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Friday, 10 May, 2024
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वैश्विक शांति और सद्भाव का प्रवेश द्वार है योग: रमेश पोखरियाल निशंक

योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का उपचार करने में मदद करता है बल्कि भावनात्मक और मानसिक सेहत भी सुधारता है. यह आपके जीवन में वर्षों को ही नहीं, आपके वर्षों में जीवन को भी जोड़ता है.

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27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) या विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया. इस प्रस्ताव को वैश्विक और प्रभावशाली बनाने वाली इसकी सार्वभौमिकता और स्वीकार्यता है.

दुनिया भूगोल से विभाजित और योग द्वारा एकजुट है, यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि 177 से ज्यादा देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन किया जबकि 175 देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित भी किया, जो आज की तारीख तक संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्तावों में सबसे ज्यादा सह-प्रायोजकों की संख्या है. इस पहल को एक देश द्वारा संयुक्त राष्ट्र में 90 दिनों के भीतर प्रस्तावित और लागू किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास में पहली बार हुआ. पीएम मोदी ने आश्चर्यजनक ढंग से सत्ता में आने के 6 महीनों के भीतर ही इस उद्देश्य को पूरा कर दिया, जो हम आजादी के बाद बीते 73 वर्षों में हासिल नहीं कर सके- ‘हमारी 5000 साल पुरानी योग की विरासत को सच्ची पहचान’. उन्होंने सच ही कहा है कि स्वास्थ्य और कल्याण के लिए योग सार्वभौमिक आकांक्षा का प्रतीक है. यह शून्य बजट में स्वास्थ्य बीमा है. योग ने दुनिया को बीमारी से कल्याण तक का रास्ता दिखाया है.

‘योग’ कोई धर्म नहीं है. यह भलाई, यौवन और मन, शरीर व आत्मा के सहज एकीकरण का विज्ञान है. यह मानवता के लिए सद्भाव और शांति को प्रकट करता है, जो दुनिया को योग का संदेश है. यह स्वयं की, स्वयं के लिए और स्वयं के जरिए यात्रा है.

महर्षि पतंजलि को योग पर उनके ग्रंथ ‘पतंजलि योग सूत्र’ के लिए जाना जाता है. श्री अरबिंदो को भगवद्गीता और उपनिषदों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों से योग और योग साधनाओं के सार का अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है. बीएस अयंगर और महर्षि परमहंस योगानंद को व्यापक रूप से महत्वपूर्ण आध्यात्मिक शास्त्रों और अपने अनुशासित व प्रेरणादायक जीवन के माध्यम से दुनियाभर में योग के महत्वपूर्ण ज्ञान के प्रसार के लिए जाना जाता है. स्वामी विवेकानंद को पश्चिम में योग के सबसे बड़े प्रचारक के तौर पर जाना जाता है. पश्चिमी दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से रूबरू कराने वाले वह एक प्रमुख व्यक्ति थे. भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता पर उनके शब्द अब भी शिकागो में गूंज रहे हैं.


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आज योग को वैश्वीकरण के सबसे सफल उत्पादों में से एक माना जाता है. यह मानव-चेतना और भलाई के लिए व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है. धर्म और क्षेत्र से इतर योग का उत्सव दुनियाभर में आयोजित किया जाता है. आज यह सबसे धर्मनिरपेक्ष सूत्र है जो स्वास्थ्य और खुशी के लिए विभाजित दुनिया को जोड़ता है. जब दुनिया बंटती है तो योग लोगों, परिवार, समाज और देशों को साथ लाता है, इसके पास दुनिया में एकजुट करने वाली सबसे सबसे प्रभावशाली ताकत है.

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यह देखकर खुशी होती है कि पश्चिम में योग सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली पूरक स्वास्थ्य पद्धति है और दुनिया अपने जीवन में योग के फायदे को महसूस कर रही है. यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में पाया गया कि ध्यान के साथ योग करने से बुढ़ापे में देरी और कई बीमारियों को शुरुआत में ही रोकने में मदद मिलती है. योग का अभ्यास करने से व्यक्ति की मनोदशा और जीवन की अवधि भी बढ़ सकती है.

योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का उपचार करने में मदद करता है बल्कि भावनात्मक और मानसिक सेहत भी सुधारता है. यह आपके जीवन में वर्षों को ही नहीं, आपके वर्षों में जीवन को भी जोड़ता है. शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि योग का अभ्यास करने से आणविक परिवर्तन होते हैं जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं के प्रसार को भी प्रोत्साहित करता है. योग से अवसाद को कम करने में भी मदद मिलती है. योग हमेशा से स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का एक अभिन्न अंग रहा है. दुनिया ने स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है और योग उपदेशात्मक शिक्षा के एक भाग के बजाय ‘प्रायोगिक ज्ञान’ का हिस्सा होगा. अमेरिका के सफलतापूर्वक इसे आधिकारिक खेल के रूप में स्वीकार करने के बाद चर्चा यह भी है योग ओलंपिक में एक प्रतिस्पर्धी खेल के तौर पर शामिल हो सकता है.

हॉलीवुड से लेकर हरिद्वार तक, आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटीज तक, हर किसी ने इस महामारी के संकट के दौरान योगाभ्यास के फायदों को गंभीरता से लिया है. मैं हिमालयी राज्य देवभूमि उत्तराखंड से आता हूं जो योग और आयुर्वेद का उद्गम स्थल रहा है. महामारी संकट में आगे के रास्ते के लिए पूरी दुनिया हमारी तरफ देख रही है. जब दुनिया चार दीवारों तक सीमित है तो योग प्रतिरक्षा को बढ़ाने और जीवन के संतुलन को बनाए रखने के लिए सबसे प्रभावी स्वास्थ्य साधन के रूप में उभरा है.

आदर्श रूप में, हम पिछले वर्षों की तरह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस उत्साह से मनाएंगे लेकिन कोविड-19 के कारण हमसे उम्मीद की जाती है कि सामाजिक दूरी का पालन करें और प्रतिबंधित दायरे में रहते हुए अपने परिवार के साथ योग दिवस मनाएं.


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मैं पूरे देश और विश्व समुदाय से अपील करता हूं कि कोविड-19 को विश्व योग दिवस की भावना को कम करने की अनुमति न दें, जो हमने पिछले पांच वर्षों में हासिल किया है. विभिन्न रिपोर्टों और केस स्टडीज ने साबित किया है कि कोविड-19 के मनोसामाजिक प्रभाव से निपटने में योग और ध्यान सबसे अच्छा उपचार है. योग में कई ‘प्राणायाम’ हैं जो श्वसन प्रणाली को मजबूत करते हैं. इस पर अध्ययन की आवश्यकता है कि कैसे ‘प्राणायाम’ नोवेल कोरोनावायरस के प्रभावों का मुकाबला कर सकता है. योग वास्तव में समुदाय, प्रतिरक्षा और एकता के लिए रामबाण (सर्वरोगहारी औषधि) है. लंबे समय से योग, आयुर्वेद और आध्यात्म वैश्विक समुदाय को हमारा संदेश रहा है और आज भी यह पूरी तरह से प्रासंगिक है. योग निस्संदेह वैश्विक शांति और सद्भाव का प्रवेश द्वार है.

(लेखक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री है. ये उनके निजी विचार है)

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