दीदी नंबर 1 — कोलकाता में यह बात कहिए और आपको लगेगा कि यह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदर्भ में था, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी लोग “दीदी” कहकर पुकारते हैं.
लेकिन दीदी नंबर 1 एक बंगाली मनोरंजन टीवी चैनल पर एक गेम शो का नाम है जो 14 साल से चल रहा है. मुझे पता चला कि यह इतना लोकप्रिय है कि यह सौरव गांगुली के क्विज़ शो दादागिरी अनलिमिटेड को टक्कर देता है.
मैं किसी का अनादर नहीं कर रही, लेकिन मैंने इसे कभी देखा भी नहीं.
हालांकि, पिछले रविवार को, मैंने दीदी नंबर 1 देखने के लिए रात 8 बजे ज़ी बांग्ला देखा. क्यों? क्योंकि बंगाली समाचार चैनलों पर प्रोमो, जिन्हें मैं 24×7 देखती हूं, मुझे याद दिलाते रहे कि 3 मार्च रविवार को, शो में सम्मानित अतिथि असली दीदी नंबर 1-ममता बनर्जी आने वाली हैं.
उस शाम 8 बजे के कुछ देर बाद, शो की आकर्षक एंकर बाहर आई और कुछ ही देर बाद, स्टूडियो में मेहमानों के जोरदार तालियों के साथ, बनर्जी को मंच के केंद्र में लाया गया.
यह एक प्यारा शो था. सीएम ने अपने बचपन की कहानियां, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान राजनीति में उनका पहला अनुभव, एक स्कूल शिक्षक के रूप में उनका पहली सैलरी — 60 रुपये, अगर मैंने सही सुना है — और इसी तरह की कहानियां सुनाईं. फिर उन्होंने मंच पर आदिवासी नर्तकियों के साथ कदमताल किया, एक पल में लगभग गोल या कहें कि थोड़ी टेढ़ी-मेढ़ी गोल चपाती भी बेल ली और अंत में, मंच पर रखे एक कैनवास पर लाल और सुनहरे फूलों का एक गुच्छा भी पेंट किया.
बनर्जी ने एक स्कूप भी दिया, जिसे एंकर ने मिस किया. वे बोलीं — मुझे पहली बार ऐसा लग रहा है — कि मेरी असल जन्मतिथि 5 अक्टूबर है, न कि आधिकारिक 5 जनवरी. उन्होंने अपने मामा (मां के भाई) के हवाले से बताया कि उनका जन्म उस दिन दुर्गा पूजा के बीच में हुआ था और उस समय भारी बारिश हो रही थी.
उन्होंने यह भी कहा कि वे “होम डिलीवरी” के जरिए हुईं थीं.
एंकर ने वाह-वाह की, तालियां बजाईं और हंसी. अफसोस, मैंने सोचा, वे पत्रकार नहीं थीं और मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें दिए गए स्कूप के महत्व को वे नहीं जान पाईं. मैंने जन्म का साल भी ज़रूर पूछा होता, लेकिन कोई बात नहीं, मैंने खुद से कहा, आप एंकर नहीं हैं, इसलिए शांत रहो.
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चकाचौंध भरी दुनिया से वास्तविक राजनीति तक
अब मेरी हैरानी की कल्पना कीजिए जब वे आकर्षक एंकर इस रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड के नाटकीय रैंप पर बनर्जी के पीछे दिखीं, जो कि तृणमूल कांग्रेस की जन जागरण रैली का शोपीस था और यह तब हुआ जब राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने टीएमसी के कैंडीडेट्स की लिस्ट को पढ़ना शुरू किया.
मैंने दीदी नंबर-1 एपिसोड के दौरान एंकर के नाम पर ध्यान भी नहीं दिया था — क्योंकि जो बनर्जी ने कहा, मैं उसमें काफी डूबी हुई थी. अब, सात दिन बाद, ब्रिगेड परेड ग्राउंड की विशाल स्क्रीन से मुझे यह दिखाई दे रहा है: हुगली लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार, रचना बनर्जी!
मैं काफी हैरान थी!
मुझे पता चला कि रचना बनर्जी का जन्म 2 अक्टूबर 1974 को हुआ था और बचपन का उनका नाम झुमझुम था. 1990 के दशक में उन्हें मिस कोलकाता का ताज पहनाया गया था और जिस साल मधुर सप्रे ने जीता था, उस साल उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया था. उनके दूसरे पति, जिनसे वे 2016 में अलग हो गईं, उनसे उन्हें एक बेटा है.
जब उन्हें पहली फिल्म के लिए कास्ट किया गया तो निर्देशक ने उनका नाम बदलकर रचना रख दिया. यह काम कर गया. आज, वे अमिताभ बच्चन-अभिनीत फिल्म सूर्यवंशम, कम से कम 36 उड़िया फिल्मों, 60 से अधिक बंगाली फिल्मों और तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में विविध भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं.
रचना बनर्जी द्वारा होस्ट किए गए इस शो दीदी नंबर 1 ने काफी प्रतिष्ठा हासिल की है, लेकिन शो की मशहूर एंकर को अब हुगली के ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में राजनीति के लिए समय का प्रबंधन करना होगा, जिसमें सिंगूर भी शामिल है और वर्तमान में यह भाजपा की लॉकेट चटर्जी के पास है, जो खुद एक पूर्व अभिनेत्री हैं, जिनका कहना है कि रचना पहले उनकी साथी रही थीं.
सारे बैगेज के खिलाफ एक लड़ाई
हुगली एक चुनौतीपूर्ण सीट है, जिस पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने छह बार कब्ज़ा किया था, इससे पहले 2009 में टीएमसी के डॉ. रत्ना डे नाग ने टाटा नैनो फैक्ट्री के खिलाफ टीएमसी के आंदोलन के दम पर इसे छीन लिया था. यह टीएमसी के लिए एक झटका था जब भाजपा की लॉकेट चटर्जी ने 2019 में 46 प्रतिशत वोट शेयर के साथ इसे छीन लिया.
रचना को जीतने के लिए सारी चुनौतियों से जूझना होगा. वे इस तथ्य से कुछ राहत पा सकती हैं कि 2021 में, टीएमसी ने हुगली लोकसभा सीट के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी, लेकिन राजनीति में, जबकि संख्याएं मायने रखती हैं, जीत संभवतः केमिस्ट्री से आती है. रचना में वो आकर्षण है कि वे लोगों को अपनी तरफ खींच सकती हैं, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे उनके मतदाताओं पर असर पड़ सके.
टीएमसी के दो ग्लैमरस फिल्मस्टार सांसद न तो नुसरत जहां और न ही मिमी चटर्जी को इस बार टिकट दिया गया है, यह इस बात का प्रमाण है कि मतदाता कितने समझदार हैं; ममता बनर्जी के लिए सबक खत्म नहीं हुआ है. मतदाताओं के लिए ग्लैमर वाली बात एक बार काम कर सकती है, लेकिन दो बार नहीं और उनकी वफादारी एक टीवी शो की टीआरपी से भी अधिक फिसलन भरी है.
चकाचौंध टीवी स्टूडियो के बाहर की असल ज़िंदगी में आपका स्वागत है, दीदी नंबर 1 से लेकर असली दीदी नंबर-1 की धूल भरी दुनिया तक, जहां एकमात्र खेल अतीत की ग्लैडीएटोरियल प्रतियोगिताओं या सर्वाइवर, अलोन, नेकेड एंड अफ्रेड जैसे समकालीन गेम शो के समान है और — मैं मजाक नहीं कर रही हूं — यार, यू आर स्क्रूड. गुड लक.
(लेखिका कोलकाता स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका एक्स हैंडल @Monidepa62 है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
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