जरा सोचिए कि आप वीआर (वर्चुअल रियलिटी) हेडसेट पहनकर वर्चुअल राजनीतिक रैली में प्रवेश कर रहे हैं. उस वर्चुअल स्पेस में, वह मैदान है जहां नेता का हेलीकॉप्टर उतर रहा है, बैनर विज्ञापनों और नेता के वर्चुअल होर्डिंग्स के साथ पूरी तरह से वर्चुअल स्पेस के साथ राजनीतिक दल के भीड़-भाड़ और चीख-पुकार के नारे हैं.
आप वर्चुअल टोकन या नॉन फंजिबल टोकन (एनएफटी) के साथ नेता/राजनीतिक दल का प्रचार सामग्री खरीद सकते हैं या यहां तक कि अपना आभासी अवतार भी बदल सकते हैं. एक राजनीतिक नेता का आभासी अवतार आता है और मुद्दों को संबोधित करते हुए भाषण देना शुरू कर देता है और यह आप अपने दोस्तों के साथ वास्तविक समय में वीआर-एआर चश्मा पहनकर, अपने ड्राइंग-रूम में 3 डी में अनुभव कर सकते हैं.
य़ह नेटफ्लिक्स के मशहूर शो ब्लैक मिरर के एपिसोड की तरह लग रहा है? हां, यह सब मेटावर्स के आने से संभव हो सकता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नवीनतम इमर्सिव तकनीक कैसे राजनीति को बदल देगी.
यह भी पढ़ें: हिंदुइज़्म बनाम हिंदुत्व को लेकर बहस उदारवादियों के बौद्धिक आलस को दिखाता है
मेटावर्स क्या है?
मेटावर्स को पहली बार 1992 में नील स्टीफेंसन द्वारा स्नोक्रैश नामक फिक्शन उपन्यास में लिखा गया था. मेटा (अर्थात परे) और वर्स (अर्थात ब्रह्मांड), मेटावर्स अर्थात संसार से परे.
मेटावर्स का महत्व तब और बढ़ गया जब फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की कि फेसबुक की बड़ी पहल मेटावर्स होगी, जिसके बाद अक्टूबर में फेसबुक ने मेटा के रूप में रीब्रांडिंग की. लोग रातोंरात मेटावर्स विशेषज्ञ बन गए और एनवीडिया से लेकर माइक्रोसॉफ्ट तक, हर कोई मेटावर्स बिजनेस में था.
लेकिन वास्तव में मेटावर्स क्या है?
मेटावर्स एक आभासी वातावरण है जहां लोग अपने व्यक्तिगत आभासी अवतार में मिलने और बातचीत करने में सक्षम होंगे. यह निश्चित रूप से लोगों को एक साधारण वीडियो कॉल की तुलना में अधिक उपस्थित महसूस कराएगा. या आभासी वास्तविकता और बड़े पैमाने पर कई लोगों द्वारा खेले जाने वाला वीडियो गेम का संयोजन. मेटावर्स लोगों को फीड-आधारित सोशल मीडिया से जुड़ने के बजाय अधिक उपस्थित होने का एहसास करा सकता है.
मेटावर्स में, एक व्यक्ति सभी वास्तविक जीवन स्थितियां जैसे काम, दुकानदारी, बिक्री, खेल खेलने, डेट, मौज मस्ती, गेम खेलने, एक साथ संगीत समारोहों में जाने या यहां तक कि एक राजनीतिक रैली में भाग लेने के लिए संलग्न हो सकता है.
लेकिन मेटावर्स में राजनीति कैसे की जा सकती है?
यह भी पढ़ें: क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी से डरिए मत, युवाओं को ऑनलाइन सेवाओं के विस्तार का लाभ लेने दीजिए
मेटावर्स में राजनीति कैसे?
2009 के अभियान में ओबामा द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग करने से लेकर 2012 और 2014 में होलोग्राम का उपयोग करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी तक, 2019 में नवीन पटनायक के ऑगमेंटेड रियलिटी अभियान से, 2020 में मनोज तिवारी के वीडीआर (विज़ुअल डायलॉग रिप्लेसमेंट) अभियान तक, आज के राजनेता उभरते हुए माध्यमों द्वारा मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
राजनीतिक नेता विभिन्न उभरती हुई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि वो उत्सुक हैं कि लोग कहां बातचीत कर रहे हैं, समाजीकरण कर रहे हैं और अपनी खबर प्राप्त कर रहे हैं. राजनेता एआई वीडियो, वीडियो गेम, ऐप और स्ट्रीमिंग सेवाओं की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे नए युग के मतदाताओं तक अपनी मूल भाषा में पहुंच सकें.
डिजिटल सियासी प्रचार के खेल को मेटावर्स और अधिक बदल देगा.
हम पहले ही राजनेताओं के होलोग्राम और वीडियो गेम देख चुके हैं और चुनावी प्रचार सामग्री जैसे मुद्रित टी-शर्ट, स्टेशनरी, झंडे वगैराह तो हर राजनीतिक दल द्वारा अभियान के दौरान एक रिवाज़ होता है. मीम संस्कृति और डिजिटल सोसाइटी मॉडर्न डिजिटल समाज की कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिसे कुछ ही राजनेता समझ पाए हैं.
मेटावर्स राजनेताओं के लिए एक नया मैदान होगा, यह समझने के लिए कि मतदाता अपने उम्मीदवार के प्रति समर्थन दिखाने के लिए डिजिटल मर्चेंडाइज भी खरीद सकते हैं जैसे डिजिटल कैप, हैंड बैंड या अन्य कपड़े आदि. वही डिजिटल मर्चेंडाइज एक उम्मीदवार के प्रचार के लिए धन जुटा सकता है.
बाइडन-हैरिस अभियान ने Fortnite नामक एक वीडियो गेम के साथ इन-गेम ऐप द्वारा कोशिश की, जहां एक वीडियो गेम का उपयोग बाइडन के चुनाव अभियान में बिल्ड बैक बेटर के संदेश में डालने के लिए किया गया था.
यह भी पढ़ें: कृषि कानूनों की घर वापसी से साफ है कि दादागिरी से कानून पास करना समझदारी नहीं
मेटावर्स की चुनौतियां
लेकिन मेटावर्स को काम करने के लिए कई उभरती प्रौद्योगिकी, प्रोटोकॉल और उद्यमों की आवश्यकता होगी. जैसे, कई तकनीकी कंपनियां संवर्धित वास्तविकता, आभासी वास्तविकता और मिश्रित वास्तविकता के लिए हार्डवेयर विकसित कर रही हैं जिसमें चश्मा, हेडसेट और ऐप शामिल हैं.
प्रौद्योगिकी के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए अधिकांश कंप्यूटिंग शक्ति को हेडसेट जैसे हार्डवेयर के साथ सिंक्रनाइज़ करने की आवश्यकता है. नेटवर्किंग चिप्स, बैटरी, सेंसर, होलोग्राफिक वेवगाइड और स्पीकर सभी को छोटे हार्डवेयर में पैक किया जाना है, जिसे बड़े स्तर पर लाना, लोगों के लिए उसकी कीमत कम करना व ऐसी तकनीक के प्रति लोगों की स्वीकार्यता लेना एक बड़ी चुनौती होगी.
इसके अलावा, मेटावर्स अभी तक मौजूद नहीं है. मेटावर्स एक नेटवर्क या कई सेवाओं का संग्रह होगा जहां कई कंपनियां अपनी सेवाओं को जोड़ने के लिए सह-अस्तित्व में होंगी जहां लोग उन कई सेवाओं का उपयोग कर बातचीत कर सकते हैं.
ऐसे कई प्रश्न हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि मेटावर्स अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है. सरकार मेटावर्स में एनएफटी का उपयोग कर डिजिटल स्थान की खरीद और बिक्री से कैसे निपटेगी? सरकारें बौद्धिक संपदा अधिकारों, लेन-देन पर करों, गलत सूचनाओं, नियामक और शासन संरचना से कैसे निपटेंगी? टेक कंपनियां या यहां तक कि सरकारें अवतारों की पहचान और डेटा स्थानीयकरण की अनुमति कैसे देंगी?
राजनीति में मेटावर्स से जुड़ने से पहले ऐसे कई सवाल हैं, जिन पर टेक कंपनियों, सरकारों और राजनीतिक नेताओं को विचार करना होगा.
आज जब लोग अवतार-आधारित सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म को अपना रहे हैं, महामारी ने हम सभी को वर्चुअल रूप में वास्तविक बातचीत करने के लिए प्रेरित किया है. और जहां तक अन्य देश भारतीय चुनाव अभियान प्रणाली का अनुसरण करते हैं (फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार Ean-Luc Mélenchon hologram अभियान), निकट भविष्य में किसी भारतीय उम्मीदवार को मेटावर्स में प्रचार करते देखना कोई बड़ी बात नहीं होगी.
(सागर विश्नोई पेशे से पोलिटिकल कंसलटेंट और गवर्न नामक गवर्नेंस इनोवेशन लैब के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से स्ट्रेटेजी में पढ़ाई की है. व्यक्त विचार निजी हैं)
यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के राज में बिल पास करने की फैक्ट्री बन गई है संसद, विपक्षी सांसदों का निलंबन इसे साबित करता है