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Thursday, 31 October, 2024
होममत-विमतब्लॉगएक दशक में जेएनयू : एमएमएस, किस ऑफ लव और षड्यंत्रकारी रिपोर्ट ने बदल दी इमेज

एक दशक में जेएनयू : एमएमएस, किस ऑफ लव और षड्यंत्रकारी रिपोर्ट ने बदल दी इमेज

जेएनयू मुक्त विचारधारा के लिए जाना जाता रहा है. जब लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी जेएनयू में पढ़ते थे तब उन्होंने इंदिरा गांधी का कैंपस में विरोध किया था.

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जेएनयू की बात आते ही सोशल मीडिया में सेक्स, कंडोम और चरित्रहीनता की बातें तैरने लगती हैं. ऐसा लगता है कि सबके पास एक खुफिया कैमरा है जिसकी मदद से वो जेएनयू के अंदर लोगों के निजी जीवन की ताक-झांक कर रहे हैं. इसी परिपाटी पर चलते हुए दो साल पहले भाजपा के एक पूर्व विधायक और हिंदूवादी नेता ज्ञानदेव आहूजा ने जेएनयू से प्रतिदिन निकलने वाले कंडोम की संख्या भी बता दी थी.

पब्लिक में जेएनयू की ये इमेज कैसे बनी?

एक दशक पहले भारत में मोबाइल ने अपने साथ एक नई क्रांति जोड़ चुकी है- एमएमएस यानी सेक्स टेप.

2010 में जेएनयू से एक सेक्स टेप वायरल हुआ था. कथित तौर पर जेएनयू के एक छात्र और छात्रा ने वहां के हॉस्टल में शारीरिक संबंध बनाये थे और उनका ये वीडियो कैंपस में वायरल हो गया. 2011 में मामला जब आगे बढ़ा तब छात्र को बर्खास्त किया गया और वो अपने राज्य बिहार चला गया. छात्रा पहले ही यूनिवर्सिटी छोड़कर जा चुकी थी. दोनों स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज और कंप्यूटर साइंस में पढ़ते थे.

इसके बाद इंटरनेट पर ‘जेएनयू सेक्स टेप’ सर्च लिस्ट में ऊपर आने लगा. एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी, जहां से स्कॉलर निकलते हैं और जहां पर लोग पढ़ना चाहते हैं, वहां से ऐसा टेप सामने आने से लोगों के लिए आश्चर्य और घृणा की बात बन गई.

आम जनता ने इस बात की बिल्कुल उपेक्षा कर दी कि इस घटना में अपराध बस ये था कि वीडियो बनाया गया और उसे वायरल किया गया. ये आईटी एक्ट के तहत साइबर अपराध था. पर जनता की नजर में ये नैतिक अपराध हो गया. ये वो दौर था जब एमएमएस खूब बनते थे और फैलाये जाते थे. कैमरे वाले फोन तब सबके हाथों में नहीं पहुंचे थे और न ही इंटरनेट इतना सस्ता था.

इस घटना से पहले 2009 में जेएनयू में साबरमती और ताप्ती हॉस्टल में रैगिंग को लेकर बवाल हुआ था. पर तब तक जेएनयू की इमेज सुरक्षित थी.

2012 में निर्भया रेप और जेएनयू का प्रोटेस्ट

दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया रेप के रूप में जघन्य कांड हुआ और दिल्ली के अन्य छात्र छात्राओं के साथ जेएनयू के छात्र-छात्राएं भी सड़कों पर उतरे. टीवी और सोशल मीडिया पर पुलिस और नेताओं से झगड़ती लड़कियां लोगों को नजर आईं. भले ही निर्भया के लिए लोगों के मन में सम्मान था पर एक पितृसत्तात्मक समाज को चिल्लाती-लड़कियां पसंद नहीं आईं. जेएनयू की लड़कियों को एक ‘महिला’ नहीं समझा गया और उन्हें एक पतित नारी के तौर पर देखा जाने लगा.

निर्भया रेप के बाद कई बहसें हुईं और कई जगह तो निर्भया को ही गलत ठहराया गया कि वो रात को क्यों घूम रही थी. इस नज़रिए से देखें तो जेएनयू की लड़कियां तो कम कपड़े भी पहनती थीं, सिगरेट भी पीती थीं और पुरुषों से झगड़ती भी थीं. उनके पुरुष मित्र भी थे और वो उन्हें छोड़ भी देती थीं. ये कहानियां धीरे-धीरे इंटरनेट पर फैलने लगीं.

2014 का किस ऑफ लव और पब्लिक कल्पना को मिली मंजूरी

केरल में 2014 में एक क्षेत्रीय न्यूज चैनल ने एक लड़के और लड़की को प्रेम का प्रदर्शन करते हुए दिखाया और इसे नैतिकता से जोड़ा. उस जोड़े के पक्ष में देशभर के छात्र-छात्राएं उठ खड़े हुए. इसे किस ऑफ लव के प्रोटेस्ट के नाम से जाना गया.

जेएनयू के छात्र-छात्राओं ने भी इसमें बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया. सड़कों पर प्रेमी-प्रेमिकाएं एक दूसरे को चूमते नज़र आए. इस प्रदर्शन के खिलाफ भारतीय जनता युवा मोर्चा, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल समेत मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने भी मोर्चा खोल लिया.

इस घटना ने भी जेएनयू के छात्र-छात्राओं की इमेज को पब्लिक के दिमाग में धूमिल किया. क्योंकि टीवी देखने वाली जनता हॉनर किलिंग को सही ठहराने में जुटी थी. जाति, दहेज और शादी से पहले सेक्स से जुड़ी बातों से जूझने वाली जनता को ये घटना बहुत घातक लगी.

2016 की रिपोर्ट और जेएनयू पूरी तरह से लोगों के दिमाग में बदल गया

जेएनयू मुक्त विचारधारा के लिए जाना जाता रहा है. जब लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी जेएनयू में पढ़ते थे तब उन्होंने इंदिरा गांधी का कैंपस में विरोध किया था. वहां पर सत्ता के खिलाफ सवाल उठाने की परिपाटी रही है. मनमोहन सिंह के जेएनयू कैंपस में आने के खिलाफ भी प्रदर्शन हुआ था. 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भी ये परिपाटी जारी रही. पर देशभक्ति की ऐसी बयार बही कि सवाल उठाने वाले देशद्रोही नजर आने लगे. 2016 में अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी पर प्रदर्शन के दौरान ऐसी घटना हुई जिसकी सत्यता की जांच कोई नहीं कर पाया और जेएनयू के छात्र-छात्राओं पर टीवी चैनलों ने ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ होने का तमगा लगा दिया.

उसी साल जेएनयू के 11 टीचर जिन पर भाजपा और अखिल भारतीय विद्यार्धी परिषद से नजदीक होने की खबरें थी, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय: दि डेन ऑफ सेसेशनिसम एंड टेरोरिज़म नाम से दौ सौ पृष्ठों का एक डाक्यूमेंट तैयार किया. इसमें कथित तौर पर बताया गया था कि कैसे जेएनयू में सेक्स और ड्रग्स की भरमार है. इंडिया टुडे की इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर अमिता सिंह ने कहा कि जेएनयू के मेस में सेक्स वर्कर्स का आना सामान्य बात है. वो यहां की लड़कियों और लड़कों को भी फंसा लेती हैं.

इस रिपोर्ट के आने के बाद जनता की सारी कल्पनाओं पर मुहर सी लग गई. किसी ने इस रिपोर्ट की सत्यता की जांच करने की कोशिश नहीं की. कभी इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस जांच नहीं हुई. हालांकि पुलिस जांच में तो कन्हैया कुमार पर भी कोई चार्ज नहीं लग पाया जबकि पूरे देश में उनकी इमेज खराब कर दी गई थी.

फिर शेहला राशिद शोरा, कन्हैया कुमार, उमर खालिद इत्यादि की तमाम तरह की फोटोशॉप्ड तस्वीरें वायरल कराई गईं जिनके माध्यम से ये बताया गया कि कैसे यहां पर सारे नैतिक मूल्य ताक पर रखे जाते हैं.

फ्री स्पीच, युवा लड़के-लड़कियों के जीने का तरीका, उनके चुनाव सबको दरकिनार कर मध्ययुगीन पितृसत्तात्मक तरीके से उनको जज किया जाने लगा और जेएनयू के पूरे कल्चर पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया गया.

रही सही कसर वॉट्सऐप ने पूरी कर दी. बरसों तक हॉस्टल में पड़े रहते हैं, सेक्स और ड्रग्स में डूबे रहते हैं, जनता के पैसों पर पढ़ते हैं जैसे मनगढ़ंत बातों की आड़ में ये भुला दिया गया कि यहां से कितने सरकारी अधिकारी और रिसर्चर निकले. तमाम रैंकिंग्स में नंबर वन आने की बात भी खबरों में दब गई. बस वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी की बातें चलती रहीं.

अब जेएनयू कहते ही लोगों की जुबान पर तीन-चार शब्द आते हैं जिनका सत्यता, ईमानदारी और आधुनिकता से कोई लेना-देना नहीं है. जेएनयू से पढ़े हुए छात्र का इकॉनमिक्स में नोबल प्राइज़ लाना और वर्तमान में जेएनयू के ही प्रोडक्ट का विदेश मंत्री और वित्तमंत्री रहना भी लोगों की कल्पना को लगाम नहीं दे पाता. जेएनयू लोगों की इमेज में किसी पोर्न साइट सा बन गया है.

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17 टिप्पणी

  1. Love you for writing this article. I am openly supporting JNU protest and defending these students. You can imagine the amount of back lash I am getting. Had a huge argument with many people and close friends over this.
    But I know students freedom is important and I will stand for it. Great article. Keep writing.

  2. यादव जी आप की पुरी पोस्ट पढ़ने के बाद एक बात तो साफ हो गई है की आपने बड़े ही चतुराई से सच को छुपाने का प्रयास किया है। क्या ये सच नहीं की JNU में खुलेआम ड्रगस का इस्तेमाल होता रहा है? क्या ये सच नहीं की सेक्स एक बहुत सामान्य बात है? सच को झुठलाने से सच बदल नहीं जाता। और रही बात टुकड़े टुकड़े गैंग की तो क्या ये सच नहीं की कैम्पस में नारे लगे थे? कन्हैया कुमार और जिनके नाम आप गिना रहीं हैं वो अब भी इस केस से बरी नहीं हुए हैं। और क्या ये सच नहीं की JNU हम जैसे टेक्स पेयर्स के चुकाये टेक्स के पैसों से फंडेड है? और इस सच को स्वीकार करने की जगह इस बात से इतना चिढ़ते क्यों हैं आप लोग? आप इस तरह बातें घुमा कर और पुराने छात्रों का हवाला देकर आज जो वहां हो रहा है उस पर पर्दा नहीं डाल सकतीं।

  3. जिन 11 टीचर्स ने जेएनयु की आलोचना की वे भाजपा से नजदीकी वाले हो गए!!!!……वेरी गुड.

    कन्हैया कुमार पर केस चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार पुलिस को नहीं दे रही…….सो,कन्हैया कुमार निर्दोष हो गया !!!!.

    आलोचनाएँ मनगढंत बात हो गयी !!!!???.

    जिस सेक्स टेप की बात की जा रही है…….उसमें दिख रहे छात्र के पैतृक राज्य का नाम बतला दिया….बिहार !!!…….लेकिन लड़की की कोई पहचान नहीं है.

    मतलब जेएनयु की बदनामी अगर हुई तो,वो भी पहले से ही बदनाम राज्य के कारण…!!!!……यानि , जेएनयु तो पवित्रता का गढ़ है !!!!!.

    नमन आपकी पत्रकारिता को !!!!!

  4. किसी ने नही की नारे बाजी
    एलिनस आये और नारे लगा के चले गये ।।

  5. धन्यवाद आपका ज्योति मैम, मैं दो साल पहले तक जेएनयू में पढ़ा, ये जो भाजपा समर्थकों द्वारा प्रचारित किया जाता उसका एक ही जवाब कोई ऐसी यूनिवर्सिटी नही जहां कुछ स्टुडेंट नशे भी न करते हों, लड़के लड़कियां दोस्त ना होते हों, लेकिन जेएनयू को मोदी भक्तो द्वारा इसलिए प्रचारित किया गया क्योंकि चुनाव एजेंडा बनाना। मैं राजपूत हूं और एक बात कंफर्म है कि आज भी जेएनयू मे 40% लगभग ब्राह्मण लेडके लड़कियां पढ़ती क्या वो आतंकी हैं, क्या वो ब्राह्मण लड़कियां भी सेक्स वर्कर हैं?
    कन्हैया का जो विडियो दो करोड़ घुस पर न्यूज़ ना चलाने की बात करने वाले सुधीर चौधरी जैसे सत्ता के दल्ले का क्रियेशन्स था, जिसकी सत्यता आज तक कोर्ट मे साबित नहीं कर सका अभियोजन पक्ष। कन्हैया मोदी की जितना आलोचना करता मोदी उस मानसिकता के हैं जिसे अपनी बुराई करने वाले कतती पसंद नही इसलिए कभी सीबीआई ईडी तो कभी एनकाउंटर भी होता रहा गुजरात मे, कन्हैया की एक गलती पकड़ आ जाए तो मोदी और भाजपा उसे कब का जेल मे आजीवन कारावास करा दी होती।
    जेएनयू से पढी वित्तमंत्री भी है,कोई नोबेल जीत रहा सबसे ज्यादा आइएस, पीसीएस जेनयू वाले बनते। पांचवीं फेल चुतियो को जेएनयू पर ज्ञान देने की जरूरत नहीं औकात हो तो जेएनयू मे इंट्रेंस टेस्ट पास कर एडमिशन लेकर दिखाओ।

    • सुजीत प्रताप शाही जी ,तुम्हारे जैसे अक्लमंद जे एन यु स्कालर्स से ज्यादा अच्छे हम जैसे पांचवी फ़ैल स्वाभिमानी देशभक्त भारतीय हैं जो कम से कम भारत माता की अस्मिता पर आंच आते हुए तो नही देख सकते।
      जय हिन्द
      जय भारत

    • सुजीत प्रताप शाही जी ,तुम्हारे जैसे अक्लमंद जे एन यु स्कालर्स से ज्यादा अच्छे हम जैसे पांचवी फ़ैल स्वाभिमानी देशभक्त भारतीय हैं जो कम से कम भारत माता की अस्मिता पर आंच आते हुए तो नही देख सकते।
      ज्योति बहन जी वैसे अभी आपको अपने विचार श्रेष्ठ लग रहे होंगे पर जब आप एक जिम्मेदार माँ या दादी नानी की भूमिका में आएँगी तब शायद आपको अपनी विचारधारा पर पछतावा हो।
      जय हिन्द
      जय भारत

    • अरे भाई तू जो भी है तू मोदी विरोधी है चलो कोई बात नहीं परंतु तू ने एक बात कही कि मोदी अपने विरोध करने वालों से बदला लेते हैं आज तक के भारतीय इतिहास में ऐसा कोई प्रधानमंत्री नहीं है जिसने मोदी से ज्यादा गालियां सुनी हो रिकॉर्ड है पूरे विश्व में मोदी से ज्यादा गालियां खाने वाला कोई व्यक्ति नहीं है परंतु कभी किसी को जवाब नहीं दिया और तू झूठ बोल रहा है

  6. Just referring a few names does not justify the dirty side of it.
    Being leftist does not mean being social parasites.
    1. Students are protesting for fees as it is increased more than 100 times. I was shocked to know that it was hiked from 10 rs. to rs 300. I demand why it should not be raised to realistic value of 3000. ?. Who pays the rest of it? The middle class people as Income tax, struggle to manage their home, somehow from the rest.why dont they insist for further increase on humanitarian grounds?

    2. The fun of sheer protesting against govt., whichever it may be, is nothing but pseudo intellectualism. JNU students have yet to demonstrate the responsible and constructive example to the nation, as a return gift to society and nation nurturing them.

    • Janta itni bewakoof nahi hai,pta nahi aap leftist janta ko itna murkh kyu samjahte…Han JNU ke share stundents ayse nahi but pr jo h unke karan hi jnu badnaam h …Aap to Ayse keh rhe h ki JNU se har saal nobel prize jitne wala nikalta h,kisinka noble prize lana us shaksh ka pana khud ka mehnat hota h sansthan ka nahi…ye America ya landan nahin jo aap free sex ki waqalat Karen.Ayse bhi jnu wale kuchchh chatro ke liye

    • Yes leftist ideology is totall parasite..they just want free sex,only advantage no duty…if you ask them to behave desciplined way,you will be levelled as moral policer,they oppose one particular religion and try to cover wrong doing particular religion in every way… ofcourse 90 percent of them are innocent but 10 percent proved they give nothing to indian society expect creating havoc…all tukde gang are same since they mostly leftist so leftist like this reporter are covering them…there biasness are just by giving one example
      Dupatta is regressive thinking but burkha i personal choice..they call them feminists but openly support halala,multiple female partner relationship…

  7. एक और बचाव करना था, अभी एक महिला रिपोर्टर के साथ जो बदतमीजी हुई थी। जिसमे एक 35-40 साल का अत्यंत युवा जेएनयू छात्र महिला पत्रकार को कहता है कि तुम्हें यहाँ बैठाकर तुम्हारा मजा लेंगे….. ।
    अगर शरीयत रहता तो देश के खिलाफ कोई ऐसा कुछ नही कर पाता

  8. एक और बचाव करना था, अभी एक महिला रिपोर्टर के साथ जो बदतमीजी हुई थी। जिसमे एक 35-40 साल का अत्यंत युवा जेएनयू छात्र महिला पत्रकार को कहता है कि तुम्हें यहाँ बैठाकर तुम्हारा मजा लेंगे….. ।
    अगर शरीयत रहता तो देश के खिलाफ कोई ऐसा कुछ नही कर पाता

  9. बिल्कुल सही सही जगह पर चोट की है आपने मैं आपका पूर्ण समर्थन करता हूं

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