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Sunday, 22 December, 2024
होममत-विमतपीटीआई समर्थकों का मानना है कि केट उनके खूबसूरत नेता इमरान ख़ान पर फिदा हैं

पीटीआई समर्थकों का मानना है कि केट उनके खूबसूरत नेता इमरान ख़ान पर फिदा हैं

जिसका नेता पाकिस्तान को मदीना जैसा कल्याणकारी राज्य बनाना चाहता हो, मेरी समझ से उस पार्टी का प्रधानमंत्री के प्लेबॉय अतीत पर आनंदित होना थोड़ा विरोधाभासी है.

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पांच दिनों की यात्रा पर आए ड्यूक और डचेज़ ऑफ कैम्ब्रिज – केट और विलियम – पाकिस्तान में शाही प्यार बिखेर रहे हैं. पाकिस्तान में ब्रितानी उच्चायुक्त थॉमस ड्रयू के शब्दों में, ‘शाही दंपत्ति देश की व्यापकता और गहनता का अनुभव करना चाहेंगे.

ब्रितानी शाही परिवार के पाकिस्तान दौरे का ये मौका 13 वर्षों बाद आया है. इससे पहले 2006 में प्रिंस ऑफ वेल्स चार्ल्स और उनकी पत्नी डचेज़ ऑफ कॉर्नवाल कैमिला ने पाकिस्तान का दौरा किया था. हालांकि राजकुमारी डायना के 1991, 1996 और 1997 के पाकिस्तान दौरे सर्वाधिक यादगार माने जाते हैं. महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय भी दो बार पाकिस्तान आ चुकी हैं – 1961 में और फिर पाकिस्तानी स्वतंत्रता दिवस के स्वर्ण जयंती समारोहों के दौरान 1997 में.

सरकार ने शाही दौरे को एक अच्छा संकेत मानते हुए कहा है कि इससे जाहिर हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान अलग-थलग नहीं है, और इससे पाकिस्तान को सॉफ्ट पावर की छवि स्थापित करने में मदद मिलेगी. पिछली बार यही बात नया पाकिस्तान की तामीर के समय कही गई थी. इसलिए ऐसी घोषणाओं से हमारे अप्रभावित रहने को अन्यथा न लें.

वास्तव में केट और विलियम की यात्रा से किसी को परेशानी नहीं है. वो हर साल पाकिस्तान दौरे पर आएं, हम स्वागत करेंगे. असल समस्या सरकार की बदइंतजामी से है. जैसे, मंगलवार को इस्लामाबाद में यातायात घंटों तक बाधित रहा. अधिकारियों ने इतनी बारीकी से योजना बनाई थी कि शाही दौरा आमलोगों के लिए शाही सियापा बन गया.

रिक्शा की सवारी से मच्छरों तक

हर देश के लिए शाही दौरों का उद्देश्य लगभग एक जैसा होता है. प्यार बांटना. इसलिए, यदि आप सोचते हों कि शाही जोड़ा ईशनिंदा का आरोप झेल रहे या लापता कर दिए गए लोगों के बारे में या मानवाधिकार के मुद्दे पर बोलेगा, तो जाहिर है आपको गलतफहमी है. औपनिवेशिक अतीत के मुद्दे को भी भूल ही जाएं.


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शाही जोड़ा कुछ मज़ेदार गतिविधियों में ज़रूर शामिल दिखा, जैसे इस्लामाबाद में एक आकर्षक ऑटोरिक्शा की सवारी करना, जहां कि वास्तव में ऑटोरिक्शों पर पाबंदी है. दरियादिल मेजबान होने के कारण हम शाही मेहमानों के मामले में कोई चालान नहीं काटते. वैसे क्या पता ब्रेक्जिट के बाद ब्रितानी शाही परिवार के लिए रिक्शे की सवारी वास्तविकता बन जाए.

कुछ लोगों ने ऑटोरिक्शा ड्राइवर के रूप में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को शाही जोड़े को घुमाते दिखाया है – वे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के अपने शाही मेहमानों के उत्साही ड्राइवर के रूप में प्रसिद्ध जो हैं.

शाही मेहमानों के लिए सुरक्षा व्यवस्था भले ही चाक-चौबंद हो पर पाकिस्तान में डेंगू के प्रकोप को देखते हुए बहुतों को शाही जोड़े के स्वास्थ्य की चिंता हो रही है. इसी सिलसिले में मलका-ए-बर्तानिया ने ट्वीट कर राजकुमार विलियम को सोने से पहले सिर पर भी मच्छर-रोधी क्रीम लगाने का मशविरा दिया है.

उम्मीदों का बोझ

हमेशा की तरह, पाकिस्तान में बहुत से लोगों ने शाही जोड़े से असाधारण उम्मीदें लगा रखी हैं. कुछ लोग इस दौरे को हर किसी के गाल पर तमाचे के रूप में देखते हैं. जी हां, ये बात मायने नहीं रखती कि आप कौन हैं या आपको विलियम और केट की कोई परवाह है या नहीं, पर आपको थप्पड़ तो पड़ा ही है.

और फिर, ऐसा मानने वाले लोग भी हैं जिन्हें लगता है कि इस दौरे से आतंकवाद के वित्तपोषण पर नज़र रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ की मौजूदा बैठक से ध्यान बंटाने में मदद मिल सकेगी. ऐसे लोग इस अवसर को ‘मोदी और अजीत डोभाल के बुरे दिन और पाकिस्तान के अच्छे दिन’ के रूप में देखते हैं. पिछले साल पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में डालने का प्रस्ताव अमेरिका ने दिया था जिसे फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने समर्थन दिया, इसलिए पाकिस्तानियों का विलियम और केट से इस मुसीबत से निकलवाने की उम्मीद लगाना शाही जोड़े से उनके लगाव को ही दर्शाता है.

इसके अलावा पाकिस्तानी पुरुषों और महिलाओं का एक और वर्ग है जो केट मिडलटन के देसी अवतार पर आनंदातिरेक का अनुभव कर रहा है. शायद ये लोग केट से आगे बिल्कुल गोल रोटी पकाने की भी उम्मीद करें. उनके दुपट्टे, कमीज़ और सलवार में इन लोगों ने देसी ‘उदारवादियों’ और ‘नारीवादियों’ को निशाना बनाने की वजह ढूंढ ली. इनके हिसाब से केट हमारी संस्कृति का सम्मान करती है जो कि दुपट्टा नहीं डालने या पश्चिमी ढंग के कपड़े पहनने वाली पाकिस्तानी महिलाओं के मुंह पर एक ‘करारा तमाचा’ है.

नैतिकता के इन स्वयंभू पहरुओं को केट के पाकिस्तान में सलवार-कमीज़ पहनने में ‘हमारी संस्कृति’ के प्रति उनका सम्मान दिखता है, वहीं अभिनेत्री माहिरा ख़ान का न्यूयॉर्क में एक छोटी सफेद पोशाक पहनना अपनी संस्कृति का अपमान लगता है. पाखंड नहीं है ये?


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चूंकि बात महिलाओं की ड्रेस और झुमकों पर केंद्रित है, तो क्या ये सवाल नहीं किया जाना चाहिए कि जब भविष्य में पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी ब्रिटेन जाएंगी तो क्या पश्चिमी संस्कृति के सम्मान में वह वहां केट जैसी ड्रेस पहनेंगी?

खूबसूरत प्रधानमंत्री

निश्चय ही केट ने पाकिस्तान में अपने बहुत सारे प्रशंसक बनाए हैं, पर सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों की मानें तो डचेज़ ऑफ कैम्ब्रिज इमरान ख़ान पर फिदा हैं. अभी कुछ महीने पहले उन्हें लग रहा था कि ख़ान पर मेलानिया ट्रंप मंत्रमुग्ध हैं.

जिसका नेता पाकिस्तान को मदीना जैसा कल्याणकारी राज्य बनाना चाहता हो, मेरी समझ से उस पार्टी का प्रधानमंत्री के प्लेबॉय अतीत पर आनंदित होना थोड़ा विरोधाभासी है.

(लेखिका पाकिस्तान की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. वो @nailainayat हैंडल से ट्वीट करती हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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