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Friday, 20 December, 2024
होममत-विमतऐसा लगता है कि भारत का मीडिया लकड़बग्घे की तरह मुसलमानों के पीछे पड़ गया है

ऐसा लगता है कि भारत का मीडिया लकड़बग्घे की तरह मुसलमानों के पीछे पड़ गया है

भारत का मीडिया पत्रकारिता नहीं कर रहा; ज़ी न्यूज से लेकर आजतक और नेटवर्क-18 तक हरेक टीवी चैनल को हर चीज़ में जिहाद ही नज़र आता है, वे सोशल मीडिया की अंधभक्ति में मुसलमानों को निशाना बनाते रहते हैं.

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‘इंडिया टुडे’ के टीवी चैनल के न्यूज़ एडिटर राहुल कंवल ने ‘मदरसा हॉटस्पॉट’ नामक जो कार्यक्रम बनाया है उसके खिलाफ एक्टिविस्ट कविता कृष्णमूर्ति का वीडियो अभियान बिलकुल मौजूं है. भारत का मीडिया इन दिनों चाहे जो भी कर रहा हो मगर पत्रकारिता नहीं कर रहा है. ज़ी न्यूज से लेकर आजतक और नेटवर्क-18 तक हरेक टीवी चैनल हर चीज़ को जिहाद से जोड़ने लगा है— कोरोना जिहाद, जमीन जिहाद, लव जिहाद,आर्थिक जिहाद, आदि-आदि. लेकिन आज अगर कोई जिहाद यानी धर्मयुद्ध पर उतारू है तो वह है भारतीय मीडिया, जो भारत के मुसलमानों और इस्लाम के पीछे पड़ा दिख रहा है.

साल 2014 भारत के लिए युगांतरकारी था, केवल इसलिए नहीं कि नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बने थे बल्कि इसलिए भी कि तब तक सच और हकीकत के संदेश देने वाले संदेशवाहक के रूप में काम करता रहा भारतीय मीडिया इसके बाद एक लकड़बग्घे में तब्दील हो गया था. एक ऐसे जंतु के रूप में, जो अपने बेकाबू लालच से पैदा हुए अपने हितों को पूरा करने के लिए अपने शिकार का जीते जी भक्षण कर लेता है या हंसते हुए उसके चीथड़े उड़ा देता है. आज का न्यूज़ मीडिया, खासकर प्राइम टाइम की बहसें बर्बरता की हद तक क्रूर हो गई हैं जिनमें न तो विवेक का ख्याल रखा जाता है और न नैतिकता का.

पत्रकारिता आज खतरे में है और इसके नाम पर जो कुछ हो रहा है वह शुद्ध धंधा है जिसमें कट्टरता, मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत का खुला प्रदर्शन होता है. विज्ञापन से कमाई की खातिर दर्शकों की संख्या जुटाने के लिए यह न केवल तमाम हथकंडे अपना रहा है बल्कि भाजपा को देश की उद्धारक के तौर पर पेश करने के लिए पीआर (प्रचार) फर्म की भूमिका भी निभा रहा है. और भाजपा के महिमामंडन के लिए इन दिनों भारतीय मीडिया का पसंदीदा शगल क्या है? इस्लाम के खिलाफ नफरत का बढ़चढ़कर प्रचार, जिसमें तबलीगी जमात की कथित साज़िशों (थूकना और मलत्याग करना आदि) की कहानियां गढ़ना; मुसलमानों पर देशद्रोही होने की तोहमत लगाना और उन्हें पाकिस्तानी बताना और आइएसआइ का पिटठू बताना (खासकर मलयालियों में); और जिहाद, हलाला, तीन तलाक, गोमांस भक्षणआदि के बहाने मुसलमानों की निरंतर बदनाम करने के अलावा खुराफाती किस्म के ऐसे आरोप लगाना भी शामिल है कि ‘भारत के मुसलमान तो जानबूझकर कोरोनो वायरस फैला रहे हैं’.


यह भी पढ़ें: कोविड-19 मुसलमानों को अनौपचारिक सेक्टर की नौकरियों से बाहर करने का एक बहाना, अगला चरण नस्लभेदी होगा


बेशक, सारे मीडिया हाउस ऐसे नहीं हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो सच और खोजी पत्रकारिता के अग्रदूत बनने की कोशिश करते हैं. लेकिन मीडिया ऐसा उद्योग है जिसमें काफी पूंजी लगती है. इसे पैसे चाहिए, खासकर इसलिए कि उसे एचडी क्वालिटी वाले चमकदार टीवी चैनलों और लाखों ग्राहक वाले प्रकाशनों से होड़ लेनी होती है. इसके अलावा, सरकार कभी भी इसे विज्ञापन देने से मना करके इसे दिवालिया बना सकती है. जाहिर है, इसके सामने एक ओर कुआं है तो दूसरी ओर खाई.

सरकारी दखल

जरा बीते दौर से तुलना करें, जब हालात इतने बुरे नहीं थे. इमरजेंसी वाले दौर के सिवाय, दूरदर्शन और आकाशवाणी खांटी समाचार दिया करते थे. प्रसार भारती एक्ट 1990 की धारा 12 (2)(बी) में साफ कहा गया है कि सरकारी प्रसारणकर्ता के काम क्या हैं— उसे ‘सार्वजनिक हित के सभी मामलों के बारे में स्वतंत्र, निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ सूचना पाने के नागरिकों के अधिकार की रक्षा करनी है… सूचना का निष्पक्ष एवं संतुलित प्रवाह बनाए रखने के अलावा किसी मत या विचारधारा की पैरवी न करते हुए परस्पर विरोधी विचारों को भी प्रस्तुत करना है.’ दूरदर्शन के डीडी नेशनल को हालांकि केंद्र सरकार का भोंपू कहा जाता रहा है लेकिन वह आज के टीवी समाचार चैनलों की, जो मुख्यतः पक्षपातपूर्ण सनसनीखेज ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ पर निर्भर होते हैं, तहर जनमत को प्रभावित नहीं करता था. लेकिन दूरदर्शन भी निष्कलंक नहीं रहा है.

2014 में इसने चुनाव से पहले लिये गए मोदी के इंटरव्यू के कुछ अंश संपादित कर दिए थे मगर मोदी ने जब नाराजगी जताई तो उसे पूरा प्रसारित किया. लेकिन इसने 2017 के स्वतन्त्रता दिवस पर त्रिपुरा के तत्कालीन मुख्यमंत्री माणिक सरकार के पहले से रेकॉर्ड किए गए भाषण को प्रसारित नहीं किया, बावजूद इसके कि माकपा नेता माणिक सरकार ने इसे ‘आलोकतान्त्रिक, तानाशाही ‘और ‘असहिष्णुता का प्रदर्शन’ कहकर इसकी निंदा की थी. अब दूरदर्शन दबाव के आगे घुटने टेकता नज़र आ रहा है, जब कि मोदी सरकार प्रसार भारती को भंग करके डीडी नेशनल और आकाशवाणी को सार्वजनिक उपक्रम में तब्दील करके उस पर अपना शिकंजा कसे रखना चाहती है.

जब प्रिंट मीडिया का वर्चस्व था तब प्रामाणिकता बची हुई थी क्योंकि विचारों से ज्यादा खबरों को अहमियत दी जाती थी. लेकिन सोशल मीडिया के उभरते ही उसने भी दम तोड़ दिया. आज जिसके भी पास कैमरा फोन है वह पत्रकार बन बैठा है, और हर किसी के पास सबको सुनाने के लिए ‘पत्रकारीय’ विचार मौजूद है. 800 शब्दों का लेख पढ़ने के मुक़ाबले एक वीडियो देखना ज्यादा आसान है. पूरे पृष्ठ के राजनीतिक विज्ञापनों और क्लासिफाइड पन्नों की संख्या में वृद्धि बताती है कि पिछले छह वर्षों में प्रिंट मीडिया की आज़ादी को किस तरह धक्का लगा है और लोग किस तरह सोशल मीडिया की ओर मुड़े हैं, जिसे मोदी और भाजपा ने अपने लिए जादू की छड़ी की तरह इस्तेमाल किया है.

मुस्लिम पहलू

मुसलमानों के खिलाफ नफरत सोशल मीडिया पर ज्यादा मुखर है लेकिन इसे खुराक और बढ़ावा चौबीसों घंटे नफरत का जहर फैलाने वाले समाचार चैनलों से मिल रहा है. लेकिन यह सवाल कायम है कि भारतीय मीडिया मुसलमानों से इतनी नफरत क्यों करता है? सुधीर चौधरी, अरनब गोस्वामी, दीपक चौरसिया, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, रोहित सरदाना सरीखे न्यूज एंकर मुसलमानों के खिलाफ रोज-रोज तोहमतें मढ़ते थकते क्यों नहीं हैं? क्या ऐसा है कि हिंदुओं का बहुमत हमेशा से मुसलमानों से नफरत करता रहा है, और 9/11 कांड के बाद बिन लादेन, अल क़ायदा, आइएसआइएस के उभार के बाद, और 2014 के बाद से यह सामान्य सार्वजनिक चलन बन गया है? या कहीं ऐसा तो नहीं है कि मुसलमानों को हिंसक तथा मूर्ख बताने की कट्टर धारणाओं के निरंतर प्रचार ने हिंदुओं को अपने दैनिक जीवन में इन्हें शामिल करने को प्रेरित किया है, भले ही उन्होंने ऐसे कुप्रचारों का खुद कोई अनुभव किया हो या नहीं?

तबलीगी जमात वाला दुष्प्रचार इसका एक उदाहरण है. मतिशून्य भेड़ों के झुंड की तरह करीब 1500 लोगों का एक समूह दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में अटक गया, जबकि उसके आध्यात्मिक ‘गड़रिये’ मौलाना साद ने कोरोना संक्रमण के खतरे के बावजूद मरकज़ को खाली करवाना जरूरी नहीं समझा. लेकिन क्या केवल इसी धार्मिक समूह ने यह काम किया? नहीं!


यह भी पढ़ें: मोदी के लॉकडाउन ने काम तो किया लेकिन अब भारत को हनुमान के पहाड़ की नहीं बल्कि संजीवनी बूटी की जरूरत है


तबलीगी जमात का जमावड़ा 13-15 मार्च को हुआ लेकिन सिद्धिविनायक और महाकालेश्वर मंदिरों को 16 मार्च तक बंद नहीं किया गया. शिर्डी के साई बाबा का मंदिर और शनि शिंगनापुर मंदिर जाकर 17 मार्च को बंद किए गए, वैष्णो देवी मंदिर 18 मार्च को किया गया जबकि काशी विश्वनाथ मंदिर 20 मार्च तक—देश के नाम मोदी के संदेश और ‘सोशल डिस्टेन्सिंग’ के उनके निर्देश के एक दिन बाद तक—खुला रहा. कुछ समाचार चैनलों ने इन विसंगतियों का जिक्र किया लेकिन कुल मिलाकर मुसलमानों को—केवल तबलीगी आयोजकों को नहीं– कठघरे पर खड़ा करने की मुहिम पर्दों पर जारी रही. मुसलमानों पर हमले होने लगे, उन्हें सड़कों पर अज्ञात गुंडों द्वारा मारा-पीटा जाने लगा और पुलिस हमेशा की तरह मूक दर्शक बनी रही. जिस मीडिया ने इस जहर को फैलाया वह मुस्लिमों पर हमलों की अनदेखी करती रही.

कोई नयी बात नहीं

भारत में बहुसंख्यकों को एकजुटता की भावना जगाने में फर्जी खबरों का बड़ी तत्परता से इस्तेमाल किया गया है. एक साझा दुश्मन के खिलाफ और उसे परास्त करने के लिए एकजुटता की भावना एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को वोट देकर जगाई गई, जो उनके अधिकारों की रक्षा करे. ‘हम बनाम वे’ का फॉर्मूला हमेशा कारगर रहा है. इसलिए, जेएनयू जैसे अग्रणी उदारवादी संस्थान को कंडोमों और ‘देशद्रोहियों’ का अड्डा कहा जा सकता है. या अयोध्या मसले पर फैसले का स्वागत करते हुए मीडिया यह नारा दे सकता है कि ‘जन्मभूमि हमारी, राम हमारे, मस्जिद वाले कहां से आए?’ या यह कहा जा सकता है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन विदेशी पैसे से चल रहा था. कोई यह क्यों नहीं बता रहा कि अंधविश्वासी हिंदू तबका कोरोना वायरस से लड़ने के लिए गोमूत्र और गोबर पार्टियां आयोजित कर रहा है ? इन अवैज्ञानिक एवं अस्वास्थ्यकर कार्यों का विरोध क्यों नहीं किया जा रहा है? गुरुद्वारों और मंदिरों में अटके तीर्थयात्रियों के जमावड़े पर सवाल क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं? क्योंकि किसी को इसकी परवाह नहीं है कि ‘गैर-मुस्लिम’ लोग गलत काम कर रहे हैं.

ऊपर से तो लगता है कि भारतीय मीडिया मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में जीत रहा है. लेकिन क्या आपने यह खबर भी पढ़ी है कि दिलशाद अली नाम के एक ‘मुसलमान’ को गुंडों की भीड़ ने बुरी तरह पीट डाला? उसके ऊपर आरोप लगाया गया कि वह जानबूझकर कोरोना वायरस फैला रहा था. लेकिन चूंकि वह बर्बर हमले में बच गया और मोहम्मद अखलाक, जुनैद खान या पहलू खान, आदि की तरह ऊपर नहीं चला गया
इसलिए जो कुछ हो रहा है उससे परेशान होने की जरूरत नहीं है.

( इस लेख को अंग्रेजी में भी पढ़ा जा सकता है, यहां क्लिक करें)

(लेखिका एक राजनीतिक प्रेक्षक हैं. व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

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56 टिप्पणी

  1. बहुत ही सराहनीय लेख लिखा है आपने, गोदी मीडिया की बखिया उधेड़ ही डाली।

  2. India media is right and this article write with basis against Hindu community. India history gave lessons us and gave message Today Hindu community will not joint than in future Muslim dominated on India . Hindu always liberal but you see Muslim countries never any body talk secularism and democracy. They rule on minorities as per muslim laws . First’s time Indians news channels right path. Jai Hindustan jai Shriram

  3. No matter whatever situation is goin on, u guys will always show urself victim only. When u say tht media is biased towards muslims, cant u see a section of media which is equally biased against hindus. If u cant see that everyone in this country is politically motivated including u, everyone is biased in this country. U need to accept this truth

  4. तुम जैसे लोग सच्चाई से भागते है, आज अगर मीडिया में कोई खबर चल रही है जो तुम्हे पसंद नहीं है तो वो पक्षपात पूर्ण खबर हो गया? तुम तो यही चाहते होगे कि मुसलमान औरो के साथ कुछ भी दुर्व्यवहार करे लेकिन कोई उसकी निंदा ने करे उल्टे उसकी तारीफ की जाए कि वाह जमातियो ने क्या काम किया है।
    तुम्हारे हिसाब से तो जमाती मसजिद में वैक्सीन कि खोज कर रहे थे लेकिन सरकार ने मुसलमान होने की वजह से उसके सोध में रुकावट डाली?
    और तुम्हे मसजिद में सिर्फ १५०० जमाती ही दिखाई दिया जबकि पुलिस ने २४०० बताया।
    तुम्हे २०१५ से पहले कि मीडिया अच्छी लगती है क्यूंकि उसने तुम्हारे बुरे कामों पर परदा डाला और कुछ दलाल पत्रकार तुम्हारे जैसे ही सोच वालो कि गुलामी करते थे लेकिन २०१४ के बाद सरकार की सख्ती से उनके गुलामी में कमी आई तो वो तुम्हे खटकने लगा।
    तुम जैसे लोगो में इंसानियत बची है नहीं है जो तब्लीगियो का बचाव करते हो जिसने सबके लिए मुसीबत खरी कि है चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो लेकिन तुम्हे तो वो मासूम दिखते है क्यूंकि जब अपने आंखो पे पट्टी बांध लोगे तो सही और ग़लत में फर्क दिखना बंद हो जाता है, फिर मनुष्य धृतराष्ट्र की तरह अपने पुत्र मोह में गलत को बढ़ावा देते है जैसा की आज के दौर में तुम जैसे लोग कर रहे है जिन्हे गलत को गलत कहना नहीं है।
    बांकी अगर कहीं तुम जैसे में थोरिशी भी इंसानियत बची हो तो अब भी वक़्त है सुधार जाओ और ऐसे दरिंदो का विरोध करना सुरु करो जोकि धर्म के नाम पे हठधर्मिता कर रहे है, नाकी धर्म के नाम पे किसी भी गलत का साथ देते रहो।

    • निहंगो द्वारा किया गया हमला किस केटेगरी में आता हे आपके हिसाब से…….मुस्लिमों द्वारा यह कृत्य किया होता तो आतंकवादी घोषितहो जाते पाकिस्तानी पासपोर्ट रखकर मीडिया वालों को मुसलमानो का थूक दिख रहा हे कटी हुई कलाई नहीं

    • आपने बिल्कुल सही कहा है। ये जाहीलो की फौज है। ये पोलीटिकल सपोर्ट लेकर अपनी मनमानी करता है।

  5. Tsbligi jamat ke markaj me 1500 nahi 2300 to tatkal nikla, jabki ushme 9000 log tha kya tabligi me ye padhaya jata hai ki doctors, police, nurs pe thuke, botal me toilet karke feke get pe latrine kare, jab sari duniya ko pata hai ki es-se virse failta hai to ye moulana janwro jaisa harkat kyu kar raha hai? Or tum log iska samarthan karke sare achche muslimo ko badnam v badnam kar rahe ho, are madam aap jo v ho aap apka v sochh in jamatio se kam nahi hai, jamati ko Pakistan me v dhar pakad chal raha hai

  6. I don’t agree with this. All of us are part of this country, please don’t instigate hatred. Name of jamaat comes again and again, because they have behaved irresponsibly. You have given many examples, but none have spread the virus,bthats the difference.

    Once the government issued orders none of the temples working, but many mosques are still doing namaaz. Yes it was mistake, I understand, but it’s very expensive mistake.

    From 969 cases 881 are due to this reason. Don’t you feel, we as a country, are paying for this mistake and hence please give us chance to speak about it. I am sure many who have attended the meet, didn’t even know they can be carriers and putting theirs, families and country s life in peril

    • The happenings at markaz have three Culprits. First is center. They deliberately allowed hundreds of foreingers without screening. WHY? LIOs daily visit the merkaz, what report/action were taken? NONE. 12th March Indiana one day was played with fully packed stadium, 13th March health Sec. Said that Corona was mo health issues. Till 20th many religious places were still doing normal activity. SHO/SDM/NSA/Delhi Government no one came hard on markaz. They thselves were negligiant to say the least. Stories of misbehavior is untrue media made. If you are accuse all of them.

  7. Bhartiya media lakrbha nahi tumhari soch pe hai, jo aise janwro jaise moulanao ka samarthan kar rahi ho, kya en jahilo ko ye nahi pata ki enki harkato se corona falta hai? En jahil moulanao ka samarthan karke kuchh achhe muslimo ko badnam nahi karo, enko sab ki najar me mat girao, satya or asatya ko samgho, are madam markaj se to Pakistan v paresan hai

  8. Muslims k khilaf kitnihi nafrat phelao,tum Das Bees lakh ko mardoge to Kia Bharat se Islam nasht ho Jayega dekhna ziada badega jitni Nafrat Karo tumhara bhala na Hoga Insaf karnewal San Dekh Raha ha hai

  9. Kyu na kare? Kaam hi aisa kartey hai muslim log. Akhir media baale ko bolne ka mauka to aaphi ke log de dete hai, media baale iska achche tarike se use kartey hai bs. Aur waise aap kon se nispaksha patrkarita kartey hai, aap bhi to hamesha muslims ki hr galtiyon me achchai dhundhne nikal jaatey hai. Aap bhi to hamesha hinduo ko badnaam karne ki kosis me rhtey hai..

  10. आप भी पूरा सच नहीं लिख रहे!
    सच तो ये है कि संघ ने अपर कास्ट मुसलमानो को अपने पाले मे कर लिया है!
    बस उन्हें थोड़ा अटपटा सुनना होगा!
    दोनो का साझा हित है!
    अपर कास्ट मुसलमान का काम है-obc मुसलमानो को एकत्र करके उन्हे धर्म के नाम पे हिंदुओ के खिलाफ यूज करना
    अपर कास्ट हिंदु का काम है-मुसलमानो को जिहादी घोषित करना
    @
    चित भी मेरा
    पट भी मेरा

  11. किसी टिप्पणी के लायक ही नहीं है अपने मन माफिक बनाया और जो बात जहाँ से शुरू हुई थी वहीं फिर पहुंच गई।पैरोकार वही अचछा होता है जो सही को गलत और गलत को सही करने का भरपूर प्रयास करे पर ऑख बंद कर लेने से दिन मे रात नहीं हो जाया करती।

  12. गोदी मुड़िया मुल्क में अमन नहीं चाहती शिवाय फसाद के

  13. Tumhare jaise media ke logo hi hindu ko badnaam karte ho….. Muslims ne kashmir mei bahoot achha kiya hai kashmiri pandito ke sath… Sharm karni chahiye tum jaise logo ko… Baat karte ho… Choolo bhar pani mei doob maro

  14. सत्य को पचाना कृष्णा मूर्ति जैसे लोगों के बस की बात नहीं है,ऐसे आपदा के समय क्या जमतियों द्वारा किया जा रहा उनका व्यवहार उचित है ?कृष्णमूर्ति क्या आंधी है क्या को इसको नही दिखता ।जबसे ए जम।ती पूरे देश में गए हैं, उन्न सभी प्रांतों में कोरो ना अपना असर दिखाया है।बीमारी बढ़ी है।मीडिया तो आसाराम,राम रहीम आदि जैसे लोगो का भी बिस्ता र से दिखाया,उस समय ए कृष्ण मूर्ति कहा थी।मीडिया नहीं बल्कि इसके जैसे लोग देश में विभेद पैदा करते है।मीडिया वहीं दिखा रहा है जो सच है। शायद मीडिया के सच्चाई से कृष्णा मूर्ति जैसों की दुकानें बंद होने का भय है,इसलिए ए विरोध कर रही है।

    • Kanika kapoor ke baare me kya kahna hai, birth day manate BJP ke netao ke baare kya kahengen,
      Tamaam mazdoor jo sadko par nikal pade aur sawaa kar rahe hai aape unke baare me kya kahenge
      Uttar pradesh ke tammam SP rank ke afsaro ne media ko jammat ke baare jhuth felane par ninda ki hai is baare me kya kahenge
      Musalmaan aapka saathi hai aapka Bhai hai
      Social media se, jhuthe chennalo se bahar aaiye
      Aur dekhiye kis tarah musalmaan ke bahane aapko aur sab Bhartiyo ko ek vidhvansak situation ki taraf le jaya jaa raha hai
      Zara sochiye kya saare bure kaam musalmaan hi kar rahe hai
      Aap aur hum rozi roti jamaane wale log hai subah kaam jaaker sham ko thak kar aane ke baad na to himmat bachti hai na samay aise me ye media jo dikhata us par yakeen karna majbooti hai
      Magar us musalmaan painter ko dekhiye jo diwali par aapka ghar paint karta hai kya aapse usko aur usse aapko ek dori ne nahi baandh rakha hai wo dori jo bhaaichaare ki hai, vishwas ki hai, isi dori ne aapko aur sab logo ko baandh rakha hai
      Isi dori ko ye lalchi media todna chahta hai taaki hum sab akele akele ho jaye aur ye hamara aapka aasani se shikaar kar sake

  15. Jab media aasaram babu ke bare mai Dikha rakha tab wo sahi hai jab tablik jamat ke bare mai dikha raha hai to woh galat hai indor mai jo huaa wo thik hai mai yanha kisi bhi Muslim bai ke khilaf nahi huan aur na aasarm babu ke support mai huan jo sach hai wo sacha hai kyonki Corona bahut khatrnak hai

  16. द प्रिंट जैसी मीडिया से ऐसी बाते सुन कर आज मुझे ‘बिल्ली सो चूहे खा के हज को चली ‘ वाली कहावत का असली मतलब पता चल गया, सारी दुनिया को पता है कि ये कैसी पत्रकारिता करता है, किसके पक्ष और किसके विपक्ष में लिखता है तो ऐसे लेखों से केवल तुम्हरे चाटुकार पाठक ही खुश हो सकते है पूरा भारत देश नही, सच किसी से छुपा नही है और न ही लोग तुम्हारे जितने बेवकूफ है, तो कृपा करके लोगो को बेवकूफ समझना बंद करे

  17. यह बात सही हैकि तबलिकी जमात का मुखिया मु. साद ने मखर्खतापूण सन्देश दिया था जैसे हिन्दू धर्म के मुखिया और कटटर अनुआई गोबर,गोमूत्र, भविष्यवाणी , मंत्रों से ठीक करने का झासा देते है।मरकज में 1500हो या 2500 ये अपनी लापरवाही के कारण मरकज मे फँस गये।फँसे लोगो को निकालने में ना ही प्रशाषण ने कठोरता दिखाई ना ही जमातियों व साद ने तत्परता व बुदधिमता ।अधिकतर मिडिया ने डाँक्टरों की समस्या को गंभारता से दिखाया ना ही छोटे कसबों व गाँवों की । मेरी समझ से मिडीया को सरकार की उपलब्धियों के साथ साथ कमयों को भी दिखाना चाहिये। भाजपा सरकार की कमियों व हिन्दुऔं की बेवकुफियों को ये मिडिया कभी नहीं दिखाती है।इसलिए इन पर गोदी मिडिया का तमगा लगा है।

  18. आखिर कब तक भारत को बहकावोगे ? शत प्रतिशत ये लेख किसी लालच में लिखा गया है।

  19. Aaj social media Muslim ke pichhe padi hai uska karan khud muslim tabligi jamat ke hai , Kitane anurodh ke bavjood ve bahar nahi aa rahe hai.Ye deshdroh hai. Kuchh logo ki murkhata ke karan aaj pure desh me lockdown ko badaya ja raha hai. Ye dimak me saman hai jo desh ko khokhla karne ka kaam kar rahe hai.
    Me apne Desh Bharat,PM,or tamam in logo ke saath hu jo desh ko surakchha me aaj apne jaan ki parwah kiye bina corona 19 se lad rahe hai .
    Jai Hind
    Jai Bharat

  20. The writer is not doing justice to muslim community by bringing allegations against the media. Instead she and her liberal friends should have utilize their resources to educate those idiots who in the name of Islam do not want to respect the constitution, defy government orders, attack health staff , defecate in hospitals wards, make lewd behaviors, chants allahu akbar and what not. Why this writer cannot ask her Muslims brothers and sisters to shun the path of wahabism,why do these people cannot ask to behave themselves as Indians, why they are so fond of Pakistanis and Islamic world instead of showing allegiance to India??

    Media is showing what those bio terrorists have done to India. So rectify your behavior, learn to respect constitution first before identifying as a true Muslim.

    • I support yr views, this is ground Reality. These people called themselves secular but their act on ground are totally communal. They follows Islam instead of Country’s Constitution..Modi ki Band bajaani hai Bas aur kutch nahi..

  21. जब आशाराम से रामपाल और रामरहीम तक के परखच्चे यही मिडिया उड़ाता था, तो गलत तो नहीं था, यहां तक कि कठुआ रेफ के बहाने हिन्दूओं को मिडिया से लेकर बालीवूड तक ने कितना लताड़ा तो भी गलत नहीं था लेकिन यहीं मिडिया जब जमातीयों के जिहादी और नर्सों के प्रति बलात्कारी मानसिकता को उजागर करता है तो छटपटाहट क्यों होती है, क्या यह इसकी स्वीकारोक्ति नहीं है कि इस्लाम का प्रसार केवल जेहाद और बलात्कार से ही हुआ है।अगर ऐसा नहीं है तो आपको भी जमातीयों के गैर जिम्मेदार रवैये पर कुठाराघात करना चाहिए।

  22. Media is not biased, don’t close your eyes, basically Muslims follow the kabilian mindset and are upset to be with five thousands years civilised society, a few so called school educated not may be madrsa chhap may cried to be the victim of the real vibrant society. If the Muslims are really concerned, they should ask their aakkaas, who left their jahil herds in India, while they had been given part of land in the name of pak, I hope you will understand that all around Education has open the mind and vision of Hindus, also I hope pls. Come out of fool’s dreams and face the reality. Thxs.

  23. जितने भी लोग जमतियों को बुरा केह रहे है उनकी मानसिकता खराब हो चुकी है kunki सारे news channel इनसब गलत खबरों के लिए माफी मांग चुके है।

  24. अगर ऐसा हो रहा है तो इसके लिये मुसलमान खुद जिमेबार है क्युंकि ये लोग आज तक धर्म का असली मतलब नही समझ सके इनकी करतूत ही इन्को लेकर दूबेगि इनका कोई संस्कार नही आज तक हिन्दूओ के साथ भी घोर दुर्ब्यहार हुआ केरल बंगाल कश्मीर मे आये दिन हिन्दू मरते है पकिस्तान मे हिन्दूओ के साथ अन्यान्य होता है उनको torcher किया जाता है तब ये अछे मुसलमान कहाँ छुप जाते है । हिन्दू हर धर्म का सम्मान करता था लेकिन अब नही होगा अब जितना सामने वाला ब्यक्ति हमारे धर्म देश मा बेटी का सम्मान करेगा हम उतना ही सम्मान उनको देंगे । अब हमने निति वदल दी इसलिये अपको तकलिफ हो रही है ।

  25. इस लेख के लेखक की मानसिकता और सोच पर तरस आता है क्यों ? आगे लिखता हूं।

    पहले प्रिट खुद विरोधाभासी रवैया पर चल रहा है । अगर इन लेखक महोदय का लेख उसके अपने ख्याली पुलाव है तो ,तो उसे मजे लेकर छापने का सरासर गुनाह आप भी कर रहे हैं । चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी ,,यही कहावत आपकी पत्रकारिता का स्तर वह गया है ।

    मुख्यधारा की मीडिया कुछ ग़लत नहीं दिखा रही है ,वहीं कह रही है जो सच और सच है । भारत के भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिये किसी ने कुछ नहीं कहा ,अगर कहा है तो आप साबित करे। *****तबलीगी जमात ++++++ भारत के मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है क्या? आप इस सवाल का जवाब दे। करोना से संक्रमित तबलीगी जमात कै लोग अपने ,अपने परिवार, समाज ,राज्य और देश के लिए , खतरा बने हुए हैं।बिमारी किसी का धर्म देख कर नहीं लगती । बेहतर होता जो भी इस बीमारी से पीड़ित हैं ,आगे आकर अपना इलाज कराता,बजाय इसके , मस्जिद या इधर उधर छुप कर किसका भला कर रहे हैं ! सब के भले के लिए उन्हें बिलों से बाहर निकालना ही होगा ,अगर अपने आप नहीं निकलते हैं ।

    आप का खुद का फर्ज बनता था ,लेख लिखते उसे छपवाते ,कि भाइयों ,,,,न डरो ,,,न घबराओ,, सामने आकर अपना इलाज कराओ अगर आप बिमार है। नहीं है तो मुंह मत छुपाओ,,, आपने यह अपील अगर कहीं की तो किसी भी सोशल मीडिया नेटवर्क पर बताते ,बजाय इसके मुख्य धारा की मीडिया को ,,, लक्कड़ बगघा ,,और तमाम मुस्लिम समुदाय को शिकार बनाया ,यह सस्ती लोकप्रियता है और कुछ नहीं?
    आपको समझ आये तो ठीक ,नहीं तो तुक्का।

  26. लेखक द्वारा कुछ मीडिया को लकडबग्घे की संज्ञा से सुशोभित करते समय स्वयं को भी शुतुरमुर्ग की संज्ञा कर्मों नहीं दी । लेखक के द्वारा मरकज की तुलना हिन्दु तीर्थ स्थलों श मन्दिरों से की गती है । लेकिन यह नहीं बताया कि इन स्थलों पर अटका कोई भी हिन्दू दर्शनार्थी कोरोना पोजिटीव नहीं पाया जबकि मरकज से निकले नब्बे प्रतिशत कोरोना पोजिटिव है जिन्हें लेखक बेचारा वह पीड़ित साबित करना चाहता है ।

  27. Media took one month for ram -rahim shows in thier debat at that time nobody said that they are aginsts Hindus. Whenever things goes aginsts Muslim community then you are blaming media.

  28. Pahle let’s clear yeah desh Hindu rastra hai, kyon ki hum ne 2 rastr banye ekk Islam ke liye and dusra Hindu ke liye.

    Problem yeah hai ki muslim are minority, but Sikh, jain, parsis are not. Now there is no acha and ganda Islam, because who follows Islam personally take out his own meaning, as they say it’s a religion of peace, when most of the muslim are converted on the tip of blade. Specially Pak, indian Bangladeshi and south east Asia.

    Action speak louder- now how tabligi are behaving is printed everywhere. Now if they are doing right than entire theory of social distancing is fake.

    I have no doubts that mandir and temple were not closed after 14 March, but look at the behavior of people in temple and majid.

    How many majids are offering free food or allowed poor people to stay inside.

    None of the religion can’t be bigger than nation. But yes if someone will I’ll treat our forces of worker to fight against this Pandemic, they are our and Nations enemy’s. Period!

  29. I guess leftist and communist media got finally a chance to write new issue after CAA . Keep writing any no one will moved by pseudo crying of this piece of crap.

    Gone are days when Congress used to abuse Hindu and it’s practices . Table has turned and that is why liberals { so called who enjoy lot of perks } are having problem and God wishing they will continue to have so

  30. हम ऐसा कार्य करे ।जो राष्ट हीत ,जन हीत में हो आलोचना का नोबत ही नही आये

  31. यह लेख बिल्कुल एकपक्षीय व दुर्भावनापुर्ण है।यह लेख भी लेखक की चाटुकारिता को हीं दिखाता है।तबलीगी जमात वालों की निंदा करना मुसलमानों की निंदा नहीं है भाई।इस लेख का भी मूल उद्देश्य मुसलमानों को मीडिया व देश के खिलाफ भड़काने वाला प्रतीत होता है ताकि इसकी प्रतिक्रिया दूसरे पक्ष में हो।लेखक का यह कहना कि 2014 से पहले देश की मिडिया एकदम निष्पक्ष थी तथा ह्रास इसके बाद हीं हुआ है उसके विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।वस्तुत:ऐसे लोग हीं मोदी सरकार के तारणहार हैं।ये लोग मोदी का अंधविरोध कर दरअसल मोदी के वोट बैंक में हीं इजाफा कर रहें हैं।मोदी के दूसरे कार्यकाल में मिला बहुमत दरअसल इन्हीं के गुप्त एजेंडा (मोदी का अंध विरोध कर गोलबंदी कराना व मोदी को सत्ता में बनाए रखना) प्रतिफल था।इनका इरादा आगे भी इसी को जारी रखने का है यह हम नागरिकों को समझना होगा।दरअसल कोई भी एकपक्षीय विवेचन एक गुप्त एजेंडे के तहत हीं होता है।

  32. Yaha koi ek insaan hai jo sirf aj in haalat me insaniyat ki baate kare na jo ek dosre par keechar uchhal rahe hain hum sab hi Apne Apne giranaan me Zara jhaakar dekho aur apni Aatma se poche ki is waqt Ko bechare ghareeb hain jink paw khane ko nahi hai…sirf lecture Baazi karne se kuch nahi hota..ye bahot hi asaan kaam hai kholo aur shuru ho jao ek dosre par gobar phekna..itni badi musibat Pori duniya me ayi hui hai aur hum Apne Desh me gandagi phaila rahe hain jaanwaro ki tarha..are us ghareeb aurat ke pas jao uske Dil ka dard dekho aur sun uske chote chote hain jinko kai se theek se dhoodh Naseeb nahi hua hai jinhone kitne din se acha khana to door jo m rha hai wo bhi peit bhar kar nahj khaya hai. Aur hum Apne gharo me.baithe social media par nange hue parde hue hain ek dosre Ko zaleel karne me.. har dharm.se upar insaniyat hai pahle hum insaan ban jaye Wahi bahot hai…Apne apne.zameer se kabhi kuch sawal bhi kar Lena chahye ki main jo kar raha ho wo sahi hai ya nahi kyuk har kisi ka Zameer kabhi jhooth nahi bolta hai..

  33. Everything you said in your statement is absolutely wrong,
    I think you are not understanding the actual stage of this lockdown situation, or you are trying to prove your Muslim propaganda, or you have no subject to prove yourself in your currier.
    i know if we are targeting someone or any one cast is not good for us or nation,
    i have so many muslim best of best friends, which is oppose to jihad and whatever are doing Tablighi, and which was happen in caa protection in Delhi
    mentaly sick peoples only can do comments as like this, and then here will be starting the pointing of hindu and muslim
    I ask you,
    if this things are done by some group of monk’s then what you will be saying to this, ‘hindu community’. right!
    definitely people are saying muslim Tablighi jamaat
    I ask you,
    If these things are done by some group of monks, what would you call it, ‘Hindu community’. right!
    People are definitely saying Muslim Tablighi Jamaat
    One more thing, whatever they do with doctors, nurses, police, is that right!
    And still they are gathering people in groups for namaz and spreading that virus.
    Do you like it?
    And imagine, if your sister is in that position as a nurse in the hospital where this Jamati has shamelessly worked what they do to with others, then your statement will remain the same.
    Look, wrong is wrong .. don’t give soft corner for this ..
    And please focus on realistic news, which other media channels have already started, the diplomatic and unrealistic news era is over, we now have a 4G network.

  34. हिटलर ने कहा था एक आदमी को बेवकूफ बनाना कठिन है बिमुकाबिल भीड़ के यानी भीड़ को बेवकूफ बनाना बहुत आसान है जो हमारी मौजूदा सरकार ओर मीडिया बखूबी अंजाम दे रही है इसके पीछे जो तथ्य है वो ये है कि भीड़ में
    सभी तरह के लोग होते है परोक्ष भी अपरोक्ष भी ।
    जब कोई सही या गलत खबर फैलाई जाती है किसी भीड़ में तो जिन लोगो को उससे फायदा होगा वो कहेंगे सही है जिन को नुकसान होगा वो बोलेंगे गलत है भीड़ दो गुटों में बंटी दिखाई देगी अब भीड़ से अलग तीसरा समूह जो भीड़ का हिस्सा नहीं या जो घर में बैठा है वो कन्फ्यूज़ होगा कि किस की बात सही है फिर वो भी उसी की तरफ हो जाएगा बिना तहकीक किए जो पॉवर में होगा अब पॉवर में अच्छे लोग होंगे तो अच्छाई फैलेगी बुरे लोग होंगे तो बुराई सिर चढ कर बोलेगी यही हाल हमारे देश का अब है

  35. Achha tere hisab se media Musalman ke pichhe pad gyi hai toh Tablighi jamaat waalo ko bol bahar aane ke liye kyu chhupe hai aur sazis waale video kyu nikal kar aarha aur musalman doctor’s police wagera ko kyu maar rhe hai tum kya chahate ho musalman kuchh bhi kare aur hum kuchh bhi na bole jaara bol kya diya tum logo ki jalne lagti hai

  36. बहुत सही कहा आपने. इस लेख से में पूरी तरह से अग्री करती हूं

  37. पूर्ण सहमत नहीं, आप लोग भी तो केसरिया रंग की बात नही करते कभी, आपको सावन के अंधे की तरह बस हरा और हरा दिखता है। पाठक और दर्शक समझदार हैं। Aarfa khan और Ravish kumar के बारे में भी इसी fact के साथ बोलते तो ज्यादा खुशी होती।

  38. तुम कहते हो वैष्णो देवी मंदिर, एवं अन्य धर्मस्थल लोकडाउन के बाद भी खुले थे । तो मुझे इतना बता दीजिए कि वहां से कितने कोरोना पॉजिटिव आए हैं । रही बात तबलिगी जमात की तो वहां सभी पॉजिटिव निकले और बिना जांच कराएं देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर छुप गए । इस मानसिकता को क्या कहेंगे । अपनी एकतरफा सोच को अपने पास रखें ।?

    • सही बोले। ये लोग देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते है और हम ये होने नहीं देंगे। ??हिन्दू राष्ट्र बनेगा भारत??

  39. Rahul Kawal instead of writing news article should rather start writing Dramas. He is totally unaware of what’s happening in india. In this information age people have lots of options and international connections to explore truth. Everyone today knows… Which news channel is spreading chinese propoganda and who all are playing victim card.

  40. ‌‌‌सीधी सी बात है सेकुलर हिंदुओं मुस्लिम क्या है ? इसका जवाब आपको कुरान के अंदर मिल जाएगा । किसी मिडिया पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। ”हे ‘ईमान’ लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।” (कुरान सूरा 9, आयत 28) .
    निःसंदेह ‘काफिर (गैर-मुस्लिम) तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।” (कुरान सूरा 4, आयत 101) .
    ‌‌‌कुछ सेकुलर हिंदुओं को लगता है कि सब मोदी करवा रहा है। लेकिन मोदी कुछ नहीं करवा रहा है हिंदुओं की कब्र खुदने वाली है। इसमे कोई शक नहीं है । मोदी कब तक रूकेगा ।और सही मायने मे हिंदु अपने धर्म के हैं ही नहीं । इनसे अच्छे तो मुस्लिम हैं जो अपने धर्म का पूरी तरीके से स्पोर्ट करते हैं।

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