनकी आलोचना करने का मौके से नहीं चूकते. उन्होंने ऑन रिकॉर्ड कहा है कि यह उनकी पार्टी का स्टैंड है कि मोदी को फिर से प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए. स्टालिन न केवल डीएमके के मुखपत्र मुरासोली- एक दैनिक समाचार पत्र, बल्कि पार्टी सदस्यों को लगातार भेजे गए वीडियो संदेशों में भी इस तरह की टिप्पणी लिख रहे हैं.

दूसरी ओर, अन्नामलाई को तमिलनाडु के युवाओं के बीच जबरदस्त समर्थन मिला है, लेकिन वरिष्ठ नेता उनकी बातों का समर्थन नहीं कर रहे हैं. पार्टी ऐसे राज्य में अकेले नेतृत्व करना चाहती है जहां गठबंधन चुनावी राजनीति का क्रम है. न तो डीएमके और न ही एआईएडीएमके में अकेले खड़े होने की क्षमता है. जब तक गठबंधन नहीं बनता है विधानसभा चुनाव में किसी एक पार्टी के जीतने की संभावना नहीं है.

गठबंधन के कोई संकेत नहीं होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करने के चुनावी वादों को पूरा नहीं करने के लिए डीएमके भी मतदाताओं के बीच अपनी चमक खो रही है.

आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव का तमिलनाडु की राजनीति पर प्रभाव होगा. तमिलनाडु के राजनीतिक माहौल पर चर्चा के लिए गृहमंत्री अमित शाह 26 अप्रैल को नई दिल्ली में ईके पलानीस्वामी से मुलाकात करेंगे. शाह ने कहा है कि बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन जारी रहेगा.

बीजेपी ने अपनी रणनीति बना ली है. संभावित रूप से संतृप्त राज्यों की भरपाई करने के लिए जहां पार्टी बहुत कुछ नहीं कर सकती, वह 120 लोकसभा सीटों के लिए दक्षिण भारत की ओर देख रही है. इस लिहाज़ से कर्नाटक केक वॉक लगता है, लेकिन तेलंगाना और तमिलनाडु एक कसौटी हैं जहां पार्टी 15 सीटें हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.

इसी तरह, कांग्रेस भी लोकसभा सीटों की कटाई के लिए तमिलनाडु को एक उपजाऊ भूमि के रूप में देख रही है.

तमिलनाडु ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है, लेकिन अगर बीजेपी और मोदी इस बार हैट्रिक करते हैं तो तमिलनाडु को 2026 के विधानसभा चुनाव में जोरदार टक्कर का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा.

(व्यक्त विचार निजी हैं. लेखक का ट्विटर हैंडल @RAJAGOPALAN1951. है)

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः कुंद विपक्ष, उठ खड़ी होने वाली BJP- तमिलनाडु की राजनीति में हलचल स्टालिन के लिए क्यों बनी सिरदर्द


 

share & View comments