नई दिल्ली: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के ‘कश्मीरी महिलाओं’ पर विवादित बयान के बाद चौतरफा आलोचना हो रही है. कल फतेहाबाद के एक कार्यक्रम का उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. कहा जा रहा है कि कुछ सेकेंड्स के वायरल हुए इस वीडियो में मनोहरलाल खट्टर कथित तौर पर ‘कश्मीर की लड़कियां’ लाने की बात कह रहे हैं.
मनोहरलाल खट्टर का पूरा बयान इस वीडियो में देखा जा सकता है-
मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar जी #बेटी_बचाओ_बेटी_पढ़ाओ अभियान की बात कर रहे है और लिंगानुपात कम होने के कारण उत्पन हुए समस्याओं को उदाहरण दे कर समझा रहे है।अब एजेंडे के नाते तोड़ मरोड़ कर बातें करने से पहले पूरा वीडियो सुने @ABPNews @subhashbrala @sureshbhattbjp pic.twitter.com/Czdn3ipUfd
— Haryana BJP (@BJP4Haryana) August 10, 2019
यहां पर सीएम बोल रहे हैं- पहले हरियाणा को बेटियों को मारनेवाले प्रदेश के रूप में जाना जाता था. हमने इसपर काम किया और सेक्स रेशियो जो पहले 850 था उसे 933 किया है. हमारे मंत्री ओ पी धनखड़ ने कहा था कि लड़कियां बिहार से लाएंगे, कुछ लोग कह रहे हैं कि कश्मीर खुल गया है, कश्मीर से लाएंगे. मजाक की बातें अलग हैं, लेकिन समाज में संतुलन बनना चाहिए.
हरियाणवी नेताओं की नजर में हरियाणवी युवाओं की दो मुख्य समस्याएं हैं- सरकारी नौकरी और शादी. सरकारी नौकरी के लिए पारदर्शिता का दंभ भरने वाले मनोहरलाल खट्टर ने अब युवाओं की शादी की समस्या भी लगभग हल कर दी है, सेक्स रेशियो बढ़ गया है. अब युवाओं को शादी करने में दिक्कत नहीं होगी. यहां पर युवा का तात्पर्य ‘लड़कों’ से है.
एक बात हरियाणा के नेताओं को कभी भूलनी नहीं चाहिए. लिंगानुपात सुधारना, लड़कियों का सम्मान करना- ये सारी बातें सिर्फ इसलिए नहीं है कि लड़कों को शादी करनी है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ शादी के लिए लड़कियों को तैयार करने के लिए नहीं था. क्या इतनी सी बात समझने के लिए केंद्र सरकार को कोई अलग से योजना चलानी पड़ेगी? ऐसा क्यों होता है कि हरियाणा के नेता ‘लड़की’ शब्द का जिक्र आते ही ‘शादी-शादी’ चिल्लाने लगते हैं?
अगर ओ पी धनखड़ की बात करें तो मनोहरलाल खट्टर ने दूसरी बार उनके बयान का जिक्र किया है. ज्ञात हो कि 2016 में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री ओ पी धनखड़ ने कहा था- हरियाणा में बेटियां कम पैदा हो रही हैं. अब हम बिहार और झारखंड से बहुएं लाएंगे. उस वक्त मनोहरलाल खट्टर ने अपने एक कार्यक्रम में स्टेज से ही धनखड़ को समझाते हुए कहा था- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’. बिहार-झारखंड से बेटियां नहीं लाएंगे, हरियाणा में ही बेटियों को बढ़ाएंगे.
हरियाणा में दूसरे प्रदेशों से ‘बहू’ लाना कोई उदारवादी सभ्यता की निशानी नहीं है. इसकी जड़ में मानव तस्करी है. भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों, बिहार और बंगाल से ‘बहुएं’ खरीदने के आरोप लगते रहे हैं. जाहिर सी बात है कि लड़की स्वेच्छा से शादी कर के यहां नहीं आती. आरोप लगता है कि बिगड़े लिंगानुपात की वजह से हरियाणा के लोग दूसरे प्रदेशों से लड़कियां खरीदकर लाते हैं. कई बार ये स्थिति औरतों के लिए भयावह हो जाती है और वो अपनी कथित ससुराल में फिट नहीं बैठ पातीं. ऐसे में उनका जीवन खतरों और कष्ट से भर जाता है.
कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद हरियाणा समेत कई राज्यों के लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया है कि कश्मीर से लड़कियां लाएंगे. वो लोग कह सकते हैं कि हम तो हिंदू-मुस्लिम शादियों की बात कर रहे थे. लेकिन ये बात भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की विचारधारा के खांचे में फिट नहीं बैठती. ऐसे विवाहों का भारतीय जनता पार्टी के नेता समय- समय पर लव जिहाद के नाम पर विरोध करते रहे हैं. अभी हाल फिलहाल का मामला यमुनानगर का था जहां एक संघ कार्यकर्ता की बेटी ने मुस्लिम लड़के से शादी कर ली. कार्यकर्ता दो महीने तक शहर जलाने की धमकी देता रहा लेकिन आखिरकार हाईकोर्ट ने लड़की के हक में फैसला दिया. गौरतलब है कि यही कार्यकर्ता यमुनानगर में हिंदू-मुस्लिम प्रेम विवाहों को लव जिहाद के मामले बताकर एक्टिव रहता था.
दूसरे प्रदेशों से लड़कियां लाकर शादी करना एक तरफ महिलाओं के खरीद-फरोख्त से जुड़ा मामला है तो दूसरी तरफ हरियाणा के लिए ये चुनावी मसला है. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के समय हरियाणा के लोगों ने ‘मोल की बहू’ नाम से एक गाना बनाया था. जिसमें कुंवारे रह गए लड़कों की जिंदगी की कठिनाइयों का जिक्र था. उस साल कई स्थानीय नेता बाहर से बहू दिलाने के चुनावी वादे कर रहे थे.
इस बयान का सामाजिक पहलू भी है. खाप पंचायतों के कंधे पर बंदूक रखकर हरियाणा के नेता गौत्र और जाति को लेकर कट्टर रहे हैं. हरियाणा देशभर में ऑनर किलिंग को लेकर कुख्यात भी रहा है. अंतर्जातीय विवाहों को लेकर भी समाज अभी सहज नहीं हुआ है. ऐसे में कश्मीर की मुस्लिम लड़कियों को लेकर डींगें हांकना नैतिक नहीं लगता है. खासकर हरियाणा के युवाओं को, जिन्हें बिना दहेज और बिना जाति मिलाए शादी करने की इजाजत नहीं है.
अंतरजातीय विवाहों तक के लिए ऑनर किलिंग के लिए कुख्यात हरियाणा के लोगों के मुंह से ‘कश्मीर से बहू लाएंगे, पहले बिहार से लाते थे’ जैसी बातें सही नहीं लगतीं. कश्मीर छोड़ो, हरियाणा के लड़के हरियाणा की ही दूसरी जातियों में और बिना दहेज के शादियां करके दिखा दें.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक आनुपातिक रूप से हरियाणा में गैंगरेप पूरे देश में सबसे ज्यादा होते हैं. इस समस्या को लेकर सीएम खट्टर ने वक्तव्य दिया था, ‘सबसे बड़ी चिंता है कि जो ये घटनाएं हैं रेप और छेड़छाड़ की, 80 से 90 फीसदी जानकारों के बीच होती हैं. लड़का लड़की काफी समय के लिए इकट्ठे घूमते हैं, एक दिन अनबन हो जाती है, उस दिन उठाकर एफआईआर करवा देते हैं कि इसने मेरा रेप किया.’ जेंडर को लेकर ये नजरिया रखना सही नहीं है. यहां पर नेताओं को ये बात समझनी होगी. इसलिए ‘कश्मीर से लड़कियां लाएंगे’ मजाक की बात नहीं है, ये बलात्कारी मानसिकता को दर्शाता है.