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Thursday, 28 November, 2024
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महाराष्ट्र के नतीजों का स्पष्ट संदेश — जनता समृद्धि चाहती है, पापाजी की जागीर नहीं

यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के वर्षों के कुशासन और खोखले वादों ने पार्टी को चुनावों में एक दंतहीन बाघ बना दिया है.

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हाल के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है. सिर्फ बातें करना और कोई ठोस काम न करना राहुल गांधी को एक असफल व्यक्ति बनाता है. इसके उलट, भारतीय जनता पार्टी ने लोगों से किए गए अपने वादों पर अमल किया है और हाल ही में महाराष्ट्र चुनावों में भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापस आई है.

यहां तक ​​कि जिन राज्यों में बहुमत स्पष्ट नहीं है, वहां भी भाजपा मतदाताओं का सबसे बड़ा विश्वास हासिल करने में सफल रही है. झारखंड में भाजपा का वोट शेयर 33.9 प्रतिशत रहा, जबकि झामुमो और कांग्रेस का संयुक्त हिस्सा 39.2 प्रतिशत रहा. यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के वर्षों के कुशासन और खोखले वादों ने पार्टी को चुनावों में एक दंतहीन बाघ बना दिया है.


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विकसित भारत या फिक्सिट भारत

कांग्रेस के 60 साल के शासन के दौरान, लोगों के एक बड़े वर्ग की आकांक्षाएं अछूती रहीं. उन आकांक्षाओं को अब भाजपा पूरा कर रही है, जहां भी पार्टी सत्ता में आई वहां उन्होंने उस समय का उपयोग देश की सेवा करने, लोगों की सेवा करने और आम जनता की सेवा करने में किया है. सड़कें बनाई जा रही हैं, बंदरगाह बनाए जा रहे हैं और बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है.

2023 की अंतिम समीक्षा से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 91,287 किलोमीटर से बढ़कर 2023 में 1,46,145 किलोमीटर हो गया है. रेल संपर्क भी बढ़ा है. पिछले 10 साल में 31,000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक — जर्मनी के पूरे नेटवर्क के बराबर — जोड़ा गया है. इसके अलावा, भाजपा के 10 साल के शासन में 44,000 किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है, जबकि कांग्रेस के 60 साल के शासन में कुल 60,000 किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया था. वंदे भारत ट्रेनें गुमनाम कस्बों को बड़े शहरों से जोड़ रही हैं. वंदे भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि जनवरी 2025 में शुरू होने वाली स्लीपर ट्रेन है, जो राष्ट्रीय राजधानी को श्रीनगर के विंटर वंडरलैंड से जोड़ेगी.

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता 2015 में 12 घंटे से बढ़कर दिसंबर 2023 में 20.6 घंटे हो गई है. आल इंडिया पीक ऑवर शॉर्टेज को कम किया गया है और बढ़ती अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने के लिए कुल मिलाकर बिजली उत्पादन बढ़ाया गया है.

भाजपा ने लोगों द्वारा दिए गए अवसर को बर्बाद नहीं किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की गतिशील जोड़ी के तहत, भाजपा ने पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा और इस तरह पूरी टीम दिन-रात काम करने के लिए प्रेरित रही. यह वर्क पॉलिसी नौकरशाहों और मंत्रियों तक में समान रूप से रची-बसी है. हम आराम से कह सकते हैं कि भाजपा का सूर्य कभी अस्त नहीं होता और मां भारती के बेटे और बेटियां चौबीसों घंटे काम करने के लिए प्रेरित रहते हैं. ‘गलत को ठीक करो और उसे रहने दो’ या ‘अनदेखा करो’ की संस्कृति को दरवाज़ा दिखा दिया गया है.

भारत: एक वैश्विक शक्ति

आम भारतीय की आकांक्षाएं पूरी हो रही हैं. मैं हाल ही में अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में एक ऑटोरिक्शा में बैठी थी और ड्राइवर भाजपा नेतृत्व के गुणों का बखान करना बंद नहीं कर पाए. उन्होंने कहा कि वे कभी नहीं सोच सकते थे कि भारत शांतिदूत और विश्व नेता के रूप में वह अंतर्राष्ट्रीय दर्जा हासिल कर लेगा जो आज उसे प्राप्त है.

जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू को गोरे लोगों के साथ घुलना-मिलना और पश्चिमी शौक पूरे करना पसंद था, वहीं केवल नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने डोनाल्ड ट्रम्प, जो बाइडन, व्लादिमीर पुतिन, वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और यहां तक कि शी जिनपिंग जैसे ग्लोबल लीडर्स के साथ केंद्रीय मंच साझा किया है.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा 7 प्रतिशत के आसपास जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाए जाने के साथ, 2024 में भारत की जीडीपी रैंक 5वें स्थान पर पहुंचने की उम्मीद है. भारत की अर्थव्यवस्था कमज़ोर 5 से शीर्ष 5 में पहुंच गई है. इसने आकांक्षी भारत को उम्मीद दी है कि हम तीसरे स्थान पर भी पहुंच सकते हैं. वर्तमान सरकार सपने नहीं बेच रही, बल्कि अपने वादों को पूरा भी कर रही है. यह सपनों को हकीकत में बदल रही है. यही पिछली सरकारों और इस सरकार के बीच का फर्क है. कांग्रेस ने अपनी विभाजनकारी राजनीति के कारण भारत की वित्तीय राजधानी खो दी है.

वादे करने वाले या तोड़ने वाले?

सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने 18 वर्ष से ऊपर की हर महिला को 1,500 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने वादा पूरा नहीं किया. उन्होंने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया, लेकिन भाजपा की 125 यूनिट मुफ्त देने की योजना को पलट दिया और यहां तक ​​कि बिजली की खपत पर सेस (उपकर) भी लगा दिया. मोबाइल मेडिकल क्लीनिक शुरू करने और सेब उगाने वाले स्टार्टअप को फंड देने के लिए 680 करोड़ रुपये आवंटित करने के वादे खोखले वादे ही रह गए.

तेलंगाना में महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 2,500 रुपये दिए जाने थे, लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस राज्य का इस्तेमाल दूसरे चुनावों के लिए एटीएम के तौर पर कर रही है.

कर्नाटक में राज्य सरकार अब खाली हो रहे खजाने के कारण महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा योजना पर “फिर से विचार” करने की बात कर रही है.

मोदी सरकार के प्रति लोगों में अधिक विश्वास है क्योंकि यह वादों को पूरा कर रही है — झूठी उम्मीदें जगाने और बाद में उन्हें खत्म करने की नहीं.

कांग्रेस ने अक्सर वोट खरीदने के लिए ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ देने का वादा किया है. हम आम मतदाता की हिम्मत को कम आंकते हैं. वह अब बेकार की बातों से मूर्ख नहीं बनते. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने पेंशनभोगियों से खोखले वादे करके खजाना खाली कर दिया है, जबकि मौजूदा अधिकारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं.

कर्नाटक में कांग्रेस के 18 महीने के शासन ने कथित तौर पर राज्य के कर्ज को 82,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है. भाजपा झूठे वादे नहीं करती जिन्हें वह पूरा नहीं कर सकती. वह कम वादे करेंगे और अंत में अधिक देंगे.

पहुंच से बाहर के लोगों तक पहुंचना

हाल के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा छह राज्यों में तीसरी बार सत्ता में लौटी है. महाराष्ट्र, उत्तराखंड और असम उन राज्यों में से हैं, जिन्होंने भाजपा के शासन पर भरोसा जताया है और उन्हें लगातार तीसरी बार सत्ता में वापस लाया है. इससे पता चलता है कि लोग भाजपा द्वारा किए गए काम और इन राज्यों की सरकारों के तहत हुई प्रगति से संतुष्ट हैं.

भाजपा का लोगों के साथ एक समीकरण है और वह उनकी समस्याओं को समझती है, यहां तक कि असम जैसे राज्यों में भी, जहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय रहते हैं. असम के कांग्रेस के गढ़ समागुरी विधानसभा क्षेत्र में, जहां मुसलमानों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत है, भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार को शिकस्त दी. यह दिखाता है कि इस रणनीतिक सीमावर्ती राज्य में भाजपा की पहुंच और विकास नीतियां काम कर रही हैं.

गुजरात पिछले सात विधानसभा चुनावों से भाजपा का गढ़ रहा है और भगवा झंडा छोड़ने का कोई संकेत नहीं देता है.

वोट देने वाली महिलाएं

महिलाएं लगातार भाजपा के लिए वोट कर रही हैं. आप 50 प्रतिशत मतदाताओं की उपेक्षा करके देश का नेतृत्व नहीं कर सकते. महिलाएं भाजपा को वोट देने के लिए जाति, पंथ, धर्म और आर्थिक बाधाओं को पार कर रही हैं. भाजपा के घोषणापत्र के अध्याय 10 में “महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिए कानूनी और नीतिगत स्तर की पहल” का वादा किया गया है.

मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक का उन्मूलन, एलपीजी योजना और शौचालय और मासिक धर्म पर बातचीत ने महिलाओं को यह सुकून दिया है कि भाजपा उनके साथ है. संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण विधेयक को भी भाजपा ने आगे बढ़ाने में योगदान दिया है.

भाजपा महिलाओं के लिए समान कानूनी और राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा की वकालत करती रही है — जो पहले उपेक्षित थे. भाजपा के 10 साल के शासन में विषम लिंग अनुपात को ठीक किया गया है. एक्सिस-माई इंडिया द्वारा किए गए एग्जिट पोल से पता चला है कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में महिला मतदाताओं ने कांग्रेस के बजाय भाजपा को प्राथमिकता दी. नैरेटिव महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और सभी फैसलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की ओर बदल रहा है. कांग्रेस के शासन में नज़रअंदाज किया गया यह बड़ा वोट बैंक अब एक प्रेरक शक्ति है.

मेरे पड़ोसी की दादी ने हाल ही में बताया कि उन्हें हमेशा उनके परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा कांग्रेस को वोट देने के लिए कहा जाता था, लेकिन अब, वे बार-बार मोदी सरकार को वोट देना चाहती हैं क्योंकि अब वे मोदी शासन के तहत सत्ता-साझेदारी में भागीदार महसूस करती हैं, न कि पितृसत्ता के अनुयायी.


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जाति और वंशवाद से परे

भाजपा सभी जनसांख्यिकी में वोट हासिल करने के लिए पुरानी जाति विभाजन को पार कर रही है. विभाजनकारी जाति का ढोल पीटना कांग्रेस का मुख्य गुण रहा है, और वे इस गलत धारणा के तहत राज्यों में जाति जनगणना के लिए शोर मचा रहे हैं कि इससे उनके पक्ष में वोट पड़ेंगे.

2021 में प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के मतदाताओं से आग्रह किया, “जाति और धर्म के आधार पर वोट न दें”. फिर भी, नवंबर 2024 में वे पीएम मोदी को जाति जनगणना के लिए प्रतिबद्ध होने की चुनौती दे रही थीं और भाजपा पर जाति-आधारित आरक्षण के रास्ते में खड़े होने का आरोप लगा रही थीं.

विकसित भारत के लोग जाति की बयानबाजी को पीछे छोड़कर रोज़गार, अवसर और विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. वे विभाजनकारी जाति की राजनीति में पीछे हटना नहीं चाहते हैं — जाति और बिरादरी को शादी के समय देखा जाता है, न कि रोज़गार और आर्थिक प्रगति के इर्द-गिर्द नैरेटिव गढ़ते समय.

परिवार नंबर 1 के सभी वयस्क सदस्य संसद में हैं. वे चौथे को क्यों छोड़ रहे हैं? संसद में परिवार के चार सदस्यों के होने से चुनावी हार का कड़वा स्वाद नहीं छूटेगा. भारत कोई राजतंत्र नहीं है, जहां प्रथम परिवार का कोई सदस्य राजनीतिक गद्दी पर बैठता है. भारत के लोग शांति और समृद्धि चाहते हैं, न कि पापाजी की जागीर और यह बात महाराष्ट्र के हालिया चुनावों में उजागर हो गई है.

आखिरी, लेकिन कम से कम नहीं, 4 जून 2024 के बाद से बहुत कुछ बदल गया है. वोट प्रतिशत लगभग 61 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत हो गया है. यह आंकड़ा पारंपरिक भाजपा वोटों और मूक बहुमत के एकीकरण को दर्शाता है, जो पार्टी के समर्थन में आगे आए हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से “विकास भी और विरासत भी” के पक्ष में अपना मन बना लिया है — सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ जुड़ा विकास.

(मीनाक्षी लेखी भाजपा की नेत्री, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनका एक्स हैंडल @M_Lekhi है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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