आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 62, बसपा ने 10, सपा ने 05 अपना दल ने 02 और कांग्रेस ने 01 सीट पर जीत दर्ज की है. इन 80 लोकसभा सीटों में से 17 लोकसभा सीटें (नगीना, बुलन्दशहर, हाथरस, आगरा, इटावा, जालौन, कौशाम्बी, मोहनलालगंज, बाराबंकी, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, बहराइच, बासगांव, लालगंज, मछली शहर और रॉबर्ट्सगंज) अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं.
अगर इन आरक्षित सीटों पर चुनाव परिणाम देखा जाए तो भाजपा ने 14, बसपा ने 02, और अपना दल ने 01 सीट पर जीत हासिल की है.
अब सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश की सुरक्षित सीटों पर चुनकर आए प्रत्याशियों की जातीय विविधता क्या है? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि पिछले कई दशकों से यह आरोप लगता आ रहा है कि रिजर्व सीटों से मात्र चंद जातियों के प्रतिनिधि चुनकर आ रहे हैं.
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इस आरोप की सत्यता को जांचने के लिए तीन तरीक़े के आकड़ों की ज़रूरत है. पहला, उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में शामिल कुल जातियों की सूची; दूसरा, प्रमुख राजनीतिक पार्टियों द्वारा नामित उम्मीदवारों का जातिगत विवरण; और तीसरा, सुरक्षित सीटों पर चुनाव जीते उम्मीदवारों को पार्टीवाइज़ छांट कर उपरोक्त सूची से मिलान करने की.
इतना सब कुछ करने के बाद हमें उत्तर प्रदेश की सुरक्षित सीटों पर चुनकर आए प्रतिनिधियों की जातीय विविधता समझ में आ सकती है.
उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की लिस्ट केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की लिस्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की ये 66 जातियां (1- अगरिया 2- बधिक 3-बादी 4-बहेलिया 5-बैगा 6-बैसवार 7-बंजारा 8- बजगी 9-बालाहर 10-बलाई 11-बाल्मीकि 12-बंगाली 13-बनमानुस 14-बांसफ़ोर 15-बरवार 16-बसोर 17-बवारिया 18-बेलदार 19-बेरिया 20-भंटु 21-भुइया 22-भुइयार 23-बोएरा 24-चमार, धूसिया, झूसिया, जाटव 25-चेरो 26-दबगार 27-धनगर 28-धानुक 29-धरकार 30-धोबी 31-डोम 32-डोमर 33-दुसाध 34-घरामी 35-घसिया 36-गोंड 37-गुआल 38-हबुरा 39-हरी 40-हेला 41-कलाबाज़ 42-कंजर 43-कपाड़िया 44-करवाल 45-खैराहा 46-खरवार 47-खटिक 48-खोरोट 49-कोल 50-कोरी 51-कोरवा 52-लालबेगी 53-मझवार 54-मजहबी 55-मुसहर 56-नट 57-पनखा 58-परहिया 59-पासी/तारमाली 60-पतरी 61-रावत 62-सहरिया 63-सनुरहिया 64-संसिया 65-शिल्पकार 66-तुरैहा) अनुसूचित जाति में शामिल हैं. इन जातियों में कुछ एक जातियां दूसरे जिलों में अनुसूचित जनजाति में भी शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची केंद्र सरकार के जनजाति मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसके अनुसार 15 जातियां (1-भोटिया 2-बुक्सा 3-जौनसारी 4-राज़ी 5-थारु 6-गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पथरी, राज गोंड 7-खरवार, खैरवार 8-सहरिया 9-परहिया 10-बैगा 11-पनखा, पनिका 12- अगरिया 13-पतारी 14-चेरो 15-भुइया, भुनिया) अनुसूचित जनजाति में शामिल हैं. इनमें से भी कई जातियां दूसरे जिलों में अनुसूचित जाति में शामिल हैं. जनजाति मंत्रालय की वेबसाइट पर 5वें क्रमांक में किसी जाति का नाम नहीं लिखा है, इसलिए मैंने जातियों का सीरियल नम्बर बदल दिया है.
राजनैतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की जातीय विविधता
अब कांग्रेस गठबंधन, सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन और बीजेपी गठबंधन द्वारा आरक्षित सीटों पर घोषित किए गए उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए. (उन उम्मीदवारों में कई की जाति मैं व्यक्तिगत तौर पर जनता हूं क्योंकि ये मेरे शोध का फील्ड रह रहा है. जिनको नहीं जनता था, उसके बारे में संबंधित क्षेत्र के लोगों से फोन करके पता किया.)
कांग्रेस ने 17 सीटों पर जो प्रत्याशी घोषित किए थे उनमें 06 चमार/जाटव, 05 पासी, 02 दुसाध/पासवान, 02 खटिक, 02 धोबी जाति से थे.
सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन में 17 आरक्षित सीटों में से 10 बसपा और 07 सपा के हिस्से में आई थीं, जबकि आरएलडी को कोई सुरक्षित सीट नहीं मिली थी. बसपा ने अपने हिस्से की 10 आरक्षित सीटों में से 09 पर जाटव/चमार और 01 पर पासी जाति से प्रत्याशी उतारा था, वहीं सपा ने अपने कोटे की 07 सीटों में 03 पासी, 01 जाटव, 01 बाल्मीकि, 01 कोल और 01 धानुक जाति को उम्मीदवार बनाया.
भाजपा ने 17 आरक्षित सीटों में से 16 पर अपना उम्मीदवार उतारा जबकि 01 सीट अपने सहयोगी अपना दल को दी. भाजपा ने अपने हिस्से की 16 सीटों में से 06 पासी, 03 खटिक, 02 जाटव/चमार, 01 धानुक, 01 बाल्मीकि, 01 गोंड, 01 कोरी, और 01 गडे़रिया जाति के प्रत्याशी को टिकट दिया. बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने अपने हिस्से की 01 सीट पर कोल जाति का उम्मीदवार उतारा था.
सुरक्षित सीटों का परिणाम
सुरक्षित सीटों पर परिणाम बीजेपी के ही पक्ष में रहा और उसके 16 प्रत्याशियों में 14 ने जीत दर्ज की. उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने भी अपने हिस्से की 01 सीट जीत ली. बीएसपी ने अपने हिस्से की 10 सीटों में से 02 पर जीत दर्ज की. जबकि सपा और कांग्रेस का कोई उम्मीदवार आरक्षित सीट पर नहीं जीत सका.
इस प्रकार यदि हम सुरक्षित सीटों पर जीते प्रत्याशियों की जातिगत विविधता का विश्लेषण करें तो कुल 17 जीते उम्मीदवारों में से 06 पासी, 03 जाटव/चमार, 02 खटिक, 01 धानुक, 01 बाल्मीकि, 01 गोंड, 01 कोरी, 01 कोल और 01 गडे़रिया जाति के उम्मीदवार हैं. इसमें गडे़रिया जाति के अनुसूचित जाति में शामिल होने का मामला अभी विवादास्पद है. इस जाति के उम्मीदवार का मामला अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में लम्बित है. विदित हो कि आगरा सुरक्षित सीट से बीजेपी ने गडे़रिया जाति के डॉ एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाया था, जिन्होंने वहां से चुनाव जीत भी लिया है. डॉ बघेल बीजेपी की ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष भी थे, पूर्व में वो सपा से लोकसभा और बसपा से राज्यसभा सांसद थे. बसपा ने तो उन्हें अपना राष्ट्रीय महासचिव तक बनाया था.
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चिंताजनक रुझान
इन आंकड़ों में तीन चिंताजनक ट्रेंड देखने को मिलते हैं. पहला, सुरक्षित सीटों पर कुल प्रतिनिधित्व मात्र 08 जातियों के इर्द गिर्द ही सीमित हो कर रह गया है, इसमें एक विवादास्पद उमीदवार को शामिल नहीं किया गया है. दूसरा, बसपा अनुसूचित जातियों में भी अब केवल या मुख्य रूप से चमार/जाटव जातियों को टिकट दे रही है, और तीसरा, बीजेपी और एसपी पासी जाति के उमीदवारों को ज़्यादा टिकट दे रही हैं. यह आंकड़ा एक सवाल भी खड़ा करता है कि क्या अनुसूचित जाति और जनजाति की लिस्ट में शामिल छोटी-छोटी जातियों को भी कभी प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा मिल पाएगा?
(लेखक रॉयल हॉलवे, लन्दन विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं.)