scorecardresearch
Sunday, 5 May, 2024
होममत-विमतएजबेस्टन के ग्राउंड पर भारत का बेहतरीन रिकार्ड इंग्लैंड के लिए और भी मुश्किल

एजबेस्टन के ग्राउंड पर भारत का बेहतरीन रिकार्ड इंग्लैंड के लिए और भी मुश्किल

विश्व कप जब शुरू हुआ था, तब इंग्लैंड दुनिया की नंबर एक वनडे टीम थी. बीच टूर्नामेंट में भारत ने उससे ये पायदान छीन लिया.

Text Size:

2019 अंतर्राष्ट्रीय विश्व कप में इंग्लैंड और भारत दोनों टीमें शीर्ष पर हैं. हालांकि भारत अजेय रहते हुए अंकतालिका में सबसे ऊपर है. इसलिए उसकी दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत दिखती है. दूसरी ओर इंग्लैंड अपने बचे दोनों मैच जीतने होंगे ताकि वह सेमीफाइनल में पहुंच सके. भारत और इंग्लैंड ने एजबेस्टन में चार मैच खेले हैं, जिनमें से तीन में भारत ने जीते हैं.

2019 विश्व कप की शुरुआत से ही भारतीय टीम का टॉप 4 में पहुंचना तय था. अब आधे से ज्यादा टूर्नामेंट बीत जाने के बाद इस बात पर पक्की मोहर भी लग चुकी है. भारतीय टीम अब तक जीत के रास्ते पर है. वो टूर्नामेंट की इकलौती टीम है जो अब तक अजेय है. ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान जैसी टीमों को हराने के बाद अब टीम इंडिया की नजर है कि वो प्वाइंट टेबल में पहली पायदान पर रहे. ऐसा करने का मतलब ये होगा कि सेमीफाइनल में उसका मुकाबला प्वाइंट टेबल की चौथे नंबर की टीम से होगा. भारतीय टीम का अगला मुकाबला रविवार को इंग्लैंड से है.

भारत बढ़त में है

इंग्लैंड के खिलाफ भारत की दो बड़ी जीत शामिल हैं. 1999 विश्व कप और 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल की सबसे बड़ी जीत. इंग्लैंड की एकमात्र जीत 2007 में हुई जब राहुल द्रविड़ की टीम इंग्लैंड के कुल 281 का पीछा करने में विफल रही थी.

news on cricket
सोहम सेन का चित्रण | दिप्रिंट

विश्व कप जब शुरू हुआ था तब इंग्लैंड दुनिया की नंबर एक वनडे टीम थी. बीच टूर्नामेंट में भारत ने उससे ये पायदान छीन लिया. दिलचस्प बात ये भी है कि अगर भारतीय टीम इंग्लैंड को हरा देती है, तो इंग्लैंड का सेमीफाइनल में पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन हो जाएगा. इसी बात को आधार बनाकर पाकिस्तान के कुछ पूर्व खिलाड़ी ये बकवास भी कर रहे हैं कि पाकिस्तान को टूर्नामेंट से बाहर करने के लिए भारत जान बूझकर इंग्लैंड से हार जाएगा. खैर, इस बेवजह बात को दरकिनार करके भारत इंग्लैंड मैच के हालात पर चर्चा करते हैं. ये सच है कि भारतीय टीम अभी तक एक भी मैच नहीं हारी है. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच को छोड़ दें, तो बाकि सभी जीतों में बल्लेबाजी के लिहाज से कुछ ना कुछ कमियां रही हैं, इंग्लैंड की नजर उन्हीं कमियों पर हमला बोलने की है.


यह भी पढ़ें : विश्व कप के दूसरे ही मैच में क्यों होगा टीम इंडिया का सबसे बड़ा इम्तिहान

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


जीत के बाद भी कई सवाल रहेंगे

भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी. दक्षिण अफ्रीका की टीम ने सिर्फ 228 रनों का लक्ष्य दिया था. बावजूद इसके भारतीय टीम ने 48वें ओवर में जीत हासिल की. वो भी शिखर धवन, विराट कोहली, केएल राहुल और महेंद्र सिंह धोनी का विकेट खोकर. उस मैच के बाद ये लगा कि भारतीय टीम ने जानबूझकर सुरक्षात्मक तरीके से खेला जिससे जीत किसी भी हालत में ना फिसले. ये सोच ठीक भी थी क्योंकि जीत के साथ सफर की शुरुआत जरूरी थी. अगले मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शानदार तरीके से हराया. भारत ने पहली बार साढ़े तीन सौ रनों के आंकडे को पार किया और 36 रनों से बड़ी कनविंसिंग जीत हासिल की.

न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच बारिश की भेंट चढ़ गया. अगले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भारत जीता जरूर, लेकिन स्कोरबोर्ड पर रन कम जुड़े. भारतीय टीम ने 45.4 ओवर में 300 रन बनाने के बाद अगली 26 गेंद पर सिर्फ 36 रन बनाए. इस कमी को नजरअंदाज करने का मतलब है. अपनी गलती को इग्नोर करना. अगले मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ तो भारतीय फैंस की सांसे रुक सी गई थी. भारतीय टीम की बल्लेबाजी बुरी तरह लड़खड़ाई और भारतीय टीम सिर्फ 224 रन ही जोड़ पाई. ऐसा लगा कि भारतीय बल्लेबाजों से ये गलती टूर्नामेंट में दोबारा नहीं होगी. लेकिन अगले ही मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. भारतीय टीम पौने तीन सौ तक भी नहीं पहुंच पाई. कुल मिलाकर जीत का सच ये रहा कि वेस्टइंडीज की टीम बहुत खराब खेली. वरना ये मैच भी फंस जाता.


यह भी पढ़ें : धोनी, विराट, अश्विन, कार्तिक जैसे खिलाड़ी क्यों लांघते हैं मर्यादा की लक्ष्मण रेखा?


इंग्लैंड की टीम कहां करेगी हमला

इंग्लैंड की टीम ने नोटिस किया होगा कि रोहित शर्मा या केएल राहुल में से कोई भी एक बल्लेबाज अगर जल्दी आउट हो गया तो विराट कोहली पर ज्यादा दबाव आ जा रहा है. इसी दबाव के चलते वो विश्व कप में चार अर्धशतक तो लगा चुके हैं. लेकिन उसे शतक में एक बार भी तब्दील नहीं कर पाए. दूसरी परेशानी है. नंबर चार की पोजीशन. यानी बीच के ओवरों में भारतीय टीम स्ट्राइक रोटेट करके रनों की रफ्तार नहीं बढ़ा पा रही है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि भारतीय टीम में शुरू से अंत तक सभी बल्लेबाज दाएं हाथ के बल्लेबाजी करते हैं. स्पिनर्स के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी साफ दिख रही है. वेस्टइंडीज के औसत स्पिनर ने भी भारतीय बल्लेबाजों को बांधे रखा. धोनी स्पिनर्स के खिलाफ असहज दिख रहे हैं. इन कमजोरियों को देखते हुए इंग्लैंड की टीम ने प्लान जरूर बनाया होगा. टूर्नामेंट में उसके बचे रहने के लिए उसे जीत चाहिए. हां, ये सच है कि भारतीय गेंदबाजी इस विश्व कप में कमाल रही है. पिछले दो मैच तो भारतीय गेंदबाजों ने जिताए हैं. इंग्लैंड के पास उसका कोई तोड़ नहीं है.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

(अभिषेक मिश्रा और अच्युत मिश्रा के इनपुट्स के साथ)

share & View comments