नई दिल्ली : इम्पीरियल कॉलेज के स्टडी के कारण ही लॉकडाउन लगा था. करीब डेढ़ महीने पहले की स्टडी थी. स्टडी में कहा गया था कि अगर लॉकडाउन नहीं लगया जाएगा, तो अमेरिका में 22 लाख लोग मर जायेंगे और दुनिया भर में 9 करोड़ लोग कोरोनावायरस संक्रमण की चपेट में आने से मर जायेंगे.
इस रिपोर्ट में यूके में भी 5 लाख से अधिक लोगों के मरने का अनुमान लगाया था. डोनाल्ड ट्रम्प और बोरिस जॉनसन लॉक डाउन नहीं लगाना चाहते थे.
इम्पीरियल कॉलेज के स्टडी ने यह भी कहा था कि स्वीडन में मई तक 1 लाख लोग मर जायेंगे, स्वीडन ने जो स्ट्रेटेजी अपनायी वो काम आई. लेकिन ब्रिटेन ने जो रुख अपनाया उससे उसको नुकसान हुआ वहां की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया.
समिति ने सेपरेशन ऑफ़ कंसर्न अपने सॉफ्टवेयर में नहीं किया. यूके के साइंटिस्ट एन फर्गुशन ने लॉकडाउन करने के लिए कहा था. बाद मीडिया ने उनको एक्सपोज़ किया जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
भारत जैसे देश के लिए पहले तीन हफ्ते का लॉकडाउन जरूरी था, लेकिन ज्यादा इसको आगे खींचने की जरुरत नहीं है.
आईसीएमआर ने प्रोटोकॉल बदला
आईसीएमआर ने कहा पहले 10 से 12 दिन तक क्वारेंटाइन में रखा जायेगा, फिर दो टेस्ट नेगेटिव आने के बाद छोड़ दिया जायेगा. लेकिन पिछले हफ्ते 10 दिन के बाद अगर सिम्पटम्स नहीं होगा तो उनको घर भेज दिया जायेगा इस वायरस के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं.
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आरटीपीसीआर टेस्ट आरएनए पर बार-बार सवाल उठाया जाता है जिससे व्यक्ति को पॉजिटिव पाया जाता है लेकिन फिर भी घर आने के बाद सेल्फ आइसोलेशन की जरुरत है.
तेलंगाना में टेस्टिंग कम हो रही है
तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री इताल राजिंदर ने कहा हम आईसीएमआर के दिशा निर्देश को फॉलो कर रहे हैं. तेलंगाना से सटे राज्यों जैसे तमिलनाडु में 3 लाख टेस्ट हुए हैं, आंध्र में एक लाख से अधिक टेस्ट हुए हैं. लेकिन तेलंगाना में 19000 टेस्ट हुए हैं केंद्र ने तेलंगाना को बार-बार चिट्ठी लिखी है. 30 अप्रैल के बाद टेस्ट कम किये गए हैं. 5 मई तक भारत में 10 लाख से अधिक टेस्ट हुए हैं पश्चिम बंगाल की टेस्टिंग तेलंगाना से ज्यादा हुई हैं पश्चिम बंगाल में ममता कामयाब नहीं हुई हैं लेकिन केसीआर के यहां टेस्ट कम हो रहे हैं.
अब अर्थव्यवस्था को खोलना होगा लोगों को भूखा नहीं रखा जा सकता है इतने लोगों को बैठा के खिलाया नहीं जा सकता है.