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Sunday, 22 December, 2024
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हरियाणा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने खुद को चौधरी देवीलाल का असली वारिस साबित किया

जेजेपी और दुष्यंत चौटाला ने अपनी राजनीतिक पारी गठबंधन राजनीति के साथ हरियाणा में शुरू कर दी है और आने वाले समय में इस गठबंधन के राजनीतिक उतार-चढ़ाव का प्रभाव दुष्यंत के राजनीतिक भविष्य पर भी होगा.

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जेजेपी और दुष्यंत चौटाला ने अपने परिवारिक लड़ाई को जीतकर आईएनएलडी, ओम प्रकाश चौटाला और चौधरी देवीलाल की विरासत का असली वारिस 2019 के चुनाव में खुद को साबित कर दिया है. अभय चौटाला की आईएनएलडी की करारी शिकस्त ने जननायक चौधरी देवीलाल की विरासत को जेजीपी के रूप में पूर्ण रूप से स्थापित कर दिया.

2014 हरियाणा विधानसभा चुनाव बीजेपी के जीतने के बाद से ही आईएनएलडी और चौटाला परिवार के जेल में होने के कारण पार्टी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगना शुरू हो गया था. अभी तक हरियाणा के चुनावी इतिहास में हमेशा मुकाबला क्षेत्रीय दल और राष्ट्रीय पार्टी के बीच कांटे की टक्कर रही है. लेकिन बीजेपी के उभार ने सबसे ज्यादा राजनीतिक नुकसान आईएनएलडी को ही पहुंचाया था.

चुनाव नतीजों के विश्लेषण को देखें तो यह कह सकते हैं कि हरियाणा की राजनीति में नए चेहरे का उदय नए प्रकार के राजनीतिक समीकरणों के साथ हुई है और सभी पार्टियों को आगामी दिनों में अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन तलाश करनी होगी. बीजेपी के द्वारा 75 पार का नारा, जाट विरोधी जातीय गठबंधन की रणनीति बनाना, राष्ट्रीय मुद्दे जैसे अनुच्छेद-370 और पाकिस्तान विरोधी राष्ट्रवाद, सैन्य कार्रवाई जैसे सभी नारे को नकारते हुए हरियाणा के चुनावी नतीजा रहे.


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मनोहर लाल खट्टर के द्वारा भी इन सब मुद्दों पर सबसे ज्यादा बात अपनी रैलियों में की गई लेकिन हरियाणा के मतदाताओं ने जमीनी मुद्दे, किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी अन्य पर मतदान किया तथा इन्हीं मुद्दों को प्राथमिकता में रखते हुए पार्टियों को वोट दिये. कांग्रेस शुरुआत से ही स्थानीय मुद्दों पर बात कर रही थी इसीलिए कांग्रेस को बीजेपी विरोधी वोट और स्थानीय मुद्दों पर चुनाव जीतने में कामयाबी मिल सकी.

2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 2019 विधानसभा के चुनाव में आईएनएलडी पार्टी के विभाजन होने से आईएनएलडी और जेजेपी ने मिलकर 11 सीटें पर जीत दर्ज की है. इस हिसाब से देखा जाए तो काफी खराब प्रदर्शन रहा. लेकिन यहां पर पारिवारिक लड़ाई की वजह से दोनों पार्टियों के राजनीतिक भविष्य दांव पर लगे हुए थे. जेजेपी गठन के बाद से कुछ राजनीतिक विश्लेषक हरियाणा में क्षेत्रीय पार्टी की समाप्ति की घोषणा भी कर रहे थे. राष्ट्रीय- क्षेत्रीय मीडिया बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई हरियाणा में मानकर चल रही थी. इसी कारण से बीजेपी को भारी बहुमत से विजय प्री पोल और एग्जिट पोल में घोषित तक कर दिया गये था.

हरियाणा के जाट बहुल सीटों पर अभी तक आईएनएलडी का दबदबा रहा था और जाट मतदाता की प्राथमिकता में चौटाला परिवार था. 2004 के बाद से भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार का प्रभाव भी इन मतदाताओं पर बड़े स्तर पर रहा. 10 साल कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के बाद 2014 में बीजेपी ने गैर-जाट मतदाताओं के ध्रुवीकरण पर ही सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की. 2019 में भी इस बार इसी समीकरण पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया लेकिन जनता के जमीनी मुद्दों की अनदेखी करना, बीजेपी नेताओं का अति आत्मविश्वास और विपक्ष को कमजोर समझने की भूल करना और गैर-जाट समीकरण तथा राष्ट्रीय मुद्दों पर ज्यादा भरोसा करना ही बीजेपी को भारी पड़ गया और इससे बीजेपी बहुमत से कुछ सीटों से दूर रह गई.


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दुष्यंत चौटाला को सबसे ज्यादा लाभ आईएनएलडी में अजय चौटाला द्वारा स्थापित इनसो छात्र युवा इकाई में कार्य करके हुआ. अजय चौटाला के दोनों बेटे दुष्यंत और दिग्विजय ने अपनी शुरुआती राजनीति छात्र युवा संगठनों में काम करके किया था. जिस कारण से हरियाणा के युवाओं पर दुष्यंत चौटाला का विशेष प्रभाव 2014 से ही बना रहा. इसी कारण से 2019 हरियाणा के चुनाव में बीजेपी से नाराज युवाओं का समर्थन जेजेपी पार्टी को कहीं न कहीं मिलता दिखाई दिया.

बीजेपी का विजय रथ यदि किसी ने हरियाणा में रोका है तो उस पार्टी का नाम जननायक जनता पार्टी है. जिसका नेतृत्व दुष्यंत चौटाला कर रहे थे. हरियाणा चुनाव के आरंभ से ही बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा जेजेपी को गंभीरता से नहीं लिया गया. इसी का खामियाजा बीजेपी को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ा.

चुनावी नतीजों का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जिन 10 सीटों पर जेजेपी ने जीत हासिल की है उसमें से 6 सीट पर भाजपा ने 2014 में जीत हासिल की थी. जिसमें बाढरा, गुहला, नारनौंद, शाहबाद, टोहाना, उचाना कलां पर जेजेपी ने भाजपा उमीदवार को हराकर जीत हासिल की है. इसमें भी बीजेपी के तीन प्रमुख कद्दावर नेता कैप्टन अभिमन्यु हरियाणा सरकार में मंत्री, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, प्रेमलता (चौधरी बिरेंद्र सिंह की पत्नी) को पराजित किया. जेजेपी ने भाजपा को 8 स्थानों पर कांटे की टक्कर दी और दूसरे स्थान पर रही. इसमें फतेहबाद, हांसी, जींद, भिवानी, नांगल , पानीपत ग्रामीण, सोहना तथा नारनौल विधानसभा सीट थी.

आईएनएलडी को भी भारी हार का सामना करना पड़ा है. अभय चौटाला मात्र अपनी सीट ऐलनाबाद ही जीत पाएं हैं. आईएनएलडी को 2014 में जीती हुई 18 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इसमें से बीजेपी ने 7, कांग्रेस ने चार, जेजेपी ने चार और तीन इंडिपेंडेंट उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.


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जेजेपी ने जीतने के बाद 25 अक्टूबर 2019 को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हरियाणा में सरकार बनाने की चाबी हमारे पास है और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत हमारी बातचीत सभी से चल रही है. लेकिन बीजेपी और चौटाला फैमिली का राजनीतिक गठबंधन पिछले 20-25 सालों से हमेशा से राज्य और केंद्र सरकार में रहा है. 25 अक्टूबर 2019 की रात को ही बीजेपी और जेजेपी में गठबंधन की घोषणा अमित शाह तथा दुष्यंत चौटाला के द्वारा संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई. जेजेपी सरकार मे उप-मुख्यमंत्री और 2-3 मंत्री पद के साथ शामिल होगी.

जेजेपी और दुष्यंत चौटाला ने अपनी राजनीतिक पारी गठबंधन राजनीति के साथ हरियाणा में शुरू कर दी है और आने वाले समय में इस गठबंधन के राजनीतिक उतार-चढ़ाव का प्रभाव दुष्यंत के राजनीतिक भविष्य पर भी होगा. क्योंकि जिस प्रकार से बीजेपी ने बहुत से अन्य राज्यों में अपने ही सहयोगी दलों के विधायकों में तोड़ करके क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने की कोशिश की है. आने वालों समय में दुष्यंत चौटाला को भी सावधान रहना होगा.

(डॉ संजय कुमार जाकिर हुसैन इवनिंग कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजनीतिक शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. यह उनके निजी विचार हैं.)

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1 टिप्पणी

  1. , Sahi vishleshan Kiya gaya hai Haryana Mein Vakya mein jjp ne Devilal Parivar ki ki Virasat ko Sambhal liya hai

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